RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
गाड़ी रुकी, अमर उनको देख कर खुश हो गया।
अमर- वाउ व्हाट ए सरप्राईज.. इतनी जल्दी वापस आ गए तुम लोग.. क्या हुआ…!
रचना भाग कर अमर से चिपक जाती है।
रचना- भाई मैं आज बहुत खुश हूँ.. मैंने फिल्म साइन कर ली… कल से शूटिंग शुरू होगी।
अमर- ओह वाउ रियली.. आज तो पार्टी बनती है।
शरद- हाँ यार ये तो है.. अभी तो मैं जाता हूँ पर रात को पार्टी यहीं करेंगे.. मैं 8 बजे तक आ जाऊँगा।
अमर- ओके ब्रो… चलो मैं बाहर तक तुम्हारे साथ चलता हूँ।
रचना- भाई इनको छोड़ कर मेरे रूम में आ जाना।
अमर और शरद बाहर आ गए।
अमर- वाउ यार.. कमाल कर दिया तुमने.. सीधे फिल्म साइन करवा दी.. कौन सी फिल्म है..!
शरद- अरे यार इन सब बातों को गोली मारो.. जाओ वो तुम्हें बुला कर गई है.. मज़ा करो, पर उससे कोई सवाल मत करना। मैंने उसका माइंड ऐसे बना दिया है कि अब वो खुलकर तुम्हारे साथ मस्ती करेगी, पर तुम उसको अहसास मत होने देना कि तुम्हें पता है और रात को हम दोनों मिलकर उसको चोदेंगे… वादा याद है ना…!
अमर- हाँ यार मुझे याद है.. बस अभी मैं उसकी चूत का मुहूरत कर दूँ, फिर रात को दोबारा मज़ा लेंगे…!
शरद वहाँ से चला गया।
अमर सीधा रचना के रूम में गया, तब रचना बेड पर लेटी थी और एक चादर अपने ऊपर डाल रखी थी।
अमर- क्या हुआ बहना.. ऐसे क्यों सोई हो..! क्या हुआ? तबियत तो ठीक है ना?
रचना- भाई मैंने कहा था न.. कि फिल्म साइन होने पर आपको वो ख़ुशी दूँगी कि आप सोच भी नहीं सकते…!
अमर- हाँ बहना.. क्या है बताओ न…!
रचना- इस चादर को खींचो पता चल जाएगा…!
अमर चादर पकड़ कर खींच देता है। रचना को देख कर उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। क्योंकि रचना एकदम नंगी सीधी लेटी हुई थी।
रचना- भाई इसी रूप में आप मुझे देखना चाहते थे ना..! लो आ जाओ अब मैं आपकी हूँ.. जो करना है कर लो…!
अमर जल्दी से बेड की तरफ बढ़ता है।
रचना- रूको भाई ऐसे नहीं तुम भी अपने कपड़े निकाल कर आओ, तब प्यार का मज़ा आएगा।
अमर तो पता नहीं कौन सी दुनिया में खो गया था, उसके मुँह से आवाज़ ही नहीं निकल रही थी। वो भी जल्दी से नंगा हो गया, उसका लौड़ा तना हुआ था, जो करीब 6″ का होगा और ज़्यादा मोटा भी नहीं था।
रचना- ओह.. वाउ.. भाई आपका तो बहुत बड़ा है…!
अमर बेड पर चढ़ गया और रचना के मम्मों को दबाने लगा।
अमर- बहना डरो मत बड़ा है, तो क्या हुआ.. मैं आराम से डालूँगा पर पहले मुझे प्यार तो करने दो…!
रचना- आ जाओ भाई आज मैं बहुत खुश हूँ जल्दी से आ जाओ…!
अमर ने रचना के होंठों पर अपने होंठ रख दिये और उसके मम्मों को दबाने लगा।
दस मिनट तक दोनों एक-दूसरे को चुम्बन करते रहे।
अमर कभी गर्दन को चूमता तो कभी निप्पलों को चूसता ! दोनों एकदम गर्म हो गए थे।
रचना- आ..हह.. सी.. उफ्फ भाई.. अब आप लौड़ा दो न.. मेरे मुँह में.. आ..हह.. आप मेरी चूत चाटो न उफ्फ सी.. बहुत खुजली हो रही है आ उफ़फ्फ़…!
अमर ने 69 का पोज़ बनाया और अपना मुँह चूत पर टिका दिया। रचना ने जल्दी से लंड को मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
पाँच मिनट भी नहीं हुए थे कि अमर ने अपना कंट्रोल खो दिया।
अमर- आ..हह.. उफ्फ रचना आ..ह.. ऐसे मत चूसो आ..हह.. मेरा पानी आ..हह.. उफ्फ निकल जाएगा आ..हह.. उफ़फ्फ़..!
