RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
कुछ दिन तक रास्ते में आते जाते पूनम को मनोज दिखाई नहीं दिया इसलिए वह मन ही मन में बेचैन होने लगी,,,, पूनम इतनी लाचार थी कि अपनी बेचैनी का हाल अपनी सहेलियों से भी नहीं बता सकती थी। वह मन ही मन तड़प रही थी मनोज को देखने के लिए,,,,, और मनोज जानबूझकर उसके सामने नहीं आ रहा था क्योंकि वह कुछ दिन पूनम की नोट्स को अपने पास ही रखें रहना चाहता था। मनोज की हालत तो पूनम से भी ज्यादा खराब थी पूनम की खूबसूरती का नाम था उसका के साथ आया था कि पूनम से जुड़ी हर एक चीज उसके लिए बेहद अनमोल लगने लगी थी यहां तक कि उसकी भी नोट्स को बार बार बार निकाल कर देखता उसके लिखे गए पन्नों पर उसके शब्दों पर अपने हॉठ रखकर उसे चूम लेता। पन्नों में से आ रही खुशबू को अपने अंदर उतार लेता ,,,, वह इंग्लिश के नोट्स को ही बार बार देखकर उत्तेजित हो जा रहा था। दो-चार दिन यूं ही गुजर गए लेकिन पूनम को मनोज का दीदार नहीं हो पाया तो परेशान होकर बातों ही बातों में वह बेला से बोली,,,,।
यार मेरा कुछ दिनों से मनोज नजर नहीं आ रहा है,,,,
अरे वाह देख में ईस लिए मैं कहती थी ना देख मैं तुझे भी ऊससे प्यार हो जाएगा और अब तो लगने लगा कि तुझे भी उससे प्यार हो गया तभी तो उसका इंतजार कर रही है।,,,
फिर पागलों जैसी बात शुरु कर दी अरे वाह मेरी नोट्स लिया है और अभी तक लौट आया नहीं और ना ही नजर आया है इसलिए पूछ रही हूं मुझे भी तो अपना काम पूरा करना है,,,,
देख पूनम तू चाहे जितना भी छिपा मुझे पक्का यकीन है कि तेरे दिल में भी उसके लिए कुछ ना कुछ जरूर होता है।,,,,
बस देना किसी ने में तुझसे कोई भी बात नहीं करती तो हर बात का बतंगड़ बनाने की पूरी कोशिश करती है। अरे तू भी अच्छी तरह से जानती है कि वह मेरी इंग्लिश की नोट्स लिया है और आज 4 दिन हो गए हैं। उसे मेरी नोट्स लौटाना तो चाहिए था ना,,, लौटाना तो दूर वह 4 दिनों से नजर तक नहीं आया है। कहीं वह मेरी दोस्त खो दिया सबका में परेशानी में आ जाऊंगा इसलिए तुझसे पूछ रही हूं,,,,,
अच्छा यह बात हे मुझे लगा कि कुछ और ही बात है,,,,,
( बेला पूनम की हालत को समझ सकती थी आखिरकार वह भी एक लड़की थी उसे भी लड़कियों के हाव भाव से पता चल जाता था कि उसके मन में क्या चल रहा है। और उसे पक्का यकीन था कि उसके मन में क्या चल रहा है। लेकिन वह बात को आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे क्योंकि पूनम की आदत से वह बिल्कुल वाकीफ थी। धीरे-धीरे मनोज को पूनम की नोट्स लिए 1 सप्ताह गुजर गया लेकिन ना तो मनोज नजर आया और ना ही उसने नोट्स लौटाया।
इसलिए पूनम को और ज्यादा चिंता होने लगी एक तो जवाब दे जो कि आप मनोज के लिए हल्के हल्के धड़कने लगा था और ऊपर से उसके इंग्लिश की नोट उसका पता ठिकाना नहीं था। इसलिए उसकी चिंता करना बढ़ गया था।
