RE: Desi Porn Kahani करिश्मा किस्मत का
प्रिया ने देरी न करते हुए उसे पैंट के ऊपर से ही पकड़ लिया और दबाने लगी। उसने एक बार अपनी नज़र उठा कर ऊपर देखा और मेरी आँखों में देखकर एक मुस्कान दी। उसकी वो मुस्कान मैं आज तक नहीं भूला। उसने मेरा लंड छोड़ कर अपने हाथों से मेरा शॉर्ट्स नीचे खींच दिया। लंड पूरा अकड़ा हुआ था इसलिए उसकी इलास्टिक लंड पर अटक गई और नीचे नहीं आ पाई। प्रिया ने शॉर्ट्स के ऊपर से हाथ डाल कर मेरे लंड को पकड़ा और फिर धीरे से उसे आजाद कर दिया।
"ऊफ्फ...!" प्रिया के मुँह से फिर से वैसे ही आवाज़ बाहर आई जैसे उसने दोपहर में मेरा लंड देखकर कहा था।
मेरा लंड लोहे की तरह कड़क हो चुका था और उसकी नसें साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थीं...प्रिया ने उसे अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और गौर से देखने लगी। लंड का सुपारा अपनी चमड़ी के अन्दर बंद था लेकिन आधा खुला हुआ था और उसके छेद पर कामरस की कुछ बूँदें उभर आईं थी। प्रिया गौर से उस रस को देख रही थी।
मेरा जी कर रहा था कि पूरा लंड उसके मुँह में उतार दूँ, लेकिन मैं कोई जबरदस्ती या जल्दबाजी नहीं करना चाहता था वरना हाथ में आई हुई चिड़िया उड़ सकती थी।
तभी मेरी कल्पना के परे प्रिया ने अपने होठों से मेरे लंड के सुपारे पर आई बूँद को चूम लिया और दनादन उस पर पप्पियाँ देने लगी। उसकी इस अदा से मैं इतने जोश में आ गया कि मेरे लंड ने कामरस की दो तीन और बूँदें और बाहर निकाल दी जिसे उसने प्यार से फिर से चाट लिया।
प्रिया ने अपनी जीभ बाहर निकली और मेरे लंड के ठीक छेद पर रख दिया...
"ओह्ह्ह्हह...प्रिया!"
मेरे मुँह से बस इतना ही निकल सका और मैंने अपना एक हाथ उसके सर पर रख दिया। प्रिया ने अपनी जुबान से मेरे लंड की लम्बाई नापनी शुरू कर दी। कसम से कहता हूँ दोस्तो, जो हरकतें वो कर रही थी वो बस एक खेली खाई लड़की या औरत ही कर सकती थी। मैं उसकी इस अदा पर हैरान था। उसने धीरे धीरे मेरा लंड अपने होठों पर रगड़ना शुरू किया और कभी कभी अपना मुँह खोलकर अन्दर लेने की कोशिश भी करने लगी। लंड का आकार बड़ा था इसलिए उसे थोड़ी परेशानी हो रही थी लेकिन उसने अपना काम जरी रखा और चाटते सहलाते हुए लंड थोड़ा सा अपने मुँह के अन्दर डाल लिया। मेरा सुपारा अब उसके मुँह में था और वो हल्की हल्की ह्म्म की आवाज़ के साथ आगे पीछे करने लगी।
मैं जितना हो सके बर्दाश्त करते हुए अपना लंड चुसवा रहा था और यह कोशिश कर रहा था कि वो मेरा पूरा लंड अपने मुँह में भर ले। मैंने इसी कोशिश में अपने लंड को एक झटका दिया और मेरा आधा लंड अन्दर चला गया।
"गूं...गूं...हम्म्म्म..." ऐसा कहकर उसने लंड चूसना छोड़ कर मेरी तरफ देखा और झटके से लंड को बाहर निकाल दिया... उसकी आँखें बड़ी बड़ी हो गईं थीं...।
"जान ही निकाल दोगे क्या...एक तो इतना बड़ा लंड पाल रखा है और ..." उसने बड़ी अदा के साथ लंड को हिलाते हुए मुझसे कहा।
"नहीं मेरी रानी, तुम तो मेरी जान हो, मैं तुम्हारी जान कैसे ले सकता हूँ। प्लीज थोड़ा और चूसो ना..." इतना कहते हुए मैंने अपना लंड उसके मुँह के पास किया।
“घबराओ मत, इसे तो आज मैं चूस चूस कर खा ही जाऊँगी। बहुत दिन से तड़प रही थी तुम्हारा लंड खाने के लिए...लेकिन तुम तो बुद्धू हो, इशारा ही नहीं समझते और अपने हाथों से ही इस बेचारे को मरोड़ते रहते हो। आज के बाद तुम इसे हाथ भी मत लगाना, जब भी यह खड़ा हो तो मुझे बता देना मैं इसे चूस चूस कर शांत कर दूँगी...!" प्रिया ने यह कहते हुए अपने होठों को गोल कर एक हवाई पप्पी दी।
