RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
विजय ने रानी के मम्मों को सहलाते हुए उससे पूछा- सच बता रानी.. जय के पहले कभी किसी ने तेरे इन अनारों को छुआ है क्या?
रानी एकदम शर्मा कर ‘ना’ में सर हिलाती है.. तब विजय खुश होकर रानी के होंठों को अपने होंठों से चूसने लगता है और उसके जिस्म पर हाथ फेरने लगता है।
रानी थोड़ा विरोध करती है.. मगर विजय की मजबूत बाहें उसको जकड़े रहती हैं और कुछ देर बाद उसको भी मज़ा आने लगता है।
विजय ने रानी को बिस्तर पर लेटा दिया अब वो उसके मम्मों को कपड़े के ऊपर से चूसने लगा था। रानी तो बस जन्नत की सैर पर निकल गई थी।
रानी- इसस्स.. बाबूजी.. आप दोनों भाई आह.. आह.. एक जैसे हो.. आह्ह.. मुझे काम के बहाने यहाँ ले आए.. इससस्स.. आह्ह.. दुःखता है.. ओह.. और कुछ और ही कर रहे हो मेरे साथ..
विजय- गलत बोल रही है तू.. हम एक जैसे नहीं हैं.. बहुत फ़र्क है.. घबरा मत धीरे-धीरे सब फ़र्क नज़र आ जाएगा तुझे और काम का क्या है.. वो तो सारी उम्र पड़ी है.. मेरी जान.. कभी भी कर लेना.. अभी तो जिंदगी के मज़े ले ले..
विजय अब बेताब था रानी के जिस्म से खेलने के लिए.. उसने रानी के कपड़े निकालने शुरू कर दिए। वैसे रानी झूटा नाटक कर रही थी मगर विजय को कपड़े निकालने में मदद भी कर रही थी।
रानी के चमकते जिस्म को देख कर विजय का लंड चड्डी फाड़कर बाहर आने को बेताब हो रहा था.. मगर विजय ने उसको आज़ाद नहीं किया और रानी के छोटे-छोटे मम्मों को सहलाने लगा।
विजय- वाह.. रे.. मेरी रानी तू तो एकदम कुदरत का तराशा हुआ नगीना है.. तुझे तो बस देखते रहने का मन करता है।
रानी- बाबूजी कल रात से आप दोनों भाई मुझे नंगा करने में लगे हुए हो.. मेरी हालत खराब हो गई है.. पता नहीं क्यों मुझे कुछ होने लगता है।
विजय- तू मेरी बात मान ले जान.. तेरी सारी बेचैनी दूर कर दूँगा..
रानी- बाबूजी मैं नंगी तो आपके सामने पड़ी हूँ.. अब इससे ज़्यादा और क्या मनवाना चाहते हो?
उसकी बात सुनकर विजय खुश हो गया और रानी पर टूट पड़ा। उसके निप्पल चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चूत को रगड़ने लगा।
रानी जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी और विजय की पीठ पर हाथ घुमाने लगी।
रानी- ओससस्स.. आह.. बाबूजी आह्ह.. मेरे नीचे कुछ हो रहा है.. रात को जय बाबू ने जैसे किया था.. आह्ह.. वैसे आप भी करो ना..
विजय समझ जाता है कि इसकी चूत में खुजली शुरू हो गई है। वो झट से बैठ जाता है और अपना अंडरवियर उतार कर लौड़े को आज़ाद कर देता है।
उसके 9″ लंबे और 3″ मोटे लंड को देख कर रानी सिहर जाती है।
रानी- हाय राम बाबूजी.. ये कितना बड़ा है!!
विजय- मैंने कहा था ना.. हम दोनों में बहुत फ़र्क है.. अभी तो लौड़ा देखा है आगे और भी बहुत से फ़र्क नज़र आएँगे.. चल आज तुझे 69 सिखाता हूँ।
रानी- वो क्या होता है बाबूजी?
विजय- तू मेरा लौड़ा चूसेगी और उसी समय में तेरी चूत को चाटूँगा।
रानी- हाय बाबूजी.. ऐसे तो बड़ा मज़ा आएगा.. बताओ मैं क्या करूँ..?
विजय- अरे करना क्या है.. बस मेरे ऊपर आजा.. अपनी चूत मेरे मुँह पर रख और ले ले मेरा लौड़ा अपने मुँह में.. फिर देख क्या मज़ा आता है..
