RE: bahan sex kahani मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
मैं और मिली अभी भी चिपके पड़े गहरी गहरी साँसे ले रहे थे मिली की आँखे बंद थी और उसकी बाहें अभी भी मेरी गर्दन से लिपटी थी क्या इससे आगे भी कुछ हो सकता है मेरे मन मे ये ख़याल आया तभी मेरी नज़र दीवार पर लगी घड़ी पर पड़ी 5 बज गये थे और अब मम्मी पापा कभी भी आसक्ते थे मैं तुरंत ही उठ बैठा और मिली को भी झींझोड़ कर उठाने लगा मिली ने कुन्मूनाते हुए आँखे खोली और इशारो मे ही पूछा कि क्या हुआ मैने उसका ध्यान घड़ी की तरफ दिलाया पहले तो वो कुछ समझी ही नही लेकिन जैसे ही उसे समझ आया वो तुरंत अपने कपड़े समेटते हुए बाथरूम की तरफ भागी उसके ज़ोर से हिलते हुए पिछवाड़े ने एक बार फिर मेरे लंड मे हलचल मचा दी 'कोई बात नही रात को देखता हूँ' सोच कर मैं उठा और अपने कपड़े उठा कर बाहर के बाथरूम मे चला गया
मैं अभी फ्रेश होकर हॉल मे बैठा ही था कि मम्मी पापा आगये तब तक मिली भी रूम से बाहर आ गई मैने उसकी तरफ देखा तो मुझे उसके चेहरे पर किसी भी तरह के भाव नज़र नही आए वो एकदम नॉर्मल लग रही थी अब वो सभी के लिए चाइ बनाने चली गई थी और पापा मम्मी अपने रूम मे चले गये थे थोड़ी ही देर बाद हम सभी साथ बैठे चाइ पी रहे थे तब पापा ने मुझे बताया कि मुझे अभी ही कुछ कागज ले कर पास के शहर उनके दोस्त के घर जाना है और वापसी सवेरे ही होगी ये सुन कर मेरे सारे अरमान ठंडे पड़ गये और एक उदासी सी मेरे चेहरे पर छा गई कहाँ तो रात को मैं मिली के साथ सभी हद पार करने की सोच रहा था और कहाँ अब मुझे 60 किमी बाइक पर जाना था और सवेरे पापा के ऑफीस जाने से पहले वापस भी लौटना था मैने उदासी भरी नज़रो से मिली की तरफ देखा लेकिन उसने मुझे कोई भाव नही दिया और अपने काम मे लगी रही आख़िर मैं भी उठा और जाने की तैयारी करने लगा कोई आधे घंटे बाद मैं घर से बाइक लेकर पापा के दोस्त के शहर के लिए निकल गया 'कोई बात नही लाइफ बहुत लंबी है मिली आज नही तो कल सही' मन ही मन अपने दिल को सांत्वना देते हुए मैं बाइक भगाए जा रहा था
रात भर मे पापा के दोस्त के यहाँ का काम निपटा कर मैं सवेरे 9 बजे घर वापस आ गया था थोड़ी देर बाद पापा मुझसे वो कागज और मम्मी को लेकर ऑफीस के लिए निकल गये थे अभी तक मिली मुझे दिखाई नही दी थी पापा के जाने के बाद मिली रूम से निकली तो मैं उसे देखता ही रह गया उसने अभी एक बहुत ही सेक्सी ड्रेस पहनी हुई थी जिसमे उसके बदन का हर उभार हर कटाव साफ दिखाई दे रहा था मिली इतनी सेक्सी लग रही थी कि उसे देख मेरा लंड अकड़ने लगा था मेरे कदम खुद ब खुद ही उसके तरफ बढ़ने लगे थे शायद मिली मेरा इरादा समझ गई थी इसलिए ज़ोर से बोली "राजू कॉलेज नही चलना है क्या"
मैं जैसे होश मे आया मेरे कदम जहाँ के तहाँ रुक गये "हां चलना है ना और उस लड़के को सबक भी तो सिखाना है लेकिन..." मैं बोलते बोलते रुक गया
"क्या लेकिन" मिली बोली
"पहले एक किस मिल जाता तो बड़ा अच्छा होता..." मैं शरारती मुस्कान के साथ बोला
"देख राजू हमारे बीच अभी तक जो भी हुआ वो ग़लत हुआ वो नही होना चाहिए था क्यों कि हमारा रिश्ता हमे ये इजाज़त नही देता इसलिए अब ये सब भूल जा और कॉलेज चलने की तैयारी कर" इतना कह कर मिली फिर अपने काम मे लग गई
मेरा मूह खुला का खुला ही रह गया मैं जैसे आसमान से गिरा मिली ने एक झटके मे ही मेरा सारा जोश निकाल दिया था मेरा लंड भी साबुन के झाग की तरह बैठ गया था लेकिन ये एकदम क्या हुआ मिली को आख़िर क्या है उसके मन मे यही सब सोचते हुए मैं तैयार हो गया और हम दोनो ही खाना खा कर मेरी बाइक से कॉलेज के लिए निकल गये इस दौरान हम दोनो मे कोई बात नही हुई लेकिन जैसे ही कॉलेज पास आया मिली बोली "मेरी बात याद है ना वहाँ किसी को भी मालूम ना पड़े की हम भाई बहन है सब से यही कहना कि मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड हूँ समझे"