मैं उसकी बातें सुन कर हैरान हो रहा था, पता नहीं वो कब से यह करना चाहती थी और मैं बेवक़ूफ़ ब्लू फ़िल्में और कहानियाँ पढ़ पढ़ कर मुठ मार रहा था। मुझे अब समझ आ रहा था कि हम जब भी एक दूसरे को देखते तो उसका मेरी तरफ हाथ हिलाकर हाय कहने का असली मकसद क्या था। मैं उसकी इस आदत को बहुत साधारण तरीके से लेता रहा था लेकिन अब जा कर पता चला कि उसकी ये हाय...कुछ और ही इशारा किया करती थी...मैंने उससे अब खुलकर बात करने की सोची और झुक कर उसके होठों को चूम लिया और हँसते हुये पूछा “तो तुम्हारी नीयत मुझ पर शुरू से खराब थी?” और उसने अपने दाहिने हाथ के अंगुठे और तर्जनी के बीच मेरी नाक को हल्के से पकड़ कर हिलाते हुये अपने हमेशा के सदाबहार शरारती अंदाज में जवाब दिया “लेकिन ऐसे भोले-भाले बुद्धू बँलमा से पाला पड़ा था जो लड़कियों के इशारे ही नहीं समझता था और जिसनें अपनी बात समझवानें के लिये मुझ जैसी सीधी साधी लड़की से कैसे कैसे पापड़ बेलवा डाले”
मैनें उससे फिर पूछा “तो तुम मुझे भैया क्यों बुलाती थी?” इस बार उसकी नाक पकड़ कर हिलाने की बारी मेरी थी।
उसने कोई जवाब देनें की बजाय शरमाते हुये मुझसे ही सवाल कर लिया “तो और क्या बुलाती?”
मैनें उससे फिर पूछा “तो अब क्या बुलाओगी?” उसने नीची नजरों और सुर्ख गालों से कहा “पता नहीं” और जब इस बार फिर से मैनें उसकी नाक को पहले से कहीं अधिक जोर से पकड़ कर दबाया और कहा “अच्छा जी! तो अब पता नहीं?” तो उसकी चींख निकल गई और फिर उसने अपने चिर परिचित शरारती अंदाज में जवाब दिया “एजी ओजी लोजी सुनोजी” और मैनें तपाक से उसमे जोड़ दिया “और मेरे सईयाँ मनमौजी” और हम दोनों एक साथ जोर से हँस पड़े।
"मेरी जान, मेरी प्रिया रानी अगर पहले बता दिया होता तो मैं इतना परेशान नहीं होता ना और अब तक तो तुम्हारी चूत का कचुमर बना दिया होता।" मैंने उसका सर सहलाते हुए कहा।
मेरे ऐसा बोलने से प्रिया ने एक जोर की सांस ली और मुझे देखकर मुस्कुराते हुए मेरे लंड पर पप्पी करी और कहने लगी,"कोई बात नहीं अब तो मैं तुम्हारी हूँ...जब जी करे इसमे डाल लिया करना "
और फिर उसने बड़े ही मासूमियत से कहा “लेकिन मुझे डर लग रहा है, तुम्हारा यह मोटा लम्बा लंड मेरी छोटी सी मुनिया को फाड़ ही डालेगा...कैसे झेल पाऊँगी इसको...?"
"अरे मेरी जान, तू एक बार इसे चूस चूस कर चिकना तो कर फिर देखना तेरी चूत कैसे इसे निगल जाती है।" मैंने अपना लंड उसके मुँह में फ़िर से ठूंस दिया और धक्के मारने लगा।
वो किसी अनुभवी रंडी की तरह मज़े से मेरा लंड चूसने लगी और साथ साथ मेरे गोलों से भी खेलने लगी। उसने मेरे गोलों को दबाना शुरू किया और धीरे धीरे मेरा पूरा लंड अपने गले तक उतार लिया।
लंड चुसवाने में कितना मज़ा है, यह बस वो जानते हैं जिनका लंड कभी किसी ने प्यार से चूसा हो। प्रिया पूरी तन्मयता से मेरा लंड चूस रही थी और मैं अपनी आँखें बंद करके मज़े ले रहा था। मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और बिल्कुल चूत की तरह उसका मुँह चोदने लगा। मैं अब अपने चरम सीमा पर था। काफी देर से उसकी चूचियों और चूत का मज़ा लेते लेते मेरा लंड अपना रस बाहर निकालने के लिए तड़प रहा था।
"हाँ मेरी जान...हाँ...ऊह्ह ...हह्मम्म...और चूसो...और चूसो...मैं आ रहा हूँ...हम्म्म्म." मैंने उसका सर अपने लंड पर दबाते हुए कहा। जैसे ही प्रिया ने यह सुना कि मैं झड़नें वाला हूँ तो उसने लंड अपने मुँह से निकाल लिया। मैं अचानक से हुई इस अनहोनी से तड़प उठा। मैं उसके मुँह में ही झाड़ना चाहता था, पर शायद उसे यह पसंद नहीं था तो उसने अपने दोनों हाथों से मेरा लंड जोर जोर से हिलाना शुरू कर दिया और मेरे लंड को चूमने लगी।
"आःह्ह्ह...ह्म्म्मम्म...आःह्ह्ह..." और मैंने ढेर सारा लावा एक जोरदार पिचकारी के साथ उसके पूरे मुँह पर छोड़ दिया...
