RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
शरद के लौड़े पर पानी लगा हुआ था।
शरद- जान.. ये लौड़े पर पानी लगा है, इसे भी साफ करो न..मज़ा आएगा..!
रचना ने लौड़े को जीभ से चाट-चाट कर साफ कर दिया और बेड पर निढाल होकर पसर गई।
रचना- ओह शरद आप कितने अच्छे हो.. मज़ा आ गया आ..आज तो…!
शरद- जान.. मेरी बात मानती रहोगी तो ऐसे ही मज़ा करती रहोगी.. अब तुम थोड़ा आराम कर लो.. मैं फ्रेश हो जाता हूँ। वो डायरेक्टर आता ही होगा।
रचना- मुझे भी तो तैयार होना है और मेरी चूत में बहुत दर्द है, मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही हूँ.. अब क्या करूँ?
शरद ने टेबल की दराज में से कुछ दवाई की गोलियाँ और एक क्रीम रचना को दी और उसको कहा- अभी एक गोली खाकर यह क्रीम अच्छे से चूत पर लगा लो और एक घंटा सो जाओ, आराम मिल जाएगा, तब तक मैं नहा कर आता हूँ..!
रचना- लेकिन मैं सो जाऊँगी तो रेडी कब होऊँगी.. आपने कहा कि वो आता ही होगा..!
शरद- अरे यार, तुम हीरोइन बनने जा रही हो, उसको आने में समय लगेगा और वैसे भी उसके आने के बाद तुम सीधे थोड़े उसके सामने आओगी पहले मैं तुम्हारी तारीफों के पुल बनाऊँगा.. बाद में तुमको बुलाऊँगा। अब सो जाओ..! ओके टेन्शन मत लो, मैं हूँ न..!
रचना- आई लव यू शरद जी.. आप बहुत अच्छे हो..!
शरद- ओके जान.. अब सो जाओ बाय स्वीटी.. मैं अभी आता हूँ।
शरद बाथरूम में चला जाता है और रचना अपनी चूत पर अच्छे से क्रीम लगा कर गोली लेकर लेट जाती है, 5 मिनट में ही वो नींद के आगोश में चली जाती है।
शरद बाथरूम में था तब उसको मोबाइल की रिंग सुनाई देती है, तो वो बाहर आकर फ़ोन उठाता है।
शरद- हैलो.. अमर, बोलो कैसे फ़ोन किया..?
अमर- अरे यार कितना समय हो गया, कहाँ हो..! फोटो निकले क्या..!
शरद- हाँ यार कुछ पिक लिए, पर रचना बहुत शातिर है, जल्दी हाथ में नहीं आएगी इसलिए एक डायरेक्टर से बात की है। उसको उससे मिलवा कर ही आगे का प्लान सोचूँगा।
अमर- ओह वाउ.. गुड यार.. रचना कहाँ है अभी..!
शरद- मैंने उससे कहा है कि डायरेक्टर शाम को आएंगे, तब तक मेरे साथ लंच कर लो, पर वो नहीं मानी और कहा कि अपनी किसी सहेली के यहाँ जा रही है। शाम को आ जाएगी वापस।
अमर- ओह कहाँ चली गई.. तुमने उसे किधर छोड़ा है..!
शरद- कहाँ यार… मैंने कहा कि मैं छोड़ देता हूँ, पर वो टैक्सी लेकर निकल गई है.. ओके..! अब मैं थोड़ी देर में आता हूँ। तुम घर के बाहर मिलना..!
अमर- ओके फ्रेंड बाय..!
शरद जल्दी से तैयार होकर अपनी कार में अमर के पास पहुँच गया।
अमर- आओ मेरे यार.. क्या खबर है अब बताओ..!
शरद- यार जो फ़ोन पर बताया था वही बात है.. तेरी बहन तीखी मिर्ची है, हाथ भी नहीं लगाने देती..!
अमर- हाँ यार वो तो है, पर तुम क्यों हाथ लगा रहे हो, पहले मैं उसको चोदूँगा, उसके बाद तुम, ओके..! इसमें कोई फेर-बदल नहीं होगा।
शरद- यार मैंने कब मना किया है, पर छूकर मज़ा तो लेने दो प्लीज़..!
अमर- अच्छा ठीक है ले लो मज़े.. छू कर, पर ध्यान रखना कोई गड़बड़ ना हो जाए।
शरद- कुछ नहीं होगा, अब मुझे जाना है रचना का फ़ोन भी बन्द है उसे बताना था कि 4 बजे तक आ जाए, पर न जाने कहाँ बिज़ी है वो..!
