RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
वो दोनों वहाँ से बाहर निकल गए और आस-पास के लोगों से दुकान वालों से बात करने लगे.. कमरे के बारे में पूछने लगे.. अब इसे इत्तफाक कहो.. या कहानी की जरूरत कहो.. कि अपना बिहारी उन्हें वहाँ मिल गया, अब इसको तो आप जानते ही हो।
बिहारी- अरे का बात है.. तुम हियां-उहाँ का पूछ रहे हो.. ये बुड़बक तुमको कमरा नहीं दिला सकता.. हमरे पास आओ.. हम तुमको कमरा दे देंगे..
जेम्स- अरे हाँ.. हमको कमरा ही चाहिए भाईजी.. आप दिला दोगे तो मेहरबानी होगी।
बिहारी के पूछने पर जेम्स ने सारी बात उसको बताई कि कैसे यहाँ आना हुआ और अब उनको कोई कमरा चाहिए ताकि कुछ दिन रह सकें..
बिहारी की नज़रें भाभी को घूर रही थीं.. वो अपने काले-काले होंठों पर ज़ुबान फिरा रहा था।
बिहारी- देखो भाई हमरा नाम है बिहारी बाबू.. इहाँ पूरे शहर में हमारा बहुत कमरा खाली पड़ा है.. मगर तुमको आने-जाने का दिक्कत ना हो.. तो भाई ये सामने वाली बिल्डिंग में हमरा एक ठौ फ्लैट खाली पड़ा है.. हॉस्पिटल के नज़दीक भी है.. तुम हियाँ रह सकते हो मगर…
जेम्स- मगर क्या बिहारी जी.. हमको तो बस एक कमरा चाहिए.. हम पैसे भी दे देंगे आपको..
बिहारी- अरे पैसों का बात ना है रे.. रात को हमरा कुछ सामान आएगा.. तुमको हमरे आदमी के साथ जाकर वो समान लाना है.. और उहाँ के फ्लैट के एक कमरे में वो रखने में हमार मदद करनी होगी.. बाकी तुम फ्री में इहाँ रह सकते हो.. हमको कौनऊ दिक्कत नाहीं होगी.. और जब तक तुम आओगे.. तोहार भाभी का ख्याल हम रख लेंगे.. समझ गए ना..
फ्री में रहने का नाम सुनकर भाभी खुश हो गई मगर जेम्स तो पक्का खिलाड़ी था, वो समझ गया कि बिहारी के इरादे कुछ नेक नहीं हैं।
जेम्स- ठीक है बिहारी जी आप हमें कमरा दिखा दो.. रात से परेशान हैं.. हम थोड़ा आराम कर लें..
बिहारी- अरे इसमें सोचना कैसा.. चलो अभी दिखा देता हूँ..
बिहारी दोनों को ऊपर ले गया.. जो फ्लैट रंगीला ने उसको दिया था.. वही उसने इन दोनों को दे दिया। जाते वक्त वो जेम्स को इशारे में समझा गया कि भाभी को मना लेना.. मैं शाम को आऊँगा.. ये कहकर वो वहाँ से चला गया।
भाभी- अरे रामा रे.. यह घर तो बड़ा ही शानदार है.. वो आदमी बहुत भला लगता है.. इतना अच्छा घर हमें मुफ्त में रहने दे दिया..
जेम्स- भाभी अपने दिल से ये ख्याल निकाल दो.. ये शहर है गाँव नहीं.. यहाँ कोई किसी को मुफ्त में कुछ नहीं देता.. वो आपके इन बड़े-बड़े चूचों का दीवाना हो गया है.. इसलिए उसने ये मेहरबानी की है।
भाभी- क्या बात करते हो.. जेम्स तुम्हें कैसे पता?
जेम्स- उसकी नज़र मैंने देखी है.. आज शाम को आपका बैंड बजाने का उसका इरादा है..
भाभी- नहीं नहीं.. चलो यहाँ से.. हमें नहीं रहना यहाँ..
जेम्स- अरे क्या भाभी.. आप क्यों इतनी सीधी बन रही हो.. कर देना उसको भी खुश.. अब ऐसा अच्छा घर हमको और कहाँ मिलेगा.. अब मान भी जाओ..
