RE: Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
यह हमारे घर की कहानी हे, हम सब मिलेंगे बीच बीच में मिलेंगे लेकिन हमारे बीच जो घटित हो रहा हे उसे भी आप जानते चले।
अब मेरी बहन प्रीति से उसकी जुबानी सुनिए
जब में १३ साल कि हुयी तभी से में लड़कों कि नजर मेरा पीछा करने लगी थी।वजह मेरा लम्बा कद, भरे हुए चूतड़, आकर्षक शारीर और गोरा रंग था शायद,यह वो समय था जब मेरे बूब्स बढ़ने लगे थे।और मेरी चूत पर हलके हलके बाल भी आने लगे थे।और क्योंकि खाने पीने की कोई कमी नहीं थी, और अच्छे खाने पीने के कारण शरीर का भी अच्छा विकास हो रहा था।
मेरे निप्पलस भी अब बाहर की उभरने लगी थी तो मेने ब्रा पहननी शुरू कर दी थी,मेरी फ्रेंड्स और मेरे बीच जब भी सेक्स के बारें में बात होती या, टीवी पर सेक्सुअल सीन देखती या कुछ बात सुनती तो मेरी चूत गीली हो जाती थी।एक दिन मैंने अपने आप हस्तमैथुन करने का भी सोचा।पर समस्या यह थी की कहाँ करूँ?कहाँ करूँ, यही सब सोचते सोचते काफी दिन निकल गए।
एक दिन सोते समय मैंने अपनी जांघों के बीच तकिया लगा लिया, बस फिर क्या था मुझे अपनी चूत पर तकिये का दवाब बड़ा अच्छा लगा।मैंने चुपचाप बाथ रूम में जाकर अपनी पैंटी उतार कर वाशिंग मशीन में डाल दी और वापस आकर अपनी स्कर्ट के अन्दर तकिया लगा कर लेट गयी।और फिर जब सोने से लगे तो में तकिये के किनारे को चूत के लिप्स पर जोरों से रगड़ने लगी।मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।लग रहा था जो जैसे मैं किसी के साथ सेक्स कर रही हूँ.
लगभग १० मिनट तक मैं ऐसी ही करती रही और बीच बीच में अपनी क्लिटोरिस को भी छेड़ देती तो उत्तेजना और बड़ जाती थी।और उसके बाद मेरी चूत ने पानी निकालना शुरू किया तो में मारे उत्तेजना के भूल ही गयी की मुझे कितना आनंद और सुख मिला हे।
कुछ समय बाद में एक दिन में टीवी देख रही थी और उस पर कोई सुहागरात का सीन आया जिसे देख करमुझे ऐसा लगा जैसे मेरी पैंटी गीली हो गयी है (वो पहला दिन था जब मेरा चूत का जूस बिना मेरे हाथ लगाये बाहर आ गया था)।मैंने अपनी चूत को अपनी स्कर्ट में हाथ डाल कर छू कर देखा तो पाया की वो वहां गीली हो चुकी थी।और मेरी उँगलियों के स्पर्श ने और आग लगा दी।
मेरी उंगलियाँ अपने आप चलने लगी और मैं अपनी गीली पैंटी से ही हस्तमैथुन करने लगी।और पता नहीं क्या हुआ, आप विश्वास नहीं करोगे, की सिर्फ दस सेकेंड्स में मुझे चरमउत्कर्ष (ओर्गास्म) की अनुभूति हो गयी और वो भी बहुत ज्यादा।
कुछ दिनों में ही यह मेरी आदत में आ गया।गीली पैंटी के साथ साथ में ऊँगली से अपनी क्लिटोरिस को रगड़ती थी और ओर्गास्म पर पहुँच जाती थी।मैं एक दिन में तीन तीन बार हस्तमैथुन करने लगी।
कई बार हमें अपने पापा मम्मी के पास भी सोना पड़ जाता था, पापा हमे बहुत प्यार करते थे वो मुझे उनके और मम्मी के बीच सुला लेते और हम उनसे बात करते करते सो जाते, लेकिन कई बार रात को हमें लगता की पापा मम्मी हमे एक तरफ हो जाते और हम दूसरी तरफ, तब पापा मम्मी के बीच से ऐसी आवाज आती की हमारी चूत गीली हो जाती और हमे लगता की इसे कोई जोर से सहलाये या मसल डाले। लेकिन एक दिन ऐसा हुआ की जो हमने सोचा भी नही था हम जब पापा मम्मी के पास सोये हुए थे की रात को हमारी नींद खुली तो हमने देखा की पापा मम्मी के पीछे बिलकुल चिपके हुए हे और मम्मी उनसे कह रही हे ''उम्म्म्ममममममममममम.....।सोने दो ना .......आज बहुत थक गयी हूँ ...''
