RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
दोस्तो, वो एक ब्लू हाफ-पैन्ट या यूं कहो कि चड्डी थी, क्योंकि जाँघ पूरी दिख रही थीं, बस चूत और चूतड़ों को ढका हुआ था और ऊपर के लिए एक हरी जैकेट जो इतना छोटी थी कि बस मम्मे ही छुप सकें, वो भी आधे..! बाकी ऊपर की गहराई साफ दिख रही थी।
रचना वैसे तो खुले दिमाग़ की लड़की थी और ऐसे कपड़े पहनने में उसको कोई परेशानी नहीं हुई, पर शरद के सामने वो भी ऐसी जगह जहाँ उन दोनों के अलावा कोई नहीं था, उसको थोड़ा अजीब लग रहा था।
पर वो अपने दिमाग़ से सारी बातें झटक कर बाहर आ गई।
शरद- ओहो वाउ.. क्या मस्त लग रही हो.. गुड..!
उस ड्रेस में रचना बहुत सेक्सी लग रही थी। शरद का लौड़ा तन गया था, पर वो जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था।
उसने रचना के 5-6 पिक लिए और पोज़ बताने के बहाने से कभी उसके लिप्स को टच करता तो कभी मम्मे को, उसके पीछे आकर उसके कूल्हों पर लौड़ा छुआ देता और हाथ उसके मम्मे पर रखता कि ऐसा पोज़ बनाओ, हाथ थोड़ा ऊपर करो, हाँ.. ऐसे ही..! इस तरह बस वो रचना को छू कर मज़ा ले रहा था।
रचना को थोड़ा अजीब तो लग रहा था, पर वो सब बातों को अनदेखा कर रही थी।
शरद- गुड शॉट.. जान, अब दूसरा ड्रेस पहनो.. ये लो..!
रचना उस ड्रेस को देखती है, वो एक जालीदार बॉडी फिट मैक्सी थी। जिसमें जाली इस टाइप की थी कि बड़े-बड़े होल हों और बहुत पतली मैक्सी थी। उसमें से बदन साफ दिखाई दे।
रचना- शरद जी ये कुछ ज़्यादा ही पतली और खुली नहीं है क्या..!
शरद- ओहो जान.. मैंने पहले ही कहा था, आजकल की फिल्मों में जितना बॉडी को दिखाओगी उतना ही लोग एंजाय करेंगे और उस हीरोइन की उतनी ही अधिक डिमांड होगी। अब तुम अभी से ऐसा कर रही हो, तो आगे क्या पता किसी फिल्म में बिकनी का पोज़ देना पड़े, तब क्या करोगी..! तुमसे नहीं होगा, जाने दो।
रचना- सॉरी.. सॉरी.. शरद जी, मैं बस पूछ रही थी, अब आप जैसा कहो मैं करूँगी।
शरद- यहाँ आओ.. मेरे पास बैठो और गौर से मेरी बात सुनो..!
रचना- वहाँ आ जाती है और बेड पर बैठ जाती है।
शरद- देखो रचना, इसीलिए मैं अमर को साथ नहीं लाया, क्योंकि शायद उसके सामने तुम ऐसे कपड़े नहीं पहनती और ये कुछ भी नहीं हैं, कभी-कभी बाथरूम में नहाने का सीन आएगा, तो तुम्हें ब्रा-पैन्टी के भी पोज़ देने होंगे। अभी में तुम्हारी एक मस्त सी एल्बम बना कर डायरेक्टर को दूँगा ताकि वो मना ना कर पाए। इसलिए अभी बोल दो क्योंकि इस लाइन में बहुत कुछ सहना पड़ता है। तुम बात को समझ रही हो न..!
रचना- हाँ शरद जी, मैं समझ रही हूँ। आप निश्चिन्त हो जाओ, अब मैं कोई शिकायत का मौका नहीं दूँगी।
उसके बाद शरद ने अलग-अलग पोशाकों में रचना के फ़ोटो खींचे, यहाँ तक कि ब्रा-पैन्टी के पोज़ भी ले लिए और इस दौरान कई बार रचना के मम्मे और चूतड़ छूए।
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अब रचना को भी मज़ा आने लगा था।
शरद- यू लुकिंग वेरी नाइस बेबी.. अब ये वाइट सिल्क की साड़ी पहन कर आओ और हाँ अन्दर ब्रा-पैन्टी मत पहनना।
रचना- लेकिन शरद, ये तो बहुत पतला कपड़ा है और यह साड़ी कहाँ है? यह बहुत छोटा सा कपड़ा है, पूरे बदन पर ठीक से आएगा भी नहीं..!
शरद- अरे यार, तुम्हें कोई माँ का रोल करना है क्या जो 6 मीटर की साड़ी चाहिए? एक सेक्सी हीरोइन का रोल करना है.. अब जाओ पहन कर आओ..!
