Desi Porn Kahani करिश्मा किस्मत का
03-29-2019, 11:26 AM,
#28
RE: Desi Porn Kahani करिश्मा किस्मत का
औरतों की गपशप और छत पे प्रिया की चुहलबाजी

सोनू...सोनू...उठ भी जा भाई...तबियत कैसी है?" नेहा दीदी की आवाज़ ने मेरी नींद तोड़ी और मैं उठकर बिस्तर पर बैठ गया और सामने देखा तो नेहा दीदी और स्मिता आंटी हाथों में ढेर सारा सामान लेकर मेरे कमरे के दरवाज़े पर खड़ी थीं...मैंने मुस्कुरा कर उनका अभिवादन किया और बिस्तर से उठ कर नेहा दीदी के हाथों से सामन लेकर अपने ही कमरे में रख दिया। स्मिता आंटी ने मेरी तरफ देखकर अपनी वही कातिल मुस्कान दी और सीढ़ियों की तरफ चल पड़ी। नेहा दीदी भी उनके साथ ऊपर चली गईं और मैं अपने बाथरूम में घुस गया।

बाथरूम से निकल कर मैं अपने कमरे में आया और कपड़े बदल कर बाहर अपने अड्डे पे जाने की सोचने लगा। तभी मुझे याद आया कि मेरा यार राजेश तो शहर में है ही नहीं। मैं थोड़ा सा चिंतित हुआ और फिर ऐसे ही अपने टेबल के सामने कुर्सी पे बैठ गया। कुर्सी पर बैठते ही मेरा ध्यान बरबस ही रिंकी और राजेश और फिर रिंकी और मेरे बीच जो कुछ भी कल और आज में घटा उस ओर चला गया। 

मैं समझ गया था कि अगर मैंने रिंकी के इशारों को ठीक से समझ लिया होता और अगर मैंने हिम्मत से आगे बढ़ कर खुद पहल की होती तो जो कुछ रिंकी और राजेश के बीच हुआ वह नहीं हुआ होता और रिंकी मुझे पूरी तरह से बेदाग मिली होती। आज पहली बार मुझे यह रहस्य समझ आया था कि लड़कियाँ ज्यादा से ज्यादा सिर्फ इशारें कर सकती हैं पर पहल तो आखिर उन इशारों को समझते हुये खुद आगे बढ़ कर मर्दों को ही करनीं पड़ती है और जो मर्द इशारे नहीं समझ पाते या फिर इशारों को समझ कर भी पहल करने की हिम्मत नहीं दिखा पाते उनकी जिन्दगी का सूनापन आसानी से खत्म नहीं होता जब तक कि भाग्य की देवी अपनें आप ही सब कुछ थाली में ला कर खुद न परोस दे जैसा कि मेरे साथ हुआ।

दूसरी बात जो समझ आई वो यह थी कि अगर मैं रिंकी और प्रिया के इशारों को समझ लेता और अगर मुझमें पहल करनें की हिम्मत होती तो राजेश का मुझसे कोई मुकाबला नहीं था। आज पहली बार मुझे अपनें मर्द होनें का एहसास हो रहा था।

शाम हो चली थी और सूरज ढलने को बेताब था। मैंने कुछ सोचा और फिर उठ कर अपने घर कि छत पे जाने का इरादा किया। मुझे यही ठीक लगा और मैं कमरे से निकल कर सीढ़ियाँ चढ़ने लगा।

छत पे जाने के लिए मैं सीढ़ियाँ अभी चढ़ ही रहा था और जैसे ही मैं मकान के आखरी तल्ले पे पहुँचा मुझे स्मिता आंटी के घर से सारे लोगों की हंसने की आवाज़ आने लगी। शायद आंटी और नेहा दीदी सब के साथ मिलकर बाज़ार से लाये हुए सामान दिखा रही थीं और आपस में हँसी मजाक चल रहा था। 

एक बार के लिए मैंने भी उनके साथ बैठने का मन बनाया लेकिन फिर सोचा कि औरतों के बीच मैं अकेला मर्द बेकार में ही बोर हो जाऊँगा। यह सोचते हुए मैं ऊपर चढ़ने लगा और छत पर पहुँच गया। हमारे घर की छत बहुत लम्बी चौड़ी है और छत के पीछे की ओर सीढ़ी घर बना हुआ था। मैं अपने छत के किनारे पर पहुँच गया और रेलिंग पर बैठ कर डूबते हुए सूरज को निहारने लगा।

