Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
03-08-2019, 03:09 PM,
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
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उसके क्यूट से स्माइल ने मेरे सारे गुस्से को एक ही दम से पिघला दिया...फिर उसने वही स्माइल के साथ अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाया, और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अंदर बाथरूम में खेंच लाया....उसके तने हुए मम्मो के तने हुए निपल्स मेरी चेस्ट मे आ दबे...."उफ़फ्फ़ क्या नरम अहसास था. उसके नरम मम्मों का.....

हम दोनो एक दूसरे के आँखो मे देख रहे थी....उसकी आँखो मे वासना के गुलाबी डोरे तैर रहे थे....नज़ीबा ने अपने सर को थोड़ा सा ऊपेर उठा कर अपने होंटो को ऊपेर कर लिया...जैसे कह रही हो....भर लो इन रस के प्यालो को अपने होंटो मे और चूस जाओ इनका सारा रस...गुलाब की पंखुड़ियों के जैसे उसके गुलाबी होंठ...जिन्हे देखने से उनमे से रस टपकता हुआ दिखाई दे रहा था....मेने अपने होंटो को जैसे ही उसके होंटो की तरफ बढ़ाया तो, उसने मेरे गले मे अपने बाहों को डालते हुए अपनी आँखे बंद कर ली....

और जैसे ही मैने उसके गुलाबी होंटो को अपने होंटो के बीच में दबा कर उन्हे चूसा तो, नज़ीबा एक दम से मचलते हुए, मुझे एक दम से चिपक गयी....उसके दोनो हाथ मेरे कंधो और पीठ पर थिरक रहे थे....और मैं उसके होंटो को चूस्ते हुए, उसकी बुन्द को दोनो हाथो से सहला रहा था...मेरे हाथ के स्पर्श से उसके जिस्म मे कपकपि से दौड़ जाती.....

मैने उसकी सलवार के ऊपेर से ही उसकी बुन्द को अपने हाथो में भरते हुए दबाना शुरू कर दिया...."शीई समीर उम्ह्ह्ह्ह्ह रूको एक मिनिट....." नज़ीबा ने सिसकते हुए अपने होंटो को मेरे होंटो से अलग करते हुए कहा, और फिर बोली...."समीर बेड पर चलो..." मैं उससे अलग हुआ, और बाथरूम से बाहर निकल कर बेड पर जाकर लेट गया....मेरा लंड मेरे पाजामे को फाड़ कर बाहर आने को उतावला हो रहा था.....

फिर थोड़ी देर बाद नज़ीबा बाथरूम से बाहर आए, उसने अपने बदन पर टवल लपेटा हुआ था....वो धीरे-2 मेरी तरफ बढ़ी....उसके होंटो पर शरमाली मुस्कान थी.....और जैसे ही वो बेड के पास आए, तो मेने उसका हाथ पकड़ कर खेंचते हुए अपने ऊपेर लेटा लिया...टवल उसके मम्मों से सरक गया था....अगले ही पल मेने उस टवल को निकाल कर फेंक दिया...और फिर उसको नीचे लेटते हुए खुद उसके ऊपेर आ गया...

हम दोनो फिर से पागलो के तरह एक दूसरे के होंटो को चूसने लगी...इस बार मेरे दोनो हाथ उसके मम्मों पर थी....और मैं नज़ीबा के मम्मों को ज़ोर-2 से मसल रहा था.....नज़ीबा के मुँह से उम्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह की आवाज़ निकल रही थी....हम दोनो की ज़ुबान आपस मे रगड़ खाने लगी तो, उसने अपनी ज़ुबान मेरे मुँह मे धकेल दी.....मेने उसकी ज़ुबान को अपने होंटो में भर कर ज़ोर-2 से चूसना शुरू कर दिया....

नज़ीबा आँखे बंद किए हुए, अपनी ज़ुबान को चुस्वाते हुए मस्त हुई जा रही थी....उसने अपनी बाहों को मेरी पीठ पर कस रखा था...मैने उसके होंटो और ज़ुबान को चूसना छोड़ा और फिर उसकी गर्दन से होते हुए, उसके मम्मों पर आ गया....मैं पागलों की तरह उसके मम्मों की हर इंच को चूस रहा था....चाट रहा था....मेरे ऐसा करने से उसका पूरा बदन मस्ती मे थरथरा जाता....और उसके मुँह से मस्ती भरी सिसकी निकल जाती.....

