RE: bahan sex kahani मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
मम्मी-पापा के आ जाने के बाद मिली घर के कामों में व्यस्त हो गई और मैं ऐसे ही घर में घूमता रहा। घूम तो क्या रहा था.. बस जल्दी से रात होने का इन्तजार कर रहा था।
यह मेरा दिल ही जानता है कि मैं कैसे समय निकाल रहा था, मिली के साथ दोपहर में जो कुछ हुआ था, मैं बस उसे ही सोच सोच कर अपने आप उत्तेजित हो रहा था।
इस दौरान मेरी और मिली की कोई बात नहीं हुई मगर जब भी मेरा मिली से सामना होता.. तो मिली मुझे देख कर मुस्कुराने लगतीं।
मैं भी मिली की मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुराकर देता।
खैर.. कैसे भी करके रात हो गई, मैंने जल्दी से खाना खाया और रोजाना की तरह ही कमरे में जाकर पढ़ाई करने लगा।
पढ़ाई तो कहाँ हो रही थी, बस मैं तो मिली के कमरे में आने का इन्तजार कर रहा था।
करीब दस बजे मिली घर के काम निपटा कर कमरे में आई। मिली ने अभी भी दिन वाले ही कपड़े पहने हुए थे। मिली के आते ही मेरे शरीर का तापमान अचानक से बढ़ गया और दिल जोरों से धड़कने लगा।
मिली मुझे देखकर थोड़ा सा मुस्कुराईं और फिर कमरे का दरवाजा बन्द करके अपने कपड़े निकालने लगी। मैं बस चोर निगाहों से मिली को देख रहा था।
मिली लेटते हुए एक बार फिर मुझे देखकर मुस्कुराईं और हँसते हुए मुझसे कहा- सोते समय लाईट बन्द कर देना।
मैं कौन सा पढ़ाई कर रहा था, मिली के बोलते ही मैंने तुरन्त किताबें बन्द कर दीं और लाईट बन्द करके मिली के बगल में जाकर लेट गया।
कुछ देर तक मैं और मिली ऐसे ही लेटे रहे क्योंकि शायद मिली सोच रही थीं कि मैं पहल करूँगा.. मगर मुझसे पहल करने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
फिर भी मैंने करवट बदलकर मिली की तरफ मुँह कर लिया और इसी बहाने धीरे से एक पैर भी मिली के पैरों पर रख दिया। पैरों पर तो क्या रखा था बस ऐसे ही छुआ दिया था।
मेरे करवट बदलते ही मिली ने भी करवट बदलकर मेरी तरफ मुँह कर लिया और थोड़ा सा मेरे नजदीक भी हो गई.. जिससे हम दोनों के शरीर स्पर्श करने लगे।
वो खिसक कर मेरे बिल्कुल पास आ गई, मिली का चेहरा अब मेरे बिल्कुल पास आ गया था और हम दोनों की गर्म साँसें एक-दूसरे के चेहरे पर पड़ने लगी।
मिली ने अपने नाजुक होंठों को मेरे होंठों से छुआ दिया। मुझसे अब रहा नहीं गया इसलिए मैंने अपने होंठों को खोलकर धीरे से मिली का एक होंठ अपने होंठों के बीच थोड़ा सा दबा लिया और अपने होंठों से ही उसे हल्का-हल्का सहलाने लगा।
मुझे अब भी थोड़ा डर लग रहा था, मगर फिर तभी मिली ने एक हाथ से मेरे सिर को पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मेरे होंठों को मुँह में लेकर चूसने लगी।
मुझमें भी अब कुछ हिम्मत आ गई थी। इसलिए मैं भी मिली के होंठों को चूसने लगा और साथ ही अपना एक हाथ मिली के नितम्बों पर रख कर नाइटी के ऊपर से ही धीरे-धीरे उनके भरे हुए माँसल नितम्बों व जाँघों को सहलाने लगा।
मिली की मखमली जाँघों व नितम्बों पर मेरा हाथ ऐसे फिसल रहा था जैसे कि मक्खन पर मेरा हाथ घूम रहा हो।
मिली के होंठों को चूसते हुए मुझे लगा जैसे कि मिली की जीभ बार-बार मेरे होंठों के बीच आकर मेरे दांतों से टकरा रही हो।
पहले एक-दो बार तो मैंने ध्यान नहीं दिया.. मगर जब बार-बार ऐसा होने लगा तो इस बार मैंने अपने दांतों को थोड़ा सा खोल दिया। मेरे दाँत अलग होते ही मिली की जीभ मेरे मुँह में अन्दर तक का सफर करने लगी। मिली की गर्म लचीली जीभ मेरे होंठों के भीतरी भाग को तो, कभी मेरी जीभ को सहलाने लगी।
मैंने भी मिली की नर्म जीभ को अपने होंठों के बीच दबा लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया, मिली के मुँह का मधुर रस अब मेरे मुँह में घुलने लगा और मिली के इस मधुर रस के स्वाद में मैं इतना खो गया कि मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरी जीभ मिली की जीभ का पीछा करते हुए उनके मुँह में चली गई।
अब मिली की बारी थी। मिली ने जोरों से मेरी जीभ को दांतों तले दबा लिया और बहुत जोरों से उसे चूसने लगी.. जिससे मुझे दर्द होने लगा।
मैंने मिली से दूर होकर अपनी जीभ को छुड़ाने का प्रयास भी किया मगर मिली ने अपना दूसरा हाथ भी मेरी गर्दन के नीचे से लेकर मेरे सिर को पकड़ लिया। मिली का पहले वाला हाथ जो कि मेरे सिर पर था.. वो अब मेरी कमर पर आ गया और मिली ने मेरे सिर व कमर को पकड़ कर मुझे जोरों से अपनी तरफ खींच लिया। साथ ही मिली ने खुद भी मुझसे चिपक कर अपने दोनों उरोजों को मेरी छाती में धंसा दिए।
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