RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 18
दी बड़ी मायूसी के साथ गुमसुम अपने कमरे में बैठी थी और तभी । दिया उसे बुलाने आई.... दीदी माँ तुम्हे किचन में बुला रही हैं ।
दी बड़ी मायूसी और दर्द भरी आवाज के साथ.... दिया, बेटू अभी तक नहीं पहुंचा । मैंने पता किआ तो ट्रेन भी टाइम पर थी ।
अभी दिया भी थोड़ी चिंता में, और इसी चिंता में उसने राहुल को कॉल किआ फ़ोन अब भी स्विच ऑफ था ।
दोनो बहने अब चिंता के भवर में की... अभी तक नहीं पहुंचा, फ़ोन भी ऑफ, कहाँ गया होगा, एक कॉल तो कर देता ।
फिर सिमरन ने पापा को फ़ोन लगाया ऑफिस.... हेल्लो पापा ।
पापा... हाँ बेटा बोलो ।
सिमरन.... पापा अभी तक राहुल नहीं पहुंचा ।
पापा... ट्रेन लेट होगी ।
सिमरन... नहीं पापा ट्रेन तो टाइम पर दिल्ली पहुंच गई और राहुल का फोन भी ऑफ है ।
पापा... बेटा हो सकता है दिल्ली घूम रहा हो अभी रात तक फ़ोन आ जायेगा ।
इसी तरह अब 8 बज चुके थे राहुल का कोई फ़ोन नहीं आया , दी उदास अपने कमरे में आंसू बहा रही थीं । एक अनजाने से डर के बीच.. " राहुल ने कही कोई गलत कदम तो नहीं उठा लिया "
अब दिया सिमरन के पास आती हैं उसे उदास रोता देख वो भी चुपचाप अपनी बहन के बगल में बैठ जाती है और आंसू तो उसके भी छलक जाते है । तभी दोनो को ढूंढते माँ अंदर आ जाती है । दिया और सिमरन की हालत देख माँ बिल्कुल शॉक्ड हो जाती है फिर करण जानने के बाद कहती हैं...
" चलो शांत हो जाओ दोनो , अब उसे बड़ा हो जाने दो , अकेले घूमेगा तभी दुनियादारी की समझ आएगी..."
लेकिन अंदर ही अंदर माँ के मन में भी चिंता जाग जाती है ।
अगले दिन सुबह 5 बजे
ट्रिंग ट्रिंग... हेल्लो मासी... हाँ बोल बेटा.... राहुल पहुंचा.... अभी तक नहीं बेटा फ़ोन कट ।
माँ , पापा, छोटी, तुम सब सोते रहो मैं जा रही हूं । माँ कमरे से बाहर आते हुए.... क्या हुआ सिमरन सुबह - सुबह क्यों सारा घर सर पर उठाया है ।
अबतक घर के सारे लोग हॉल में आ चुके थे ।
दी सब से... राहुल अबतक नहीं पहुंचा, पता नहीं कहाँ होगा , ये लड़का भी ना सबको परेशान करता है आने दो इसे इसकी तो मैं खबर लेती हूँ ।
दी कि बात वाकई चिंता वाली थी माँ और पापा के लिए । अब चिंता की लकीरें सबके चेहरे पर साफ नजर आ रही थीं । अब जैसे जैसे वक़्त बीते बैचैनी बढ़ती जा रही थीं ।
अभी दिन के 12 बज रहे थे दी बहाना मार कर किरण के घर चली गई । अभी किरण के घर रूही और किरण की माँ थी ।
आंटी किचन में खाना बना रही थी और रूही हॉल में बैठकर टीवी देख रही थीं । जैसे ही रूही की नजर सिमरन पर पड़ी तो वो चोंक गई । क्योंकि इस समय सिमरन के चेहरे से साफ लग रहा था कि बहुत रोई और चिंता में थी ।
जब रूही ने सिमरन की ऐसी स्थिति देखी तो दौड़ कर सिमरन के पास गई और अंदर अपने रूम में ले गई । रूही ने सिमरन को हैरान भरी नजरों से देखते हुए... " यह आपने क्या हाल बना रखा है , क्या बात है बताओ ना प्लीज "
सिमरन ने फिर सारी बात बताई ग्राउंड से लेकर दिल्ली जाने की प्लानिंग तक फिर दिल्ली ना पहुँचना । और अंत मे..
" मैं ये नहीं कहूंगी की तुमनें गलत किया क्योंकि मैं भी एक लड़की हूँ और लड़की की परेशानी समझ सकती हूं पर इतना जरूर कहना चाहूंगी कि तुम्हे इतनी जल्दी फैसला नहीं लेना चाहिए था । क्योंकि संसार में एक बार भगवान मिल सकता हैं पर सच्चा आशिक़ नहीं "
रूही बस दी को चुपचाप सुनती रही और दी इतना बोलकर वहाँ से घर लौट आई ।
अब समय बीतता चला गया शाम 5 बजे तक हमारे सारे दोस्त, रिस्तेदार, और जानकारों को सूचना मिल चुकी थी मेरे गायब होने की और रात होते होते घर में मातम छा गया ।
अगले दिन भी यही हालत थी ।
अब यहां मेरा फ़ोन ऑन...
फ़ोन ऑन होते ही 400 मिस्ड कॉल मेरे मोबाइल पर जिसमें अधिकतर घर से कॉल था , फिर कुछ कॉल ऋषभ के , कुछ रिलेटिव और कुछ अननोन कॉल थे ।
अब मेरा दिमाग दोहरी चिंता में था एक तो अपने प्यार के लूट जाने का गम और दूसरी की अब घर पर क्या बताऊ क्योंकि मैं उन्हें किडनेपिंग वाली बात बता कर परेशान नहीं कर सकता था । मैं इन्हीं सब बातो को सोच रहा था कि मुझे ऋषभ का ख्याल आया और मैंने कॉल लगा दी ।
ट्रिंग ट्रिंग
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