RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
2 दिन तक पूनम ने मोबाइल से उस नंबर को डायल करने की हिम्मत नहीं दिखा पाई,,,, हालांकि वह रोज रात को अपनी चाची से मोबाइल मांग कर अपने कमरे में आराम से गाना सुना करती थी,,, अब वो बड़े ही रोमांटिक गाना सुनना शुरू कर दी थी,,, पूनम के दिल की बेचैनी बढ़ती जा रही थी हमारी ही मन सोच रही थी कि काश उसके पास उसका नंबर होता तो वह ऊसे फोन जरुर लगाता,,, लेकिन वह चाहती थी क्या कर उसके पास उसका नंबर होता तो घर में कोई भी मोबाइल उठा सकता था और एेसे मैं वह बेवजह परेशान हो सकती थी। लेकिन करती थी क्या दिन-ब-दिन पूनम की हालत खराब हुए जा रहे थे दिन रात उसके जेहन में बस मनोज को ही ख्याल घूमता रहता था। दूसरी तरफ मनोज की दया परेशान हो चुका था पूनम की तरफ से उसे अब तक कोई भी सहारा नहीं मिला था जिससे उसके मन में धारणा बंध चुकी थी कि, पूनम को उसका प्रेम वाला प्रस्ताव पसंद नहीं आया इसलिए उसकी भी बेचैनी बढ़ चुकी थी एक तरह से वहां पूनम के ऐसे व्यवहार को अपना हार समझता था उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो पा रहा था क्योंकि उसने जिसको भी जिस लड़की से प्यार करना चाहता उन्हें पाना चाहा था उसे हासिल करके ही रहा था लेकिन पूनम के मामले में उसे शिकस्त मिलती मालूम हो रही थी,,,, इस बात से मनोज के मन में यह बात और ज्यादा बैठ गई थी पूनम बेहद खूबसूरत और संस्कारी लड़की है इसलिए वह उसके प्यार को स्वीकार नहीं कर पाई,,,, लेकिन फिर भी उसके मन में कहीं ना कहीं विश्वास कीजिए अभी भी पर बोली थी कि उसे पूनम जरूर सरकार करेगी और वह पूनम का प्यार और उसके खूबसूरत तन बदन की गर्मी अपने बदन में जरूर महसूस कर पाएगा,,,
इसी कशमकश में दो-चार दिन और बीत गए दूसरी तरफ पूनम की बुआ सुजाता की बुर में चीटियां लगने लगी थी उसे अब अपनी बुर की अंदर कुछ ज्यादा ही खुजली महसूस होने लगी थी,,, जब तक वह बैगन और ककड़ी से अपनी बुर की प्यास बुझा रही थी तब तक वह ककड़ी या बेगन डालकर शांत हो जाती थी लेकिन जब से उसकी बुर ने सोहन का मोटा लंड खाया था तब से फिर से उसके लंड के लिए तड़प रही थी। और वह मौके की तलाश में हमेशा लगी रहती थी लेकिन सोहन कुछ दिनों से उसे नजर नहीं आया था वह रोज शाम को अंधेरा सोते समय खेतों में जाकर उसका इंतजार करती लेकिन उस का कहीं अता-पता नहीं लगता था इसलिए उसकी बुर की खुजली और ज्यादा बढ़ने लगती थी,,। और यही वास्तविकता भी थी क्योंकि भूख लगने पर भोजन करके कुछ घंटो तक भूख काबू में रहती है प्यास लगने पर पानी पीने के बाद भी यही हाल होता,,,, लेकिन चुदाई की भूख ऐसी होती है कि जितना भी बुझाओ उतनी ज्यादा भड़कती है,,,, ठीक ऐसा ही सुजाता के साथ हो रहा था दिन रात वह लंड के लिए तड़प रही थी लेकिन उस दिन की तरह कोई भी जुगाड़ हाथ नहीं लग रहा था,,,,।
पूनम सुबह उठकर बाथरूम में नहाने चली गई,,, बाथरूम में खुलते ही वह अपने सारे कपड़े उतार कर बाथरूम में टांग दी,,, उसके गोरे बदन पर मात्र उसकी ब्रा और पैंटी ही रह गई थी बाकी के सारे कपड़े उसने उतार दी थी,,,,, उसके मन में अभी भी मनोज का ही ख्याल घूम रहा था इस वजह से वह दरवाजे की कुंडी लगाना भूल गई और जैसे ही वह मग में पानी लेकर अपने ऊपर डाली ही थी की तभी बाथरूम का दरवाजा धडा़क की आवाज के साथ खुल गया,,,, वह एक दम से चौंक कर दरवाजे की तरफ देखने लगी,,,, एकाएक बाथरूम में उसकी संध्या चाची घुस गई थी और अंदर आते ही पूनम से बोली,,,,,
