RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
“ये सब बंद करो और मेरी क्लिट को जोर से काटो…”
प्रमोद के ऐसा करते ही कोमल ने एक बार फिर से पानी छोड़ दिया।
“बहुत अच्छा प्रमोद… मज़ा आ गया…” कोमल अब झड़ते-झड़ते थक चुकी थी। उन दोनों जवानों ने उसकी भूख मिटा दी थी। उसने पहले प्रमोद और फिर सजल का एक गहरा चुम्बन लिया, और टेक लगाकर लेट गई।
“मुझे उम्मीद है कि तुम्हारी मम्मी अगली छुट्टियों में भी तुम्हें यहाँ आने की इज़ाज़त देगी। है न प्रमोद…” कोमल ने पूछा।
प्रमोद- “क्यों नहीं, और मैं अगली बार ज्यादा दिनों के लिये आऊँगा…”
“मैं तुम्हारे आनंद के लिये पूरा इंतज़ाम रखूंगी…” कोमल ने कहा और उसी हालत में नंगी, सिर्फ सैंडल पहने हुए रसोई की ओर सबके लिये नाश्ता बनाने के लिये बढ़ गई।
“जल्दी करो और अपनी पैंट उतारो, सुनील…” मनीषा ने अपने पड़ोसी से कहा- “मैं तो समझी थी कि शायद कोमल घर से जाने वाली ही नहीं है…”
सुनील ने जल्दी करने की कोशिश की पर उसकी नज़रें मनीषा पर ही टिकी थीं जो अपने मम्मों को अपने हाथों में थामे चुदवाने के लिये पूरी तरह से तैयार खड़ी थी।
सुनील- “वो थोड़ी ही देर के लिये गई है। 45 मिनट में वापस आ जायेगी। मुझे उससे पहले घर पहुंचना होगा। वैसे भी मुझे गोल्फ खेलने जाना है…”
मनीषा- “क्या कहा तुमने… तुम्हारे लिये गोल्फ खेलना मुझे चोदने से ज्यादा ज़रूरी है…”
सुनील- “मैं विवश हूँ। वो मेरी कम्पनी का एक बहुत बड़ा ग्राहक है… जाना ही होगा…”
मनीषा- “हे भगवान, मैं यह तो समझ सकती हूँ कि कोमल एक जल्दबाजी की चुदाई के लिये तैयार हो सकती है क्योंकी वो तुम्हारी पत्नी है। पर मेरी चूत की प्यास मिटाने के लिये तो तुम्हें अधिक समय निकालना ही होगा। 45 मिनट में मेरा कुछ नहीं बनेगा…” मनीषा ने सुनील के मोटे तगड़े लौड़े पर एक नज़र डालते हुए कहा।
सुनील- “आज के लिये तो इतना ही हो पायेगा, मनीषा…” सुनील मनीषा को बिस्तर की ओर लेकर जाते हुए बोला।
“अगर ऐसा है तो मेरी खातिरदारी शुरू करो। पहले मेरे मम्मों को चूसो…” मनीषा ने हथियार डालते हुए कहा।
सुनील ने अपने कम समय देने का मुआवज़ा देने का फैसला किया। उसने एक हाथ से मनीषा की चूचियां मसलनी शुरू की और दूसरे हाथ से उसकी चूत की सेवा शुरू कर दी। उसने दो अँगुलियां मनीषा की चूत में घुसेड़ दीं। अपने दांतों से उसने मनीषा की दूसरी चूची का निप्पल काटना शुरू कर दिया।
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