Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
03-11-2019, 12:52 PM,
#28
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
लेकिन तुमने तो अभी तक मुझे आई लव यू बोली ही नह

पूनम अभी बोल दो ना आई लव यू मेरे दिल को तसल्ली मिल जाएगी,,,,
( मनोज की बात सुनकर पूनम को हंसी आ गई और उसे मनोज की बातें अच्छी भी लग रही थी इसलिए वह तंग आकर बोली)

आई लव यू बस अब तो खुश हो ना,,,,

खुश मैं तो बहुत खुश हूं मैं तुम्हें बता नहीं सकता कि आज मुझे कितनी खुशी मिली है ऐसा लग रहा है कि पूरी दुनिया मेरी बाहों में समा गई है।

ज्यादा रोमांटिक मत हो समय बीतता जा रहा है मुझे बताओ कि वह लोग कैसी बातें करती थी। घड़ी देखो 1:30 बज रहा है मुझे सोना भी है और सुबह जल्दी उठकर स्कूल भी जाना है तुम अगर इसी तरह से बात को टालते रहे तो मैं फोन कट कर दूंगी,,,,

नहीं नहीं ऐसा मत करना नहीं तो मैं मर जाऊंगा लेकिन वह लोग बहुत ही गंदी बातें करते थे क्या तुम सुन पाओगी,,,।

गंदी बातें ही करते थे ना की बंदूक और तलवारे चलाते थे जो मुझे किसी बात का खतरा हो जाएगा,,,,

वाह पूनम वाह तुम तो बड़ी मजेदार बातें करती हो,,,, ( मनोज की बात सुनकर पूनम फिर से हंस दी) देखो यह सब बातें मुझे मेरे दोस्त ने बताई थी की सुलेखा किस तरह की बातें उससे फोन पर करती है।

बताओ,,,

मेरे दोस्त ने बताया था कि ऐसे ही आधी रात को जैसे तुम फोन मुझे की हो उसी तरह से उसने भी खुद ही फोन लगा कर मेरे दोस्त को बात करने के लिए उकसा रही थी वह तो बात करने को तैयार नहीं था क्योंकि उसे बहुत गहरी नींद आ रही थी लेकिन उसकी नींद भगाने के लिए जानती हो उसने क्या कहा,,,,।

क्या कहा (पूनम ने उत्सुकता जताते हुए बोली)

वह बोली थी यहां मेरी बुर में आग लगी हुई है और तुम हो कि चैन की नींद सो रहे हो,,,,
( पूनम तो मनोज के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर खास करके बुर शब्द सुनकर एकदम से सन्न रह गई,,, पल भर में उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी उसकी सांसो की गति तेज हो गई और तो और उसका गला सूखने लगा,,, क्योंकि पहली बार वह किसी लड़के के मुंह से बुर शब्द सुन रही थी,,,, लेकिन फिर भी जैसे उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा हो इसलिए फिर से बोली,,,।)

क्या क्या क्या क्या कहा तुमने?

यही कि सुलेखा बोली की,, यहां मेरी बुर में आग लगी हुई है और तुम चैन की नींद सो रहे हो,,

बाप रे मुझे तो बिल्कुल यकीन नहीं हो रहा है कि सुलेखा इस तरह की बातें करती होगी,,, उसके बाद तुम्हारी दोस्त ने क्या कहा,,,
( मनोज अच्छी तरह से जानता था कि वह सब बातों को अपनी तरफ से बनाकर बता रहा है लेकिन जिस तरह से पूनम उत्सुकता बता रही थी उसे देखकर मनोज का लंड खड़ा होने लगा था।)

अरे वह क्या कहता सुलेखा की बात सुनते ही ऊसकी नींद ऊड़ गई ।,,,

नींद उड़ गई क्यों?

अरे लड़कियां जब ईतनी खुली बातें करेंगी तो किसी भी लड़के की नींद उड़ जाएगी,,,,

क्या कहा था उसने सुलेखा की बात सुनकर,,,

वह बोला सच कह रही हो,, सुलेखा क्या तुम एकदम नंगी हो क्या?,( तब सुलेखा बोली)

नही अभी नंगी नहीं हूं कहो तो अपनी सलवार उतार कर नंगी हो जाऊं,,,,
( पूनम को यकीन नहीं हो रहा था कि इस तरह की बातें सुलेखा करती होगी उसके होश उड़े जा रहे थे और साथ में उसकी बुर से मदन रस की बूंदे रीसने लगी थी,,,)
बाप रे बाप क्या तुम सच कह रहे हो मनोज मुझे तो अभी भी यकीन नहीं हो रहा है।

बिल्कुल सच कह रहा हूं पूनम जानती उसके बाद मेरे दोस्त ने क्या कहा,,

क्या कहा ?

