Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
03-26-2019, 12:09 PM,
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
भाभी ने मेरे बाल पकडे और अपनी गांड को हिलाना भी शुरू कर दिया.....साली चुदक्कड़ ने मेरी चुदाई की स्पीड से अपनी गांड की स्पीड मैच कर ली थी.


मैं इधर धक्का मरता और वो उधर से.....हम दोनों की जांघें इतनी ज़ोर से टकराती की पूरा बदन काँप जाता.


भाभी ने मेरे हाथ खुले छोड दिए थे....मैंने मौका देख कर हाथ उनकी साड़ी में सरकाए और उनके मस्त गोल गुन्दाज़ चूतड़ अपने हाथ में दबोच लिए....भाभी तो फुल मस्ती में अपनी गांड हिलाये जा रही थी....


मैंने भाभी की गांड को निचोड़ ही दिया......भाभी ने अपनी ऑंखें खोली और मेरी आँखों में देखा.

उनका मुंह मारे ठरक के खुला हुआ था......वो मेरी आँखों में देखते हुए अपनी गांड को गपागप मेरे लंड पर मारे जा रही थी. मैंने उनकी गांड को फिर से मसल दिया.....भाभी ने मेरे हाथों को फिर से खिंच कर अलग कर दिया.....और मेरे गलों पर एक थप्पड़ जड़ दिया.


इसकी माँ की चूत.


मैंने भाभी के पैरों के निचे हाथ डाला और उनको गोदी में लेकर सीधा खड़ा हो गया. मेरे हाथों पर उनकी टाँगें टिकी थी और उनका पूरा बदन हवा में.


लंड मेरा उनकी रिसती हुयी चूत में अंदर तक गड़ा हुआ.


मैंने भाभी की पीठ को देवर पर टिकाया और खड़े खड़े हो जो धक्के मारना शुरू किये की भाभी की आहें चीख में बदल गयी.....मस्ती भरी चीख.


कोमल भाभी ने अपने हाथ मेरी गर्दन पर लपेट रखे थे और वो एकटक मेरी आँखों में देख कर अपनी चूत कर भुर्ता बनवाए जा रही थी.


मैं तो उनका थप्पड़ खाने के बाद जैसे हब्शी लंड हो गया था. मैं इतनी ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहा था मानो आज उनको चूत ही फाड़ दूंगा. भाभी मेरे होटों को चूसने के लिए आगे झुकी.


अब नखरे चोदने की बरी मेरी थी.


मैंने अपने मुंह पीछे कर लिया.....भाभी नहीं मानी


उन्होंने मेरे बाल पकडे और मेरा सर आगे करते हुए मेरे होंटों को अपने मुंह में ले लिया.


मैं कुछ समझता इसके पहले मेरी जीभ और उनकी जीभ आपस में लड़ रही थी.


मैंने अपने धक्के और तेज़ कर दिए.....और भाभी का निचला होंट अपने दांतों में पकड़ा.


भाभी अचानक अपने गले से हलकी गुर्राहट वाली आवाज़ निकलने लगी और उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया.......और अचानक ही उनका बदन मेरे आगोश में ही थरथराने लगा......मैंने कुछ समझता इसके पहले वो एकदम लुल्ल पड़ गयी..उनका पूरा बदन एक दम से पसीने में भीग गया.


उन्होंने अपनी बाँहों को मेरे कन्धों पर लपेट लिया और मेरे कंधे पर अपना सर रख कर आँहें भरने लगी...


मैं रुक गया था......जाने इस ठरकी कुतिया को क्या हो गया ?


भाभी ने अपने सर पीछे किया और मुस्कुराते हुए कहाँ....


"थ.....थे......थैंक......यु...."


मैं कुछ समझ पता इस के पहले ही उनके हाव भाव फिर से बदल गए और उन्होंने अपनी गांड को फिर से ऊपर निचे करने शुरू कर दिया.....मैंने यह सिग्नल तो पकड़ लिया......अपने हाथों को उनकी गांड के गोलों पर जमाया और गाड़ी फोर लेन पर दौड़ा दी.


भाभी मेरे हर धक्के का पूरा जवाब दे रही थी....और हुज़ूर अपनी तो हालत ही ख़राब थी...


ऐसा मज़ा पुरे बदन में सनसना रहा था की क्या बताऊ....


भाभी का पसीने से भीगा बदन एक अलग ही महक दे रहा था. उनकी नशीली आँखें मुझ पर ही टिकी थी. अब मेरे लंड से भी कुछ इमरजेंसी सिग्नल आ रहे थे.....मेरे हाव भाव देख कर वो समझ गयी की अब मेरा प्लेन क्रैश करेगा...


उसने तुरंत हाथ नीच लेजाकर मेरे गोटों पर अपने नाख़ून रगड़ना शुरू कर दिया, वो सनसनाहट जो मेरे गोटों से उठ रही थी वो धीरे धीरे मेरे पूरा बदन पर च गयी...


अब मेरी स्पीड के साथ ही मेरी आहें भी बढ़ गयी थी....


भाभी ने अपने हाथ से मेरे गोटों पर एक चिकोटी काटी और मेरी आँहें गुर्राहट में बदल गयी.


मैं भाभी को हवा में लिए लिए ही पलटा और उनके बदन को सोफे पर पटक दिया....लंड मेरा अभी भी उनकी मुनिये की जकड में ही था.


