RE: Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दु�...
मेरा शौहर शराब और सपना के शबाब के नशे में इतना मदहोश हो चुका था. कि उस ने जल्दी में सपना को पूरा नंगा करना भी मुनासिब ना समझा.
बल्कि ऐसे लगता था कि जैसे यासिर ने अपनी गोद में बैठी सपना के छोटे से स्कर्ट को हलका सा उपर सरका कर नीचे से मेरी सहेली की गरम चूत में अपना लंड डाल दिया था.
अपने शौहर को मुझ से बे परवाह हो कर अपनी आँखों के सामने एक दूसरी औरत के साथ हम बिस्तरी करते देख कर मुझे एक लम्हे के लिए बहुत दुख हुआ.
अभी विनोद की बाहों में जकड़ी में गुम सूम हालत में अपने शौहर और सपना की तरफ देख रही थी. कि इतने में विनोद बोला “मुझे यासिर की समझ नही आई,कि सिर्फ़ एक स्टुपिड प्रमोशन की खातिर, वो अपनी चाँद सी बीवी को मुझ से शेयर करने पर राज़ी हो गया है, सच पूछो तो अगर तुम मेरी बीवी होती, तो में तुम्हें कभी किसी के साथ शेयर नही करता”.
में तो अभी तक इन चन्द लम्हों के दौरान में होने वाले इस सारे वाकिये को नही समझ पा रही थी. कि विनोद की ये बात सुन कर मैने एक बार फिर अपना चेहरा विनोद की तरफ मोड़ कर उस का मुँह देखने लगी. और बोली “क्या मतल्ब है आप का विनोद भाई”.
“मतलब ये मेरी जान, कि आज यासिर को मैने इधर इसी शर्त पर बुलाया था, कि वो अपनी प्रमोशन की फाइल पर मेरे साइन करवाने के बदले, तुम्हें मेरे दिए हुए इस ड्रेस में सज़ा कर मेरे पास लाएगा, और फिर अपने सामने मुझे तुम से फ्री होने का मोका फ़ेरहाम करे गा,क्योंकि तुम से पहली मुलाकात और फिर खास तौर पर सपना के मुँह से तुम्हारी गरम चूत की तारीफ सुनने के बाद से, मेरी ज़ुबान और मेरा लंड दोनो तुम्हारी गरम चूत के आशिक़ बन चुके हैं ,और अब तुम मुझे भाई की बजाय सिर्फ़ जान की कर बुलाओ सायराआ”
विनोद के मुँह से ये सारी बात सुन कर मेरे तो हाथों के तोते ही उड़ गये. और इस के साथ ही मुझे अपने घर में की गई यासिर की सारी बात याद आ गई.
कि जब यासिर ने मुझे पहले विनोद का दिया हुआ ये ड्रेस पहनने पर मजबूर किया था. और फिर घर से निकलते वक्त मुझे ताकीद की थी. क़ि में उस की प्रमोशन की खातिर विनोद की किसी बात से इनकार ना करूँ.
“उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ शौहर तो अपनी बीवी की इज़्ज़त के मुहाफ़िज़ होते हैं,और ये केसा शौहर है,जो अपने मकसद को पूरा करने के लिए अपनी बीवी को इस्तेमाल कर रहा है” ये बात सोचते ही मुझे अपने शौहर यासिर पर ना सिर्फ़ गुस्सा आ गया.
बल्कि मेरे दिल में अपने शौहर के लिए मौजूद प्यार और अहतिराम एक दम हवा में उड़ गया.
इस दौरान ही टीवी स्क्रीन पर एमरान हाशमी और मल्लिका शेरावत का एक और गरम गाना “भीगे होंठ तेरे,प्यासा दिल मेरा” चल पड़ा.
सपना की गरम सिसकियों ने कमरे का माहौल तो पहले ही गरमा दिया था.
अब टीवी की स्क्रीन पर एमरान और मल्लिका के गरम गाने को देखते ही, परेशानी और घबराहट के बावजूद इस गरम गाने का असर मुझे अपने वजूद पर छाता हुआ महसूस हुआ.
