RE: Indian Sex Story कमसिन शालिनी की सील
ऐसी परिस्थिति से मैं परिचित था तो उसके दर्द की परवाह किये बगैर मैं उसे अपने नीचे दबोचे रहा और लंड को हिलाता डुलाता रहा.
उसकी चूत मेरे लंड को यूं कसे हुये थी जैसे वो किसी शिकंजे में फंसा हुआ था. अब जरूरत इस बात की थी कि उसकी चूत खूब रसीली हो उठे ताकि लंड उसमें सरपट आगे पीछे दौड़ सके.
अतः मैंने उसकी दाईं वाली चूची अपने मुंह में भर ली और उसे चुभलाने लगा और बाईं वाले मम्मे को दबाने मसलने लगा; साथ ही साथ उसके निचले होंठ को भी चूस रहा था.
इन सब का फ़ौरन असर हुआ और उसकी बुर फिर से पनिया गई और मेरे लंड को लगा कि चूत की गिरफ्त कुछ ढीली हुई है. अब मैंने लंड को थोड़ा सा बैक लिया और फिर से आगे पेल दिया ऐसे तीन चार बार करने से रास्ता काफी आसान हो गया.
शालिनी ने भी एक गहरी सांस ली और अपनी कमर उछाल कर लंड को जवाब दिया. यह मेरे लिए ग्रीन सिग्नल था, मैंने अपने घुटनों को ठीक से जमाया और उसकी चूत को ठोकना शुरू किया.
जल्दी ही उसकी चूत उछल उछल कर मेरे लंड का का अभिवादन करने लगी.
‘अंकल, मज़ा आ गया. और दम से पेलो!’
‘ये लो मेरी शालिनी, मेरी जान …ये ले तेरी चूत में मेरा लंड!’
‘हाय अंकल राजा… मस्त मस्त फीलिंग्स आ रहीं हैं. चोद डालो, खोद डालो मेरी बुर को अच्छी तरह से बहुत सताया है इसने मुझे!’
मैं भी पूरे तैश में था, मुझे भी झड़ जाने की जल्दी थी तो मैंने उसकी चूत में लंड से चक्की चलानी शुरू की, पहले क्लॉक वाइज फिर एंटी क्लॉक वाइज… फिर आड़े तिरछे शॉट्स मारे…
‘अंकल..लल्ल… हाँ ऐसे ही; कुचल डालो इसे… फ़क मी वाइल्डली नाउ… फाड़ डालो. ऍम योर व्होर नाउ… ट्रीट मी लाइक अ बिच… या वंडरफुल… गिम्मी मोर… हाँ..’ ऐसे ही कितनी देर तक वो मस्ती में आ के चहकती रही और लंड लीलती रही.
अब मैं अपनी झांटों से चूत का दाना दबा दबा के घिसने लगा. अपने क्लाइटोरिस पर इस तरह लंड की रगड़ उसे बर्दाश्त नहीं हुई और वो एकदम से डिस्चार्ज हो गई, झड़ने लगी. मुझसे कसके लिपट गई और अपनी टाँगें मेरी कमर में लॉक कर दीं.
मुझे लगा कि जैसे उसकी चूत से रस की बरसात हुई हो, मेरी झांटें तक नहा गईं.
मैंने भी अंतिम कुछ शॉट्स खेले और और फिर मैं भी झड गया, उसकी चूत अपने वीर्य की पिचकारियों से लबालब भर दी. उसकी चूत भी रह रह के मेरे लंड को जकड़ती रही. कभी उसकी चूत का कसाव ढीला पड़ता कभी फिर से कस लेती लंड को; इस तरह उसकी चूत ने मेरे लंड से वीर्य की एक एक बूँद निचोड़ ली.
अच्छे से स्खलित होने के बाद शालिनी के भुज बंधन, उसका बाहूपाश ढीला पड़ गया और वो शिथिल होकर रह गई.
मैं भी गहरी गहरी साँसें लेता उसके स्तनों में मुंह छुपाये पड़ा रहा.
‘अंकल जी अब तो मेरे मुहाँसे पक्का ठीक हो जायेंगे ना?’ उसने जैसे मुझे चुदने के बाद उलाहना सा दिया.
‘हाँ मेरी जान पक्का. बस जब तक तेरे मम्मी पापा नहीं लौटते ऐसे ही चुदवाती रहना मुझसे!’
‘ओके अंकल जी. अब तो मैं आपकी हो ही गई हूँ जैसे चाहो करो मेरे साथ!’
हम लोग ऐसे ही बातें कर रहे थे कि उसकी चूत सिकुड़ गई और मेरे लंड बाहर निकल गया. साथ ही उसकी चूत से मेरा वीर्य और उसके रज का मिश्रण बह निकला.
‘स्वीटी बेटा, अपनी चूत पोंछ लो और मेरा लंड भी पौंछ दे टॉवल से. फिर मैं जाता हूँ.’
मेरे कहने पर उसने नेपकिन लाकर खुद को और मुझे साफ़ किया. मैंने कपड़े पहन लिए. साढ़े पांच बजने वाले थे, मैं वापिस जाने के लिए चल दिया.
