RE: Desi Porn Kahani करिश्मा किस्मत का
राजेश के साथ शाम की सैर
मैं बिना कुछ बोले बाहर निकल गया और अपने अड्डे पर पहुँच गया। मेरा यार राजेश वहाँ पहले से ही खड़ा था। मुझे देखकर वो दौड़ कर मेरे पास आया।
“भोसड़ी के, कहाँ था अभी तक? मैं कब से तेरा इंतज़ार कर रहा हूँ।" राजेश ने थोड़ी नाराज़गी के साथ मुझसे पूछा।
उसका नाराज़ होना जायज था, हम हमेशा 6 बजे तक अपने चौराहे पर मिलते थे और फिर घूमने जाया करते थे। पर उसे क्या पता था कि उसके जाने के बाद मेरे साथ क्या हुआ और मैं किस स्थिति से गुजरा था।
"कुछ नहीं यार, बस थोड़ी आँख लग गई थी इसलिए देर हो गई।" मैंने मुस्कुरा कर उसकी तरफ देखा और फिर हम दोनों राजेश की बाइक पर बैठ कर निकल पड़े।
आज राजेश की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। इतना खुश मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा था। हो भी क्यूँ ना, इतनी मस्त माल जो हाथ लगी थी उसके। हम दोनों सिविल लाईन्स चौक (इलाहाबाद का एक मशहूर बाज़ार) पहुँचे और अपने पसंद की दूकान पर जाकर चाय का मज़ा लेने लगे। राजेश बार बार मुझे थैंक्स कह रहा था और मेरी खातिरदारी में लगा हुआ था। उसकी आँखों में एक अजीब सी विनती थी मानो वो कह रहा हो कि आगे का कार्यक्रम भी तय करवा दो।
मैंने उसकी आँखों में वो सब पढ़ लिया था, आखिर दोस्त हूँ उसका और उसके बोले बिना भी उसके दिल की बात जान सकता हूँ।
हम काफी देर तक वहीं घूमते रहे और बातें करते रहे और फिर वापस अपने अपने घर की तरफ चल पड़े। रास्ते में मैंने राजेश को यह खुशखबरी दी कि कल फिर से घर पर कोई नहीं होगा और वो अपन अधूरा काम पूरा कर सकता है।
राजेश ने जब यह सुना तो जोर से ब्रेक मार दी और बाइक खड़ी करके मुझसे लिपट गया,"सोनू मेरे भाई, मैं तेरा एहसान ज़िन्दगी भर नहीं भूलूँगा। तू मेरा सच्चा यार है।" राजेश मानो बावला हो गया था।
"रहने दे साले, चूत मिल रही है तो दोस्त भी बहुत प्यारा लगने लगा है, है न?" मैंने मस्ती के मूड में राजेश से कहा।
हम दोनों जोर जोर से हंस पड़े और बाइक स्टार्ट करके फिर से चल पड़े और अपने अपने घर पहुँच गए। अपने कमरे में पहुँचा और कपड़े बदलकर एक हल्की सी टीशर्ट और शॉर्ट्स पहन लिया। घड़ी पर नज़र गई तो देखा 9 बज रहे थे। दीदी कहीं दिखाई नहीं दे रही थी। तभी किसी के चलने की आहट सुनाई दी। मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो रोज़ की तरह प्रिया मुझे खाने के लिए बुलाने आई थी।
|