RE: Chudai Story अजब प्रेम की गजब कहानी
अजब प्रेम की गजब कहानी --8
गतान्क से आगे......
चाची की ऐसी बात सुन कर ऐसा लगा जैसे मेरे लंड से पानी निकल जाएगा और मैने अपना मूह उसके दूध मे घुसा दिया
तो चाची ने मेरे कान मे धीरे से कहा, रघु चुपचाप मेरे पीछे-पीछे आजा और चाची वहाँ से उठी और चल दी,
अवी- फिर तुम गये कि नही
रघु - यार डर तो बहुत लग रहा था लेकिन फिर भी ना जाने कैसे हिम्मत आ गई और मैं भी उसके पीछे-पीछे जाने लगा तो
नीचे जाकर मैने देखा वह बाथरूम के गेट पर खड़ी मेरा इंतजार कर रही थी पूरे घर मे सन्नाटा था और हमारा
मकान कुछ ऐसा बना था कि आसपास उची इमारत और बीच मे आँगन बना हुआ था और आँगन के एक कोने मे बाथरूम
था मैं चुपचाप अपना सर नीचे झुकाए हुए चाची की ओर बढ़ने लगा और चाची बाथरूम के अंदर घुस गई और फिर
जैसे ही मैं बाथरूम के पास पहुचा चाची ने झट से मेरा हाथ खींच कर मुझे अंदर कर लिया और बाथरूम की कुण्डी
लगा दी
अवी- फिर क्या हुआ
रघु- अरे क्या बताऊ मेरी तो डर के मारे जान निकली जा रही थी चाची की उमर भी उस समय करीब 28 साल की रही होगी, मैं
बेकार मे ही डर रहा था जबकि चाची ने मुझे चूमते हुए कहा, रघु ले जल्दी से मुझे अपने मोटे लंड से चोद दे,
और फिर चाची वही अपनी साडी उठा कर झुक गई और अपनी मोटी गोरी गंद को मेरी तरफ कर दिया, मैं थोड़ा घबराते हुए
लेकिन खुश होते हुए चाची की मोटी गंद और उसकी गुदा और चूत को पीछे से सहलाने लगा, चाची अरे रघु इतना समय
नही है हमारे पास यह सब तू चोद्ते हुए कर लेना पहले अपना लंड अंदर डाल दे, चूत छूकर देख कितना पानी छोड़ रही
है, चल जल्दी से मार दे धक्का, मैने देर करना उचित नही समझा और अपने पेंट को खोल कर घुटनो तक सरका कर अपने
लंड का निशाना चाची की चूत मे लगा कर एक कस के धक्का मार दिया और मेरा मोटा लंड सॅट से चाची की चूत को
फाड़ते हुए अंदर घुस गया और चाची आह करती हुई मेरे लंड को अपनी चूत मे अड्जस्ट करने लगी और फिर मैने
धीरे-धीरे उसे चोदना शुरू कर दिया कुछ देर बाद चाची अपनी मोटी गंद का धक्का मेरे लंड पर मारने लगी और कहने
लगी, रघु थोडा कस-कस कर चोद और ज़ोर से चोद आह, आह और मैं चाची की बात सुन कर उनकी कमर पकड़ कर धक्के
मारने लगा, चुकी यह मेरी पहली चुदाई थी और जो कुछ भी देखा था वह सब पिक्चर मे देख कर ही सीखा था इसलिए मैं
जल्दी ही झाड़ गया पर शायद चाची को उतनी चुदाई से भी मज़ा आ चुका था और जब मेरा पानी निकल गया तब कुछ देर
बाद चाची ने वही बैठ कर मेरे सामने ही पेशाब किया और अपनी चूत को पानी से धोकर अपने पेटी कोट से पोछते हुए
मुझसे बोली मैं जा रही हू तू थोडा रुक कर आना और फिर चाची चली गई,
अवी- फिर क्या हुआ रघु भैया
रघु- बस कुछ देर तक मैं इंतजार करता रहा फिर मैं भी वहाँ से चल दिया और जब उपर पहुचा तो मैने देखा मेरी
जगह पर चाची ने किसी बच्चे को सुला दिया था और उस बच्चे की जगह खाली थी सो मैं वहाँ जाकर सो गया, पर मुझे
रात भर नींद नही आई
अवी- मुस्कुराते हुए यार रघु भैया तुम्हारी चाची तो बहुत मस्त माल है क्या गदराई हुई मोटी गंद है उसकी, तुम तो
मतलब आज भी उसे कस कर चोद्ते होंगे और तुमने आज तक मुझे बताया भी नही, वैसे मैं तुम्हारी निगाहो से समझ
तो गया था जब तुम्हारी चाची इधर से गुजरती है तो तुम उसकी मोटी गंद को बहुत प्यार से घूरते हो
रघु- अरे अवी भैया यही तो तुम जानते नही, तुम जैसा सोच रहे हो वैसा नही है, वो दिन था और आज का दिन है उसके बाद
मेरी चाची ने कभी मुझे भाव नही दिया और एक बार मैने कोशिश की तो उसने मुझे झटकते हुए कह दिया जो हुआ सो
हुआ, अब मेरी ओर ध्यान भी मत देना नही तो मुझे तेरे बाप से यह कहते देर नही लगेगी कि इसने सोते हुए मेरे दूध
पकड़ लिए थे, बस तब से अवी भैया मैं उस छीनाल चाची का कोई भरोशा नही करता हू, पता चला कब भोसड़ी की जूते
खिलवा दे,
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