रचना- चुपचाप अन्दर जाकर ब्रा-पैन्टी निकाल देती है और वो सिल्क की साड़ी या यूं कहूँ कि वो कपड़ा अपने बदन पर लपेट कर आ जाती है।
शरद तो बस रचना को देखता ही रह जाता है। उस कपड़े में से रचना का पूरा बदन साफ-साफ दिख रहा था। उसके मम्मे के निप्पल भी दिख रहे थे।
शरद एक-दो तस्वीरें खींचता है, फिर एक स्प्रे-पम्प लाता है, जिसमें पानी था और अब वो रचना के मम्मे और चूत पर पानी मारता है।
रचना- आप यह क्या कर रहे हो?
शरद- जान, तुम्हारे जिस्म को थोड़ा गीला कर रहा हूँ ताकि ऐसा लगे कि कोई हसीना अभी-अभी नदी में नहा कर आई हो और तुम्हारे जिस्म की खूबसूरती भी नजर आएगी।
रचना- ओके शरद जी.. जैसा आप को ठीक लगे कर लीजिए।
शरद ने रचना पर पानी का स्प्रे मार कर एकदम गीला कर दिया तो अब उसके भीगे हुए मम्मे साफ दिख रहे थे और उसकी चूत भी नज़र आ रही थी। उस हालत में एक-दो फ़ोटो लेकर शरद ने उसको स्टाइल बताने के बहाने से पीछे से पकड़ लिया और उसके चूतड़ों पर हाथ फेरने लगा।
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रचना- ओके शरद जी.. बहुत पिक ले लीं, अब तक आपका डायरेक्टर नहीं आया?
शरद- आता ही होगा, अब पिक तो ले लीं, अब थोड़ी एक्टिंग भी देख लेता हूँ।
रचना- ओके.. आपने कहा था, मैं वैसे डायलोग याद करके आई हूँ।
शरद- वो बाद में.. पहले एक्टिंग करो, मान लो तुम्हारा बॉय-फ्रेंड रूठा हुआ है तुम उसको मना रही हो।
रचना- ओके पहले मैं कपड़े तो बदल आऊँ।
शरद- अरे नहीं इन कपड़ों में रोमान्टिक फीलिंग्स आएगी। अब इस कुर्सी को अपना बॉय-फ्रेंड समझो और इसे मनाओ।
रचना- हा हा हा.. कुर्सी को बॉय-फ्रेंड..! आप मजाक अच्छा कर लेते हो..! मैं इस कुर्सी को मनाऊँ..!
शरद- ओके.. सॉरी ऐसा करो, मुझे अपना बॉय-फ्रेंड समझो और मनाओ ओके…!
रचना- हाँ, यह ठीक रहेगा।
शरद बेड पर बैठ गया और रचना फिल्मी डायलोग मार कर उसे मनाने की कोशिश करने लगी, पर शरद उसे बार-बार टोक कर कहने लगा- ऐसे नहीं, और करीब आओ !
और 15 मिनट की मेहनत के बाद उसने रचना को मजबूर कर दिया कि वो उसको अपने असली बॉय-फ्रेंड के जैसे मनाए।
अब रचना भी समझ गई कि शरद कौन सी फीलिंग की बात कर रहा है, उसने आगे बढ़ कर शरद के गाल पर एक चुम्बन कर दिया। शरद कहाँ पीछे रहने वाला था, उसने भी रचना को बांहों में भर कर एक ज़बरदस्त चुम्मा ले लिया।
दोनों के होंठ मिले हुए थे और शरद रचना के होंठों को चूस रहा था, उसकी पीठ पर हाथ घुमा रहा था।
रचना गर्म होने लगी थी। 5 मिनट चुम्बन चलता रहा, किसी लड़के के साथ रचना का यह पहला चुम्बन था।
इस ज़बरदस्त चुम्बन से उसकी चूत गीली हो गई थी।
वो शरद से अलग हो गई।
शरद- दैट्स गुड.. ये है रियल एक्टिंग.. अब बनी न बात…!
रचना को समझ नहीं आया कि यह क्या था..!
शरद उसको सिखा रहा था या असल में उसको चूम रहा था।
रचना- ये एक्टिंग थी..! मगर आपने तो मुझे रियल में चूमा है।
शरद- ओहो जान.. तुम कितनी भोली हो, ये एक्टिंग ही थी। यार अब फिल्म हीरोइन बनोगी तो ये सब चलता ही रहेगा.. हीरो के साथ भी ये सब करना पड़ेगा और कई बार तो एक ही सीन को कई बार करना होता है और भी बहुत से पोज़ देने होंगे।
रचना- फिल्म में सब रियल में होता है क्या..! मैं तो समझती थी बस ऐसे ही होता होगा…!
शरद- अरे यार सब रियल होता है, अब भी बोल्ड सीन करना है या नहीं…!
रचना- अब यहाँ तक आकर मैं पीछे नहीं हटूँगी, अब जो होगा देखा जाएगा…!
शरद- अरे यार, सब रियल होता है.. अब भी बोल दो कि करना है या नहीं..!