मेरा मन बहुत खुश था, हो भी क्यूँ न… इतनी मस्त और हसीन बदन को भोगा था मैंने।

मैं अब तक उसी खुमारी में खोया हुआ था। मैं अपने साथ अपना आई पॉड लेकर आया था, मैंने अपने कानों में इयर फ़ोन लगाया और अपने मनपसंद गाने चला दिए।

मुझे संगीत का बहुत शौक था और आज भी है। मैं अपनी धुन में गाने सुन रहा था और छत के चारों तरफ नज़रें दौड़ा रहा था कि तभी मेरे कंधे पर किसी के हाथ पड़े और मैंने चौंक कर पीछे मुड़ कर देखा।

मेरी आँखें चमक उठीं….मैंने प्रिया को अपने पीछे प्लेट में कुछ लिए खड़े पाया। वो मेरे पीछे खड़ी मुस्कुरा रही थी। मैंने अपने कानों से इअर फ़ोन बाहर निकाल लिए और उसे देख कर मुस्कुराने लगा।

“तो जनाब यहाँ बैठ कर गाने सुन रहे हैं और मैं सारा घर ढूंढ रही हूँ।” प्रिया ने एक प्यारी सी अदा के साथ मुझसे कहा।

“अरे बस थोड़ा थक सा गया था, और आज राजेश भी शहर में नहीं है तो मैं कहीं घूमने नहीं गया और यहाँ आ गया।” मैंने प्रिया का हाथ थाम कर कहा।

“यह लो, मम्मी हम सब के लिए आपकी फेवरेट गुलाब जामुन लेकर आई हैं। जल्दी से खा लो।” प्रिया ने प्लेट मेरी तरफ बढ़ा दी।

मैंने प्रिया के हाथों से प्लेट ले ली और गरमागरम गुलाब जामुन को देखकर मेरे मुँह में पानी भर आया।

तभी मेरे दिमाग में एक शैतानी का प्लान आया और मैंने प्लेट प्रिया को वापस देते हुए कहा,” प्रिया, यह प्लेट तुम ले जाकर नीचे रख दो…आज इस गुलाब जामुन को कुछ नए तरीके से खाऊँगा।”

प्रिया ने चौंकते हुए मेरी तरफ देखा और प्लेट को वापस ले लिया और वहीं रेलिंग पे रख दिया।

“आप और आपके अलग अलग अंदाज़!” प्रिया ने बच्चों जैसी शकल बनाकर मेरी ओर देखा और मेरे हाथों से आई-पॉड लेकर उसका इयरफ़ोन अपने कानों में डाल लिया।

मैं प्रिया के पीछे हो गया और उसकी कमर को अपनी बाँहों में जकड़ लिया। प्रिया ने भी किसी रोमांटिक फ़िल्मी सीन की तरह अपना सर मेरे सीने पर रख दिया और हम दोनों ढलती हुई शाम के धुंधले सूरज को देखते रहे। बड़ा ही रोमांटिक और फ़िल्मी सीन था।

थोड़ी देर में घर के सारे लोग छत पर आ गए। यह सब का रोज़ का काम था, घर की सारी औरतें शाम को छत पे टहलने आ जाती थीं। अब छत पे मैं, प्रिया, नेहा दीदी और स्मिता आंटी थे। रिंकी कहीं नज़र नहीं आ रही थी तो मैंने आंटी से पूछा “रिंकी कहाँ है।” आंटी ने बताया - उसके पेट में थोड़ा दर्द है, वो लेटी हुई है।

मेरे होठों पे एक हल्की सी मुस्कान आ गई, मैं जानता था कि उसके पेट मे नहीं कहीं और ही दर्द हो रहा है।

हम सब थोड़ी देर टहलने के बाद नीचे आ गए और अपने अपने काम में जुट गए। नेहा दीदी ऊपर आंटी के साथ खाना बनाने में लग गई और प्रिया अपनी पढ़ाई में। रिंकी पहले ही अपने रूम में लेटी हुई थी।

मैं अपने कमरे में आ गया और अपने कंप्यूटर पे बैठ गया। मेज पर वही प्लेट रखी थी जो प्रिया छत पर लेकर गई थी। मैंने सोच लिया था कि आज रात इस गुलाब जामुन का सारा रस प्रिया की चूत में डालकर चाट जाऊँगा। मैं यही सोच कर ही उत्तेजित हो गया था।