मैं फिर सोच मे पड़ गया कि आख़िर इस लड़की के मन मे है क्या लेकिन जब मुझे जवाब नही मिला तो मैं बोला "मिली आख़िर तेरे मन मे है क्या कल हम लोगो ने जो किया उसे आज तूने मुझे अपने रिश्ते का हवाला देकर भूलने को कहा और अभी कह रही है कि कॉलेज मे मैं तुझे अपनी गर्लफ्रेंड बताऊ आख़िर तू करना क्या चाहती है"
"तू नही समझेगा और अभी मेरे पास समझने का टाइम नही है अपना दिमाग़ मत चला और जैसा मैं कह रही हूँ वैसा कर बाद मे मैं तुझे सब समझा दूँगी" मिली बोली
मैं एक बार फिर अपना सिर झटक कर रह गया तब तक कॉलेज भी आ गया था मैने अपनी बाइक पार्क की और मिली को अकेले ही क्लास मे जाने को कहा और उसके कोई 10 कदम पीछे पीछे चलने लगा रास्ते मे मुझे मेरे 4-5 दोस्त मिले जो मेरे साथ ही बाते करते हुए चलने लगे
अभी हम मिली की क्लास से कुछ कदम दूर ही थे कि एक लड़का आगे बढ़ा और उसने मिली का हाथ पकड़ते हुए उसे अपनी तरफ खींचा और बोला "आ गई मेरी रानी मैने कहा था ना कि आज तुझे छोड़ूँगा नही चल अब इधर..." इसके पहले कि उसके मूह से कुछ और निकल पाता मैने मिली का हाथ उसके हाथ से छुड़ाया और उस लड़के की धुनाई शुरू कर दी उस लड़के के कुछ दोस्तो ने आगे बढ़ने की कोशिश की लेकिन मुझे देखते ही वो आगे नही बढ़ पाए और जहाँ थे वहीं खड़े रहे इधर मेरे दोस्तो को कुछ समझ नही आया कि एकाएक ही ये क्या हुआ लेकिन अच्छे दोस्तो की तरह वो भी मेरे साथ उस लड़के की धुनाई करने लगे
हम लोगो की पास बहुत भीड़ जमा हो गई थी और थोड़ी देर बाद ही उस लड़के के कस बल निकल चुके थे और वो रोते हुए माफी माँग रहा था अब मुझे भी उस पर दया आ गई मैने उसे पीटना बंद किया और दोस्तो को भी रोक दिया फिर मैने उस लड़के से मिली से माँफी मँगवाई और सभी लोगो के बीच मे एलान कर दिया कि मिली मेरी गर्लफ्रेंड है और अगर किसी लड़के ने उसकी तरफ देखने की भी कोशिश की तो उसका हाल इस लड़के से बहुत बुरा होगा मेरी बात सुन कर सभी लोग एक एक करके वहाँ से निकलने लगे और मैं भी मिली को बाइ बोल के अपनी क्लास की तरफ चल दिया
आज सारे टाइम ही मेरे दोस्त मेरा सिर खाते रहे कि इतनी फटका गर्लफ्रेंड कब बना ली और हमे बताया तक नही लेकिन मैं कहता भी तो क्या बस इधर उधर की बता कर दोस्तो को समझाता रहा लग भग 4 बजे कॉलेज छूटा और मिली मेरे पास आ गई मैने अपनी बाइक निकाली और मिली से बैठने को कहा तो मिली मुझसे इतना सट कर बैठी कि उसके बूब्स पूरी तरह मेरी पीठ मे दब गये ऐसा वो जानबूझ कर सभी लड़के लड़कियों को जलाने के लिए कर रही थी लेकिन पता नही क्यों इस बार उसके बूब्स के स्पर्श और गर्मी से भी मेरा लंड खड़ा नही हुआ शायद ये मिली की सुबह वाली नसीहत का ही फल था मिली के अच्छे से बैठते ही मैने बाइक स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी.....
मैं और मिली घर पहुच चुके थे पापा और मम्मी अभी नही आए थे रास्ते भर मिली मुझसे चिपकी बैठी रही और मेरी पीठ पर अपने बूब्स दबाती रही मेरी समझ मे बिल्कुल भी नही आया कि आख़िर वो चाहती क्या है अभी सुबह ही उसने मुझे झिड़क दिया था और अब खुद ही मुझे भड़का रही थी शायद यही 'त्रिया चरित्र' होता होगा मैने मन मे सोचा लेकिन मिली से कुछ नही बोला
शाम हो चुकी थी पापा मम्मी भी घर आचुके थे हम सभी हॉल मे बैठे टीवी देखते रहे और उसके बाद खाना खाकर रात 10 बजे के आस पास अपने अपने रूम मे आगये लेकिन अभी तक मैने मिली से बात नही की थी यहाँ तक कि नज़र भी नही मिलाई थी रूम मे आते ही मैं अपने बेड पर लेट गया और सोने की कोशिश करने लगा मिली भी बाथरूम से कपड़े बदल कर आ गई थी लेकिन आज उसने भड्काउ कपड़े नही पहने थे बल्कि एक सलवार सूट पहना हुआ था
मेरी रही सही उम्मीद भी ख़तम हो गई थी कि शायद रात मे वो कुछ करेगी मैं यू ही लेटा रहा और ना जाने कब मेरी आँख लग गई और मैं सो गया
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