उसने कहा नंगी भी हो जाना लेकिन सबसे पहले मुझे तुम्हारा दूध पीना है बहुत बड़े बड़े दूध है तुम्हारे तुम्हारी चुचियों को अपने हाथ में लेकर मसल मसल कर,, पिऊंगा,,,

फीरररर,,,, ( थिरकती हुई आवाज में पुनम बोली)

फिर क्या इतना सुनते ही सुलेखा बोली तो मना किसने किया है आ जाओ मुंह लगाकर पी लो मैं तो कब से बेकरार हूं तुम्हें अपना दूध पिलाने के लिए,,, लो मैं अपनी कुर्ती को ऊपर करके अपनी ब्रा भी उतार दी हो मेरी चूचियां एकदम नंगी हो गई है,,,,
( शर्मा और उत्तेजना के मारे पूनम का चेहरा लाल हो गया था उसकी बुर्के पानी निकलना शुरू हो गया था उसे अपनी पैंटी गीली होती महसूस हो रही थी लेकिन वह समझ नहीं पा रही थी कि यह दूरी कितनी हो रही है ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे जोरों से पेशाब लगी है,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी पूनम की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,,, कड़कड़ाती ठंडी में भी उसके बदन में गर्माहट पूरी तरह से अपना असर दिखा रहा था। इसलिए मैं अपने बदन पर से रजाई को हटा दी क्योंकि उसे अब रजाई की बिल्कुल भी जरूरत नहीं थी। क्योंकि घर में बात होने उसके तन-बदन में पूरी तरह से गर्माहट फैला दिया था।,,,,, सुबह आगे सुनने के लिए पूरी तरह से उत्सुक थी। तभी दरवाजे के बाहर आहट सुनाई दी,,,, क्योंकि काफी देर से गाय भैंस की आवाज़ आ रही थी और क्यों जंगली जानवर तबेले में आ गया था इसलिए उसके चाचा उठ गए थे। हड़बड़ाहट में पूनम से कुछ बोला नहीं गया और वह झट से फोन को स्विच ऑफ कर दी ताकि मनोज दुबारा फोन न कर सके क्योंकि अब वह बात नहीं कर सकती थी और वैसे भी घड़ी की तरफ ऊसकी नजर गई तो अढ़ी बज रहे थे।

पूनम एक बार कमरे से बाहर आकर देखना चाहती थी कि आखिर माजरा क्या है। घर के सभी लोग धीरे-धीरे करके जा चुके थे,, क्योंकि वह लोग अच्छी तरह से जानते थे कि ठंडी के मौसम में चोर लोग ज्यादा ही उत्पात मचाते हैं,, वह कुछ देर तक यूंही बाहर खड़ी रही मैं सोच रही थी कि सब लोग वापस सोने जाए तो वह फिर से मनोज को फोन लगाएगी लेकिन काफी देर बीत गया लेकिन सब लोग वहीं बैठ कर बाते हीं करते रहे।
पूनम समझ गई कि आज कुछ होने वाला नहीं है। उसे बाहर खड़ा देखकर उसके चाचा उसे जाकर सोने के लिए बोले तो वह वापस कमरे में आ गई। बिस्तर पर लेट कर वापस रजाई ओढ़ ली और सोने की कोशिश करने लगी लेकिन उसकी आंखों से नींद कोसों दूर जा चुकी थी। आज जिंदगी में पहली बार वह फोन पर इस तरह की बाते सुन रही थी। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मानो आज जो कुछ भी बोल रहा था क्या सच बोल रहा था लेकिन उसकी सहेली ने भी तो उसे नहीं बताए थे कि अपने बॉयफ्रेंड से वह गंदी गंदी बातें करती है लेकिन इस तरह की बातें करती होगी इस बात पर उसे यकीन नहीं हो रहा था लेकिन फिर वह सोचती कि मनोज क्यो झूठ बोलेगा तो सच ही कह रहा होगा। वह मन ही मन सोचने लगी कि सुलेखा कितनी गंदी बातें करती है। मनोज के मुंह से उन दोनों की गंदी बातों को सुनकर उसके तन-बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी उसके चेहरे पर,,, उत्तेजना की लहर साफ नजर आ रही थी चेहरा उत्तेजना के मारे लाल टमाटर की तरह हो गया था,,, बार बार निर्मला के कान में मनोज के द्वारा सुलेखा की कही गई बात सुनाई दे रही थी,,,, बार बार सुलेखा द्वारा कहे गए शब्द उसके कान में बज रहे थे यहां मेरी बुर में आग लगी हुई है और तुम चैन से सो रहे हो,,,,,,, लो पी लो मेरे दुध को तुम्हारे लिए तो है ये,,,, क्या तुम इस समय नंगी हो,,,,
नहीं कहो तो अपनी सलवार उतार कर नंगी हो जाऊं,,,,

