RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
शरद- यार अमर, प्लीज़ चुप रहो, हीरोइन बनना इतना आसान नहीं है एक्टिंग, डांस सब आना चाहिए और सबसे जरूरी बात फिल्म लाइन में बहुत कुछ करना होता है.. तुम मेरा मतलब समझ रहे हो न?
अमर कुछ बोलता, इससे पहले रचना बोल पड़ी- शरद जी डांस मुझे बहुत अच्छा आता है, रही बात एक्टिंग की, आप अभी आजमा लो और जो आप कह रहे हो न.. मैं सब समझ रही हूँ, आप एक मौका तो दो..! प्लीज़ प्लीज़..!
शरद- ओके कल मेरे साथ स्टूडियो चलो, वहाँ कुछ पिक लेंगे.. मैं किसी अच्छे डायरेक्टर से बात करूँगा। रही बात फाइनेंस की, वो मैं कर दूँगा, पर स्क्रीन टेस्ट के बाद ही मैं कुछ बता पाऊँगा..!
रचना- ओहो थैंक्स.. थैंक्स.. शरद जी, आप बहुत अच्छे हो, थैंक्स..!
इतना बोलकर रचना उठ कर शरद से चिपक जाती है, शरद अपने हाथ उसकी कमर पर रखना चाहता था, पर उसने ऐसा किया नहीं, बस उसके नरम मम्मे और गर्म जिस्म का अहसास लेता रहा। अमर पीछे से अंगूठा दिखा कर शरद को विश कर रहा था कि प्लान काम कर रहा है।
शरद- अरे अरे, यह क्या कर रही हो, ओके.. अब मैं जाता हूँ, लेट हो रहा हूँ।
अमर- ओके.. मैं तुमको बाहर तक छोड़ आता हूँ..!
रचना- आप खाना हमारे साथ खाइए न.. प्लीज़..!
शरद- अभी बिज़ी हूँ.. फिर कभी जरूर आऊँगा पक्का..!
शरद बाहर की तरफ़ चल देता है, अमर भी उसके पीछे-पीछे चल पड़ता है।
दो कदम चलकर वो वापस मुड़ता है और रचना के पास आकर अमर को कहता है, “तुम दो मिनट बाहर जाओ, मुझे रचना से कुछ जरूरी बात करनी है।
अमर बिना कुछ बोले बाहर चला जाता है।
शरद- रचना तुम बहुत सुन्दर हो, एक हीरोइन का सुन्दर होना बहुत जरूरी है पर एक बात ध्यान से सुनो, आजकल की फिल्मों में बोल्ड सीन होते हैं, मुझे गलत मत समझना पर आज रात अच्छे से सोच लो फिर कल जवाब देना और अमर को इस बारे में मत बताना..!
रचना- शरद जी मैं जानती हूँ आप बेफ़िक्र रहो, मैं कैसा भी सीन कर सकती हूँ..!
शरद- अभी तुम जोश में बोल रही हो, कल तक सोच लो.. ओके..!
रचना- इसमें सोचना क्या..! मेरी आज भी ‘हाँ’ है और कल भी ‘हाँ’ ही रहेगी..!
शरद- ओके.. अब एक काम बताता हूँ कोई अच्छी फिल्म देखो और उसके कुछ डायलोग याद करो, कल टेस्ट देना है न.. कोई दमदार गुस्से वाले सीन याद करना, मैं देखना चाहता हूँ तुम गुस्से में कैसी दिखती हो। कल सुबह दस बजे तैयार रहना ओके.. बाय..!
रचना- ओके शरद जी, थैंक्स अगेन..!
शरद बाहर चला जाता है। घर के बाहर जाकर अमर खुश होकर शरद को बोलता है, “यार तुम कमाल हो.. इतनी आसानी से उसको मना लिया..!”
शरद- इतना खुश मत हो यार, अभी तो शुरूआत है इतनी जल्दी वो मानने वाली नहीं, तभी तो उसको फोटो शूट का कहा है। अब तुम सुबह तक ऐसी कोई हरकत मत करना जिससे बनता काम बिगड़ जाए। मैं कल सुबह दस बजे आ रहा हूँ.. ओके…! बाकी बातें कल बताऊँगा।
शरद के जाने के बाद अमर अन्दर आया, रचना ने उसको भी ‘थैंक्स’ बोला और आगे की तैयारी के लिए अपने कमरे में चली गई। अमर ने भी उससे ज़्यादा बात नहीं की।
रात को ललिता भी आई।
अमर ने रचना को मना कर दिया था कि ललिता को अभी कुछ मत बताना, तो उसने ललिता को कुछ नहीं बताया, बस सुबह की शॉपिंग के बारे में बात की।
सब रात का खाना खाकर सो गए, पर रचना को तो डायलोग्स याद करने थे, तो वो मूवी देख रही थी।
रात को करीब एक बजे वो भी सो गई।
सुबह के 8 बजे रचना की आँख खुली, वो बाथरूम में चली गई, एक घंटा बाद वो एकदम तैयार होकर बाहर आई।
तब तक ललिता और अमर भी उठ गए थे। रचना ने सिंपल सा ड्रेस पहना था ब्लू-जींस और क्रीम टी-शर्ट।
वो नहीं चाहती थी कि ललिता को शक हो।
अमर अपने कमरे से बाहर आया तो रचना हॉल में सोफे पर बैठी थी।
अमर- गुड-मॉर्निंग बहना.. जल्दी उठ गईं और यह क्या पहना है, कल जो पहना था, वैसा ही कुछ पहनती तो ज़्यादा खूबसूरत लगती, शरद आता ही होगा..!