देख पुनम मैं जानती हूं कि तू अकेले ही नहाना पसंद करती है लेकिन आज मुझे बहुत जल्दी है इसलिए तुम मुझे कुछ मत कहना (इतना कहते हुए वह दरवाजे की कुंडी लगा दी)
चाची लेकिन इस तरह के बाथरूम में एक साथ दो औरतें कैसे नहा सकती हैं,,,, मुझे तो बहुत शर्म आती है इतना कहते हुए वह अपने दोनों हाथों से ब्रा में कैद अपनी चूचियों छुपाने लगी,,,,
तू पूनम बिल्कुल बुध्धु है,,,, अरे कहां अपने गैर के सामने नहा रहे हैं,,,,( इतना कहते हुए वहां अपनी साड़ी को लेने लगी और अपनी चाची को इस तरह से उसके सामने साड़ी खोलते हुए देखकर पूनम बोली,,,,।)
ओह चाची तुम क्या कर रही हो इस तरह से मेरे सामने ही अपने कपड़े उतार रही हो,,,,, तुम बिल्कुल भी शर्मा नहीं रही हो,,,,
अरे मेरी गुड़िया रानी इसमें शर्म की क्या बात है एक औरत के सामने कपड़े उतारने में शर्म किस बात की,,,हां अगर तेरी जगह कोई मर्द होता तो शायद उसके सामने शर्म आती ।( इतना कहते हो गए संध्या पूनम के सामने अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,,, पूनम वहीं बैठे बैठे ब्रा के ऊपर भी अपनी गोलाइयों को अपनी हथेली से ढके हुए थी,,,, अपनी चाची की इस हरकत पर वह झुंझलाते हुए बोली,,,,।)
चाची तुम्हें ऐसा कौन सा काम पड़ गया था कि तुम्हें इस तरह की बाथरुमं में आकर नहाना पड़ रहा है।
अरे क्या बताऊं पूनम आज तेरे चाचा के साथ एक रिश्तेदार के वहां जाना है और वहां जाने के लिए वह बड़ी मुश्किल से तैयार हुए हैं और अगर में देर कर दी तो वहां जाना कैंसिल कर देंगे इसलिए मुझे बाथरूम में आकर तेरे साथ नहाना पड़ रहा है,,,,।
( पूनम अपनी चाची की बात समझ रही थी लेकिन उसे इस तरह से नहाना बिल्कुल पसंद नहीं था इसलिए वह बैठी रही तब तक संध्या ने अपने वतन से ब्लाउज उतारकर वही टांग दि थी,,,, पूनम अपनी चाची को ही देखे जा रही थी वह बड़े गौर से अपनी संध्या चाची की बड़ी-बड़ी चूचियों को देख रही थी जो कि उनकी साइज से ब्रा की साइज कम ही थी इस वजह से ऐसा लग रहा था कि संध्या की चूचियां ब्रा फाड़ कर बाहर आ जाएंगी,,,,,, पूनम अपनी चाची की तरह में के चुचियों के बारे में कुछ सोच ही रही थी कि तभी संध्या अपने दोनों हाथ को पीछे ले जाते हुए हुक खोलने लगी और हुक खोलते हुए बोली,,,।)
क्या बताऊं पूनम मैं तो तेरे चाचा से तंग आ गया ह,,,ूं इतना परेशान करते हैं ना कि मुझे बहुत गुस्सा आता है।
अब पता नहीं चाचा परेशान करते हैं या तुम परेशान करती हो,,,, भगवान ही जाने,,,,( पूनम व्यंग्यात्मक स्वर में बोली।)
मैं जानती हूं तू मुझ पर विश्वास नहीं करेगी तु अपने चाचा पर ही विश्वास करेगी,,,( इतना कहते हुए संध्या अपनी ब्रा भी उतार दी और यह देखकर पूनम लगभग चिल्लाते हुए बोली,,।)
अरे अरे यह क्या कर रही हो चाची तुम अपनी ब्रा क्यों उतार दी,,,
नहाने के लिए और क्या करने के लिए,,,
तो ब्रा उतार कर,,,,
मुझे कपड़े पहन कर नहाना पसंद बिल्कुल भी नहीं है मैं तो बाथरूम में जब भी नहाती हुं पूरी नंगी होकर के नहाती हूं,,,
