RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
“बैठ जा इस पर, छिनाल… चल साली कुतिया… चोद मेरे लौड़े को। अब किस बात का इंतज़ार है… मुझे पता है कि मुझसे ज्यादा तू तड़प रही है मेरा लौड़ा अपनी चूत में खाने के लिये। बैठ जा अब इस पर राँड… चोद अपनी गीली चूत पूरी नीचे तक मेरे लण्ड की जड़ तक…”
“ये ले… साले हरामी…” कोमल बोली और उस मोटे लण्ड को जकड़ने के लिये उसने अपनी चूत नीचे दबा दी- “हाय… कितना बड़ा और मोटा महसूस हो रहा है, विशाल सख्त लौड़ा… अपना लण्ड मेरी चूत में ऊपर को ठाँस… चोदू, मुझे पूरा लण्ड दे दे… मैंने अपनी चूत में कभी कुछ भी इतना बड़ा नहीं लिया। ऐसा लग रहा है जैसे ये लौड़ा मेरी चूत को चीर रहा है…”
कोमल सच ही बोल रही थी। ये अदभुत ठुँसायी जो इस समय उसकी चूत में महसूस हो रही थी, इसकी कोमल ने कभी कल्पना भी नहीं की थी। उसे लग रहा था कि उसकी तंग चूत इतनी फैल जायेगी कि फिर पहले जैसी नहीं होगी। फिर भी बोली- “मुझे पूरा चाहिये… बेरहमी से चोद मुझे कर्नल… मेरी चूत में ऊपर तक ठाँस दे… चीर दे मेरी चूत को, इसका भोंसड़ा बना दे…”
कर्नल को हैरानी हो रही थी कि इस उछलती और चिल्लाती औरत ने उसका पूरा लण्ड अपनी चूत में ले लिया था। उसने पहले जितनी भी औरतों को चोदा था, कोई भी उसका लण्ड आधे से ज्यादा नहीं ले सकी थी। उसे खुशी थी कि आखिर उसे ऐसी औरत मिल गयी थी जिसने न सिर्फ़ उसका पूरा लण्ड अपनी चूत में ले लिया था बल्कि और माँग कर रही थी। वो कोमल की झुलती चूचियों को मसलते हुए बोला- “चोद इसे… भारी चूचियों वाली राँड…”
“ओह… हाँ… वही तो मैं हूँ, दो-टके की राँड… चोद अपनी बड़ी चूचियों वाली राँड को अपने इस गधे के लण्ड से, ठूंस दे मेरी चूत अपने लण्ड से… बना दे मेरी चूत का भोंसड़ा…” कोमल बोली और जब उत्तेजना और जोश में उसका शरीर थरथराने लगा तो वो अपनी आँखें बंद करके अपना सिर आगे-पीछे फेंकने लगी। अपनी दहकती चूत की दीवारों पर मोटे लौड़े का घर्षण महसूस करती हुई कोमल अपना हाथ नीचे लेजाकर अपनी सख्त हुई क्लिट रगड़ने लगी। कोमल को विश्वास हो गया था कि अगर भविष्य में उसे गधे या घोड़े से चुदवाने का मौका मिला तो वो छोड़ेगी नहीं क्योंकी कर्नल का लण्ड भी किसी गधे-घोड़े के लण्ड से कम नहीं था।
जब कर्नल ने कोमल की चूचियों को एक साथ मसला और उसके निप्पलों पर चुटकी काटी तो कोमल को चरम सीमा पर पहुँचाने के लिये यही काफी था। ,उसका बदन ऊपर उठा जब तक कि सिर्फ सुपाड़ा ही उसकी तंग चूत में रह गया था। जब सनसनाती आग उसकी चूत में धधकने लगी तो कोमल उसी तरह एक लंबे क्षण के लिये स्थिर हो गयी। फिर जितनी जोर से हो सकता था, कोमल ने उतनी जोर से अपनी चूत उस भीमकाय लण्ड पर दबा दी और जब तक उसका परमानंद व्याप्त रहा तब तक बहुत जोर-जोर से अपनी चूत उस लण्ड पर ऊपर-नीचे उछालती रही।
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