अमर- हाँ मैंने भी ट्राई किया, पर उसका फ़ोन बन्द आ रहा है, पता नहीं कहाँ बिज़ी है…!
शरद- यार उसका कोई बॉय-फ्रेंड तो नहीं है न.. कहीं ऐसा ना हो हम देखते रह जाएं और कोई और उसके मज़े ले ले..!
अमर- नहीं नहीं यार.. मुझे अच्छी तरह से पता है उसका कोई बॉय-फ्रेंड नहीं है, हाँ.. फ्रेंड बहुत हैं.. आ जाएगी तुम टेन्शन मत लो यार..!
शरद- ओके.. अब मैं जाता हूँ, अगर उसका कोई फ़ोन आए, तो बता देना उसको कि 4 बजे से पहले वहीं आ जाए, जहाँ से गई थी।
अमर ‘ओके’ बोलकर उसको अंगूठा दिखा देता है और खुद रचना का फ़ोन ट्राई करने लगा। शरद वापस घर आकर किसी को फ़ोन करने लगा।
5 मिनट तक बात करने के बाद वो रूम में गया जहाँ रचना बेख़बर एकदम नंगी सोई हुई थी।
शरद उसके पास गया और उसके होंठों पर उंगली घुमाने लगता है और एक क़ातिल मुस्कान उसके होंठों पर आ गई।
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शरद- रचना, तुम कितनी प्यारी और सेक्सी हो ! कसम से दो बार चोद चुका हूँ, पर लौड़ा अभी भी तेरी जवानी को देख कर झटके खाने लगा है क्या संगमरमरी जिस्म है तेरा.. और ये कसे हुए मम्मे.. टाइट चूत उफ्फ.. काश.. तुम हमेशा मेरे पास रहतीं, पर अफ़सोस तेरी किस्मत बहुत खराब है तुमने मेरे साथ जो किया है उसका इतना भयानक बदला लूँगा कि तेरी रूह भी कांप जाएगी। अब तूने जो किया है इसका अंजाम तो तुझे भुगतना ही होगा। अब देख मैं तेरे साथ क्या-क्या करता हूँ। तुझे मैं कठपुतली की तरह नाच नचाऊँगा.. हा हा हा हा हा हा हा हा..!
अपने आप से बात करता हुआ शरद अपने कपड़े उतार कर रचना के पास लेट जाता है और उसके मम्मों को सहलाने लगता है दस मिनट तक वो उसके मम्मों को सहलाता रहा, तब कहीं रचना की नींद खुली।
रचना- उहह ओह शरद आपने मुझे उठाया क्यों नहीं.. समय क्या हुआ है..!
शरद- ये उबासियाँ लेना बन्द करो, जाओ नहा लो जल्दी से वो बस आने वाला है ओके..! जल्दी जाओ अब..!
रचना- आप नहा कर कब आए और आपने कपड़े नहीं पहने अब तक..!
शरद- अब ये बातें बाद में करना, जाओ 5 मिनट में रेडी होकर आओ फास्ट..!
रचना जल्दी से बाथरूम में चली गई, उसका दर्द अब कम था, पर उसकी चाल उसकी हालत ब्यान कर रही थी कि कितनी ज़बरदस्त चुदी है वो..!
15 मिनट में वो तैयार होकर आ गई, तब तक शरद भी तैयार हो गया।
रचना- कैसी लग रही हूँ मैं..!
रचना ने एक ब्लू लाइनिंग का शर्ट और वाइट जींस पहनी थी, बहुत मस्त पटाका लग रही थी वो।
शरद- व्हाट ए सेक्सी यार.. बस अब तो धरम अन्ना मान ही जाएगा..!
रचना- थैंक्स शरद जी, और ये धरम अन्ना कौन है?
शरद- अरे यार, बहुत बड़ा डायरेक्टर है, अभी आने वाला है.. तुम ठीक से बात करना और हाँ तुम्हारा फ़ोन ऑफ है, उसको ऑन करो और अमर से कहो तुम यहाँ पहुँच गई हो अभी..!
रचना- लेकिन अमर को तो पता है कि मैं आपके साथ आई हूँ फिर फ़ोन क्यों..!
शरद ने उसको बताया कि वो गहरी नींद में थी तब उसने अमर से झूठ कहा और उसे पूरी बात समझा दी ताकि अमर को उनकी चुदाई का पता ना चल जाए।
बेचारी रचना शरद की बातों में आ गई और उसने अमर से बात कर ली।
रचना की नज़र दीवार घड़ी पर पड़ी तो वो चौंक गई।
रचना- ओ माई गॉड 4 बज गए, मैं इतनी देर तक सोती रही। आपने कहा था वो लंच पर आएगा, पर अब तो?
