RE: bahan sex kahani मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराइ और एक ही थाली लगाने लगी जब वो थाली लगा चुकी तो मेरी तरफ देखा मैं जाकर डाइनिंग टेबल की एक कुर्सी पर बैठ गया मिली ने टेबल पर थाली रखी और मेरे साइड की कुर्सी खिचने लगी "उसकी क्या ज़रूरत है तू मेरी गोद मे ही बैठ जा ना खाना खाने मे परेशानी नही होगी" मैं बोला
"तू भी ना बहुत नाटक करने लगा है ज़रा भी सबर नही हो रहा तुझे" कहती हुए मिली आकर मेरी गोद मे बैठ गई
उसके बैठने से मेरा लंड उसके मुलायम चुतड़ों के नीचे गान्ड की दरार मे दब गया था लेकिन जैसे ही मिली का स्पर्श हुआ मेरा लंड फिर से फूलने लगा और मिली की गान्ड की दरार मे अपनी जगह बनाने लगा
"तेरा लंड भी ना साला बहुत अकड़ता है इसका कुछ करना ही होगा" मिली बोली और अपनी गान्ड हिलाते हुए मेरे लंड को अपनी गान्ड से थोड़ा और दबा दिया
मेरे मज़े की अभी कोई सीमा नही थी मिली अब खाना खाने लगी थी और मैं भी मज़े लेते हुए उसका साथ देने लगा था....
हम दोनो ही खाना खा चुके थे मैने मिली के साथ बर्तन वग़ैरह उठाए और हम दोनो ही रूम मे आ गये मेरी धड़कनें अब तेज हो गई थी आख़िर मेरे मन की मुराद जो पूरी होने वाली थी और शायद धड़कनें तो मिली की भी तेज थी लेकिन वो डर की वजह से थी गान्ड मरवाने मे जो दर्द उसे होना था शायद वही सोच सोच कर उसकी गान्ड लप्के ले रही थी
रूम मे आते ही मिली चुपचाप बेड पर बैठ गई थी और उसकी गर्दन नीचे की ओर झुकी हुई थी वो मुझसे नज़र नही मिला रही थी मैं भी जाकर उसके पास बैठ गया और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोला "क्या बात है मिली तू इतनी शांत क्यों है"
"राजू मुझे बहुत डर लग रहा है प्लीज़ तू अपनी ज़िद्द छोड़ दे ना मैं मूह से ही कर देती हूँ" मिली बोली
"मैने तुझे समझाया था ना कि बस थोड़ा सा ही दर्द होगा वो भी पहली बार बाद मे सब ठीक हो जाएगा फिर क्यों डरती है और अगर तुझे ज़्यादा दर्द हुआ तो मैं लंड बाहर निकाल लूँगा और कुछ नही करूँगा" मैं उसे मनाते हुए बोला
"लेकिन फिर भी राजू मुझे डर लग रहा है एक काम करते है आज तू मेरे मूह से ही काम चला ले पीछे से कल कर लेंगे" वो बोली
"देख मिली मैं तेरे से कोई ज़बरदस्ती नही कर रहा हूँ यदि तू चाहती है कि मैं सिर्फ़ तेरा बाय्फ्रेंड बनकर रहूं और किसी और लड़की के पास ना जाउ तो आज तुझे मेरी बात माननी ही होगी गान्ड मे लेने मे डर लग रहा हो तो चूत मे ले ले मैने ठान रखा है कि आज तेरे दोनो छेद मे से किसी एक मे मेरा लंड घुस कर ही रहेगा और अगर ऐसा नही हुआ तो कल से मैं किसी और के पास चला जाउन्गा फिर मैं तेरे मानने से भी नही मानूँगा" मैं उसे धमकी देता हुआ बोला
अब मिली सोच मे पड़ गई थी एक तरफ दर्द का डर और दूसरी तरफ मेरी धमकी 5 मिनूट तक वो ऐसे ही सोचती रही फिर एकाएक ही बेड पर पेट के बल लेट गई और बोली "कर ले राजू जो करना है लेकिन ऐसे करना कि मुझे दर्द कम हो"
मेरी खुशी का ठिकाना नही था मिली की मस्त गान्ड मेरी आँखो के सामने थी और मिली भी मुझे आमंत्रित कर चुकी थी अब रुकना बेकार था मैं उठा और सीधे मिली की गान्ड पर किस करते हुए बोला "तू चिंता मत कर मिली मैं पूरी कोशिश करूँगा कि तुझे कम से कम दर्द हो"
अब मैने अपने दोनो हाथो से उसके कुल्हो को फैला दिया और उसकी गान्ड की दरार को ध्यान से देखने लगा खुशी के मारे मुझे समझ नही आरहा था कि शुरुआत कहाँ से करूँ मिली ने भी बेड की चादर को अपनी मुठ्थियों मे भींच लिया था और मेरे हमले को झेलने की तैयारी कर रही थी
