RE: bahan sex kahani मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
आख़िर वो दिन भी आ गया जब मेरी प्यारी(ज़िद्दी) बहन मिली घर आ गई . और आते ही पहला झगड़ा हुआ रूम के लिए वो मेरे साथ एक रूम मे रहने के लिए तैय्यार ही नही थी जब कि हमारे पास दूसरा ऐसा कोई रूम नही था जिसमे उसे रखा जा सके बात यहाँ तक बढ़ गई कि वो ज़ोर ज़ोर से रोने लगी तब पापा ने उसे समझाया और कहा कि वो कुछ महीने मेरे साथ एक रूम मे रह ले फिर छत पर रूम निकाल कर इस समस्या को ख़तम कर देंगे तब जाकर वो मानी
दूसरे दिन मैं उसे अपनी बाइक पर कॉलेज लेकर गया और उसका अडमिज़न करवा दिया लेकिन मेडम को मेरे साथ बाइक पर कॉलेज जाना पसंद नही था इसलिए उसने स्कूटी के लिए हंगामा मचा दिया दूसरे दिन ही खड़े पैर उसके लिए स्कूटी खरीदी गई तब जाकर मेडम शांत हुई
अब लाइफ फिर चलने लगी थी लेकिन हर दो तीन दिन मे मेरे साथ किसी ना किसी बात पर उसकी नोक झोंक होती ही रहती थी एक दिन मम्मी अपने ऑफीस जाते हुए उसे कुछ समान लाने के लिए बोल कर गई थोड़ी देर बाद वो मेरे कमरे मे आई और बोली 'राजू मम्मी ने बाजार जाकर समान लाने को कहा है जाकर ले आ'
मैं अभी अपने लॅपटॉप पर लगा हुआ था इसलिए मैने उसे मना कर दिया और कहा कि वो खुद ही जाकर समान ले आए मेरी बात सुनकर वो फिर से तुनक गई और बोली 'तुम लड़के लोग समझते क्या हो अपने आपको क्या समझते हो क्या मैं तुम्हे नौकर दिखाई देती हूँ सीधे से समान लेकर आ जाओ वरना मेरे से बुरा कोई नही होगा'
अब मैने भी अपना लॅपटॉप बंद कर दिया और उसे चिढ़ाने की सोची और बोला 'हम लड़के होते ही स्ट्रॉंग है और ये सब छोटे मोटे काम हम नही कर सकते ये सब तुम लड़कियो के करने के काम है इसलिए जाओ और समान ले आओ मुझे परेशान मत करो'
'अच्छा ऐसा कौनसा काम है जो हम लड़किया नही कर सकती बताना ज़रा' मिली गुस्से मे बोली
उसकी बात सुनकर मैं हंसा और मैने रूम मे पड़े बेड को एक तरफ खिसका दिया मुझे ऐसा करते देख वो भी मुस्कुराइ और उसने बेड को वापस अपनी जगह लगा दिया और मेरी तरफ देखा मैं कुछ बोला नही और घर के पिछवाड़े मे बनी दीवार फाँद कर दूसरी तरफ आ गया मुझे उम्मीद नही थी कि वो ऐसा कर पाएगी लेकिन पता नही कैसे वो भी दीवार फाँद कर मेरी तरफ आ गई अब तो मेरा गुस्सा बढ़ने लगा था मैं हॉल मे आ गया मेरे पीछे वो भी आ गई और मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखने लगी मैं उचका और मैने छत पर लगे फॅन को अपने हाथो से घुमा दिया अब उसकी बारी थी वो भी उचकी लेकिन वो फॅन को टच नही कर पाई अब मुस्कुराहट मेरे चेहरे पर थी और उसके चेहरे पर थी झुनझूलहाट उसकी ऐसी हालत देख कर मैने उसके गाल उमेठे और उससे कहा कि ये तुम्हारे बस का नही है चलो हार मान लो और समान ले आओ
लेकिन वो कहाँ मानने वाली थी वो थोड़ा पीछे हटी और दौड़ कर एक जंप ली और फॅन को अपने हाथो से घुमा दिया अब तो मेरा पारा सातवे आसमान पर पहुच गया मुझे उससे ये उम्मीद नही थी अब मैं हर वो काम करने लगा जिससे मुझे उम्मीद थी कि मिली नही कर पाएगी लेकिन वो हर काम कर गई मेरी हालत बहुत खराब हो गई मुझे बहुत गुस्सा आरहा था अब यदि मैं अपने सिर को हाथ लगाता तो वो उसकी भी नकल करती मैं अपनी पीठ खुजलाता तो वो उसकी भी नकल उतार देती एक तो मेरे मन की खीझ और उस पर मिली की कुटिल मुस्कान दोनो ही मुझे कुछ सोचने नही दे रहे थे तभी इतनी देर की मेहनत और मस्ती की वजह से मुझे थोड़ी गर्मी लगी और मेरे हाथ अपनी शर्ट के बटन पर चले गये और मुझे एक गजब का आइडीया आया और मैने अपनी शर्ट के सारे बटन खोल दिए और मुस्कुराते हुए मिली को देखने लगा...
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