'...वो अपनी गांड मटकाती हुई पापा के खड़े हुए लंड को पीछे धकेलने का प्रयास कर रही थी..और पापा कह रहे थे "डार्लिंग....सुबह से बड़ा मन कर रहा है...''और वो अपना लंड फिर से मम्मी की गांड की दरार में फँसा कर बोले, मम्मी कह रही थी "उम्म्म्मम......क्या करने का....''
पापा ने उनके कान को मुँह में लेकर ज़ोर से चूस लिया और कहा : "तेरी चूत मारने का...''
अब मम्मी भी मस्ताने लगी थी...वो सिसक उठी पापा के गीले होंठों को महसूस करके और बोली : "कैसे मारोगे....''
अपने माँ बाप को ऐसी गंदी बातें करते देखकर मेरे दिल की धड़कन तेज हो उठी...मेने तो सोचा भी नही था की ये दोनो ऐसी बातें करते होंगे चुदाई से पहले...और वैसे भी उसने आज तक यही सोचा था की शादी शुदा लोग सीधा अपने काम पर लग जाते होंगे...एक दूसरे को नंगा किया, चूमा चाटी करी, चूसा और चुस्वाया और सीधा चूत में लंड पेल दिया..उन लोगो को ऐसी उत्तेजना से भरी बातें करने से भला क्या मिलेगा..
पर में बेचारी अभी जवानी की दहलीज पर पहुँची थी...इसलिए में नही समझ सकती थी की ये तरीका होता है एक दूसरे को उत्तेजना के उस शिखर पर पहुँचाने का, जहाँ की उँचाई पर पहुँचकर चुदाई करने का मज़ा दुगना हो जाता है..और यही शायद मेरी लाइफ का सबसे बड़ा सबक बन जाएगा आज..
मम्मी को जवाब देने के बदले पापा ने अपना पयज़ामा नीचे खिसका कर अपना लंड मम्मी के हाथ में पकड़ा दिया और बोले : "ये देख....ये है तेरा पालतू लंड ...इसे डालूँगा तेरी चूत में..।अंदर तक...और चुदाई करूँगा तेरी ....''
मम्मी कह रही थी : "म्*म्म्ममममममममम ..........।ये तो बहुत लंबा है.......।मुझे दर्द होगा.........''
तब पापा ने कहा "धीरे-2 जाएगा ना अंदर...तब नही होगा.....बड़े आराम से डालूँगा....''वैसे वो धीरे धीरे बात कर रहे थे लेकिन तब भी उनकी आवाजे मुझे आराम से सुनाई दे रही थी
म्मी ने तब कहा : "उम्म्म्मममममम......।आराम से तो मज़ा भी नही आता......ज़ोर से करोगे, तभी मज़ा मिलेगा...''पापा कहने लगे "साली......मज़े भी लेने है....लंबे लंड के दर्द से भी बचना है.....एक नंबर की चुद्दक्कड़ है तू....''
मम्मी बोली "चुद्दक्कड़ नही...रंडी हूँ मैं .....आपकी पर्सनल रंडी.....''
में तो अपनी माँ के मुँह से ऐसी गंदी बातें करते देखकर हैरान होती जा रही थी...पर साथ ही साथ मुझे अपनी चूत के अंदर भी चिंगारियाँ जलती महसूस हो रही थी..।...मुझे भी शायद ऐसी गंदी बातों का होने वाला असर समझ आ रहा था..
पापा ने मम्मी के गाउन को उपर कर दिया और उनके सिर से घुमा कर बाहर निकाल दिया...अब वो पूरी नंगी थी उनकी बाहों में ...
पापा ने भी अपनी टी शर्ट और पायजामा बड़ी फुर्ती से निकाल फेंका और नंगा हो गए ....उसकी पीठ मेरी तरफ थी, जो अपनी साँसे रोके अपने पापा को नंगा होते देख रही थी......
पापा ने आगे बढ़कर मम्मी के एक स्तन के उपर अपने दाँत रखे और उन्हे चुभलाने लगा..अपनी माँ की सेक्सी आवाज़ सुनकर मेरे को भी कुछ -2 होने लगा...।और अपना निप्पल चुसवाने के बाद तो मम्मी बावली सी हो गयी...उन्होंने पापा के सिर को पकड़ कर फिर से अपने दूध पर लगाया और उसके मुँह के अंदर ठूस दिया...
''ओह.....डार्लिंग ..................।कितना तड़पाते हो तुम ...............।अब और ना तरसाओ...............डाल दो अपना ये लंबा लंड मेरे अंदर.....''
और मम्मी ने अपने आप को आज़ाद कराया और एक ही झटके मे पापा के उपर सवार हो गयी......और पापा कुछ समझ पाते, उससे पहले ही मम्मी ने पापा के लंड को अपने हाथ में पकड़ा और अपनी चूत पर लगाकर उसे अंदर निगल लिया.।और सीटियाँ मारती हुई वो उसके लंड पर फिसलती चली गयी...
''आआआआआआआआआआआआहह ......।उम्म्म्ममममममममममममममम .......एक ही पल में ये सब हुआ
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