RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
हालांकि सजल अभी-अभी झड़ा था पर उसे अपने अनुभव से पता था कि वो चुटकी में ही फिर से तैयार हो जायेगा। ऐसे में इस तरह का प्रस्ताव ठुकराने का कोई मतलब ही नहीं था- “ज़रूर, मनीषा आंटी, यह भी कोई पूछने की बात है…”
मनीषा ने अपनी गाण्ड सजल की ओर करते हुए कहा- “छूकर देखो इसे…” उसकी कांपती आवाज़ ने इस बात की गवाही दी कि उसका अपनी भावनाओं पर काबू खत्म होता जा रहा था। उसे चुदाई की भीषण आवश्यकता महसूस हो रही थी। जब मनीषा सामने की ओर मुड़ी तो उसकी खिली हुई चूत देखकर सजल से रहा नहीं गया। उसने उस उजली चूत में अपनी दो उंगलियां पेल दीं। मनीषा की आंखें इस अपर्त्याशित आक्रमण से पलट गईं और वह बिना कुछ सोचे हुए बोल पड़ी- “चोदो इसे… चोद मेरी चूत को, आंटीचोद…”
पर सजल पहले उस कुंए की गहराई नापना चाहता था और अपनी उंगलियों को बाहर निकालने को राज़ी नहीं था।
“बहुत हो गया यह सब सजल…” मनीषा ने डांट लगाई- “पहले मेरे मम्मों को चूसो और फिर मुझे चोदना चालू करो…” मनीषा ने अपना ध्यान सजल के लण्ड को सख्त करने में लगाते हुए हिदायत दी- “मेरे निप्पलों को काटना ज़रूर… चबा जाओ उन्हें… हां ऐसे ही… अरे बड़ा सीखा हुआ लगता है रे तू तो… किसने सिखाया तुझे ये सब…”
जब मनीषा ने देखा कि सजल का लण्ड चुदाई के लिये बिल्कुल तैयार है तो उसने अपने मम्मों को सजल के मुँह से बाहर निकाल लिया। उसने सजल के खड़े लण्ड को अपने हाथ में लेकर उसके ऊपर अपनी चूत को रख दिया। और फिर एक झटके के साथ उसपर बैठकर उसे अपनी चूत में भर लिया। फिर मनीषा ने गुहार की- “भर दे, भर दे, ऐ महान लौड़े मेरी चूत को भर दे…”
“मेरी गाण्ड को सहारा दो, सजल…” कहकर मनीषा ने अपनी चूचियों को सजल के मुँह में भर दिया। आगे झुकने से लण्ड उसकी चूत में और टाइट हो गया और मनीषा को स्वर्ग के दर्शन धरती पर ही होने लगे।
सजल ने अब रुके बिना मनीषा की प्यासी चूत में अपना हलब्बी लौड़ा पेलना शुरू कर दिया।
मनीषा ने भी धक्कों में हाथ बंटाया और उसके लण्ड पर तेजी से सरकने लगी। कभी सजल नीचे से धक्का देता तो कभी मनीषा ऊपर से अपनी चूत को उसके लण्ड पर बैठाती।
सजल की तो जैसे चांदी थी। घर पर चुदासी मम्मी थी और पड़ोस में चुदक्कड़ आंटी। एक के न होने पर दूसरी चूत मिलने की अब गारंटी थी। यही सोचकर उसके समंदर का रस तेज़ी के साथ अपनी आंटी के कुंए की ओर अग्रसर हुआ- “आआआह, उंह उंह…” उसने अपने लण्ड की पिचकारी मनीषा की चूत में छोड़ते हुए आवाज़ निकाली। उसके शरीर की सारी माँस-पेशियां तनाव में आ गईं और उसे रात और दिन एक ही समय में दिखने लगे।
उधर मनीषा का भी ऐसा ही कुछ हाल था। सजल के लण्ड की पिचकारी को अपनी चूत में रस भरते हुए महसूस करते ही उसकी चूत ने भी अपना पानी छोड़ना शुरू कर दिया। वो इतनी तेजी से झड़ी कि उसे हर चीज़ की ओर से अनभिज्ञता हो गई। अगर कोई उससे इस समय उसका नाम भी पूछता तो शायद वो बता नहीं पाती।
“और सजल, और, भर दो मेरी चूत को… चोद मुझे हरामखोर, मादरचोद, फाड़ दे मेरी चूत रंडी की औलाद…” मनीषा को पता ही नहीं था कि वो क्या बके जा रही थी।
मनीषा तब तक सजल के मूसल जैसे लौड़े पर कथक्कली करती रही जब तक कि वो सिकुड़ नहीं गया। उसके बाद वो वहीं सजल के पास ढह गई। उसके चेहरे पर असीम सन्तुष्टि की झलक थी, और आंखों में एक वहशियाना चमक… वोह सोच रही थी की उस छिनाल कोमल से मेरा बदला अब पूरा हो गया। मैनें उसके पूरे खानदान को अपनी चूत में समा लिया है। अगर मैं अब चाहूँ तो दोनों बाप-बेटे मेरे सैडल के तलुवे भी खुशी-खुशी चाटने को तैयार हो जायेंगे।
सजल उस चुदी हुई औरत की ओर देखकर सोच रहा था कि मेरी अपनी उम्र से बड़ी औरतों पर यह दूसरी विजय थी। पर उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि मनीषा ने उसे मादरचोद क्यों बुलाया था… क्या वो जानती थी कि…
|