फिर मेने उसके एक मम्मे को पकड़ते हुए, अपने मुँह में जितना हो सकता था भर कर चूसना शुरू कर दिया....जैसे ही मेने उसके मम्मे को मुँह में भर कर चूसा तो, उसके बदन ने एक जोरदार झटका खाया......और वो मचलते हुए मुझसे और चिपक गयी....उसने मेरे सर को दोनो हाथो से पकड़ कर अपने मम्मों पर ऐसे दबा लिया...जैसे वो अपने निपल को मेरे मुँह से कभी अलग नही होने देगी...

नज़ीबा: ओह्ह समीर उम्ह्ह्ह्ह्ह श्िीीईईईईईईई हाां चूसो और्र चूसो.....अपनी बीवी के मम्मों को चूसोआ अह्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह्ह......

मैने उसके मम्मे को मुँह से निकाला और दूसरी मम्मे पर टूट पड़ा...और पहले वाले को ज़ोर-2 से दबाने लगा......"अहह उंह समीर देर करो ना उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह समीर येस्स्स सक मी सक मी....ओह्ह्ह्ह येस्स्स अहह उन्घ्ह्ह्ह्ह्ह......" मैने करीब 5 मिनिट उसके मम्मों को बारी-2 चूसा.....और जैसे ही मैने उसके मम्मो से अपने होंटो को हटा कर उसकी तरफ देखा तो, उसका चेहरा लाल होकर दहक रहा था....उसने अपनी मदहोशी से भरी हुई आँखो को खोल कर देखा, और फिर अपने दोनो हाथों मे मेरे फेस को थामते हुए, मुझे अपने होंटो पर झुका दिया...

इस बार नज़ीबा मेरे होंटो को चूस रही थी.....मेने अपने होंटो को नज़ीबा के होंटो से अलग किया, और उसकी टांगो को फेलाते हुए, जब उसके दोनो रानो के बीच मे आया था, तो उसकी एक दम सॉफ गुलाबी फुद्दि जैसे ही मेरे आँखो के सामने आई, तो मेरे लंड ने एक ज़ोर दार झटका खाया....मेने उसकी आँखो में देखते हुए, धीरे से अपनी उंगलियों से उसकी फुद्दि के लिप्स को खोल कर अंदर देखा तो, उसकी फुद्दि का गुलाबी सूराख उसके कामरस से एक दम भीगा हुआ था....

क्या नज़ारा था....एक दम छोटी सी फुद्दि.....जो लंड को अपने अंदर समा जाने के लिए अपना प्यार टपका रही थी....और फिर जैसे ही मैने अपने एक उंगली को उसकी फुद्दि के गुलाबी गीले सूराख पर रखा था. उसकी कमर ने एक और जोरदार झटका खाया....उसकी बुन्द बेड से ऊपेर उठ गयी...."ष्हिईीईईईई उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह समीर......." उसने सिसकते हुए अपने सर के नीचे रखे तकिये को कस कर पकड़ लिया.......मेने अपने घुटनो पर बैठते हुए अपने पाजामा और अंडरवेर को उतार फेंका....इस दौरान नज़ीबा आँखे खोल कर मेरी तरफ देख रही थी.....

और जैसे ही उसकी नज़र मेरे तने हुए 8 इंच के लंड पर पड़ी, तो उसके आँखे फेल गयी......" स समीर ये तुम्हारा ये तो बहुत बड़ा है...." उसने हैरानी से मेरे लंड की ओर देखते हुए कहा....

."क्यों क्या हुआ, पसंद नही आया क्या....?" मेने मुस्कराते हुए उसकी ओर देखते हुए कहा तो उसने हकलाती हुई आवाज़ मे कहा......

नज़ीबा: समीर ये बहुत बड़ा है....ये ये इससे बहुत तकलीफ़ होगी ना....?

मैं: हां थोड़ी तकलीफ़ तो होगी.....पर थोड़ी देर के लिए.....हम पहले भी तो कर चुके है…..

नज़ीबा: हां पर समीर प्लीज़ आराम से करना....मुझे तो ये और बड़ा लग रहा है..

मैं: हां कुछ नही होता घबराओ नही....

मैने अपने लंड के मोटे कॅप को उसकी फुद्दि के लिप्स के बीच में जैसे ही लगाया तो, वो मेरे लंड के दहकते हुए कॅप को अपनी फुद्दि के लिप्स के बीच महसूस करते हुए, उसकी कमर तेज झटके खाने लगी. मेने उसकी एक जाँघ को कस्के पकड़ा और अपने लंड की कॅप को उसकी फुद्दि के लिप्स के बीच धीरे-2 रगड़ना शुरू कर दिया.....