प्रिया ने अपनी आँखें बंद कर लीं और तब तक लंड हिलाती रही जब तक उसमें से एक एक बूँद बाहर नहीं आ गई। मैं पूरी तरह से निढाल हो गया और धम्म से पीठ के बल बिस्तर पर गिर पड़ा। मेरी आँखें उस चरम आनन्द की वजह से बंद हो गई थीं और मेरा लंड अपना सर उठाये छत को निहार रहा था और थोड़ा थोड़ा ठुनक रहा था जैसे लावा निकलने के बाद होता है।
प्रिया अब भी वहीं बैठी मेरे लंड रस का मज़ा ले रही थी। मैंने धीरे से अपनी आँखें खोल कर देखा तो पाया कि उसने अपने हाथों में चेहरे पर लगे रस को लेकर अपनी चूचियों पर मलना शुरू कर दिया है।
हे भगवन, यह लड़की तो सच में पूरी रंडी है...मैंने सोचते हुए फिर से अपनी नज़रें फेर लीं और अपनी गर्दन घुमा ली। प्रिया वहाँ से उठी और उसी हालत में सीधे बाथरूम में चली गई।
मैंने भी उठकर अपन लंड अपने पैंट में डाला और घडी की तरफ देखा तो साढ़े बारह बज चुके थे। मेरे मन में यह ख्याल आने लगा कि अभी तक स्मिता आंटी ने प्रिया को आवाज़ क्यूँ नहीं लगाईं। शायद वो सो गई होंगी। लेकिन मेरा सोचना गलत था यारों...
मैंने अपनी खिड़की के परदे के पीछे कुछ हलचल महसूस करी। जैसे कोई चुप कर अन्दर का सारा हाल देख रहा हो। मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई थी। हम दोनों अपने चूमा चाटी के खेल में इतने खोये हुए थे कि हमें पता ही नहीं चला कि हमने खिड़की तो बंद ही नहीं की थी।
मैं डर कर सहम गया कि पता नहीं कौन हो सकता है। घर पर सब लोग हैं। नेहा दीदी और रिंकी नीचे वाले कमरे में सोई हुई थी...कहीं उनमें से किसी ने तो नहीं देख लिया...या फिर स्मिता आंटी!!
मैं इस सोच में था कि तभी प्रिया बाथरूम से बाहर आई और आकर धड़ाम से बिस्तर पर गिर गई। उसने अपने कपड़े ठीक कर लिए थे और मुँह धो लिया था। मैंने एक बार उसकी तरफ देखा और फिर दरवाज़े की तरफ बढ़ा।
जैसे ही मैंने दरवाज़े की कुण्डी खोलनी चाही तो कुण्डी की आवाज़ सुनकर किसी के तेज़ क़दमों की आहट सुनाई दी, मानो कोई भाग रहा हो। और फिर आई एक आवाज़ जिसे सुनकर मैं चौंक पड़ा।
पायल की झंकार थी उस क़दमों की आहट में और सीढ़ियों पर तेजी से भागने की आवाज़। अब मेरा शक यकीन में बदल गया, वो और कोई नहीं स्मिता आंटी ही थीं। मेरा सारा जोश एक ही बार में पूरा ठंडा हो गया। अब तो मेरी खैर नहीं...
मैंने प्रिया का हाथ पकड़कर उठाया और उसे अपनी बाँहों में लेकर एक पप्पी दी और कहा,"अब तुम्हें जाना चाहिए, बहुत रात हो गई है कहीं आंटी न आ जाएँ।"
प्रिया ने भी मेरे होठों पर अपने होठ रख दिए और चूमते हुए कहा,"ठीक है मेरे स्वामी, अब मैं जाती हूँ। लेकिन हम अपना अधूरा काम कल पूरा करेंगे और उसने अपने नाजुक होठों से मेरे गालो को चूम लिया।" फिर उसने अपनी किताबें और नोट्स उठा लीं और जाने लगी। जाते जाते वो मुड़ कर मेरे पास वापस आई और बिना कुछ बोले झुक कर मेरे लंड पर पैंट के ऊपर से एक पप्पी ली और हंसते हुए भाग गई।
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