मुझे तो तुम्हारे बड़े बड़े दूध पीना है।
सससससहहहहहह,,,,, यह सब बातें याद करके पूनम का गला उत्तेजना के मारे सूखने लगा उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें तभी धीरे-धीरे उसका हाथ उसी सलवार के ऊपर पहुंच गया जहां पर उसे गीला गीला महसूस हो रहा था वह धीरे से अपनी सलवार की डोरी खोलकर बिना सलवार उतारे ही,,, धीरे धीरे कांपती उंगलियों को अपनी पैंटी के अंदर सरकाने लगी,,,, जैसे जैसे वह अंदर की तरफ अपनी उंगलियों को सरका रही थी। वैसे वैसे ऊसकी दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी,,, जैसे ही उसकी उंगलियां उसकी गुलाबी बुर की ऊपरी सतह पर पहुंची उसका बदन मारे उत्तेजना के गनगना गया,,,, ऊसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसके बदन में एैसी हलचल क्यों मची हुई है।
वह धीरे-धीरे अपनी पूरी हथेली को अपनी छोटी सी बुर पर रखकर हल्के से दबोच ली,,, इतनी ज्यादा उत्तेजित थी की अपनी बुर को इस तरह से दबोचना उसे बेहद आनंददायक लगने लगा,,,, वह मुंहं से गहरी गहरी सांस ले रही थी,,,, इतनी ठंडी में भी उसके बदन में गर्मी का एहसास होने लगा और वह जाकर अपनी रजाई को बिस्तर से नीचे फेंक दी,,,, वह सलवार को बिना उतारे ही पेंटी के अंदर अपने हाथ को सरका कर अपनी बुर को जोर जोर से दबोच रही थी। बुर से निकल रही रस मे उसकी हथेली पूरी तरह से भीगने लगी थी,,, लेकिन इस समय उसके तन बदन में खुमारी पूरी तरह से अपना असर दिखा रही थी,,, वह सुलेखा और उस लड़के की बात को याद करके अपनी बुर को जोर जोर से दबा रही थी। आज जिंदगी में पहली बार वह अपनी बुर के साथ इस तरह की हरकत कर रही थी,,, आज उसकी जवानी रह-रहकर पानी छोड़ रही थी। धीरे-धीरे उसके कमर अपने आप ऊपर नीचे की तरफ हिलने लगी छोटी सी बुर ऊसकी हथेली में जरूर दबी हुई थी लेकिन उस छोटी सी बुर मे उसके पूरे वजूद पर अपना कब्जा जमाया हुआ था। हथेली को पूनम बार-बार अपनी बुर की ऊपरी सतह पर रगड़ते हुए दबोच ले रही थी। ना चाहते हुए भी उसके मुंह पर हल्की हल्की सिसकारी की आवाज आने लगी थी।,,, उसके बदन में बढ़ रही उत्तेजना को वह पहचान नहीं पा रही थी ऊसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है। अपनी कमर के नीचे के भाग की तरफ देखे बिना ही आंखों को बंद करके अपनी बुर को अपनी हथेली से नीचोड़ रही थी वह क्या कर रही है इसके बारे में उसे जरा भी समझ नहीं थी। तभी अचानक उसके मुख से जोरदार चीख निकली और उसकी बुर से भलभलाकर मदनरस बहने लगा। बुर का मदन रस झटके मारता हुआ बाहर आ रहा था जिससे उसका पूरा बदन झकझोर जा रहा था।
पूनम की कमर झटके खाते हुए पानी फेंक रही थी उसकी पूरी हथेली मदन रस में लतपथ हो गई थी।
धीरे-धीरे उसकी सांसो की गति कम हुई तो उसे इस बात का एहसास हुआ कि वह कुछ गलत कर रही थी लेकिन इस गलती में भी उसे बेहद आनंद की अनुभूति हुई थी जिंदगी में पहली बार उसने इस प्रकार के आनंद की अनुभूति करते हुए,,,बुर से पहली बार पानी फेंकी थी। जब वह अपने परिवार में से अपनी हथेली बाहर निकाली तो चिपचिपे पानी से उसकी पूरी हथेली भीजी हुई थी उसे कुछ समझ में नहीं आया कि आखिरकार यह चिपचिपा पानी है क्या,,, वह गीले हाथ से ही जल्दी से अपने सलवार की डोरी बांध कर रुमाल से हाथ साफ करके कब सोओगे उसे पता ही नहीं चला।

यही हाल मनोज काफी था पूनम से बातें करती हुए अपने लंड को धीरे-धीरे हिला रहा था,,, लेकिन अचानक फोन काट देने की वजह से उस का मजा किरकिरा हो गया था फिर भी पूनम के खूबसूरत बदन की कल्पना करते हुए और उससे कल्पना में ही संभोगं करके अपना पानी निकाल कर सो गया था।
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