RE: bahan ki chudai बहन की इच्छा
"मुझे मालूम है वो, सागर! मुझे मालूम है! मुझे भी तुम बहुत अच्छे लगते हो. तुम मेरे भाई हो इस बात का मुझे हमेशा फक्र होता है."
उस समय अगर मुझे किस चीज़ का अहसास हो रहा था तो वो चीज़ थी मेरे सीने पर दबी हुई, मेरी बड़ी बहेन की भरी हुई छाती!!
जैसा हम'ने तय किया था वैसे तीसरे दिन सुबह हम मुंबई जा'ने के लिए तैयार हो गये. हमे ठीक तरह से जा'ने के लिए कह के और यात्रा की शुभकामनाएँ दे के ऊर्मि दीदी के पती हमेशा की तरह अप'नी दुकान चले गये. सब काम निपट'ने के बाद ऊर्मि दीदी ने मुझे कहा बाहर जाकर अगले नुक्कड से रिक्शा ले के आओ तब तक वो साड़ी वग़ैरा पहन के तैयार होती है. में गया और रिक्शा लेकर आया. रिक्शा वाले को बाहर रुका के में अंदर आया और ऊर्मि दीदी को जल्दी चल'ने के लिए पुकार'ने लगा. वो तैयार होकर बाहर आई और उसे देख'कर में हैरान रह गया.
ऊर्मि दीदी ने शिफन की सुंदर साड़ी पहन ली थी. चेहरे पर उस'ने हलका सा मेक अप किया था. उस'ने साड़ी अच्छी ख़ासी लपेट के पह'नी थी जिस'से उस'का अंग अंग खुल के दिख रहा था. कुल मिला के वो बहुत ही सुंदर और सेक्सी लग रही थी.
"ओोऊऊ! ये साड़ी मे कित'नी अच्छी लग रही है, दीदी!. और आज तुम बहुत सुंदर दिख रही हो, हमेशा से काफ़ी अलग!"
"कुच्छ भी मत बोल, सागर! ये साड़ी तो पुरानी है. और मेने हमेशा से कुच्छ भी अलग नही किया है."
"में झुठ नही बोल रहा हूँ, दीदी! सचमूच तुम बहुत आकर्षक लग रही हो. मुझे तो विश्वास ही नही हो रहा है के मेरी बहेन इत'नी सेक..... ..... सुंदर दिखती है.."
"ओहा. यानी तुम्हे कहना था के सेक्सी दिखती है. है ना, सागर?"
ऊर्मि दीदी ने शरारती अंदाज में कहा.
"हां?? ना. नही. यानी.!"
में उसे जवाब देते देते हड'बड़ा गया.
"ओहा, कम आन, सागर! अगर तुम्हे वैसा लगता है तो तुम कह सकते हो. शरमाते क्यों हो? तुम भूल गये हो क्या, हम दोस्त है और एक दूसरे से खुल'कर बोलते है
"आम. हम. दीदी! हम दोनो दोस्त है"
मेने कहा,
"वो. में. ज़रा..... जा'ने दो .... लेकिन सचमूच आज तुम सेक्सी दिखती हो."
"ओह. थॅंक्स, ब्रदर!"
ऊर्मि दीदी ने खूस होकर कहा,
"तुम्हे सचमूच लगता है कि में सेक्सी दिखती हूँ? तुम्हारे जीजू का तो मेरी तरफ ध्यान ही नही होता है."
"जीजू का तो मुझे कुच्छ मालूम नही, दीदी. लेकिन अगर मुझसे पुछोगी तो में कहूँगा के तुम अप्सरा जैसी लगती हो
"ओह! शट अप, सागर! अब और मुझे चने के पेड़ पर मत चढा."
"में मज़ाक नही कर रहा हूँ, दीदी! में अगर जीजू की जगह होता तो रोज भगवान का शुक्रीया अदा करता के मुझे तुम्हारे जैसी सुंदर और सुशील पत्नी दी. तुम्हे सच बताऊ तो में हमेशा भगवान से प्रार्थना करता हूँ के मेरी शादी ऊर्मि दीदी जैसी लड़'की के साथ ही हो."
"ओहा. सच, सागर??"
ऊर्मि दीदी ने मुझे आँख मारते कहा,
"कभी बताया नही तूने मुझे ये? तूने सचमूच मेरे जैसी लड़'की के साथ शादी कर'नी है? क्या में तुम्हारे लिए लड़'की ढूँढ लू? मेरे जैसी."
"हाँ, दीदी! ज़रूर ढूँढ लो. एकदम तुम्हारे जैसी होनी चाहिए!"
"ठीक है, सागर! तो फिर अब भगवान से प्रार्थना कर'ना बंद कर दे. में तुम्हारे लिए लड़'की ढूँढ लाउन्गि. मेरे जैसी. सुंदर. और सुशील."
"और सेक्सी भी."
मेने उसे आँख मार'कर कहा.
"चल!. नालयक कही का."
ऐसा कह'कर ऊर्मि दीदी ने प्यार से मुझे हलका सा चाटा मारा.
मेरी बहेन के साथ 'प्यारी' बातें कर'ते कर'ते में तो भूल गया के बाहर रिक्शा वाला हमारा इंतजार कर रहा है. फिर मेने बॅग उठाई और बाहर निकला. ऊर्मि दीदी ने घर लॉक किया और वो मेरे पिछे आई. हम दोनो फिर रिक्शा से बस स्टन्ड गये. बस हमे जल्दी ही मिली जो खंडाला रुकती थी. बस के सफ़र में पूरा समय में ऊर्मि दीदी को हंसा रहा था, मज़े वाली बातें बताकर, जोक्स बताकर. वो हंस'ती रही और मुझे कहती थी के में बहुत शरारती हो गया हूँ. सच तो ये था के में जान बुझ'कर उसे हँसा रहा था जिस'से उस'का मूड अच्छा रहे और वो मेरे साथ और घुल'मिल जाए. साडे दस बजे के करीब हमारी बस खंडाला पहुँच गयी.
हम बस से उतर गये. मुझे एक होटल मालूम था जो बस स्टन्ड से थोड़ा दूर था लेकिन अच्छा था. उस होटल में मैं पह'ले भी रहा चुका था. बसस्टंड से वो होटल दूर नही था इस'लिए हम चल के वहाँ तक गये. ऊर्मि दीदी को मेने रिसेप्शन लौंज में बैठ'ने के लिए कहा और में रिसेप्शन काउन्टर पर गया. मेने रिसेप्श'नीस्ट को कहा के मुझे एक लक्जरी एर कंडीशन डबल्बेड रूम चाहिए. उस'ने मुझे रूम का भाड़ा वग़ैरा बताया. मेने एक दिन का भाड़ा पेड़ किया और होटल रजिस्टर में हमारा नाम और पता लिख दिया. रिसेप्श'नीस्ट'ने एक रूम बॉय को बुलाया और हमे हमारे रूम तक ले जा'ने के लिए कहा. उस रूम बॉय ने हमारे बॅग उठाए और हम लोग लिफ्ट की तरफ चल दिए.
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