( इतना कहने के साथ ही वह पेटिकोट की डोरी भी खोलने लगी,,, जो देखकर पूनम उसे रोक पाती इससे पहले ही वहां पेटिकोट की दूरी खोलकर अपनी पेटीकोट को नीचे कदमों में गिरा दी,,,, अगले ही पल पूनम की आंखों के सामने उसकी चाची की नंगी मोटी मोटी दूधिया जांघें नजर आने लगी,,, धीरे-धीरे पूनम को यह सब अच्छा लगने लगा अपनी चाची की गोरी खूबसूरत नंगे बदन को देखकर उसकी आंखें चौधीयानेे लगी थी,,, तभी वह अपने दोनों हाथों की उंगलियों से अपनी पैंटी को पकड़कर नीचे की तरफ सरकाने लगी यह देखकर पूनम बोली,,,
अरे चाची यह तो रहने दो थोड़ा तो शर्म करो,,,,
मैं बोली ना मेरी पूनम जानू तेरे सामने कैसी शर्म,,,,( इतना कहने के साथ ही अगले ही पल संध्या अपनी पैंटी उतार कर पूरी तरह से नंगी हो गई पूनम की नजर सीधे संध्या की जांघों के बीच अपने आप ही चली गई,,,, जहां पर हल्के हल्के बाल उगे हुए थे जिसे देखकर साफ पता चल रहा था कि,,, उसने अभी हाल ही में अपने बालों की सफाई की है जिसे देख कर पूनम मंद मंद मुस्कुराने लगी,,, संध्या की अनुभवी आंखों ने पूनम के मन की बात को भांप ली और जानबूझकर अपनी हथेली से बुर को मसलते हुए बोली,,,,
तू हंस क्यों रही है,,,,,
कुछ नहीं चाची बस ऐसे ही हंसी आ गई,,,,
ऐसे ही हंसी नहीं आ गई मैं तेरी हंसी का कारण जानती हूं,,,
नहीं चाहती सच में कुछ नहीं है मैं तो बस ऐसे ही,,,,
मुझसे मत छुपा मैं जानती हूं कि क्यों इन हल्के हल्के बालों को देखकर मुस्कुरा रही है।( वह लगातार अपनी बुर को मसलते हुए बोल रही थी यह देख कर पूनम के बदन में ना जाने कैसी हलचल मचने लगी,,, अपनी चाची की बात और उनकी हरकत को देखकर पूनम बोली,,,।)
चाचा जी ने हल्के हल्के बालों को देखकर ही मुस्कुरा रही हुं ।
लेकिन ऐसा क्यों,,,?
अरे ऐसा क्यों का क्या मतलब,,,,, मैं समझी कि तुम शायद नहीं बनाती होगी लेकिन अभी देखी तो पता चला कि तुम सफाई का काफी ख्याल रखती हो,,,,,
अरे मेरा बस चले तो मैं कभी भी ना बनाऊं,, लेकिन तेरे चाचा बहुत गुस्सा करते हैं उन्हें यह सब बाल वाल पसंद नहीं है,,,
बाल वाल पसंद नहीं है मैं कुछ समझी नहीं,,,,( पूनम आश्चर्य के साथ बोली,,,)
अभी रहने दे जब समय आएगा तब तू भी समझ जाएगी,,,
( इतना कहते हुए संध्या अपनी बुर पर से हथेलियां हटा ली और हथेली के हटाते ही पूनम की नजर बुर की गुलाबी पत्तियों पर पड़ी जो की बाहर की तरफ निकली हुई थी,,, उन्हें देखते ही पूनम का पूरा बदन अजीब से हलचल को महसूस कर के गनगना गया,,, संध्या अब नहाना शुरू कर दी जाड़े का मौसम होने की वजह से ठंडे पानी को बदन पर डालते ही उसका पूरा बदन गनगना गया,,, संध्या भी बैठ कर नहा रही थी जिसकी वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां आपस में रगड़ खाते हुए झूल रही थी,,, और झूल इस वजह से रही थी कि उसकी चूचियों का साईज काफी बड़ा था। लेकिन उसका कठोर पर बरकरार था इसलिए तो निप्पल तनी हुई थी। अपनी चाची की चुचियों का साइज देख कर पूनम की नजर अपनी चुचियों पर पड़ी तो उसे शर्म सी महसूस होने लगी क्योंकि वह भी जानती थी कि लड़की उसके बदन का सुगठित होना है,,,, खास करके उसकी चूचियों का साइज लेकिन फिर भी इस बात से उस को तसल्ली थी लड़कियों कि सूचियों का जितना साइज होता है उसका भी उतना ही साईज था और संध्या चाची तो एक पूरी औरत थी इसलिए उनकी चूची का साइज काफी बड़ा था,,,, देखते ही देखते संध्या नहाकर बाथरुम में ही कपड़े पहन कर तैयार होकर चली गई,,,,
