mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
03-21-2019, 12:16 PM,
#14
RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट -13
सोनल नीचे गई कुछ देर बाद में भी फ्रेश होकर नीचे चला गया । हमलोग नास्ता करके इंस्टीट्यूट चल दिए । वहाँ का सारा काम करने के बाद हम वापस लौटे कुछ खास काम नहीं था बस एक ही काम को छोड़कर .... पड़े अपने बिस्तर में रूही के बारे में सोचना ।

" ओह रूही तुम कब मेरे दिल की आवाज सुनोगी " 


रूही के खयालो में डूबते ही मेरी आँख लग गई और करीब 5 बजे खुली। फ्रेश होकर में नीचे हॉल में गया बस यूं ही टाइम पास करता रहा पर यह मुझे हुआ क्या है मेरा मन तो किसी काम में लग ही नहीं रहा और ना ही चेहरे पर खुशी थी । अभी लगभग 26 घंटे ही हुए रूही से मिले दिल तो बिल्कुल तड़प रहा था । और एक लंबी मायूसी की ..... क्या कभी रूही मेरे प्यार को समझ पाएगी । 


नीचे माँ , सिमरन, दिया तीनो बैठे हैं पर मेरा मन तो कहीं और ही था ।


मैं चुपचाप अपने कमरे में बिना कुछ बोले फिरसे वापस आ गया । एक भवर की तरह रूही के खयालो में बस डूबता ही चला जा रहा था । मेरे ऐसा करने से शायद मेरी फैमिली में सबको अटपटा लगा इसीलिए तीनो माँ , दिया और सिमरन मेरे कमरे में आ गए ।


मैं अभी अपने बिस्तर पर उदास बैठा था कि माँ मेरे बगल में बैठ जाती हैं । बड़े प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरते हुए .... 
" क्या हुआ बेटू बहुत दिनों से देख रही हूं तू बहुत उदास रहता है क्या हुआ बता मुझे " 


मैं कुछ नहीं बोल पाया बस माँ की गोद में लेट जाता हूँ । और माँ फिर से मेरे सर पर हाथ फेरते हुए ... क्या हुआ बेटू ।


अब मेरा बर्दास्त कर पाना मुश्किल था अनयास ही मेरे आंखों से आंसू निकलने लगते है और मैं रोने लगता हूँ । अब सब बिल्कुल मौन होकर मेरा रोना देख रहे थे ।


रोते रोते मेरा रोना सिसकियों में बदल गया पर ना तो मुझे पता था कि यह आंसू मेरी आंखों में क्यों आए और ना ही मैं किसी के सवाल का जवाब दे पाता कि मैं क्यों रो रहा हूँ ।


इसीलिए मैंने माँ से धीरे से कहा .... माँ इस समय मैं अकेले रहना चाहता हूँ प्लीज ।

फिर माँ के कहने पर सभी नीचे चले गए और इधर मैं अभी भी अपने आंसुओ को रोकने की कोशिश करता हूँ । पर आज तो दिल के हाथों मजबूर था । अब रोना धीरे धीरे कम हुआ पर मायूसी वो कहाँ से जाने वाली थी वो तो अभी भी मेरे पास ही थीं । 

अभी रात के 11बज रहे थे कि अचानक मेरे फ़ोन की घंटी बजती है ।

अभी मैंने कॉल तो पिक नहीं किया था लेकिन दिल धक धक चेहरे पर चमक , और कंपते हाथो से पिक किया कॉल ....

कॉल पिक करते ही दूसरी साइड से रूही के नम्बर से किरण बात करती हैं ।

मैं ... हेलो रूही इतनी रात में कैसे कॉल किया ।

किरण ... हेलो राहुल ।

अब ये क्या है रुही के फोन से इसने क्यों कॉल किया ... इतनी रात सब ठीक तो है ।

किरण .... हाँ सब ठीक है अच्छा सुनो लो पहले रूही से बात कर लो ।

रूही से ही बात करने के लिए तो फोन उठाया था तुम तो जबरदस्ती बीच में आ रही हो ।

रूही .... हेलो राहुल ।

मैं ... कैसे हो रूही मैम इतनी रात कैसे याद किया ।

रूही .... मैं अच्छी हु , चोट कैसी है राहुल ।

( मैं खुश होते हुए लगता हैं इसके दिल में भी मेरे लिए कुछ तो है ) 

मैं ( खुशी से ) ... अब तो आराम है वैसे सब ठीक तो है इतने रात कॉल किया ।

रूही ... सब ठीक है चिंता की कोई बात नहीं बस एक बात पूछनी थी ।


टाइम पॉज हो गया जैसे अभी मेरे लिए ।
दिल धक - धक 
पैर कंपते हुए 
कान बिल्कुल खड़े 
आंखे बड़ी 
मन में हलचल ।


ऐसा की अब रूही ने purpose किया तो हार्ट फैल हो जाएगा ।
रूही ... राहुल क्या हुआ तुम सुन रहे हो ना ।

मैं ... हाँ हाँ मैं यही हु पूछो क्या पूछना हैं ।

रूही ... क्या कल तुम ग्राउंड पर आओगे ? 

मैं ( धत्त ये भी ना ) .... हाँ आऊंगा ।

रूही .... फिर ठीक है कल मिलते है ग्राउंड पर ।

इसने तो पूरे अरमानो का कचरा कर रात काली कर दी अब सुबह क्या सवाल करेगी यही ख्याल से नींद नहीं आएगी ।

मैं ... " रूही बात को अटका कर क्यों सुबह तक जगाना चाह रही हो इससे अच्छा तो फ़ोन ही नहीं करती " 

रुही .... कल बात करती हूं सुबह कुछ जरूरी बात है सामने ही हो सकती हैं ।

मैं ... ठीक है बाई गुड़ नाईट ।


वो कहते है ना अंत भला तो सब भला वही मेरे साथ हो रहा था । सारा दिन आग में तपने के बाद अंत में कुछ राहत मिली ।ये प्यार भी कितना अजीब होता हैं । कुछ समय पहले जो मेरी आँखों में पानी की वजह एक चमक थी अब । चेहरा बिल्कुल खिला हुआ , सागर की लहरों की बनती दिल में हजरों तरंगे उठती हुई । एक अजीब सा सुकून जो मैं अपने आप मे महसूस कर रहा था ।

अब इस रात मे तो नींद भी नहीं आएगी । नींद तो अब जैसे मुझसे कोसों दूर हो फिर भी सुबह जागने के ख्याल से मैं सोने की नाकाम कोशिश करता रहा । अंत में मुझे नींद आ ही गई । कब वो तो पता नहीं पर मैं उठा अपने रूटीन टाइम पर 4 बजे ही ।
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