RE: bahan sex kahani मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
"इतनी प्यारी चूत को भला कॉन नही चोदना चाहेगा मिली मैं तो इसे चोदने के लिए कुछ भी कर सकता हूँ, लेकिन अचानक ही तूने अपना इरादा कैसे बदल लिया" मैने पूछा
"सुबह उन दोनो की चुदाई देख कर मुझे अहसास हुआ कि लंड की सही जगह चूत ही है और बगैर लंड लिए चूत किसी काम की नही है फिर मैने सोचा कि जब मैं तेरे साथ इतना आगे बढ़ गई हूँ तो तुझी से अपनी चूत भी चुदवा लूँ और वैसे भी शादी के बाद कोई अंजाना मेरी चूत की सील तोड़े इससे अच्छा तो ये है कि मेरा भाई ही ये शुभ काम करे, बोल राजू करेगा अपनी बहन की चूत का उद्घाटन?" मिली मेरे लंड को मसल्ते हुए बोली जो अब अपनी बहन की चूत मारने के ख़याल से पहले से कहीं ज़्यादा फूल गया था
"हां मिली मैं ज़रूर करूँगा लेकिन यहाँ कैसे हो सकता है ये काम क्योंकि पहली बार मे तुझे दर्द होगा और चिकनाई के लिए हमारे पास कोई तेल या क्रीम भी नही है अभी" मैने चिंता जताई
मेरी बात सुनकर मिली हँसी और बोली "मुझे पता था कि आज मेरी चूत खुल कर रहेगी इसलिए मैं क्रीम साथ मे लाई हूँ बॅग मे रखी है निकाल ले और अपना काम शुरू कर दे आज मैं कली से फूल बन जाना चाहती हूँ" मिली अपनी आँखे बंद करती हुई बोली
मैं झट से उठा और बॅग से क्रीम निकाल ली मैं ज़्यादा देर नही करना चाहता था क्योकि मिली कब अपने कहे से पलट जाए इसका कोई भरोसा नही था
अब मैने मिली की दोनो टाँगे फैला दी आज पहली बार उसकी चूत मेरे सामने इतनी पास थी क्या नज़ारा था उसकी चूत के होंठ आपस मे जुड़े हुए थे और बार बार कंपकपा रहे थे उसकी चूत का मूह पानी छोड़े जा रहा था मैने धीरे से अपनी एक उंगली उसकी चूत के अंदर घुसा दी और आगे पीछे करने लगा
"ये क्या कर रहा है मैने तुझे लंड डालने को कहा है उंगली नही" मिली मेरा हाथ अपनी चूत से अलग करती हुई बोली
"क्रीम तो लगानी पड़ेगी ना" मैं बोला और क्रीम निकाल कर अच्छे से उसकी चूत पर लगाने लगा
जब उसकी चूत पूरी तरह चिकनी हो गई तो मैने लंड पर भी क्रीम लगा ली और मिली की टाँगो के बीच आ गया और अपनी पोज़िशन लेकर बोला "मिली तैयार हो ना"
"हान्णन्न्...लेकिन थोड़ा आराम से करना" वो आँखे बंद किए बोली उसके चेहरे से डर और रोमांच दोनो के भाव झलक रहे थे
अब मैने मिली के टाँगे अच्छे से फैलाई और अपने लंड को उसकी चूत की दरार पर रगड़ने लगा मिली के मूह से 'आहह...उऊहह...हाईए..' जैसे सिसकारिया छूटने लगी
"उउफ़फ्फ़..राजू ज़्यादा मत तडपा करले जो करना है" मिली बोली
अब मुझसे भी रहा नही जा रहा था मैने उसकी चूत के छेद पर लंड लगाया और ज़ोर का धक्का लगाया जिससे मेरे लंड का सुपाडा उसकी चूत मे समा गया और मैने अपना सारा ज़ोर लगाते हुए पूरा दबाव मिली की चूत पर डाल दिया जिससे मेरा लंड धीरे धीरे चूत की गहराई मे उतरने लगा जबकि मिली पहले धक्के से ही बहाल हो कर चीखने लगी थी और अपने आपको मुझसे छुड़ाने के लिए हाथ पैर मारने लगी थी लेकिन मैं जानता था कि अभी नही तो कभी नही इसलिए मैने उसे बुरी तरह जकड रखा था और मेरा लंड उसकी सील को तोड़कर लगातार आगे बढ़ता जा रहा था जब मेरा आधा लंड मिली की चूत मे घुस गया तब मैं रुका और मिली को देखा वो अभी भी दर्द से तड़पति हुई रो रही थी और उसकी आँखो से आँसुओं का झरना बह रहा था मुझसे नज़र मिलते ही वो कातर स्वर मे बोली "छोड़ दे राजू मुझे छोड़ दे नही तो मैं मर जाउन्गी मुझे नही चुदवानी अपनी चूत प्लीज़ राजू छोड़ दे मुझे"