अमर के लंड से पिचकारी निकलने लगी और रचना उसे पी गई।
अमर पानी निकालने के बाद बेहाल सा होकर साइड में लेट गया।
रचना- आ..हह.. भाई आपका पानी कितना टेस्टी था उफ्फ मेरी चूत चाटो न.. आ..हह…. आप तो ठंडे हो कर अलग लेट गए.. आह.. आओ ना भाई…!
अमर- बहना तेरे मुँह में बहुत गर्मी है.. मेरा लौड़ा हार गया तुमसे.. अब तुम थोड़ा रूको.. मैं इसे कड़क करके ही तुम्हारी चूत की खुजली मिटाऊँगा।
रचना सेक्स की आग में जलती रही, पर अमर का लौड़ा कड़क नहीं हो रहा था।
रचना की बर्दाश्त के बाहर हो गया तो उसने फिर से लौड़ा मुँह में ले लिया और उसको चूसने लगी दो मिनट में उसको फिर से कड़क कर दिया।
रचना- आ आ..हह.. आ जाओ भाई.. अब डाल दो मेरी चूत बहुत प्यासी है मिटा दो.. मेरी चूत की प्यास आ..हह.. आ उफ़फ्फ़…!
अमर ने रचना की टाँगों के बीच आकर अपना लौड़ा चूत पर टिकाया और एक धक्का मारा, आधा लंड चूत में चला गया।
रचना- आ..हह.. आह उफ्फ ज़ोर से करो न भाई.. आ पूरा डाल दो आ आ…हह..!
अमर ने एक और धक्का मारा तो पूरा लौड़ा जड़ तक चूत में समा गया।
रचना- आ..हह.. उफ्फ ओह स्पीड से करो ना आ..हह.. आह आह…!
अमर का यह पहला सेक्स था अनुभव ना के बराबर.. वो स्पीड से धक्के मारने लगा।
रचना- आ आ..हह.. फक मी ब्रो.. आ..हह.. फास्ट और फास्ट फक योर लिटिल सिस आ..हह…. उफ़फ्फ़ फक हार्ड आ..हह…..!
अमर धकाधक झटके मारने लगा और रचना की फूटी किस्मत कि पाँच मिनट में ही अमर के लौड़े ने पानी छोड़ दिया।
रचना की चूत को गीला कर दिया पर उसकी प्यास ना मिटा सका।
अमर ने लौड़ा बाहर निकाल लिया और लंबी-लंबी साँसें लेने लगा।
रचना- आ..हह.. सी.. भाई उफ्फ आप ऐसे मुझे बीच में नहीं छोड़ आ..हह…. उफ्फ सकते.. प्लीज़ कम आ..हह…..!
रचना अमर को मारने लगी और उसके मुँह पर बैठ गई।
रचना- आ..हह.. चाटो प्लीज़ आ..हह….उफ्फ…!
अमर चूत को चाटने लगा।
रचना- आ..हह.. उफ़फ्फ़ जल्दी आ..हह….!
अमर ने रचना को पकड़ कर नीचे लिटा लिया और अपनी उंगली उसकी चूत में डाल कर हिलाने लगा।
रचना- आ आ..हह.. उफ्फ अब ठीक है आ..हह.. ज़ोर से भाई आ…!
पाँच मिनट की कड़ी मेहनत के बाद अमर कामयाब हो गया, रचना की चूत ने पानी छोड़ दिया था।
रचना- आ आह उफ़फ्फ़ मैं गई.. आ आ..हह.. उहह उहह…!
पानी निकल जाने के बाद रचना भी शान्त पड़ गई।
अमर- रचना सॉरी.. मैं जल्दी झड़ गया लेकिन तुम में तो बहुत पावर है और तुम्हें दर्द भी नहीं हुआ ऐसा क्यों…!
रचना सुकून से पड़ी हुई थी और लंबी साँसें ले रही थी।
अमर- रचना, सॉरी… मैं जल्दी झड़ गया लेकिन तुममें तो बहुत पावर है और तुम्हें दर्द भी नहीं हुआ ऐसा क्यों…!
रचना- भाई मैं जानती थी कि आपका पहली बार है और आपसे सील नहीं टूटेगी इसलिए आपको ज़्यादा मेहनत ना करनी पड़े इसलिए मैंने पहले ही चुदाई करवा ली है।
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अमर- व्हाट !!??!! किसके साथ की है?