नज़ीबा: ओह समीर उम्ह्ह्ह्ह्ह श्िीीईईईईई समीररर ये ये करना कितना अच्छा लगता है अहह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उफफफफ्फ़ कितना मज़ा आ रहा है समीर प्लीज करो ना......अब और मत तडपाओ....

मैं: करूँ.....?

नज़ीबा: हां समीर करो ना......

नज़ीबा ने सिसकते हुए कहा....मैं अब पूरे जोशो ख़रोश से उसकी फुद्दि के लिप्स के बीच मे अपने लंड की कॅप को रगड़ रहा था.....और बीच-2 में जब मेरा लंड नज़ीबा की फुद्दि के सूराख पर जाकर रगड़ ख़ाता तो, वो और सिसकने लगा जाती.....मैने नज़ीबा की दोनो टाँगो को ऊपेर उठा कर घुटनो से मोड़ा....और फिर एक हाथ से अपने लंड की कॅप को उसके फुद्दि के सूराख पर सेट किया, तो नज़ीबा सिसक उठी....."ओह्ह्ह्ह समीर अब डाल भी दो....क्यों तडपा रहे हो...." मैं कुछ पलों के लिए रुका, मैने अभी भी एक हाथ से अपने लंड की कॅप को पकड़ रखा था....और फिर अपनी पूरी ताक़त के साथ अपने लंड की कॅप को उसकी फुद्दि के टाइट सूराख पर दबाता चला गया......

नज़ीबा: ओह्ह्ह्ह समीर धीरे….. (नज़ीबा के फेस से ऐसा फील हो रहा था..जैसे उसे लंड लेने में बहुत दिक्कत हो रही हो….)

मेने अपने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाल कर एक झटका मारा और फिर से अंदर करते हुए झटके लगाने लगा..

..."अह्ह्ह्ह समीर...." नज़ीबा फिर से ऐसे सिसकी, जैसे उसे बहुत दर्द हुआ हो...

.मैं फिर से उसके मम्मो को चूसने लगा....करीब 2 मिनिट बाद, मैने धीरे -2 अपने लंड को कॅप तक बाहर निकाला और फिर धीरे-2 उसकी फुद्दि के अंदर करने लगा....इस बार जब नज़ीबा को अपनी फुद्दि की दीवारो पर मेरे लंड के कॅप की रगड़ महसूस हुई, तो मस्ती में सिसक उठी.....

उसने मेरे फेस को दोनो हाथो से पकड़ कर ऊपेर खेंचते हुए मेरे होंटो को अपनी गर्दन पर लगा दिया...."ओह्ह्ह्ह समीर ...बहुत मज़ा आ रहा है....." नज़ीबा ने नीचे से अपनी फुद्दि को ऊपेर की तरफ पुश करते हुए कहा....वो नीचे से धीरे-2 अपनी बूँद को ऊपेर नीचे करने लगी थी....

.मैं भी धीरे-2 अपने लंड को नज़ीबा की फुद्दि के अंदर बाहर करने लगा....हम दोनो का रिदम ऐसा था कि, मैं जब अपनी कमर को ऊपेर की तरफ उठाता तो, नज़ीबा अपनी बुन्द को नीचे कर लेती, जिससे मेरा लंड कॅप तक उसकी फुद्दि से बाहर आ जाता....और जब मैं अपने लंड को अंदर करने के लिए अपनी कमर को नीचे की तरफ करता,

तो नज़ीबा भी साथ में अपनी बुन्द को ऊपेर की तरफ उठाती, तो लंड फुद्दि की गहराइयों में समा जाता, और हम दोनो की जाँघो की जड़ें आपस में सट जाती...ऐसे ही हम एक दूसरे के होंटो को चूस रहे थे....और जब नज़ीबा बहुत ज़्यादा गरम हो गयी, तो उसने अपनी बुन्द को उठाना बंद कर दिया...और अपनी टाँगो को उठा कर फेला लिया..... अब असली चुदाई का वक़्त आ चुका था....मैं सीधा होकर अपने घुटनों के बल बैठ गया....मेरा लंड सिलिप होकर नज़ीबा की फुद्दि से बाहर आ गया था
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