रचना- अब यहाँ तक आकर मैं पीछे नहीं हटूँगी, अब जो होगा देखा जाएगा।
शरद- तुम अमर की बहन हो इसलिए मैं इतनी मेहनत कर रहा हूँ, वरना मेरे पास समय नहीं होता है। अब एक सीन और समझाता हूँ यह बहुत जरूरी है क्योंकि अभी मेरे साथ कर लोगी तो आगे तकलीफ़ नहीं होगी। डायरेक्टर चैक करेगा, बाद में हीरो के साथ भी करना है तो अभी से आदत डाल लो ओके..!
रचना- ओके, मैं रेडी हूँ क्या करना है…!
शरद- एक और रोमॅंटिक सीन करेंगे और जो मैं करूँगा, तुम बस मेरा साथ देना…!
रचना- फिर से वही सीन..! कोई नॉर्मल करते है ना…!
शरद- अरे यार नॉर्मल तो कोई भी कर लेगा.. यह जरूरी है ताकि तुम्हें पता लग जाए कि आगे क्या करना है और अबकी बार हमारा यह सीन रिकॉर्ड होगा, वो देखो वीडियो कैमरा, मैंने सैट किया हुआ है ताकि डायरेक्टर को सीधा ये टेप ही दे देंगे।
रचना ‘हाँ’ में गर्दन हिलाई और शरद ने वीडियो ऑन करके उसके पास आकर उसे बांहों में भर लिया।
शरद- आओ जान.. इस दुनिया से दूर हम एक अलग दुनिया बसाएँगे।
रचना- हाँ मेरे सपनों के राजा, ले चलो मुझे कहीं दूर यहाँ से..!
शरद- आओ आज हम अपने प्यार में ऐसे खो जाते हैं कि कोई हमें जुदा न कर सके। आज इन दो जिस्मों को एक कर लेंगे हम।
इतना बोलकर शरद ने रचना को गोद में उठा कर बेड पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर लेट गया।
अब शरद रचना को चूमने लगा, अपना लौड़ा उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
रचना पहले ही बहुत गर्म हो रही थी, अब वो लंबी-लंबी साँसें लेने लगी और शरद उसके जिस्म से खेलने लगा, कभी उसकी गर्दन पर चुम्बन करता तो कभी होंठों पर…!
अब शरद के हाथ रचना के मम्मों पर आ गए थे। वैसे तो कपड़े के नाम पर बस वो पतला सा कपड़ा था, जो हो या ना हो कोई फर्क नहीं पड़ता था।
रचना- सी..सी आ.. आप.. आह.. ये क्या कर रहे हो आ…ह !
शरद- जान यह रोमान्स का सीन है, ऐसे बहुत मौके आएँगे लाइफ में.., इसलिए आज अच्छी तरह सीख लो…!
रचना- आ..ह लेकिन ये ठीक नहीं है आप तो मेरे आ…ह..!
रचना की बात पूरी होती, इससे पहले शरद बोल पड़ा।
शरद- यार मैंने पहले ही सब समझा दिया था अब बार-बार नहीं समझाऊँगा मैं..! अब करो या उठ जाओ…!
रचना- स..स.. सॉरी शरद जी.. अब नहीं बोलूँगी, आप करते रहो.. मैं पागल हूँ, जो बार-बार भूल जाती हूँ कि आप मुझे सिखा रहे हो।
शरद- ओके, अब बस फील करो कि तुम अपने बॉय-फ्रेंड के साथ मस्ती कर रही हो और यार तुम भी थोड़ा कुछ करो..! रियल लगना चाहिए.. तभी तो हीरोइन बनोगी…!
अब रचना भी शरद को चुम्बन करने लगी थी और शरद कपड़े के ऊपर से ही रचना के निप्पल चूसने लगा था। रचना बहुत गर्म हो गई थी। उसकी चूत में खुजली होने लगी थी, वो बार-बार अपने हाथ से चूत को सहला रही थी।
शरद- ऐसे ही जान.. ऐसे ही… गुड उम्म.. उम्म आ उम्म…!
रचना- सी.. आ उम्म.. उम्म्म आ…!
शरद दोनों निप्पलों को चूसता-चूसता अब रचना के पेट पर चुम्बन करने ल्गा और अपना हाथ अब रचना की चूत पर ले जाकर उसकी चूत को दबाने लगा।
रचना- आ सी सी आह यहाँ आ.. यहीं करो अफ आ..!
शरद- जान, यह कपड़ा बीच में आ रहा है तुम कहो तो हटा दूँ…!
रचना पर सेक्स का खुमार चढ़ चुका था। उसके सोचने की ताक़त ख़त्म हो चुकी थी।
रचना- आह निकाल दो.. आह..मेरे बदन में कुछ हो रहा है आ…ह..!
शरद- कहाँ जान.. मुझे बताओ मैं सब ठीक कर दूँगा…!
रचना चूत पर हाथ लगा कर बोलती है, “यहाँ..!”
शरद- अभी लो जान मैं सब ठीक कर दूँगा।
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