वो आगे कुछ बोलती डोर-बेल की आवाज़ आने लगी।
शरद- ये बातें बाद में..! अब तुम यहाँ बैठो, जब मैं आवाज़ दूँ, तब स्टाइल से चलकर आना, ओके..!
रचना- चूत में अभी भी दर्द है, स्टाइल से चलने की बात कर रहे हो आप..! मैं ठीक से चल पाऊँ यही बहुत है..!
शरद- ओके..ओके.. जैसे भी आओ, आ जाना पर धरम अन्ना से ठीक से बात करना बहुत गुस्से वाला आदमी है वो..!
शरद नीचे जाकर दरवाजा खोल देता है। एक लंबा-चौड़ा काला मद्रासी बाहर खड़ा था।
शरद- आओ धरम अन्ना आओ क्या हाल है..!
धरम अन्ना- मैं ठीक हूँ जी कहाँ है वो लड़की जरा जल्दी दिखाओ न, मेरे को काम है, ज़्यादा समय नहीं रुक सकता जी..!
शरद- धरम अन्ना अन्दर तो आओ, अब क्या यहीं गेट पर ले आऊँ उसको..!
शरद उसको अन्दर ले आया और हॉल में सोफे पर बिठा दिया।
शरद- रचना जल्दी से आ जाओ, डायरेक्टर साब को जाना है, उनको जल्दी है.! किसी काम से जाना है..!
शरद की आवाज़ सुनकर रचना मटकती हुई वहाँ आई, उसको दर्द था, पर दर्द को सहन करके बड़ी अदा के साथ आई थी और आते ही धरम अन्ना को ‘हैलो सर’ बोल दिया।
धरम अन्ना- हैलो हैलो जी बैठो जी..!
शरद ने रचना को इशारा करके बैठने को कहा तो वो धरम अन्ना के पास जाकर बैठ गई।
यह देखकर धरम अन्ना खुश हो गया।
धरम अन्ना- लड़की तो अच्छी है, लेकिन थोड़ा छोटा होना जी.. तुम जानते धरम अन्ना रांग काम कभी नहीं करता जी..! ये तो कच्ची कली है, हमको पका पपीता चाहिए जी.. न मुश्किल जी.. बहुत मुश्किल..!
शरद- अरे धरम अन्ना जी, आप इसकी उम्र पर मत जाओ, और कच्ची नहीं है यह..! मैंने पका दिया है, आप कहें तो और ट्रेनिंग दे दूँगा, पर प्लीज़ आप एक बार गौर तो कीजिए, मेरी खातिर..!
रचना के चेहरे पर घबराहट के भाव आ गए थे धरम अन्ना के ‘ना’ कहने से..!
शरद की बातों से उसे हौसला मिल रहा था और वो नज़रें टिकाए बस धरम अन्ना को देखे जा रही थी।
धरम अन्ना ऊपर से नीचे रचना को घूरने लगा और फ़िर शरद की तरफ़ देखने लगा।
शरद- धरम अन्ना जी, क्या सोचने लगे?
धरम अन्ना- तुम बोलता तो मैं मान लेता जी.. पर फिर भी मैं ये लड़की को पूछना माँगता कि इसको कोई प्राब्लम तो नहीं जी.. बाद में काम शुरू करने के बाद कोई नाटक नहीं होना जी..!
रचना- नहीं नहीं सर.. आप बेफ़िक्र रहो, आप जैसे कहोगे मैं वैसे करने को तैयार हूँ.. प्लीज़ आप ‘हाँ’ कह दो..!
धरम अन्ना- हम को बहुत काम होना जी, लेकिन शरद हमारा खास आदमी… इसके वास्ते मैं यहाँ आया और अभी भी मेरे को जल्दी जाना था जी, लेकिन तुमको देखा तो रुकने का मन किया जी, अब तो टेस्ट लेकर ही जाऊँगा..!
शरद- हाँ क्यों नहीं धरम अन्ना जी ये एकदम तैयार है..!
रचना- हाँ सर, आप बताओ क्या करना है..!