शालिनी मुझे दरवाजे तक छोड़ने आई और फिर मेरे गले में बाहें पिरो को मुझे एक लम्बा सा चुम्बन दिया होंठों पर… मैंने भी उसका निचला होंठ ले लिया अपने मुंह में, फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में दे दी इस तरह तीन चार मिनट तक चूमा चाटी चलती रही.
‘अंकल जी कल जरूर जरूर आना. मैं इंतज़ार करूंगी.’
‘ओके मेरी जान!’ मैंने उसके दूध पकड़ कर उससे फिर से आने का वादा किया और सावधानी से बाहर निकल गया.
तो मित्रो, शालिनी और मेरी कहानी कुछ इस तरह से थी अब तक जो आपने पढ़ी.
उस दिन के बाद मैं रोज शालिनी के घर चोरी छिपे जाता रहा जब तक उसके मम्मी पापा नहीं आ गये. इस दौरान मैंने उसे अलग अलग तरह के आसनों में चोदा और उसे लंड चूसना भी सिखाया. शुरू में तो उसने ना ना की लेकिन मैंने प्यार से लंड पर उसी के हाथों शहद लगवाया फिर उसे लंड से शहद चटवाया; इस तरह उसकी लंड मुंह में लेने की झिझक मैंने दूर की.
अब तो वो चुदाई में सिद्धहस्त और पारंगत हो चुकी है, चूत को कैसे अधिकतम मज़ा मिले ये सब गुण आ गये हैं उसमें; लंड भी अब मजे से बेझिझक चाटती चूसती है.
हाँ, उसके मम्मी पापा के आने के बाद हमारा मिलना मुश्किल हो गया. हालांकि वो जिद करती थी कि शहर से कहीं दूर ले जा के चोदो मुझे. उसे चुदाई की लत लग चुकी थी. लेकिन मुझे अपने से ज्यादा उसकी इज्जत की फिकर रहती थी हमेशा… लड़की जात एक बार बदनाम हुई तो मुश्किल हो जायेगी जिंदगी.
फिर भी डरते डरते कई बार उसे कोचिंग के टाइम बाइक पर बैठा कर दूर जंगल में ले जा के या पास में बांध की तलहटी में चोद कर उसकी प्यास बुझाई भी!
इसके लिए मैंने उसे टिप्स दीं थी कि वो सिर्फ सलवार कुर्ता पहन के आयेगी और इनके नीचे ब्रा या पेंटी नहीं पहनेगी साथ में मैंने उसे ये भी सिखाया कि चूत के सामने जो सलवार का हिस्सा होता है वो वहाँ की सिलाई उधेड़ दे जिससे बिना कपड़े उतारे उसकी चूत में मैं लंड पेल सकूं.
मैंने अपने लिए भी एक ड्रेस कोड बनाया था; मैं भी टीशर्ट और बरमूडा पहन के उसे चोदने जाता था, चड्डी बनियान मैं भी नहीं पहिनता था और मेरे बरमूडा में इलास्टिक थी, झट से नीचे खिसकाया और जरूरत पड़ने पर फट से ऊपर… ना नाड़ा बाँधने का झंझट ना कोई और अवरोध!
इसी तरह हमने बहुतों बार चुदाई की, जहाँ भी सुनसान जगह मिलती, वो मेरी बाइक पकड़ कर झुक जाती या किसी पेड़ का सहारा लेकर एक पैर उठा कर मेरे कंधे पर रख लेती और मैं सलवार के छेद में से उसकी चूत में लंड घुसा के चुदाई करने लगता.
इस तरह से चुदना उसे भी पसन्द आया क्योंकि इसमें कम से कम रिस्क था; अचानक कोई आ भी जाए तो हम कुछ ही सेकंड्स में नार्मल दिख सकते थे.
हाँ, एक बात तो बताना ही भूल गया. इस तरह की कई कई बार की चुदाई से शालिनी के मुहाँसे बिल्कुल से गायब हो गये जैसे कभी थे ही नहीं और उसका रूप रंग और भी निखर गया. इससे शालिनी बहुत खुश थी और मेरा अहसान भी मानने लगी थी.
जिंदगी इसी तरह चलती रही. इसी बीच उसके एग्जाम्स हो गये रिजल्ट भी आ गया और वो फर्स्ट डिवीज़न में पास भी हो गई.
आगे की पढ़ाई के लिए उसके घर वालों ने उसे पास के शहर भोपाल भेज दिया क्योंकि यहाँ पालम पुर में उसकी पसन्द का कोई भी कॉलेज नहीं था.
भोपाल में उसके पापा ने उनकी जान पहचान के एक जैन परिवार में उसे किराए का कमरा दिला दिया और वो वहीं रह कर अपने ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने लगी.
जुलाई-अगस्त में कॉलेज खुलते ही शालिनी ने B.Sc की पढ़ाई हेतु भोपाल के एक प्रसिद्ध कालेज में प्रथम वर्ष में प्रवेश ले लिया.
वो मुझे चार छह दिन में फोन भी करती रहती थी. मैं हमेशा उससे उसकी पढ़ाई की ही बात करता था और उसे अच्छा करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करता रहता था. सेक्स की बातें वो कभी छेड़ती भी
|