"मिली ऐसे कुछ नही होगा यार थोड़े घुटने मोड़ ले ताकि गान्ड अच्छे से उभर कर बाहर आजाए" मैं बोला
मेरी बात सुनकर मिली ने घुटने मोड़ लिए और अपनी गान्ड को उपर की तरफ उठा लिया जिससे उसके कूल्हे फैल गये और मुझे उसकी गान्ड का छेद नज़र आने लगा मैने देर ना करते हुए अपनी एक उंगली उस छेद से लगा दी और उसे सहलाने लगा मेरा हाथ छेद से टच होते ही मिली का बदन ज़ोर से कांपा और उसके मूह से एक सिसकारी निकल गई थोड़ी देर बाद मैने अपनी बीच वाली उंगली को थूक से गीला किया और एक ही झटके मे छेद के अंदर घुसा दिया "अओउूचह...." एक जोरदार आह मिली के होंठो से निकली
"क्या डाला अंदर" मिली कराहते हुए बोली
"उंगली डाली है, दर्द हुआ क्या?" मैने पूछा
"थोड़ा थोड़ा" वो बोली
"देखा ना दर्द कम होता है तू तो बेकार मे ही डर रही थी" मैं अपनी उंगली छेद मे अंदर बाहर करते हुए बोला
"ये उंगली है इसलिए दर्द कम हुआ है लेकिन तेरा लंड तो इससे 10 गुना मोटा है सोच कितना दर्द होगा" मिली गान्ड मे उंगली अंदर बाहर होने से कराहते हुए बोली
"कुछ नही होगा तुझे दर्द कम हो इसीलिए तो मैं उंगली से तेरा छेद बड़ा कर रहा हूँ" मैं वैसे ही उंगली चलाता हुआ बोला
लगभग 5 मिनट हो गये थे मुझे उसकी गान्ड मे उंगली करते हुए अब मेरा धैर्य ख़तम हो चुका था और लंड फट पड़ने को हो रहा था मुझे पता था कि लंड अंदर जाने से मिली को बहुत दर्द होगा इसलिए मैं उठा और नारियल का तेल ले आया और उससे अपनी एक उंगली अच्छे से भिगो कर फिर मिली की गान्ड मे चलाने लगा
"अब की बार दर्द हुआ क्या" मैने पूछा
"नही" वो बोली
"ऐसे ही लंड जाने पर भी एक ही बार दर्द होगा वो भी बहुत कम उसके बाद तो हम दोनो के ही मज़े है" मैं लगातार उंगली अंदर बाहर करते हुए बोला
थोड़ी देर बाद ही मैने उसकी गान्ड तेल से सराबोर कर दी और बहुत सारा तेल अपने लंड पर भी चुपड लिया मेरा लंड किसी काले नाग की तरह चमकने लगा था और अपने बिल मे घुसने को एकदम तैयार हो चुका था
अब मेरे सामने बड़ी चुनौती थी मुझे बहुत होशियारी के साथ मिली की गान्ड मे पूरा लंड घुसेड़ना था ज़रा सी भी चूक मेरा सारा खेल बिगाड़ सकती थी अगर मैं दो ही धक्को मे लंड अंदर नही कर पाता हूँ तो दर्द के कारण शायद मिली मुझे आगे कुछ करने ही नही देगी यही सोच कर मैने फ़ैसला किया कि मुझे कोई रहम नही करना है और दो ही धक्को मे पूरा लंड मिली की गान्ड मे ठूंस देना है
मैं अपने लंड और मिली की गान्ड को पूरी तरह तेल मे भिगोने के बाद अपनी पोज़िशन ले चुका था और मिली की कमर को एक हाथ से कस कर दूसरे हाथ से अपना लंड उसकी गान्ड के छेद पर सेट कर चुका था पहले उंगली करने की वजह से मेरा लंड उसके खुल बंद होते छेद पर अटक सा गया था
अब मैने पूरी सावधानी बरतते हुए दूसरे हाथ से भी उसकी कमर थाम ली और लंड का दबाव उसकी गान्ड पर बढ़ा दिया लंड उसकी गान्ड के छेद को फैलाता हुआ अंदर जाने लगा और ऐसा होते ही मिली छटपटाने लगी और जोरो से चीखते हुए अपने बदन को आगे की तरफ खिचने लगी लेकिन मैने भी पूरी ताक़त से उसकी कमर को पकड़ रखा था इसलिए मिली अपनी कोशिश मे सफल नही हो सकी और ज़ोर से चिल्लाने लगी कि मैं लंड बाहर निकाल लूँ लेकिन अभी घर मे कोई भी नही था जो उसकी मदद को आता
मुझे लगने लगा था कि मुझे जल्द ही कुछ करना चाहिए वरना मिली चिल्ला चिल्ला कर कोहराम मचा देगी मेरा चौथाई लंड उसकी गान्ड मे घुस चुका था
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