रचना- मेरे न्यू फ्रेण्ड के साथ कल की थी। अब ज़्यादा सवाल मत करना, टाइम आने पर सब बता दूँगी ओके…!
अमर- ओके.. नहीं पूछूँगा पर एक बात कहनी थी.. रात को पार्टी है और शरद भी आ रहा है उसने तुम्हारे लिए इतना किया है.. क्या तुम उसके साथ भी चुदाई कर लोगी?
रचना- भाई आप पागल हो क्या.. मैं हर किसी के साथ कर लूँ.. क्या समझा है आपने मुझे…!
अमर- रचना प्लीज़ बात को समझो.. बेचारा कितनी मेहनत कर रहा है…!
रचना- ओके.. इस बारे में अभी कोई बात नहीं करो… रात को देखते है क्या होता है। अब आप जाओ मुझे थोड़ा सोने दो। सुबह जल्दी उठी थी न…!
अमर- ओके बहना, सो जाओ मैं जाता हूँ…!
अमर अपने कपड़े पहन कर वहाँ से अपने कमरे में आकर सोचने लगा कि ऐसा कैसे हो गया, वो फेल कैसे हो गया.. यह बात शरद को बताऊँ या ना बताऊँ.. बस इसी सोच में उसकी आँख लग गई और वो भी सो गया।
दोपहर दो बजे नौकरानी ने अमर को जगाया कि लंच तैयार है, आप कर लेना।
दोस्तो, मैंने आपको बताया था न.. कि यहाँ एक नौकरानी है.. वो बस खाना बनाने और साफ-सफ़ाई करने अन्दर आती है। उसको सख्त हिदायत है जितनी जल्दी हो अपना काम निपटा कर बाहर अपने रूम में चली जाए इसलिए वो ज़्यादा बात भी नहीं करती।
अमर उठकर रचना के रूम में गया, वो पहले ही उठ गई थी।
अमर- रचना, बड़े जोरों की भूख लगी है, जल्दी आओ खाना तैयार है।
दोनों ने लंच किया, तभी शरद वहाँ आ गया।
अमर- ओह वाउ.. आओ-आओ यार कैसे आना हुआ.. बस अभी लंच किया है, तुम भी आ जाओ।
शरद- नहीं यार मैं करके आया हूँ.. अभी एक बात करनी थी तुमसे…!
रचना- आइए ना शरद जी, क्या बात है..!
शरद- तुमको बाद में बताऊँगा.. पहले अमर से अकेले में दो मिनट बात कर लूँ ओके…!
रचना- ओके जैसी आपकी मर्ज़ी.. मैं अपने रूम में जाती हूँ.. आप अमर के रूम जाकर आराम से बात कर लो, लेकिन जाना मत.. मुझे आपसे काम है.. ओके…!
शरद- ओके मैं तुम्हारे रूम में आता हूँ.. तुम जाओ…!
दोनों अमर के रूम में आकर बेड पर बैठ गए।
अमर- कहो यार, क्या बात है?
शरद- यार… मैं सोच-सोच कर परेशान हो रहा था कि ..क्या हुआ आज तुमने तो फ़ोन नहीं किया तो मैंने सोचा मैं खुद जा आता हूँ।
अमर- ओह.. तो ये बात है.. चूत का चस्का लेने आए हो। पर यार.. मान गया तुमको.. ऐसा क्या कह दिया रचना को कि वो सच में नंगी मेरे सामने आ गई…!
शरद- अब तुमको आम खाने हैं या पेड़ गिनने हैं…!
अमर- मुझे तो आम ही खाने हैं पर मेरा नसीब खराब है वो भी नहीं खा पाया मैं तो…!
शरद- क्यों क्या हुआ..! मैंने तो सोचा कि अब तक खूब मज़ा ले लिया होगा तुमने…!
अमर ने उसे पूरी बात बताई कि कैसे वो फेल हो गया आज…!
शरद- ओह शिट यार.. इतने कमजोर कैसे पड़ गए तुम.. और मैंने कहा था ना रचना का कोई बॉय-फ्रेंड है.. देखो चुदवा लिया न उससे.. और यह बात भी झूठ है कि कल ही चुदवाया है, वो बहुत टाइम से चुदवा रही है.. तभी उसका स्टेमिना मजबूत है और तुम्हारा पहली बार था तो ऐसा हो गया.. पर डरो मत, मेरे पास इसका भी इलाज है, ऐसा आइडिया दूँगा कि रचना थक जाएगी, पर तुम्हारा पानी नहीं निकलेगा…!
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