"अब दर्द का टाइम ख़तम हो गया मिली तेरी सील टूट चुकी है और मेरा आधे से भी ज़्यादा लंड तेरी चूत मे है अब थोड़ी ही देर मे तुझे भी मज़ा मिलना शुरू हो जाएगा"
"क्या सच में तेरा आधा लंड अंदर जा चुका है?" वो बोली
"हां ये देख" कहते हुए मैने मिली को देखने की जगह दी और उसने भी उठ कर देखा उसकी चूत के मूह का छल्ला फैला हुआ था जिसमे मेरा लंड फँसा पड़ा था लेकिन वो अपनी चूत से बहता हुआ खून नही देख पाई वरना पक्का वो मेरा लंड बाहर निकाल कर ही मानती
अब मैं मिली को वापस लेटा चुका था और जितना मेरा लंड घुसा था उतनी ही जगह मे धीरे धीरे लंड आगे पिछे करने लगा अब मिली का दर्द भी कम हो गया था और उसकी कमर भी अब थिरकने लगी थी जिससे मेरा जोश भी बढ़ गया और मैने अपना पूरा लंड बाहर खिचते हुए दो जोरदार धक्के लगाए जिससे मेरा पूरा का पूरा लंड मिली की चूत मे उतर गया मिली के मूह से एक हल्की चीख और निकली लेकिन उसमे दम नही था क्योंकि उसकी चूत बहुत गीली हो चुकी थी
5-7 धक्के और लगने के बाद शायद मिली का सारा दर्द जाता रहा था क्योंकि अब वो भी कमर उठा उठा कर मेरे धक्को का जवाब देने लगी थी
"क्यों मिली अब मज़ा आरहा है ना" मैं अपने धक्को की स्पीड बढ़ाता हुआ बोला
"हां भाई बहुत मज़ा आरहा है अगर मुझे पहले पता होता कि चुदवाने मे इतना मज़ा आता है तो शायद तू कभी भी मेरी गान्ड नही मार पाता मैं पहले ही तुझसे चुदवा लेती, चल अब ज़रा ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा" मिली मेरी पीठ सहलाते हुए बोली
अब मेरे धक्को की स्पीड लगातार बढ़ती जा रही थी और मेरे लंड की ठोकर मिली के गर्भाशय पर पड़ रही थी 'पच..पच' की आवाज़ सारे मचान मे गूँज रही थी और हम दोनो भाई बहन अपनी पहली चुदाई को एंजाय कर रहे थे
लगभग 10 मिनट बाद मिली भल भल कर के झड गई और मुझे जोरो से जकड लिया मैं भी मिली की गर्मी सहन नही कर पाया और मैं भी झड़ने की कगार पर पहुच गया
"मैं झड़ने वाला हूँ मिली क्या अपना लंड बाहर निकाल लूँ" मैं बोला
"नही राजू मेरे अंदर ही झड़ो मैं महसूस करना चाहती हूँ कि कैसा लगता है" मिली मुझसे और भी ज़्यादा चिपकते हुए बोली
अब मुझसे और नही संभाला गया और दो ही धक्को मे मेरा लंड अपना माल मिली की चूत मे उगलने लगा और 6-7 पिचकारियाँ छोड़ने के बाद मैं निढाल हो कर मिली के उपर ढेर हो गया
कोई 10 मिनट तक हम दोनो ऐसे ही हान्फते हुए पड़े रहे फिर उठ कर अपने कपड़े पहने मैने टाइम देखा 6.50 हो चुके थे और उजाला ख़तम होने लगा था
"चल मिली हम बहुत लेट हो गये है" मैं बोला और हम दोनो ही मचान से उतर कर रेस्ट हाउस की तरफ बढ़ गये मिली की चाल मे थोड़ी लंगड़ाहट थी लेकिन ज़्यादा परेशानी नही थी उसे
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