गाने के गरम मंज़र देखते हुए मेरी प्यासी चूत से एक गरम लहर उठी. जो मेरी फुद्दि से निकाल कर एक दम मेरे दिमाग़ तक जा पहुँची.
इधर जैसे ही मेरी चूत गरम हुई. तो विनोद ने भी “भीगे होंठ तेरे” सॉंग के ये बोल गुनगुनाते हुए अपने होंठ एक बार फिर मेरे होंठों पर रखे और मेरे गरम और सॉफ्ट लिप्स का रस चूसने लगा.
“उफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ विनोद भाईईईईईईईईईईई ऐसा मत करिए मेरे साथ प्लीज़” मैने एक बार फिर अपने आप को विनोद से बचाने की नाकाम कोशिश की.
मगर मेरे मना करने और रोकने के बावजूद विनोद ने मेरी एक ना मानी और उस ने अपना काम जारी रखा
विनोद ने मेरे होंठों को चूमने के साथ मेरे बाकी चेहरे को भी दीवाना वार चूमते हुए मेरे होंठों और चेहरे पर चुंबनों की बरसात कर दी थी.
इधरा विनोद मुझे पागलों की तरह चूमे जा रहा था. तो दूसरी तरफ मेरे दिल और दिमाग़ में एक जंग शुरू हो चुकी थी.
मेरा दिमाग़ मुझे समझा रहा था. कि “अगर तुम्हारे शौहर ने तुम से बे वफ़ाई भी की है तो कोई बात नही, तुम तो बा वफ़ा बनो, और एक मशराकी बीवी की तरह अपने शौहर को माफ़ करते हुए अपनी इज़्ज़त बचा कर बाहर निकल जाओ सायरा”.
जब कि मेरा दिल मुझ से कह रहा था. कि “ जब तुम्हारा शौहर तुम्हारी नज़रों के सामने, एक दूसरी औरत को ना सिर्फ़ चोद रहा है, बल्कि उसी औरत के शौहर से तुम्हारे जिस्म का सौदा भी कर चुका है, तो तुम्हें भी सती सावित्री का लबादा उतार कर अपने शौहर की तरह, एक गैर मर्द से अपने जिस्म की प्यास बुझवा लेनी चाहिए सायरा”
मेरे दिल और दिमाग़ की ये जंग कुछ सेकेंड्स जारी रही. और भील आख़िर मैने अपने दिमाग़ की सुनते हुए उस कमरे से भाग निकलने का इरादा कर लिया.
“आप सुनते नहियीईई छोड़ो और मुझे घर जाने दो प्लीज़” अपना इरादा पक्का करते ही में थोड़ा गुस्से के साथ विनोद की तरफ देखा. और अपने जिस्म के साथ चिमटे विनोद को अपने हाथ के ज़ोर से पड़े हटा दिया.
विनोद की बाहों से निकल कर में जैसे ही सोफे से एक दम उठने लगी.
मगर मेरे सोफे से उठते ही विनोद ने मुझे एक दम दुबारा अपनी बाहों में जकड कर पीछे की तरफ खैंच लिया. तो विनोद के हाथ के झटके से इस बार में सोफे पर पीछे की तरफ गिरती चली गई.
मेरे सोफे पर इस तरीके से गिरने के दौरान मेरा सर और कमर तो अब सोफे पर थे.
जब के मेरी लंबी टाँगे एक दम नीचे से उपर उठ कर हवा में लहराने लगीं थी.
मेरी टाँगों के इस तरह हवा में एक दम उठ जाने की वजह से अब मेरी फ्रॉक मेरी टाँगों से उठ कर मेरे पेट तक आन पहुँची.
जिस की वजह ना सिर्फ़ मेरी सफेद और गुदाज रानें एक दम से पूरी नंगी हो गईं.
बल्कि मेरी छोटी सी पैंटी में कसी मेरी सॉफ और मुलायम चूत पहली बार मेरे शौहर के अलावा एक गैर मर्द विनोद की प्यासी निगाहों के सामने नीम नंगी हो गई.[url=https://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=8631&start=25#top][/url]
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