भाभी- अरे कैसी बातें करता है.. मैं कोई वेश्या थोड़ी हूँ.. जो किसी के भी साथ सो जाऊँ.. ना बाबा ना.. और वैसे भी मेरे पति तो ऐसी हालत में है.. और मैं ऐसे काम करती रहूँ।
जेम्स- अरे भाभी.. मेरी जान.. तुझे पति की इतनी फिकर होती.. तो पहले ऐसे काम ना करती.. अब ज़्यादा सती-सावित्री मत बनो… ऐसा मस्त फ्लैट मिला है.. मज़ा भी करेंगे हम.. और अस्पताल के पास भी हैं.. मान जाओ.. वो बिहारी को खुश कर दो एक बार.. उसका काम भी बन जाएगा और हमारा भी…
भाभी- एक बात बताओ.. तुम इतने यकीन से कैसे कह सकते हो कि वो ऐसा ही चाहता है?
जेम्स- मेरी जान.. मर्दों की नियत का तुम्हें क्या बताऊँ.. कब किस पर खराब हो जाए.. कुछ कहा नहीं जा सकता। मैंने उसकी आँखों में तुम्हारे लिए हवस देखी है।
भाभी- अच्छा अच्छा.. मगर निधि का क्या करोगे.. उसको इस बात का पता नहीं लगना चाहिए।
जेम्स- अरे उसका क्या करना है.. उसकी तो खुद की चूत में आग लगी हुई है.. तभी तो साथ आई है। तुम बिहारी को जलवा दिखाना.. उसकी चूत की आग मैं ठंडी कर दूँगा।
भाभी- पागल हो गए हो क्या.. ऐसा सोचना भी मत.. तुम उसके साथ अस्पताल में ही रहना.. समझे.. मैं यहाँ का देख लूँगी कि क्या करना है।
जेम्स- ओये होये मेरी जान.. अकेले में मज़ा लेगी.. अच्छा है.. अच्छा है।
भाभी- बस बस.. जानती हूँ तेरे को.. जब से निधि तेरे को मिली है.. तू मेरे पास बहुत कम आता है.. तुझे तो कच्ची कली में ज़्यादा मज़ा आता है..
जेम्स- अरे क्या भाभी.. अब बस भी करो.. ऐसी कोई बात नहीं है। अगर आपको ऐसा लगता है कि मैं निधि को ज़्यादा चाहता हूँ.. तो उस बिहारी के आगे निधि को कर देंगे.. बस खुश..
भाभी- अरे नहीं नहीं.. वो बहुत डरावना सा है.. निधि डर जाएगी। मैं ही संभाल लूँगी उसको.. अब बातें बन्द करो.. जाओ निधि को भी ले आओ.. बेचारी रात से परेशान है। तब तक मैं मुँह-हाथ धो लेती हूँ।
जेम्स वापस गया और निधि को ले आया।
अब यहाँ क्या होना था.. थके-हारे लोग आराम ही करेंगे।
तो चलो हमारी रश्मि उठ गई होगी अब तक..
सुबह के करीब 9 बजे विजय की आँख खुली.. तो वो सीधा बाथरूम चला गया और करीब आधा घंटा बाद फ्रेश होकर कमरे से बाहर निकला।
विजय सीधा नीचे चला गया.. उसे वहाँ काम्या दिखाई दी.. तो उसने मुस्कुराते हुए ‘गुड मॉर्निंग’ किया और वहीं सोफे पर बैठ गया।
काम्या- तुम्हारे बड़े पापा ने क्या कहा था.. उसके बाद भी तुम रात को कहाँ थे?
विजय- अरे हम तो गुड्डी को बाहर घुमाने ले गए थे और देर भी तो हुई नहीं हमें.. जल्दी आ गए थे..
काम्या- अच्छा अच्छा.. जाने दो.. आज मैं अपनी सहेली के यहाँ जा रही हूँ। वहाँ उन्होंने हवन रखवाया है.. तो रात को देर तक चलेगा। अभी मैं निकल जाऊँगी.. तो कल सुबह ही वापस आऊँगी। तब तक गुड्डी का ख्याल रखना और हाँ.. ऐसा कोई काम ना करना.. जिससे तुम्हारे बड़े पापा नाराज़ हो जाएँ.. बाहर जाना मगर ‘रात’ को जल्दी आ जाना.. समझ गए?
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