Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
04-05-2019, 12:20 PM,
#15
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
राहुल- अरे नही राधिका जी आप मेरी बीमारी में ना ही पड़े तो अच्छा है. पता नही जो उन लोगों के साथ हुआ कही मेरे साथ भी हो गया तो .इतना कहकर राहुल मुस्कुरा देता है. और राधिका भी मुस्कुरा देती है. ऐसे ही कुछ देर तक इधेर उधेर की बातें करने के बाद राहुल का मोबाइल पर कॉल आता है.

राहुल- फोन विजय का था. बोल विजय क्या हाल चाल है.

विजय- यार मैं ठीक हूँ कहाँ है तू इस वक़्त मुझे तूने फोन करने को बोला था पर किया नही. बहुत बिज़ी रहता है आज कल तू .

राहुल- नही यार मैं इस वक़्त राधिका के यहाँ आया हूँ और अभी थोड़े देर के बाद तुझे फोन करता हूँ. इतना कहकर राहुल फोन काट देता है.

राधिका- एक बात कहु राहुल मुझे ये विजय ज़रा भी अच्छा नही लगता. तुम इसका संगत क्यों नही छोड़ देते. मुझे इसकी नियत ज़रा भी अच्छी नही लगती.

राहुल- नही विजय मेरा बचपन का दोस्त है वो कैसा भी हो मगर दिल का सॉफ है.

राधिका भी इस बारे में राहुल से ज़्यादा बहस नही करती है और राहुल भी अब जाने को कहता है. थोड़ी देर के बाद दोनो मैन डोर तक आ जाते हैं.

वैसे आज राहुल ग्रीन कलर का टी-शर्ट और जीन्स में था. थोड़ी देर वही बाहर खड़े रहने के बाद राहुल राधिका को बाइ बोलकर निकलता है तभी एक गोली उसके बाजू को छूती हुई निकल जाती है और वो लड़खड़ा कर ज़मीन पर गिर पड़ता है.

वो झट से उठता है और सामने दो नकाब पॉश अपनी मोटरसाइकल पर सवार होकर निकल जाते हैं. राहुल कुछ दूर तक उनके पीछे जाता है मगर वो निकल चुके थे. ये सब नज़ारा देखकर राधिका एक दम घबरा जाती है और झट से राहुल के पास दौड़ती हुई चली जाती है और उसके खून को अपना दुपट्टे से जल्दी से बंद कर अपने दोनो हाथों से कसकर दबाती है.

राहुल भी अब राधिका के साथ घर में अंदर आता है और सोफे पर बैठ जाता है. राधिका उसके बगल में एक दम सटे हुए अपने हाथ उसके बाजू पर रखी रहती है.

राहुल- ये आपने क्या किया आपका तो पूरा दुपट्टा मेरे खून से खराब हो गया.

राधिका- अजीब आदमी हो जान चली जाती उसका कोई गम नही था और इस दुपट्टे क्या गंदा हो गया इसकी बहुत फिकर है.

राहुल- तुम्हें तो मेरी बहुत फिकर हो रही है .मैं जियुं या मरूं मेरी चिंता करने वाला इस दुनिए में हैं कौन.

राधिका- क्यों मैं नही करती क्या तुम्हारी चिंता...................................... राधिका के मूह से पता नही ये शब्द कैसे निकल गया . वही बात हुई कमान से निकला तीर एक बार छूट जाता है तो वापस नही आता. अब राधिका भी समझ चुकी थी कि राहुल को सब पता चल गया है कि वो उसके बारे में क्या सोचती हैं.

राधिका- ये तुम पर हमले करने वाले कौन लोग थे.

राहुल- अगर बुरा ना मानो तो हम एक अच्छे फ्रेंड बन सकते हैं. आइ वॉंट यू टू फ्रेंडशिप वित यू. विल यू आक्सेप्ट???

राधिका इशारे में हां कहकर अपनी गर्देन झुका लेती है.

राहुल- मुझे बहुत ख़ुसी है तुम जैसा एक अच्छा दोस्त को पाकर. अब मैं इस दुनिया में तन्हा नही हूँ. इतना कहकर राहुल मुस्कुरा देता है और राधिका भी .

राहुल- पता नही कौन मेरे पीछे पड़ा हुआ है. ये अब तक मेरे पीछे तीसरा हमला है. पिछले 6 मंत्स में ये तीन बार मुझपर जान लेवा हमले हो चुके हैं. अब तक हमलावरों का कोई सुराग नही और ना ही कोई वजह पता लगी है.

राधिका- तुम यही बैठो मैं दवाई लगा देती हूँ. और कुछ देर बाद राधिका राहुल को दवाई और पट्टी बाँध देती है जिससे राहुल को काफ़ी आराम हो जाता है. फिर राहुल की नज़रें राधिका पर पड़ती है और दोनो एक तक एक दूसरे की आँखों में खो जाते हैं......................

राधिका और राहुल काफ़ी देर तक एक दूसरे की आँखों में देखते रहते हैं. तभी राधिका तुरंत अपनी नज़रें नीची झुका लेती है और शर्म से उसका चेहरा लाल हो जाता है. राहुल भी इधेर उधेर देखने लगता है.

राधिका- आप यही बैठिए मैं आपके लिए खाना बनाती हूँ.

राहुल- अरे राधिका इसकी कोई ज़रूरत नही मैं अब चलता हूँ.

राधिका- ऐसे कैसे आप यू ही चले जाएँगे पहली बार मेरे घर आए हैं तो आज तो मेरे हाथों का खाना खा कर ही जाना होगा. राधिका की बात को शायद राहुल मना नही कर पाता और वो वही पर रुक जाता है.

करीब एक घंटे के बाद राधिका खाना ले कर राहुल के पास आती है. राहुल भी झट से हाथ मूह धो कर खाना खाने बैठ जाता है. दोनो एक साथ खाना खाते हैं.

राहुल- अरे वाह कितना बढ़िया खाना बना है. ये तो मेरा पासिंदिदा खाना है. कितने दिनो के बाद आज घर का खाना खाने को मिला है. खाने में पुलाव और पनीर बना था और भी कई आइटम्स थे.

खाना खाने के बाद राधिका बाहर मेन डोर तक आती है और राहुल ने जाते वक़्त राधिका की आँखों में एक अजीब सी कशिश देखी थी जो राहुल को बार बार उसकी ओर उसका ध्यान खींच रही थी.और रास्ते भर उसको राधिका का ही ख्याल आता रहा और वो मन ही मन मुस्कुरा देता है.
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