RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
सजल का लण्ड इस समय खड़ा था।
“ये मत समझो कि सजल ये सब देखने समझने के लिये बड़ा नादान है… सजल, इधर आओ…”
जब सजल अपनी जगह से हिला भी नहीं तो कोमल ने दोबारा कहा- “सजल, इधर आओ… तुम्हारे पापा तुम्हें छुयेंगे भी नहीं, ये मेरा वादा है…”
सजल धीमे कदमों से अपनी मम्मी के साथ आकर खड़ा हो गया पर उसकी सहमी नज़र अपने पापा के चेहरे पर ही रही। कोमल ने मनीषा की ओर आश्वासन के लिये देखा। उसकी नई सहेली ने गर्दन हिलाकर अपना समर्थन दिया।
“तुम्हें याद है सुनील… जब तुमने मुझे अपनी मम्मी को चोदने की इच्छा के बारे में मुझे बताया था…” कोमल ने सँयत शब्दों में भूमिका बाँधी।
“कोमल…” सुनील चिल्लाया- “तुम ऐसे समय वो बात यहाँ कैसे कर सकती हो… मैंने तुम्हें वो बात दुनिया को बताने के लिये थोड़े ही बताई थी…”
कोमल ने अपना हाथ उठाकर उसे शाँत रहने का इशारा किया। उसने सजल की ओर अपना हाथ बढ़ाया और उसे अपनी ओर खींचा।
“मैं सिर्फ तुम्हें उस समय की याद दिला रही थी जब तुम सजल की उम्र के थे। इससे तुम्हें वो समझने में आसानी होगी जो मैं तुम्हें बताने वाली हूँ…” कोमल ने एक गहरी साँस भरी और अपने स्वर को संयत किया- “मैं सजल से उसकी छुट्टियों के कुछ समय पहले से चुदवा रही हूँ…”
कमरे में एक शाँती छा गयी। अगर सुंई भी गिरती तो आवाज़ आती।
फिर सुनील ने हिकारत भरे स्वर में कहा- “कितनी घृणा की बात है ये… तुम अपने बेटे से कैसे…”
मनीषा, कोमल का साथ देने के लिये, सुनील की बात काटते हुए बोली- “अब ऐसे मर्यादा वाले मत बनो तुम सुनील। तुम भी कोई बड़े भले मानस नहीं हो। अगर कोमल को तुम घर में उसके मन मुताबिक चोदते रहते तो वो क्यों सजल की ओर जाती… हो सकता है कि शायद वो फिर भी सजल से चुदवाती ही, कौन कह सकता है… अगर मेरा सजल जैसा लड़का होता तो मैं तो उसको जरूर चोदती…”
“पर मुझे यह मंजूर नहीं…” सुनील बोला।
“बकवास…” मनीषा ने जवाब दिया- “तुम्हारे पास कोई विकल्प भी नहीं है सुनील… कोमल क्षमा नहीं माँग रही है… वो तुम्हें बता रही है कि या तो तुम इसे स्वीकार करो या…” मनीषा ने अपने शब्द अधूरे छोड़कर अर्थ साफ कर दिया।
“अरे ये सब बेकार की बातें छोड़ो… हम सब चुदासे हैं और एक दूसरे की चुदाई क्या गलत, क्या सही की बातें चोदने में लगे हैं… इधर आओ सुनील और मुझे चोदो, जो तुम कह रहे थे… अपने लौड़े को देखो, ये अब पहले से भी ज्यादा तना हुआ है। मैंने इतना सख्त पहले इसे नहीं देखा…” ये कहते हुए मनीषा ने अपने हाथों से सुनील का विशाल मोटा लण्ड हाथ में ले लिया और उसे सहलाने लगी।
“इसे यूँ ही चलने दो सुनील… कोमल और मेरे पास तुम्हारे लिये बहुत कुछ विशेष है…” ये कहकर मनीषा ने सुनील का हलब्बी लौड़ा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
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