RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट...
मैं... थोड़ी चिंता मैं क्या हुआ आंटी...
आंटी... मुझे क्या पता बता तू खुद ही पूछ ले ..
क्या हुआ सोनल को कही फिर किसी ने छेड़-खानी तो नहीं की। रो रही थी क्यों?
मै अपनी चिंताओं मैं कदम सोनल के रूम की ओर बढ़ने लगे... मैं रूम के अंदर पहुंचा तो सोनल पीथ गेट की ओर किये चेयर पर बैठ कर कुछ पढ़ रही थी।
मैन दवे पौन सोनल के पीछे पहुंचा और कान में जोर से...
वुऊऊ.... सोनल....आआआआआ! हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ तेज तेज साँसे सोनल की।
सोनल.... जाओ भैया हार्ट फ़ैल हो जाता मेरा तो?
मैं.... पागल तुझे देखने के बाद 2 ,4 के हार्ट फ़ैल हो जाते होंगे तुझे कैसे हार्ट फ़ैल हो सकता है।
सोनल... जाओ मैं नहीं बात करती आप से । एक तो मैं इतनी परेशान हूँ ऊपर से आप मुझे छेड़ते रहते हो। कितने दिन हो गए आप तो ठीक से बात भी नहीं करते । क्या केवल 1 लड़की की प्यार की वजह से आप हम सब को यूँ भूल जाएंगे।
मैं... बदमास अब कौन किसे छेड़ रहा है। तुम सब तो जान हो मेरी इसके बीच में लड़की कंहा से आई...
सोनल... रहने दो भैया ज्यादा खुद से पूछो की कब तुमने मुझसे बात की। (थोड़ी सी नम आँखों से) केवल हाँ सोनल बहुत दिन हो गए मिले चल सब को रेस्टूरेंट ले चलता हो, मूवी ले चलता हूँ कभी बैठ के 2 लाइन बातें की। कैसी हूँ मैं , अच्छा कर रही हूँ कुछ या कुछ गलत। न तो कोई दांत और न ही कोई प्यार जैसे सड़क के लोग हो गए अब हम की देखा आँखें मोदी और चले गए...
मै उसे अपने गले से लगाते हुए उसके आंसू पोंछ...
मैं... मांफ कर दे मेरी गुड़िया पर तू रोना बंद कर। देख मैं अपने कान पकड़ रहा हूं।
सोनल...( मेरे हाँथ कान पर से हटाते हुए ) एक शर्त पर माफ करूँगी...
मैं... क्या?
सोनल... पहले आप मुझे पूरी बात बता दोगे और मुझे उस से मिलना भी है।
मैं... पक्का तू इसके बिना नहीं मान ने वली...
सोनल... नहीं बिलकुल नहीं यदि झूठ बोला और मुझे पता चला तो मैं ये मान लूँगी की आप को कोई मतलब नहीं मुझसे।
मैं... ठीक है बताता हूँ । फिर मैंने अपनी और परिधि की पूरी कहानी बताई अन्त तक...
सोनल... क्या भैया पहले दिन ही पर्पस किया और उसी दिन आप नाराज भी हो गए...
मैं... नहीं रे पागल ऐसी कोई बात नहीं पर जंहा एथिक्स की बात आती है वंहा मैं कभी कोम्प्रोमाईज़ नहीं करता...
सोनल... पर भैया उसे अपनी सफाई में तो आपने खुछ कहने ही नहीं दिया।
मैं... तेरे कहने क्या मतलब है...
सोनल.... वही जो आप का एथिक्स है.
मैं.... क्या?
सोनल... वही की जबतक हम किसी बात के नतीजे पर न पहुंचे अपनी राय कायम नहीं करनी चहिये। और आप ने तो बिना दूसरे पक्ष सुने अपनी राय ठोप दी , ये तो गलत है।
मैने सोनल के गाल अपने हाँथ से खिंचते हुए.... वहहह! क्या बात कही है थैंक्स अब मैं पहले बात करूंगा...
सोनल... ओह! क्या कर रहे हो भैया छोरो भैया मैं परिधि नहीं सोनल हू । आप तो बात करने के ही ख्याल उछल रहे है।
मैं... तू नहीं जानती क्या-क्या बीती है हम दोनों पर पिछले 1 हफ्ते मैं खैर ये सब छोड़ अब तो जो होगा वो तो होगा ही तू पहले ये बता कल रो क्यों रही थी।
सोनल... वो तो भैया कल मुझे अपने मार्क्स देख के रोना आ गया, और हो सकता है की दिया का भी यही हाल हो।
कल हमारा केमिस्ट्री की यूनिट टेस्ट था और कोचिंग चेंज के चक्कर में 2,3 टॉपिक हमारे मिस हो गए जिस से उस चैप्टर और उस से रिलेटेड जितने भी चैप्टर है कांसेप्ट ही नहीं क्लियर हो रहा है। इसी वजह से मुझे रोना आ गया की आज कल आप हमारी कोई भी खबर रखते।
मैं.... अब जो हो गया उसे जाने दे मांफ कर दे अपने भैया को लेकिन मैं अब तुम दोनों से नाराज होने वाला हूँ?
सोनल... क्यों भैया?
मैं... मतलब तुम दोनों ने ऐसा क्या सोचा जो मेरे पास नहीं आयी कुछ भी बताने...
सोनल... रहने दो भैया आप को तो याद भी नहीं होगा की पिछले कुछ दिनों से आप के पास कोई भी नहीं आया मालूम है क्यों क्योंकि आप खुद को जो देवदास बनाते हुए थे । सब के सब नाराज है आप की इस बात से...
दिया ने तो उस दिन भी आप को कहा था पर अगले दिन से वही हाल रहा आपका। मालूम है सिमरन दी तो एक दिन बहुत रोई आप को ऐसा देख कर।
मैं... यार अब बस करो मैं खुद मैं ही घुट ता जा रहा हूँ तू चल अब...
कहानी जारी रहेगी....
|