RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट -15
दीदी ( पीछे से टोकते हुए ) .... सुन बेटू इधर आ ।
मैं ( धीमी आवाज में ) .... मुझे कुछ काम है नास्ते पर मिलता हूँ
वो तो मेरी दी थी मुझे बचपन से देखती और समझति आ रही थी । मेरी बदली आवज ने जैसे उनके दिल में दस्तक दी हो और वो जल्दी से मेरे पास आ गई ।
मैं बस नीची नजरों से दी को बोला .... बाद में मिलता हूँ ।
पर दी कहाँ मानने वाली थी उन्होंने जबरदस्ती हॉल में बैठा लिया और मेरा चेहरा ऊपर करते हुए .... " क्या हुआ मेरे भैया को कल से परेशान हैं, बता मुझे क्या बात है "
मैं कुछ देर शांत रहा फिर दी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए .... " क्या अपनी दीदी को भी नहीं बताएगा "
अब मेरी हालत ऐसी थी कि मुझसे बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हो रहा था मैं दीदी से लिपट गया और रोने लगा । दी यूँ तो बहुत मजबूत दिल की थी मगर मेरा दर्द इतना गहरा, मेरा रोना इतना दर्दनाक था कि उनकी आंखें भी नम हो चुकी थी ।
पर अगले ही पल खुद को संभालते हुए उन्होंने मुझसे पूछा .....
क्या हुआ रूही ने ऐसा क्या बोल दिया ।
अब मैं अपने चेतना से बाहर निकलते हुए सवालिया निगाहों से दीदी की ओर देखा । दीदी शायद मेरी बात समझ गई और बोल पड़ी .... किरण का फोन आया था वही बता रही थीं कि तुम अचानक से चले आए ।
मैं खुद को नाकाम नॉर्मल होने की कोशिश करते हुए ... रूही से नहीं पूछा किरण ने की मैं क्यों आया ।
दी ... रूही ने किरण को कुछ नहीं बताया बस इतना बोली राहुल से ही पूछ लेना ।
मैं कुछ सोचता रहा फिर दीदी से बोला कि किरण को फोन करके बोल दो की मुझे कुछ जरूरी काम था ।
दीदी ने मुझे कुछ नॉर्मल होता देख बोली ... " वो तो मैं किरण को जो बोलना है बोल ही दूंगी " । उन्होंने मेरा हाथ अपने सर पर रखते हुए .. " पहले तुझे मेरी कसम तू सच सच बताएगा क्या बात है " ।
लाचार होकर मैंने पूरी बात बता दी अपने पहले दिन के एहसास से लेकर अब तक की पूरी कहानी । मेरी बात सुनकर दी कुछ देर शांत रही फिर बोली ...
" सुन भाई मैं तुम्हें यह नहीं कह रही कि तुम रूही को भूल जाओ पर रूही अपनी जगह बिल्कुल सही है "
इतना सुना तो मैं दी को बस हैरत भारी नजरों से देखता रहा । मुझे इस तरह के जवाब की उम्मीद बिल्कुल नहीं थी दी से...
कहानी जारी रहेगी ......
|