रचना- सस्स चुप रहो.. ललिता सुन लेगी..! मैंने बैग में अच्छे कपड़े डाल लिए हैं, फोटो शूट के दौरान वही पहन लूँगी !
वो दोनों बात कर रहे थे, तभी ललिता आ गई। वो दोनों चुप होकर नाश्ता करने लगे।
उस दौरान रचना ने अमर से कहा- मेरी सहेली का फ़ोन आया था, मैं वहाँ जा रही हूँ।
ललिता इस बात पर ज़्यादा गौर नहीं किया और बस नाश्ता करती रही।
करीब 9.45 को शरद का फ़ोन आया कि वो बस 5 मिनट में आ रहा है।
अमर ने उसे ‘ओके’ बोला और अमर और रचना घर के बाहर आ गए।
इतने में शरद की कार भी आ गई, शरद नीचे उतरा तो अमर उसे एक तरफ़ ले गया।
अमर- कहाँ जाना है हमें?
शरद- हमें नहीं, बस रचना मेरे साथ जाएगी स्टूडियो में, वहाँ उसके थोड़े फोटो निकाल कर वापस ले आऊँगा, बाद में तुमको फ़ोन करूँगा कि कुछ सेक्सी पिक चाहिए, तुम उसको बोलना और घर में ही उसके पिक लेने के बहाने जो चाहो करना, पर मुझे भूलना नहीं यार..!
शरद की बात सुनकर अमर के चेहरे पर ख़ुशी आ जाती है, अमर- अरे यार, कैसी बात कर रहा है मैं तुमको कैसे भूल जाऊँगा और
वाह यार मान गया तेरे दिमाग़ को, मज़ा आ गया, अब तुम लोग जाओ मुझे भी एक काम से जाना है, बाद में बात करते हैं।
शरद रचना को लेकर वहाँ से चला जाता है।
शरद- इस बैग में क्या है रचना?
रचना- फोटो निकालने के लिए अलग-अलग ड्रेस चाहिए न..! इसलिए मैंने अपने अच्छे-अच्छे ड्रेस ले लिए हैं..!
शरद- गुड, वेरी स्मार्ट-गर्ल, पर जान.. कपड़ों का बंदोबस्त मैंने कर लिया है, चलो देखते हैं तुम क्या लाई हो..! अगर कुछ अच्छे ड्रेस हुए तो वो भी पहन लेना..!
कार सड़क पर दौड़ती रही, दोनों के बीच ज़्यादा बात नहीं हुई, बस सामान्य बातें ही होती रही।
लगभग 15 मिनट बाद कार एक बड़े से विला के सामने रुकी।
रचना- यह कहाँ आ गए हम, आप तो स्टूडियो लेकर जा रहे थे न?
शरद- अरे यार, मैं कोई छोटा-मोटा आदमी तो हूँ नहीं, जो किसी भी स्टूडियो में तुमको ले जाऊँ, यह मेरा विला है और इसमें स्टूडियो है। हम यहीं फोटो निकालेंगे।
रचना- ओके शरद जी.. जैसी आपकी मर्ज़ी..!
अन्दर जाकर शरद ने रचना को एक बड़े से कमरे में बैठाया। रचना को अजीब सा लगा कि इतने बड़े घर में कोई नहीं दिखाई दे रहा है।
शरद- क्या सोच रही हो रचना?
रचना- कुछ नहीं.. आपका घर इतना बड़ा है और यहाँ कोई नहीं है.. क्या आप अकेले रहते हो?
शरद- अरे यार, पूरी फैमिली दुबई में है और यहाँ सब नौकर संभालते हैं। आज मैंने सब को छुट्टी दे दी है ताकि आराम से तुम्हारा टेस्ट ले सकूँ। यह लो पेप्सी पियो, चिल मारो यार..!
रचना- ओके, जैसा आप ठीक समझो।
शरद- रचना आओ, अब काम शुरू करते हैं। बाद में डायरेक्टर साब भी आते होंगे तुम्हारा स्क्रीन टेस्ट वो ही लेंगे। मैं बस तुम्हारी अच्छी सी पिक निकाल कर उनको दे दूँगा।
रचना यह बात सुनकर खुश हो जाती है।
शरद- अपनी ड्रेस दिखाओ, कौन-कौन सी है, मैं बताता हूँ वो पहनो..!
रचना बैग से कपड़े निकाल कर शरद के सामने रख देती है। उन सब को शरद गौर से देखता है, उनमें कुछ जींस टी-शर्ट और स्कर्ट थे।
शरद- नहीं यार इनमें तो वो बात नहीं कि कोई हीरोइन पहने !
रचना- सॉरी शरद जी, मुझे यही अच्छे लगे तो मैं ले आई। अब आप बताओ मैं क्या पहनूँ?
शरद ने उसे एक लिबास देकर कहा- वो सामने बाथरूम है, पहन कर आओ, मैं कैमरा सैट करता हूँ।
रचना ने उस ड्रेस को पहन लिया।
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