RE: Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दु�...
विनोद के इस मोटे लंबे और सख़्त जवान लंड से अपनी प्यासी चूत की प्यास बुझवाते वक्त मुझे नसीबो लाल का एक पंजाबी गाना याद आने लगा था. इस सॉंग के असल बोल तो ये थे कि
“ तेरे नैना ने किता ऐसा जादू मेरे ते
वी सुनाया आंखा वालिया में रह गई तेरे ते”
मगर अपनी चूत में घुसे हुए विनोद के तगड़े लंड ने मेरी फुद्दि की कुछ ऐसी हालत बनाई थी,कि विनोद के लंड को इस वक्त अपनी चूत की गहराई में जज़्ब करते वक्त मेरे जेहन में इस सॉंग के बोल कुछ इस अंदाज़ में गूंजने लगे थे कि,
“ तेरे लौडे ने किता ऐसा जादू मेरे ते
वी अनकट लंड वालिया में रह गई तेरे ते”
विनोद के मोटे सख़्त लंड के स्वाद से बे हाल हो कर में एक दम अपने मोटे मम्मो को अपने हाथों में ज़ोर से मसलाते हुए पीछे की तरफ सोफे पर जा गिरी.
इस के साथ ही मेरी आँखे खुद बा खुद बंद हो गईं. तो मज़े की हालत में मेरे मुँह से एक बार फिर निकला.“हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई प्लेआस्ीईईईई रुक्ककककककक जऊऊऊओ विनॉद्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड”
मैने विनोद को रुकने का कह रही थी.मगर विनोद ने मेरी बात सुनने की बजाय अपने लंड को एक और झटका दिया और अपना पूरा लंड फिर से मेरी गरम और प्यासी चूत में डाल दिया.
“उफफफफफफफफफफ्फ़ ऐसे लगता है कि जैसे मैने अपना लंड किसी गरम तंदूर में डाल दिया है, ऐसी गरमी तो मैने अपनी सुहाग रात में अपनी बीवी सपना की चूत में भी नही पाई थी, जितनी गरमी इस वक्त तुम्हारी इस मज़े दार चूत में है मेरी जान” अपने बड़े और चौड़े लंड से मेरी तंग फुद्दि को आहिस्ता आहिस्ता मज़ीद खोलते हुए विनोद ने मुझे आहिस्ता से कहा.
तो अपनी फुद्दि में पहली बार घुसे विनोद के इस मज़े दार तगड़े लंड की सख्ती और गरमी को अपनी चूत की अंदूनी दीवारों से रगड़ खाते हुए महसूस कर के मेरे मुँह से बे इकतियार सिस्ककियाँ बुलंद होने लगी.
मैने “ अहह,ओह उफफफफफफफफफफ्फ़” कहते हुए अपनी टाँगों को उठा कर विनोद की कमर कर गिर्द जकड़ा.
और मज़े से बे सुध हो कर अपना एक हाथ से विनोद के कंधे पर रखा. और दूसरे हाथ को विनोद की गर्दन में डाल कर में अपने उपर झुके विनोद के जिस्म के साथ चिपकती चली गई.
“उफफफफफफफफफफफफ्फ़ मैने ज़िंदगी में बहुत सारी फुद्दियो के मज़े लिए हैं,मगर आज तक इतनी तंग और गरम फुद्दि मुझे पहले कभी नसीब नही हुई, यासिर के बाद मुझे अपनी इस खूबसूरत,रस भरी,नाज़ुक और मुलायम चूत को चोदने का मोका देने पर में तुम्हारा बहुत ही शूकर गुज़ार हूँ सायराआआआआआ” विनोद ने मेरी चूत को मज़े दार तरीके से चोडेट हुए मेरा शुक्रिया अदा किया. तो विनोद के इन अल्फ़ाज़ ने मेरी चूत में लगी आग पर जैसे तैल का काम किया और मेरी फुद्दि एक बार फिर से विनोद के लंड पर फारिग हो गई.
विनोद के अनकट ने मुझे मज़े की इस हालत में पहुँचा दिया था. कि जिस हालत को लफ़्ज़ों में बयान करना मेरे लिए अब ना मुमकिन काम था.
इसीलिए में अपनी बाहें विनोद की गर्देन में डाल कर अपने नेये आशिक़ की आँखों में आँखे डाल कर उसे कहने पर मजबूर हो गई कि “हाईईईईईईईईईईईईईईई फाड़ र्र्र्र्र्र्र्र्ररर दो मेरी फुद्दीईईईईइ को अपने मोटेयययययययययी लंड से विनूद्द्द्द्दद्ड”
“हाईईईईईईईईईईई तुम्हरीईईईई इस चूत को हासिल करने के लिए तो मैने इतने महीने सबर किया है,अब में वाकई ही तुम्हारी इस गरम प्यासी चूत को चोद चोद कर फाड़ ही डालूं गा, और तुम्हें बताउन्गा कि असली चुदाई कैसे होती है, और कैसे एक मर्द एक औरत की सही तस्सली करता है,सायराआआआ”मेरी बात सुन कर विनोद और भी जोश में आ गया. और वो अपने पूरे ज़ोर से मुझे चोदने लगा.