रानी ने वैसा ही किया.. अब विजय बड़े प्यार से उसकी कुँवारी चूत को चाट रहा था और रानी प्यार से उसके बम्बू को चूस रही थी।
यह सिलसिला कुछ देर तक यूँ ही चलता रहा.. तभी अन्दर जय भी आ गया.. उसके हाथ में बियर की बोतल थी और उसने सिर्फ़ लोवर पहना हुआ था।
वो दोनों मस्ती में चूसने में लगे हुए थे जय ने बियर की बोतल को साइड में रखा और अपना लोवर निकाल दिया।
अब उसका लौड़ा आज़ाद हो गया था और उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी।
जय- वाह.. बहुत अच्छे ऐसे मालिश हो रही है हाँ..
जय की आवाज़ सुनकर विजय पर तो कोई फ़र्क नहीं पड़ा.. लेकिन रानी बहुत घबरा गई और जल्दी से बिस्तर पर पड़ी चादर अपने ऊपर डाल लेती है.. जिसे देख कर दोनों भाई हँसने लगते है।
जय- अरे क्या यार रानी.. रात को तो बड़ा खुलकर मज़ा ले रही थी.. अब ऐसा क्या है तेरे पास.. जो मुझसे छुपा रही है?
रानी- बाबूजी आप दोनों एक साथ होते हो.. तो मुझे शर्म लगती है।
विजय- अरे यार जो मज़ा साथ मिलकर करने का है.. वो अकेले में कहाँ.. चल आज तुझे जन्नत की सैरर कराते हैं.. हटा दे कपड़ा और देख दोनों भाई कैसे तुझे मज़ा देते हैं।
विजय की बात रानी को समझ आती है या नहीं.. यह तो पता नहीं.. मगर उसकी चूत में बड़ी खुजली हो रही थी और वो चाहती थी कि कैसे भी उसको मिटाया जाए.. तो बस वो उनकी बात मानकर चादर हटा देती है।
जय- वाह.. ये हुई ना बात.. जानेमन तू बहुत कमाल की है.. अब तू हमारा कमाल देख..
दोनों अब रानी के आजू-बाजू लेट गए और उसकी एक-एक चूची को चूसने लगे.. जिससे रानी की उत्तेजना बढ़ने लगी.. वो सिसकारियाँ लेने लगी।
रानी- आह्ह.. बाबूजी.. उफ़फ्फ़ काटो मत.. आह्ह.. दर्द होता है सस्स आह्ह..
दोनों बस अपने काम में लगे हुए थे धीरे-धीरे जय उसके पेट से होता हुआ उसकी चूत तक पहुँच गया।
विजय- उफ्फ.. क्या रस है भाई.. इसके मम्मों में मज़ा आ रहा है.. वैसे इसका मुहूरत कौन करेगा.. ये अभी सोचा कि नहीं आपने?
जय- सोचना क्या था.. तेरा ट्रक बाद में चलाना.. बड़ा है.. पहले मैं अपनी कार चलाऊँगा।
‘वाह मतलब भाई आप इसको नेशनल हाईवे बनाने के मूड में हो.. हा हा हा..’
‘और क्या.. देखना.. कितने वाहन इस नेशनल हाईवे पर दौड़ेंगे.. हा हा हा हा..’
रानी तो मस्ती में खोई हुई थी.. इन दोनों की बात उसके दिमाग़ के बाहर थी वो तो बस अपनी धुन में थी।
जय- रानी रानी.. कभी चाँद पर गई हो क्या?
रानी- आह.. इससस्स.. क्या बात करते हो.. बाबूजी.. उहह.. आह.. हम गरीब शहर ना जा सके.. चाँद पर कहाँ से जाएँगे..
जय- मेरी जान.. आज तुझे चाँद क्या सारे ब्रम्हाण्ड की सैर करवा दूँगा.. बस तू जरा हिम्मत रखना।
इतना कहकर जय ने रानी के पैरों को मोड़ दिया और उसके बीच खुद बैठ गया और अपने लौड़े को चूत पर रगड़ने लगा।
रानी- याइ.. यह.. आप क्या कर रहे हो बाबूजी.. नहीं नहीं.. भगवान के लिए ऐसा मत करो.. मैंने मना किया था ना.. मैं ये नहीं करूँगी.. बस ऊपर से जो करना है..कर लीजिए..
जय- अरे क्या ये.. ये.. लगा रखा है बोल.. चुदाई नहीं करवानी और मैं कौन सा तेरी चुदाई कर रहा हूँ.. बस लौड़ा चूत पर रगड़ कर तुझे मज़ा दे रहा हूँ.. बता मज़ा आ रहा है ना?
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