आँखें थी तो कंप्यूटर की स्क्रीन पर लेकिन उनमें तो बस एक ही चेहरा समाया हुआ था। मैं जानता था कि आज प्रिया फिर से मेरे पास आएगी नोट्स के बहाने और कल रात का अधूरा काम आज पूरा करेगी। रिंकी के आने का कोई सीन नहीं था। जैसी जबरदस्त चुदाई उसकी हुई थी, उसके बाद कम से कम अगले दो दिनों तक तो अपने उपर वो मुझे हाथ भी नहीं रखने देगी।

खैर, मुझे तो आज मेरी प्रिया के साथ ज़न्नत की सैर करनी थी। मैं इंतज़ार करने लगा। काफी वक़्त हो गया था या यूँ कहें कि वक़्त कट नहीं रहा था। बार बार घड़ी पे नज़र जा रही थी और दरवाज़े की तरफ भी नजरे जा रही थीं।

तभी प्रिया दौड़ती हुई नीचे आई और मेरे कमरे में घुस गई। मैं कुर्सी पे बैठा नेट पे सेक्सी तस्वीरें देख रहा था जिसमे लड़के लड़कियों की नंगी चुदाई के सीन थे। प्रिया के आने पर भी मैंने जानबूझ कर वो बंद नहीं किया क्यूंकि मैं उसे उत्तेजित करना चाहता था।

उसने आते ही कुर्सी के पीछे से मेरे गले में अपनी बाहें डाल दीं और मेरे गालों पे अपने गाल रगड़ने लगी और कंप्यूटर की स्क्रीन पर नज़र डाली। स्क्रीन पर एक तस्वीर थी जिसमें एक लड़का लड़की की चूत चाट रहा था।

“ओहो….तो जनाब ये सब देख रहे हैं….बड़े शरारती हैं आप !” प्रिया ने ये कह कर मेरे गालों पे दांत गड़ा दिए।

जवाब में मैंने अपना एक हाथ पीछे ले जाकर उसकी एक चूची को दबा दिया।

“आउच….क्या तुम भी, जब देखो मस्ती….चलो जल्दी से खाना खा लो….फिर मेरे नोट्स भी तो बनाने हैं।” प्रिया ने मुझसे अलग होते हुए कहा और मेरी तरफ देख कर हंसने लगी…

मैं कुर्सी से खड़ा हुआ और उसे अपनी तरफ खींच कर गले से लगा लिया। वो कसमसा कर मुझसे छूटने लगी और इस खींचातानी में मेरे हाथों में फिर से उसकी चूचियाँ आ गई और मैं उन्हें दबाने लगा। उसने ब्रा पहन रखी थी इसलिए चूचियाँ सख्त लग रही थीं। मैं मज़े से दबा रहा था और वो मेरे हाथ हटा रही थी….

“छोड़ो ना, सब ऊपर इंतज़ार कर रहे हैं….जल्दी चलो….पहले खाना खा लो फिर लगे रहना अपने इन दोनों कबूतरों के साथ। मैं कहाँ भागी जा रही हूँ….” प्रिया ने मुझे खुद से अलग किया और मेरा हाथ पकड़ कर बाहर ले आई।

प्रिया मेरे आगे आगे सीढ़ियों पे चढ़ने लगी और मैं उसके पीछे पीछे। मैंने एक और शरारत करी और उसके पिछवाड़े के एक चिमटी काट ली।

“धत्त, शैतान कहीं के….” प्रिया ने डाँटते हुए कहा और आँखें दिखने लगी, लेकिन उसकी आँखें मुस्कुरा रही थीं और उनमे ये साफ़ साफ़ दिख रहा था कि उसे भी मेरी छेड़ छाड़ में मज़ा आ रहा है। 

हम ऐसे ही मस्ती करते करते ऊपर खाने की मेज तक पहुँच गए और खाने के लिए बैठ गए। सभी लोग वहीं थे। नेहा दीदी और रिंकी एक साथ मेरी तरफ और प्रिया मेरे ठीक सामने। प्रिया के बगल में एक कुर्सी खाली थी जिस पर आंटी बैठने वाली थी। आंटी भी आ गईं और हम सब एक दूसरे से बातें करते करते खाना खाने लगे।

सब नार्मल ही थे लेकिन रिंकी चुपचाप थी। पता नहीं क्यूँ….मैंने सोचा शायद उसे अभी भी दर्द हो रहा होगा और वो तकलीफ में होगी इसीलिए शांत है।