विनोद अब मुझे चोदते वक्त हर धक्के पर अपनी पूरी ताक़त लगा रहा था.वो अब हर धक्के में अपना पूरा लंड मेरी गरम और प्यासी चूत में जड तक डाल देता. और उसके जोश मे कितना इज़ाफ़ा हो गया था. जिस की वजह से उस का हर धक्का मेरी फुद्दि को फाड़ कर रख देने वाला था.
मेने भी अब विनोद के कंधे मज़बूती से थामे कर अपनी लंबी टांगे विनोद की कमर के गिर्द कस लीं.और विनोद के हर ज़ोर दार दिए धक्के के जवाब में भी अब सोफे पर लेट कर नीचे से अपनी गान्ड को उपर उठा कर अपनी फुद्दि को उतने ही जोश से विनोद के लंड पर मारने लगी थी. जितने जोश और ताक़त से विनोद इस वक्त मुझे चोद रहा था.
और इस अमल के दौरान में विनोद मेरे गुदाज मम्मो को अपने हाथों में ज़ोर से दबोचते हुए मेरे मुँह में मुँह डाल कर अपने थूक को मेरे मुँह में मुन्तिकल कर रहा था.
कमरे में अब विनोद के अनकट लंड और मेरी नरम-ओ-नाज़ुक चूत की जंग जारी थी.
इस दौरान मेरे मुँह से फूटने वाली सिसकियाँ और मेरे भारी चुतड़ों से टकराते विनोद की मोटी जाँघो की थॅप थॅप ने पूरे कमरे के माहौल को मज़ीद रगीन बना दिया था.
कमरे के हल्के अंधेरे में सोफे पर लेटे हुए मुझे इस वक्त बहादुर शाह ज़फ़र का लिखा हुआ एक शायर याद आ रहा था कि,
“में ख्याल हूँ किसी और का
मुझे सोचता कोई और है”
बशाक बहादुर शाह ज़फ़र ने ये शायर किसी और मोके के मुताबिक लिखा हो गा.
मगर इस वक्त विनोद के मज़बूत और जान दार लंड से अपनी गरम चूत की गर्मी को ठंडा करवाते हुए ना जाने मुझे ये अहसास होने लगा था. कि शायद ये शेर मेरे लिए ही लिखा गया है. क्योंकि विनोद के मोटे लंड को अपनी गरम चूत में जज़ब करते वक्त में ये ही सोच रही थी. कि,
“में चूत हूँ किसी और की
मुझे चोदता कोई और है”
मेरी चूत तो वाकई ही यासिर की थी. लेकिन यासिर की बजाय इस वक्त मेरे शौहर के दोस्त विनोद का लंबा लंड इस तेज़ी के साथ मेरी फुद्दि को चोदने में मसरूफ़ था.
विनोद के हर धक्के पर अब उस का लंड मेरी बच्चे दानी के अंदर तक जा कर ठोकर मारने में मसरूफ़ हो गया था. जिस की वजह से मेरी फुद्दि के अंदर पड़ने वाली विनोद के लंड की चोंटो से मज़े की लहरें उठ उठ कर मेरे पूरे वजूद में फैल रही थी.
“उफफफफफफ्फ़ मेरी चूत फिर अपना पानी छोड़ने लगी हाईईईईईईईईईई विनोद”अपने शौहर के दोस्त विनोद के मोटे लंड को यूं अपनी उन्छुइ बच्चे दानी के अंदर तका जाते हुए महसूस कर के मेरी इस वक्त जो हालत हो रही थी. उसे अल्फ़ाज़ में बयान करना बहुत ही मुश्किल कम था.
विनोद की जबर्जस्त छुदाई ने मुझे इतना गरम आर दिया कि मज़े की शिद्दत की वजह से मेरा बदन एक दम अकड़ने लगा.
मुझे यूँ महसूस हुआ कि मेरे सबर का बाँध टूटने लगा है. और में एक दम फिर फारिग होने के नज़दीक पहुँच गई थी.
“हाईईईईईईईईईईईईईईई मेन्ंनननननणणन् छूटने लगी हूँ विनॉद्द्द्द्द्द्द्दद्ड” अपनी चूत में उठने वाले तूफान को महसूस करते ही में एक दम चिल्ला उठी.
“रूको मेरी ज्ज्ज्ज्जाआअन में भी आ रहा हूँ” मेरी बात के जवाब में विनोद एक दम बोला.
तो इस के साथ ही मुझे अपनी तंग चूत में विनोद का सख़्त लंड पहले से ज़्यादा फूलता हुआ महसूस होने लगा. लगता था कि मेरे साथ साथ विनोद भी अब फारिग होने के करीब ही था.
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