धरम अन्ना रचना के चेहरे पर हाथ फेरने लगता है फिर धीरे-धीरे वो हाथ को उसकी कमर से लाता हुआ उसके मम्मों पर ले आता है। रचना जानती थी कि ये गलत हो रहा है, पर शरद उसको इशारे से समझा देता है कि करने दो, इसलिए वो चुप रही और इतना तो उसको पता था हीरोइन बनना इतना आसान नहीं है। वो चुपचाप बैठी रही।
धरम अन्ना- शरद धरम अन्ना.. तुम बोलता है तो मैं इसको मौका देता.. पर एक टेस्ट लेना चाहता.. क्या बोलता जी तुम..!
धरम अन्ना बात करता जा रहा था और उसके हाथ बराबर हरकत कर रहे थे। वो रचना के मम्मों को दबा कर मज़ा ले रहा था।
शरद- धरम अन्ना मेरी जुबान का भरोसा नहीं क्या..! बोलो कब लेना चाहते हो टेस्ट.. कहो तो अभी दिलवा दूँ..!
धरम अन्ना- ना रे.. अभी हमको काम होना जी.. कल आप इसको लाना जी वहाँ हम टेस्ट लेगा। हम तुमको फ़ोन पर टाइम का बताना जी… ये बेबी का लाइफ बना दूँगा जी..!
रचना खड़ी हो गई और धरम अन्ना को ‘थैंक्स’ बोला।
धरम अन्ना- अरे बेबी.. थैंक्स नहीं बोलो जी.. मैं तुमको ‘आकाश’ पर बैठा दूँगा जी.. अभी आओ थोड़ी देर मेरा गोद में बैठो.. आओ आओ..!
धरम अन्ना ने रचना का हाथ पकड़ कर उसको गोद में बैठा लिया।
रचना ने जींस पहनी थी फिर भी धरम अन्ना का कड़क लौड़ा वो महसूस कर रही थी।
5 मिनट तक धरम अन्ना बातें करता रहा और रचना के मम्मों के मज़े लेता रहा और उसकी गाण्ड का अहसास लौड़े को कराता रहा।
फिर वो रचना का हाथ चूम कर चला गया।
शरद उसको बाहर तक छोड़ने गया। रचना वहीं सोफे पर बैठी रही।
शरद- थैंक्स धरम अन्ना.. तुम मेरे कहने पर यहाँ आए..!
धरम अन्ना- कोई बात नहीं जी लड़की अच्छी.. पर थोड़ी कच्ची.. तुम उसको पक्का करो जी.. मैं जाता, कल उसको लाना जी.. काम हो जाएगा..!
इतना बोलकर धरम अन्ना चला गया।
धरम अन्ना के जाने के बाद शरद अन्दर आ जाता है रचना भाग कर उससे लिपट जाती है।
रचना- थैंक्स शरद जी.. थैंक्स.. आपकी वजह से उसने ‘हाँ’ कर दिया, आप बहुत अच्छे हो।
शरद- अच्छा-अच्छा ठीक है.. अब बैठो, कुछ जरूरी बात करनी है।
दोनों सोफे पर बैठ गए, रचना बहुत उत्साहित थी, उसका चेहरा खिला हुआ था।
शरद- हाँ तो जान.. अब कहो कैसा लगा डायरेक्टर से मिल कर? और उसने जो कहा उस पर गौर किया तुमने?
रचना- बहुत अच्छा लगा, पर वो मद्रासी था ना धरम अन्ना.. कभी नाम नहीं सुना उसका और उसकी हरकतें भी ठीक नहीं थी। आपके कहने पर मैं चुप थी और उसकी बातें भी नहीं समझ आईं कि अभी कच्ची है, पकाओ वगैरह वगैरह..!
शरद- जान.. वो कोई छोटा-मोटा आदमी नहीं है बड़ी-बड़ी हिट फ़िल्में बनाई हैं और रही उसकी हरकत की बात, तो मैंने पहले ही कहा था इस लाइन में ये सब आम बात है। वो तुमको आजमा रहा था, अगर तुम कुछ बोलतीं, तो वो मना कर देता ! समझी?
रचना- आजमा रहा था.. मैं कुछ समझी नहीं?
शरद- अरे यार… तुमको फिल्म में हीरोइन लेगा अगर ऐसा कोई सीन आएगा और तब तुम मना कर दो तो..! इसलिए वो चैक कर रहा था कि ऐसे सीन के लिए तुम तैयार हो या नहीं और कच्ची का मतलब है एक्टिंग में.. समझी..! अब कल उसके पास जाना है, आओ मैं तुमको समझा देता हूँ कि क्या करना होगा। वहाँ आ जाओ रूम में, आराम से समझाता हूँ।
दोनों रूम में चले गए।
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