RE: Desi Porn Kahani करिश्मा किस्मत का
ट्रेन का सफर
ऱात करीब नौ बजे हम सब स्टेशन पहुँच गए और ट्रेन का इंतज़ार करने लगे। ट्रेन का समय करीब दस बजे का था और आज वह राईट टाईम थी। प्रिया के मामा जी बिहार के दरभंगा जिले के रहने वाले थे यानि कि प्रिया का ननिहाल दरभंगा में था। इलाहाबाद से हम सबको श्रीगंगानगर हावडा तुफान एक्सप्रेस से जाना था। हम सब बेसब्री से ट्रेन का इंतज़ार करने लगे और ट्रेन करीब सवा दस बजे प्लेटफार्म पर आ गई। नवम्बर का महीना था और मौसम ठंडा हो चुका था, शायद इसीलिए स्लीपर की ही बुकिंग करवाई थी। हम कुल 6 लोग थे। स्लीपर के डब्बे में हमारी सारी सीटें एक ही कम्पार्टमेंट में थी यानि कि दोनों तरफ की 3-3 बर्थ हमारी थीं। मुझे हमेशा से ट्रेन की साइड विंडो वाली सीट पसंद आती है, इसलिए मैं थोड़ा सा उदास हो गया। लेकिन फिर मन मार कर सबके साथ बैठ गया।
ट्रेन चल पड़ी और तीनों लड़कियाँ लग गईं अपने असली काम में… वही लड़कियों वाली गॉसिप और हाहा-हीही में… मैंने अपना आईपॉड निकाला और आँखें बंद करके गाने सुनने लगा। खाना हम सब घर से साथ ले कर आये थे।
थोड़ी ही देर में स्मिता आंटी ने मुझे धीरे से हिलाकर उठाया और खाने के लिए कहा। मेरा मन नहीं था तो मैंने मना कर दिया लेकिन आंटी नहीं मानीं और उन्होंने अपने हाथों से मुझे खिलाना शुरू कर दिया।
“अरे आंटी रहने दीजिये, मैं खुद ही खा लेता हूँ!” मैं थोड़ा असहज होकर बोल उठा..
“खा लीजिये जनाब, हमारी मम्मी सबको इतना प्यार नहीं देतीं… आप नसीब वाले हैं।” प्रिया ने शरारत भरे लहजे में कहा और हम सब उसकी बात पर खिलखिला कर हंस पड़े।
मेरी नज़र बगल वाली साइड की सीट पर गई जो अब भी खाली पड़ी थी… मैं उसे खाली देख कर खुश हो गया, हल्की हल्की ठंड लग रही थी और मन कर रहा था कि प्रिया को अपनी बाहों में भर कर ट्रेन की सीट पर लेट जाऊँ.. लेकिन यह संभव नहीं था। हम सब खाना खा चुके थे और सोने की तैयारी कर रहे थे कि तभी टीटी आया और हमारे टिकट चेक करने लगा। मैंने धीरे से टीटी से साइड वाली सीट के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वो खाली ही है और अब पटना तक उस पर कोई नहीं आने वाला। यह सुनकर मैं खुश हो गया। रिंकी और नेहा दीदी सबसे ऊपर वाले बर्थ पर चढ़ गईं, रिंकी दाईं ओर और नेहा दीदी बाईं ओर, बीच वाले बर्थ पे दाईं ओर प्रिया ने अपना डेरा डाल लिया और बाईं ओर स्मिता आंटी को दे दिया गया।
लेकिन स्मिता आंटी ने यह कहकर मना कर दिया कि उन्हें नीचे वाली सीट ही ठीक लगती है। इस बात पर मामा जी बीच वाली बर्थ पे चले गए। अब बचे मैं और आंटी, तो मैंने आंटी से कहा- आप नीचे वाली बर्थ पर दाईं ओर सो जाओ मैं अभी थोड़ी देर साइड वाली सीट पर बैठूँगा फिर जब नींद आएगी तब नीचे वाली बाईं ओर की सीट पर सो जाऊँगा।
प्रिया ने अपने कम्बल से झांक कर मुझे देख कर आँख मारी … और धीरे से गुड नाईट बोलकर सो गई…
मैंने मुस्कुरा कर उसका जवाब दिया और फिर कम्बल लेकर साइड वाली सीट पर बैठ गया और पहले की तरह गाने सुनने लगा।
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