RE: Desi Porn Kahani करिश्मा किस्मत का
दीदी और आंटी की शॉपिंग से वापसी
"सोनू...सोनू...कब तक सोते रहोगे??" अचानक किसी की आवाज़ मेरे कानो में पड़ी और मेरी नींद टूट गई। घड़ी पर नज़र गई तो पाया कि 7 बज चुके थे, मतलब कि मैं 2 घंटे सोता रहा।
मेरी दीदी हाथों में ढेर सारे बैग लिए खड़ी थी। उसे देखकर मुझे याद आया कि वो स्मिता आंटी के साथ बाज़ार गई थी। मैंने मुस्कुरा कर उनके हाथों से सामान लिया और उनसे कहा," वो, मेरी तबियत ठीक नहीं थी न इसलिए बिस्तर पर पड़े पड़े नींद आ गई। आप लोगों की शॉपिंग कैसी हुई?"
"बस पूछो मत, स्मिता आंटी ने पूरे साल भर का सामान खरीदवा दिया है।" दीदी ने अन्दर आते हुए कहा।
"चलो अच्छा है, अब कुछ दिनों तक आपको बाज़ार जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी।" मैंने हंसते हुए कहा।
"ज्यादा खुश मत हो, हमें कल भी बाज़ार जाना है, कुछ चीज़ें आज मिली नहीं इसलिए मैं और आंटी कल फिर से सुबह सुबह बाज़ार चले जायेंगे और शायद आने में लेट भी हो जाएँ। आंटी की तो शॉपिंग ही ख़त्म नहीं होने वाली!" दीदी ने कुर्सी पर बैठते हुए कहा और हम दोनों भाई बहन उसकी बात पर हंसने लगे।
शाम हो चली थी और हमारे यानि मेरे और राजेश के घूमने का वक़्त हो गया था। मैंने अपने कपड़े बदले और बाहर जाने लगा।
"अरे, तुम्हारी तो तबीयत ठीक नहीं थी न? फिर कहाँ जा रहे हो?" यह स्मिता आंटी की आवाज़ थी जो सीढ़ियों से नीचे आ रही थी।
मैंने पीछे मुड़ कर देखा और एक हल्की सी स्माइल दी,"कहीं नहीं आंटी, बस घर में बैठे बैठे बोर हो गया हूँ इसलिए बाहर टहलने जा रहा हूँ।"
आंटी तब तक मेरे पास आ चुकी थी। उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर बुखार देखने की तरह किया और मेरी आँखों में देखा।
"बुखार तो नहीं है, लेकिन प्रिया बता रही थी कि तुम अच्छा महसूस नहीं कर रहे थे थोड़ी देर पहले। इसीलिए मैं तुमसे तुम्हारा हाल चाल पूछने आ गई।" आंटी ने चिंता भरी आवाज़ में कहा।
पर दोस्तो, मैंने जैसे ही प्रिया का नाम सुना तो मेरी जान ही निकल गई। मुझे लगा जैसे प्रिया ने वो सब कुछ अपनी माँ को बता दिया होगा जो उसने कुछ ही समय पहले देखा था। मेरा सर शर्म और डर की वजह से झुक गया और मैं कुछ बोल ही नहीं पाया। आंटी ने मेरा सर एक बार फिर से अपनी हथेली से छुआ किया और एक गहरी सांस ली।
"अगर तुम्हारा दिल कर रहा है तो जाओ जाकर टहल आओ, लेकिन जल्दी से वापस आ जाना।" आंटी ने अपनी वही हमेशा वाली कातिल मुस्कान के साथ मुझसे कहा।
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