पूनम को भी काफी देर हो चुकी थी इसलिए वह भी जल्दी से नहा कर तैयार हो गई,,,
स्कूल पहुंच कर उसकी नजरें मनोज को ही ढूंढ रही थी कुछ दिन से वहां उस मोड़ पर नहीं खड़ा होता था क्योंकि उसका दिल टूट चुका था,,,, और उस मोड़ पर मनोज को खड़ा ना पाकर पूनम भी अंदर ही अंदर छटपटाने लगती स्कूल छोड़ने के बाद जब वह वापस घर लौट रही थी तब रास्ते में उसे मनोज दिखाई दिया उसके चेहरे पर पहले की तरह प्रसन्नता बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि उसके मन में एक डर सा बैठ गया था कि वह पुनम. जैसी खूबसूरत लड़की को खो चुका है। पूनम उसके चेहरे की उदासी देख कर दुखी होने लगी,,,, वह चाहती थी कि मनोज उससे कुछ बोले लेकिन वह उसे कुछ भी नहीं बोला वह बस खड़ा होकर पूनम की तरफ हसरत भरी निगाहों से देखता ही रहा पूनम भी उस पर एक नजर डाल कर अपने कदम आगे बढ़ा दी लेकिन जाते-जाते मनोज की आंखों में आए आंसू को वह पहचान गई,,,, उसकी आंखों में भरे आंसू उसके दिल में ठेस पहुंचाने लगे पूनम को इस बात को लेकर बहुत दुख हुआ लेकिन वह कर भी क्या सकती थी वह एक लड़की थी और वह भी इज्जत दार घराने की,, सामने से वह जाकर मनोज को अपने प्यार का इजहार नहीं कर सकती थी,,,, हालांकि वह भी मनोज से अपने मुंह से प्यार का इज़हार करना चाहती थी लेकिन डर गई थी समाज से अपने परिवार से अपने इज्जत से इसलिए बोल नहीं पा रही थी,,,,, मनोज उसे वहीं खड़ा होकर तब तक देखता रहा जब तक की वह आंखों से ओझल नहीं हो गई और पूनम भी बार-बार पीछे मुड़कर मनोज को देख ले रही थी दोनों तरफ बेबसी दीवार बनकर खड़ी थी,,,,,,,,
रात को पूनम अपने कमरे में मोबाइल पर गाना सुनते हुए बहुत बेचैन नजर आ रही थी बार-बार उसकी आंखों के सामने मनोज का रुंआसा चेहरा आ जा रहा था,,, और वह उस चेहरे को याद करके अंदर तक तड़प उठ रही थी,,,, मोबाइल में बज रहा गाना उसे और ज्यादा बेचैन कर रहा था।
मुझे जीने नहीं देती है याद तेरी,,,
सुनके आजा तू आजा आवाज मेरी,,,,
यह गाना सुनकर पूनम से रहा नहीं गया और वहं एक बार फिर से मनोज का नंबर डायल करने लगी,,,, नंबर डायल करते ही जब कॉल का बटन दबाईं तो कुछ ही सेकंड में सामने रिंग बजने लगी,,, सामने बज रही रींग की आवाज सुनकर पूनम के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,, ऊसकी सांसे तीव्र गति से चलने लगी,,,, एक बार तो उसके मन में हुअा कि फोन काट दे लेकिन तभी सामने से मनोज ने फोन उठा लिया,,, और वह फोन उठाकर हेलो हेलो बोलने लगा,,,, लेकिन पूनम डर के मारे और उसकी आवाज सुनकर एकदम खामोश हो गई यहां तक की मनोज को सिर्फ उसकी सांसो की आवाज़ सुनाई दे रही थी जो कि मनोज को भी बेचैन कर रही थी कुछ देर तक वहां यूं ही हेलो हेलो बोलता रहा लेकिन पूनम ने कोई जवाब नहीं दी तो सामने से वह बोला,,,
यार कौन है जो मुझे ऐसे ही परेशान करता है अरे जब फोन किए हो तो बात करने में क्या हर्ज है,,,, देखो मैं पहले से ही परेशान हूं और यह फोन की वजह से और ज्यादा परेशान हो जाता हूं इसलिए जल्दी से मुझे बता दो कि कौन है वरना मैं फोन कट कर दूंगा,,,,, लेकिन कुछ देर तक यूं ही खामोशी छाई रही,,,, मनोज फोन रखने ही वाला था कि पूनम कांपते श्वर में बोली,,,,
पपपपपप,,,,, पुनम,,,,,
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