RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
ठीक है पूनम तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया,,,,
( मनोज की बात सुनकर पूनम हंसने लगी और हंसते हुए बोली।)
शुक्रिया किस बात की दूसरों की मदद करने में मुझे अच्छा लगता है,,,,( इतना कहने के साथ ही वजह से ही आगे बढ़ने के लिए अपना कदम बढ़ाई ही थी की उसने ध्यान नहीं दिया और उसकी सैंडल के नीचे बड़ा सा पत्थर आ गया जिसकी वजह से वह लड़खड़ा के एकदम से गिरने को हुई,,,, लेकिन तभी कुर्ती दिखाते हुए मनोज ने उसका हाथ थाम लिया लेकिन फिर भी हाथ थाम कर थाम थे पूनम उसके ऊपर ही गिर गई मनोज पूरी तरह से तैयार नहीं था इसलिए उसके वजन के नीचे खुद भी गिरते हुए जमीन पर गिर गया,,,,, वह जमीन पर गिर गया और पूनम उसके ऊपर गिरी जोंकि सीधे उसकी बाहों में ही आ गई,,,, मनोज के लिए तो यह कुदरत का सबसे अनमोल तोहफा था जो अनजाने में ही उसकी झोली में आ गिरा था,,,, भला इस अनमोल सुनहरे मौके को वह अपने हाथ से कैसे जाने दे सकता था वह तो पूनम से सिर्फ बात करने के लिए ही तड़पता रहता था और यहां तो भगवान ने खुद पूनम को ही उस की झोली में गिरा दिया था,,,,
पूनम करते समय एकदम से घबरा गई थी लेकिन जब उसे पता चला कि वह मनोज के सीने पर गिरी है तब उसे इस बात पर तसल्ली हुई की उसे चोट नहीं लगी है,,,, पूनम का चेहरा मनोज के चेहरे से करीब करीब एक दम सटा हुआ ही था बस तो अंगूल की ही दूरी थी,,,, पूनम के गुलाबी होंठ मनोज के होठ के बिल्कुल करीब थे,,,, मनोज तो उसे देखता ही रह गया यही हाल पूनम का भी था पूनम की तो जैसे शुध बुध ही खो गई पहली बार किसी लड़के के बदन से एकदम सटी हुई थी,,,, मनोज के बदन से वह बिल्कुल सटी हुई थी,,,,
यहां तक की उसकी नथुनों से निकल रही सांसो की गर्मी भी मनोज के चेहरे पर साफ साफ महसूस हो रही थी,,,, इतनी जल्दी पूनम के बदन से सट जाएगा उसके इतने करीब आ जाएगा इस बारे में मनोज ने कभी कल्पना भी नहीं किया था।
कल्पना तो वह पूनम को ले करके बहुत कुछ कर चुका था लेकिन उसे विश्वास नहीं था। दोनों एक दूसरे की आंखों में डूबते चले जा रहे थे,,, दोनों की सांसो की गति तेज होने लगी थी तभी मनोज को अपने सीने पर हल्का सा नरम नरम और गोल गोल वस्तु का एहसास होने लगा,,, तभी उसके दिमाग में चमक हुई और उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,
योग्य सिग्नल पाते ही उसके टावर को बराबर संकेत मिलने लगा। उसके सोए लंड में तुरंत हरकत होने लगी,,,, उसे यह समझते बिल्कुल भी देर नहीं लगी कि उसके सीने पर जो गोल गोल वस्तु का एहसास हो रहा था वह पूनम की चुचिया थी। इस बात का एहसास होते हीैं उसके पूरे बदन में करंट सा दौड़ने लगा। उत्तेजना के मारे वह तड़पने लगा अपने प्यार को अपने सपनो की रानी को अपने इतने करीब पाकर उसका मन मचलने लगा,,,, वह पूनम की लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रखने वाला था कि तभी पूनम को इस बात का एहसास हो गया कि वह किस हालत में है और जल्दी से हड़बड़ाहट में उसके बदन से उठने को हुई,,,,, मनोज समझ गया कि बड़ी मुश्किल से हाथ आया मौका उसकी मुट्ठी से सरकने लगा है वह जल्दबाजी नहीं दिखाना चाहता था इसलिए वह पूनम के होठ को चूमने का आईडिया दिमाग से निकाल दिया,,, लेकिन पूनम को उठाने की कोशिश करते हुए वह अपने दोनों हथेलियों को उसकी कमर पर रखकर उसे उठाते उठाते अपनी हथेली को हल्के से नीचे की तरफ लाकर उसके गोल गोल नितंब पर अपनी हथेली रखकर दबाते हुए पूनम को उठाने लगा,,,, पूनम की गांड का नरम-नरम एहसास उसके तन बदन में आग सुलगा गया,,,, उठने की जल्दबाजी में पूनम को इस बात का पता ही नहीं चला कि मनोज ने उसके बदन पर कहा हाथ लगाया था वह जल्दी से खड़ी हो गई मनोज अभी भी पीठ के बल जमीन पर गिरा हुआ था,,,,, मनोज मौके का फायदा उठाते हुए जल्दी से अपना हाथ आगे बढ़ा दिया ताकि पूनम उसे सहारा देकर उठा सके,,,, पूनम भी औपचारिकतावश अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसे सहारा देकर उठाने लगी,,,, मनोज खड़ा होकर अपने कपड़ों पर लगी मिट्टी को झाड़ने लगा,,,, पूनम भी अपने कपड़ों पर लगी मिट्टी को झाड़ रही थी,,, मनोज फिर से उसे देखने लगा तो मिट्टी झाड़ती हुई पूनम बेहद खूबसूरत लग रही थी।
