Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
02-23-2019, 04:21 PM,
#22
RE: Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
आहहह..।आहहहह रंडी..। ले और ले..। और ले..। पूरा ले ले मेरा लंड मुँह में..। खोल थोड़ा और खोल अपना मुँह साली राँड!”
वो अब जोर-जोर से मेरे मुँह को चोद रहा था। उसके झटकों में तूफ़ानी तेजी थी। हर एक दफा वो अपना लंड मेरे हलक तक ले जाता था और रूक जाता था और मैं बौखला जाती थी। कईं बार साँस लेना भी मुश्किल हो जाता था। फिर वो धीरे से अपना लंड वापस खींचता और घुसेड़ देता। मैंने उसके लंड को जो कि मानो ऑक्सीज़न कि नली हो, उस तरह से पकड़ के रखा था ताकि उससे मुझे ज्यादा घुटन ना हो। मैंने उसके लंड को अपनी ज़ुबान और होठों से उक्सा दिया था और अपने होठों और ज़ुबान को एक लंड चूसने में माहिर औरत की तरह से इस्तमाल किया । अचानक उसने मेरे दोनों हाथ कस के पकड़ के उन्हें हवा में उठा लिया और एक जोर का झटका अपने लंड को दिया। मेरा सर कार के दरवाज़े से टकराया और उसका लंड सड़ाक से मेरे हलक में जा टकराया। 
आआआघघहहहह।आआहहह रंडीडीडीडी आज तुझे पता चलेगा कि काले लंड क्या होते हैं!”
मेरा पूरा जिस्म एकदम टाईट हो गया। मेरी नाक उसकी झाँटों में घुस चुकी थी जिसकी खुशबू से मैं मदहोश होती चली जा रही थी और उसके टट्टे मेरी चिन के साथ टकरा रहे थे। उसका पूरा लंड मानो मेरे मुँह के अंदर था और उसका दो-तिहाई लंड मेरे हलक में आ अटका था। मैं ख्वाब में भी नहीं सोच सकती थी कि कोई इन्सान इतनी बड़ी चीज़ अपने हलक में उतार सकता है। अब वो एक भूखे शेर की तरह अपना लंड मेरे मुँह के अंदर-बाहर कर रहा था और जितना हो सके उतना ज्यादा अपना लंड मेरे हलक तक डालने की कोशिश कर रहा था। जब-जब वो अपना लंड मेरे गले में घुसेड़ता था तब-तब मेरा सर मेरी कार के दरवाजे से टकराता था। 
मैं जानती थी आगे क्या आनेवाला था और इसके लिए मैं खुद ही जिम्मेवार थी। उसके लंड को मेरे गले तक जाने से कोई नहीं रोक सकता था। तेज़ बारिश में मुझे सिर्फ़ दो ही आवाज़ें सुनाई दे रही थीं - एक तो मेरे सर के कार के दरवाज़े से टकराने की और दूसरी मेरे हलक से आनेवाली आवाज़ की..। जब उसका लंड मेरे हलक तक पूरा चला जाता था तब की। फिर उसने मेरे हाथ छोड़ दिये और मैंने मौका गँवाय बगैर उसके लंड को पकड़ लिय। उसने अब अपना लंड मेरे हलक तक डालने के बजाय मेरे मुँह में ही रखा और मुझे तेज़ी से अपना लंड चूसने को कहा। बारिश अभी भी तेज़ हो रही थी लेकिन मैं अब ठंडी नहीं थी। मैं भी गरम हो चुकी थी। मेरी दो उँगलियाँ अपने आप मेरी चौड़ी हुई चूत से अंदर बाहर हो रही थीं।
मेरा बर्ताव बिल्कुल एक राँड के जैसा था। मुझे मालूम नहीं था मैं ऐसा क्यों कर रही थी। मैं कैसे किसी अजनबी का लंड चूसते हुए अपनी चूत को सहला सकती हूँ? लेकिन मैं अपनी चूत को सहलाये बगैर और अपनी उँगलियाँ उसके अंदर बाहर करने से नहीं रोक पा रही थी। मेरे जहन में यह भी सवाल उठा कि मैं क्यों अपनी चूत को सहला रही हूँ जब यह आदमी मेरा रेप कर रहा है..।और जब वो अपना लंड मेरे हलक में डाल चुका है। उसने अब अपने कुल्हों को झटके देना बँद कर दिया था लेकिन उसका पूरा चार्ज मैंने ले लिया और उसका लंड तेज़ी से चूसने लगी और जितना हो सके उतना लंड अपने मुँह में लेने लगी। मैंने उसकी गीली पैंट को जाँघों से पकड़ा और जितना हो सके उतना उसके लंड को अपने हलक तक लेने लगी..।उतना नहीं जितना वो डालता था लेकिन जितना मैं ले सकती थी उतना..।मानो मैंने किसी का लंड पहले लिया ही ना हो...उस तरह जैसे कि एक रंडी करती है, उस तरह। 
फिर उसने कहा, “आहहघघ आहहहघघहह रंडी मैं झड़ने वाला हूँ।”
मैंने पहले भी कईं लंड चूसे हैं लेकिन मुझे अपने मुँह में किसी का झड़ना खास पसंद नहीं था और मैं नहीं चाहती थी कि यह आदमी मेरे मुँह में झड़े। वो मेरे मुँह में झड़नेवाला है, उस खयाल से मैं बेहद घबरा गयी। मैंने अपने मुँह से उसके काले लंड को निकालने की बेहद कोशिश की लेकिन ऐसा हुआ नहीं बल्कि वो और जोश में आ गया। उसने फिर अपने कुल्हों को झटका और मुझे मेरी कार के दरवाज़े से सटा दिया और पूरे जोर से अपना काला मोटा और लंबा लंड मेरे हलक में सटा दिया और झड़ गया। 
आघघहह आघघहह..।आआहहह..। लेले मेरा रस ले राँड ले मेरा रस ..।” और उसका पहला माल सीधा मेरी हलक से नीचे उतर गया। 
मैंने काफी कोशिश की कि उसका लंड मेरे मुँह से बाहर निकल जाये लेकिन उसकी बे-इंतहा ताकत के सामने मैं नाकामयाब रही और वो झटके देता गया और उसका रस मेरे हलक से नीचे उतर गया। उसने अपना पूरा रस झड़ने तक अपना लंड मेरे हलक में घुसेड़े रखा ताकि उसका जरा भी रस बाहर ना गिरे। खुद मुतमाइन होके उसने थोड़ा ढील छोड़ा और अपना लंड मेरे हलक से बाहर निकाला। उसके बाद जाके मैं कुछ साँस ले पायी। 
ले साली पी..। पी साली मेरा रस..।पी राँड मुझे पता है तुम साली सभी औरतों को बहुत मज़ा आता है लंड चूसने में..।ले मेरा लंड चूस के उसका रस पी..। पी साली मादरचोद!” उसका रस अभी भी उसके लंड से बाहर निकल रहा था। धीरे से उसने अपना ढीला हुआ लंड मेरे मुँह से निकाला। अल्लाह कसम, उसका ढीला हुआ लंड भी मेरे शौहर के तने हुए लंड से बड़ा था।
जब उसने अपना लंड निकाला तब मैंने चैन की साँस ली। उसके रस ने मेरे सारे चेहरे को ढक दिया था और ठंडा पानी मेरे चेहरे से उस रस को धो रहा था। मैं थक के सिकुड़ कर जमीन पे बैठ गयी। 
क्या बात है तुझे मेरा लंड चूसना अच्छा नहीं लगा?”
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