प्रिया ने रिंकी से पूछ ही लिया…. “क्या बात है रिंकी जी, आप इतनी चुप क्यूँ हैं?” प्रिया ने अपने शरारती अंदाज़ में रिंकी से पूछा।

“कुछ नहीं यार, बस तबियत ठीक नहीं है और पूरे बदन में तेज़ दर्द है।” रिंकी ने मुस्कुराते हुए प्रिया से कहा।

“ओहो….तो चल मैं आज तुझे एक बढ़िया सी मसाज़ दे देती हूँ….तेरी सारी तकलीफें दूर हो जाएँगी।” प्रिया ने जोर से हंसते हुए कहा और उसकी बात सुनकर सब हंसने लगे।

धीरे धीरे हम सब ने अपना अपना खाना ख़त्म किया और रोज़ की तरह अपने अपने कमरे में चले गए। जब मैं सीढ़ियों से उतर रहा था तो पीछे से स्मिता आंटी ने आवाज़ लगाई - सोनू बेटा, यह लेकर जाओ….आंटी मेरे पीछे एक प्लेट लेकर आई और खड़ी हो गईं। 

उनके हाथों में एक प्लेट में चार गुलाब जामुन थे और ढेर सारा रस था। मैंने वो देख कर हल्के से मुस्कुरा दिया और आंटी से कहा - आंटी मैंने तो खा लिया है….प्रिया ने लाकर दिया था छत पे !

मैंने जानबूझ कर यह नहीं बताया कि वो गुलाब जामुन नीचे मेरे कमरे में रखे हुए हैं और मैं उन्हें कुछ अलग तरीके से खाना चाहता था।

“कोई बात नहीं बेटा, मैं जानती हूँ कि गुलाब जामुन तुम्हें बहुत पसंद हैं… ज्यादा खा लोगे तो कोई प्रॉब्लम नहीं हो जाएगी…” आंटी ने हंसते हुए वो प्लेट मेरी तरफ बढ़ा दी।

मैंने भी मुस्कुराते हुए प्लेट ले ली और नीचे उतर गया। अपने कमरे में जाकर मैंने सारी मिठाइयों को अलग करके एक प्लेट में रख दिया और सारा रस एक अलग कटोरी में डाल दिया।

शायद आप लोगों को यह एहसास हो रहा होगा कि मेरे दिमाग में क्या शैतानी चल रही होगी उस वक़्त।

खैर मैं मुस्कुराते हुए सारा सामान बेड के साइड टेबल पर रख दिया और बाथरूम में घुस गया। वैसे तो मैं अपने सारे अनचाहे बालों को हमेशा साफ़ रखता हूँ लेकिन आज फिर से रेजर लेकर अपने लंड के आसपास के बालों को साफ़ किया और बढ़िया सा आफ्टर शेव लोशन लगा दिया ताकि मेरी प्रिया रानी को अच्छी खुशबू मिले जब वो मेरे लंड से खेले।

मैंने बाहर आकर अपने बिस्तर को ठीक किया और बैठ कर प्रिया का इंतज़ार करने लगा। कंप्यूटर पर अपने सेक्सी फिल्मों के खजाने से मैंने ढूंढ कर एक फिल्म निकाली जिसमें चूत और लंड की चुसाई के ढेर सारे अलग अलग तरीके दिखाए गये थे। उनमें से एक में लड़का और लड़की एक दूसरे के पूरे बदन पे कुछ टेस्टी लिक्विड डालकर एक दूसरे को चाट रहे थे और मज़े ले रहे थे। मैं यह देख कर काफी उत्तेजित हो गया था और ऐसा ही करने का मन बना लिया।

नीचे आये हुए काफी देर हो चुकी थी और किसी की आवाज़ भी नहीं आ रही थी यानि सब लोग अपने अपने कमरे में सो चुके थे।

तभी किसी के सीढ़ियों से उतरने की आवाज़ सुनाई दी और मेरा दिल धड़कने लगा। मुझे पता था कि यह मेरी प्रिया ही है और मेरा सोचना सही था।

प्रिया अपने हाथों में किताबें लेकर मेरे दरवाज़े पर खड़ी हो गई और मुझे देखकर एक कातिल अदा के साथ मुस्कुराने लगी।

मैंने जल्दी से कंप्यूटर बंद कर दिया, मैं नहीं चाहता था कि प्रिया वो फिल्म देख ले क्यूंकि आज मैं उसे सरप्राइज देना चाहता था।
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RE: Desi Porn Kahani करिश्मा किस्मत का - by sexstories - 03-29-2019, 11:26 AM

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