ऐसे ही कड़ाके की सर्दी में 1 दिन उसे अकेले ही उस स्कूल जाना पड़ा लेकिन देना और सुलेखा किसी कारणवश स्कूल नहीं जा रही थी वह अकेले ही अपने रास्ते पर चले जा रही थी तभी आज उसे उसी मोड़ पर मनोज खड़ा नजर आया,,,, मनोज को देखते ही बहुत दिनों बाद उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर अाने लगे वह खुश हो गई,,,, और जल्द ही वह अपने आप को संभाल लीें और पहले की ही तरह सामान्य हो गई,,,, मनोज भी पूनम को देख लिया था वैसे तू कोहरे की वजह से सब कुछ साफ नहीं नजर आ रहा था लेकिन फिर भी दोनों एक दूसरे को मन की नजर से कहीं भी होते थे तो उनकी आहट सुनाई देने लगती थी। जैसे ही पूनम मनोज के करीब पहुंची वह बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,,
मनोज कहां थे इतने दिन मैं तुम्हारा रोज इंतजार करती थी,,,
अरे तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे कि मैं तुम्हारा प्रेमी और तुम मेरी प्रेमिका हो,,,,,
( मनोज की बात सुनते ही उसे अपनी कही बात पर ध्यान आया और वह अपनी बात को संभालते हुए बोली,,,।)
मेरे कहने का यह मतलब नहीं था मैं जो तुम्हें इंग्लिश की नोट्स दी हूं वह मुझे वापस चाहिए थी मुझे भी तो काम पूरा करना है इसलिए कह रही थी कि कुछ दिनों से नजर नहीं आए,,,,, कुछ दिनों से क्या पूरे 1 सप्ताह गुजर गए हैं।
अरे वाह पूनम तुम तो एक 1 दिन का पूरा लेखा जोखा रखी है ऐसा तो लड़कियां सिर्फ प्यार मे हीं करती हैं,,,,
तुम बड़े बदतमीज हो मैं तुमसे अपने नोट की बात कर रही हूं और तुम हो कि प्यार व्यार के चक्कर में पड़ गए ठीक-ठीक बताओ मेरी इंग्लिश की नोट्स लाए हो या नहीं,,,,,
( पूनम को गुस्सा करते हुए मनोज बड़े गौर से देख रहा था उसका गुस्सा भी कितना प्यारा है ऊसे,,, आज ही पता चला था,,,,ऊसके मुंह से गाली भी कितनी प्यारी लगती है। मनोज लगातार उसके चेहरे को घुरे जा रहा था इसलिए वहां बोली)
ऐसे क्या देख रहे हो जो पूछ रही हूं ऊसका जवाब दो,,,,
देखो पूनम मैं तुम्हें परेशान करना नहीं चाहता मैं जल्द से जल्द तुम्हारी नोट से कॉपी करके तुम्हें कॉपी लौटाने वाला ही था लेकिन,,,,
लेकिन क्या,,,,,,, (पूनम के मन में नोट्स काे लेकर डर सा लगने लगा की कहीं मनोज नोट्स खो तो नहीं दिया है,,,,,)
लेकिन पूनम वो क्या है कि मेरी तबियत कुछ ज्यादा ही खराब हो गई थी जिसकी वजह से ना तो में नोट कॉपी कर सका और ना ही स्कूल आ सका,,,,,
( तबीयत खराब होने की बात से पूनम थोड़ा चिंतित हो गई लेकिन चिंता के भाव अपने चेहरे पर वो जरा भी नहीं आने दी और सामान्य तौर पर ही बोली,,,।)
तबीयत खराब हो गई थी,,,,,, क्या हो गया था तुम्हें?
मलेरिया हो गया था बड़ी मुश्किल से में तुम्हें यही बताने आया हूं कि दो-चार दिन में ही तुम्हारी नोट्स पूरी करके तुम्हें लौटा दूंगा,,,,,, तुम्हें कोई ऐतराज तो नहीं,,,,,,
( मनोज की बात सुनकर पूनम थोड़ा सोच कर बोली)
चलो कोई बात नहीं लेकिन जा नहीं तो मेरी इंग्लिश की नोट से मुझे लौटा देना मुझे भी अपने सब्जेक्ट पूरे करने हैं,,,,,
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