मैंने लंड पूरा बहार निकाल निकाल कर उनकी चुदाई शुरू कर दी.


भाभी का मुंह खुला का खुला ही रह गया....और मैं तो भेन्चोद पागल दरिंदा बन गया था. इतनी ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहा था की आवाज़े पुरे कमरे में गूँज रही थी.


भाभी का बदन फिर से कड़क होने लगा.......उन्होंने गुर्राती हुयी आवाज़ में कहाँ...


"हाँ.....हाँ......हाँ......ज़ोर.....से......आ.अ......ह......हाँ......यस......अभी......निकालोओओ ओ ओ ओ ओ"


मेरा पूरा बदन कड़क हो गया भाभी ने अपना हाथ बड़ा कर फिर से मेरे गोटों को पकड़ लिया और पूरा निचोड़ दिया.....मेरे अंदर भरा तूफ़ान मेरे लंड से पिचकारी जैसा निकल पड़ा...


जाने कितनी देर तक और कितना.....मगर मुझे तो लंड परवाह नहीं थी...


मैंने कोमल भाभी को जो चोद लिया था.


फटफटी के इंजन का आयल पानी हो गया था



अचानक बारिश होने लगी......मेरे मुंह पर पानी की ठंडी ठंडी बूंदें गिर रही थी.....


पर.....भेन्चोद मैं तो कोमल भाभी के घर पर था....अंदर पानी कहाँ से.....


तभी कोमल भाभी की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी...


"अरे लल्ला भैया.....हाय राम......अरे उठो............"


कोमल भाभी ने मुझे ज़ोर से हिलाया.


मैंने ऑंखें खोल दी....मैं सोफे पर पड़ा था. भाभी मेरे सामने झुकी हुयी मेरे ऊपर पानी छिड़क रही थी. मैंने उनको देखा और उन्होंने मेरी आँखों में ही पानी छिड़क दिया...


"आउ.....च......", मैं कराहा


कोमल भाभी बोली, " ऊओह.....थैंक गॉड.....तुमको होश आ गया......मेरी तो जान ही निकल गयी थी....

अरे....जब बिजली का काम नहीं आता तो हाँ क्यों कहा ??? कुछ हो जाता तो.....? बेहोश हो गए थे.....पता है........सच्ची कितना डर गयी थी मैं.....चलो उठो......अब कैसा लग रहा है .....?


इसकी माँ का भोसड़ा........यह क्या चुतियाई है यार..


अरे अभी तो मैंने भाभी की पुंगी बजाई थी और.......


shit ये सपना था....??


भाभी बोली, " चलो जी.....अब तो ठीक लग रहे हो.....उठो.....मुझे खाना बनाना है.....यह टूर से आने वाले है.....इतनो दिनों के बाद ..."


मैं उठा.....इधर उधर देखा.....और जल्दी आउट हुए रोहित शर्मा के जैसे मुंह लटका कर अपने घर आ गया.


घर पहुंचा तो पापा से सामने हो गया...


"आओ राजकुमार......कहाँ से आ रहे हो......? तुमसे कहा था की बी.कॉम एक ही शर्त पर करने दूंगा की दुकान पर आकर बैठोगे......एक दिन भी दुकान आये हो साल भर में.......भगवन जाने बल्लू को गाँव से नहीं बुलाता तो दुकान का क्या होता......अरे तेरा चाचा दिन भर लगा रहता है दुकान में......और तू कहाँ लगा रहता है.....?? "



चाची में.......


मैं हड़बड़ाया, " जी.....म....म.....मैं ......तो.....क.....क.....कॉलेज......."


पापा तो भड़क गए, " अरे चुप रह बद्तमीज़.......जबान चलाता है.....ये ही सिखाया हमने...."


जैसा की हमेशा होता है....माताजी का आगमन हो गया....


"अरे क्या हुआ.......लल्ला.....बाबू........आ गया.......चल खाना खा ले.....फिर मुझे मंदिर जाना है....क्या जी आप भी......पता है लल्ला आजकल सरदार प्रताप सिंह की बेटी को पढ़ाता है......"


पापा के माथे पर साल आये, " कौन प्रताप सिंह....? अरे....वो....ठेकेदार......"


माँ गर्व से बोली, " हाँ नहीं तो.......मेरा बेटा उनके घर जा कर पढ़ाता है उनकी बेटी को......"


मेरा बाप ठहरा पक्का बनिया.....तुरंत पलटी मार ली


"हाँ....हाँ.....ये तो अच्छी बात है......देख भाई लल्ला......सरदार साहब से भी दोस्ती कर लियो...समझा....बड़े लोग है...इनसे दोस्ती और सम्बन्ध बहुत काम आते है......"


मैं सोचा......सम्बन्ध ही तो बनाना चाह रह हूँ बापू....मगर....


पिया......फ़ोन पर हुए काण्ड के बाद अब तो क्या लण्ड कुछ होगा.....कही उसने अपने सांड भाई को बोल दिया तो वो तो मेरी गांड में बेसबॉल का बैट ही घुसा देगा....अब तो जाने क्या हो.....पिया तो शायद मुझसे कभी बात न करे......


तभी फ़ोन की घंटी बजी...मैं सवा सात फुट उछल गया..


पिया का फ़ोन था.
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