मिट्टी झाड़ते हुए पूनम अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर इस बात की तसल्ली कर रही थी कि,, कहीं कोई उसे इस हाल में देख तो नहीं लिया लेकिन सर्दी के मौसम में कोहरा इतना ज्यादा छाया हुआ था कि उसके आसपास कोई नजर नहीं आ रहा था। पूनम को इस बात की खुशी हुई कि इस हालत में उन दोनों को कोई भी नहीं देख पाया था वरना आज तो गजब हो जाता।,,,,
पूनम अब वहां रुकना नहीं चाहती थी इसलिए वह जाते हुए गिरने की वजह से जो तकलीफ हुई उसके लिए वह मनोज से सॉरी बोल कर आगे बढ़ गई,,,,,, पूनम का इस तरह से उसे सॉरी बोलना बेहद अच्छा लगा था उसे लगने लगा था कि वह अपनी मंजिल को पाने की पहली सीढ़ी पर अपने कदम को रख दिया है। पूनम को जाते हुए वह देखता रह गया खास करके वह पूनम की मटकती हुई गांड को ही देख रहा था,,,, पूनम की गांड को देखते ही वह अपनी दोनों हथेलियों की तरफ देखने लगा और इस बात की पुष्टि करने लगा कि कुछ पल पहले ही वह इन हथेलियों को पूनम की मदमस्त अनमोल और अतुल्य नितंबों पर रखकर उसे दबाने का शुख हासिल किया था। एक बार फिर से उस पल को याद करके मनोज के बदन में सुरसुरी सी फैल गई। मनोज कुछ देर तक वहीं खड़ा रहा उसे आज बहुत ही अच्छा लग रहा था। और अच्छा लगता भी क्यों नहीं,,, उसके और पूनम के बीच प्यार का एक नया प्रकरण जोे शुरू हुआ था।
पूनम भी क्लास में बैठकर मनोज के बारे में ही सोचती रही,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह आज फिसल कर गिर गई और गीरी भी तो मनोज के ऊपर,,, और इस बात से खुशी भी थी कि अच्छा हुआ वहां मनोज मौजूद था। वरना वह जमीन पर ही गिरती और उसे चोट भी लग सकती थी। वह कभी सोची भी नहीं थी कि वह किसी लड़के के इतने करीब इतने करीब आएगी कि,,, उसके बदन से ही सट जाएगी जो कुछ भी हुआ था वह सब अनजाने में ही हुआ था,,,,, लेकिन पहली बार पूनम के मन में इस बात को लेकर गुस्सा यह ग्लानी नहीं बल्कि खुशी हो रही थी उसका मन आनंद से झूम रहा था।
उसे इस बात की भी खुशी थी की अच्छा हुआ कि आज बेला और सुलेखा उसके साथ नहीं आई वरना,,,, यह सब शायद ना होता।,,, धीरे-धीरे उसे भी इस बात का एहसास होने लगा कि वह मनोज के प्रति नरम होने लगी है। यह प्यार ही था लेकिन उसका मन अभी प्यार के चेप्टर तक पहुंचने से इंकार कर रहा था।,,,,
शाम को वह फिर से रोज की ही तरह घर की सफाई कर रही थी,,,, लेकिन आज उसे संध्या चाची नजर नहीं आ रही थी,,,
तभी उसे याद आया कि आज उसके चाचा के सर में थोड़ा दर्द था और वह अपने कमरे में चाची से सिर में मालिश करवा रहे थे,,,, पूनम को याद आते ही बस उसी की जाकर अपने चाचा की तबीयत के बारे में हाल समाचार ले ले यही सोचकर वह अपनी चाची की कमरे की तरफ जाने लगी,,, और अगले ही पल वो अपनी चाची के कमरे तक पहुंचने ही वाली थी कि,, अंदर से खिलखिलाकर हंसने की आवाज आ रही थी जो की चाची ही हंस रही थी,,,, उसे थोड़ा अजीब लगा दरवाजा बंद था लेकिन खिड़की हल्की सी खुली हुई थी इसलिए वह हल्की सी खुली खिड़की में झांककर अंदर की तरफ नजर दौड़ाई तो,,,, अंदर का नजारा देखकर उसके बदन में सुरसुरी सी फैल गई,,, उसके चाचा पलंग पर लेटे हुए थे और उनकी कमर तक चादर थी,,,, संध्या पलंग से नीचे उतर कर अपने ब्लाउज के बटन को बंद करना शुरु की थी जिसकी वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां पूनम को साफ नजर आ रही थी। वह हंस रही थी और उसके चाचा बार-बार उसके बदन से छेड़खानी कर रहे थे। पूनम अभी नादान थी लेकिन इतनी भी ना समझ नहीं थी कि वह कमरे के अंदर मर्द और औरत के बीच के रिश्ते के बारे में समझ ना सके वह पूरा मामला समझ गई और दबे पांव वहां से वापस लौट गई,,।
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