RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
रानी लौड़े को सहलाने लगती है और उसके नर्म हाथों के स्पर्श से जय को मज़ा आने लगता है। वो अपनी आँखें बन्द कर लेता है।
शुरू में तो रानी को अजीब लग रहा था मगर बाद में लौड़े का अहसास उसे अच्छा लगने लगा और वो बड़े मज़े से लौड़े को सहलाने लगी।
जय बीच-बीच में उसको आइडिया दे रहा था कि ऐसे करो और वो बस करती जा रही थी और जय मज़ा ले रहा था।
अब रानी अच्छी तरह से जय के लौड़े को सहला रही थी।
जय- आह आह.. रानी ऐसे सूखा सूखा.. मज़ा नहीं आ रहा.. अब मुँह से भी मालिश करो न.. आह्ह.. तुमने अगर अच्छे से किया.. तो तेरी नौकरी पक्की..
दोस्तो, रानी लंड और चूत के बारे में ज़्यादा नहीं जानती थी.. मगर ये खेल ऐसा है कि कुछ ना जानते हुए भी हमारा जिस्म पिघलने लगता है।
यही रानी के साथ हो रहा था.. उसकी चूत एकदम गीली हो गई थी और उसकी आँखों में मस्ती छा गई थी। अब उसको खुद लग रहा था कि लौड़े को मुँह में लेकर चूसे.. बस जय ने कहा और उसने झट अपनी जीभ लौड़े पर रख दी और लण्ड की टोपी को चाटने लगी।
जय- उफ़फ्फ़ आह्ह.. ऐसे ही.. आह्ह.. अब सारा दर्द निकल जाएगा.. आह्ह.. मुँह में लेकर चूस.. आह्ह.. पूरा लौड़ा अन्दर लेना है.. आह्ह..
अब रानी बड़े मज़े से लौड़े को जड़ तक लेने की कोशिश कर रही थी.. मगर उसके छोटे से मुँह में लौड़ा पूरा लेना मुश्किल था.. वो बस सुपारे को ही चूस पा रही थी.. जैसे कोई गन्ने को चूस रही हो।
जय ने रानी के सर को पकड़ लिया और लौड़े को ज़ोर-ज़ोर से झटके देने लगा। उसकी नसें फूलने लगी थीं। लौड़ा कभी भी लावा उगल सकता था।
रानी की साँसें रुकने लगीं.. जय अब स्पीड से उसके मुँह को चोद रहा था और कुछ ही देर में जय के लंड ने वीर्य की धार मारी.. जो रानी के हलक में उतर गई।
ना चाहते हुए भी उसको सारा पानी पीना पड़ा। जब जय ने हाथ हटाया तो रानी अलग हुई और लंबी साँसें लेने लगी।
रानी- हाय उहह.. ये आपने क्या किया बाबूजी.. मेरे मुँह में मूत दिया छी:..
जय- अरे पगली ये मूत नहीं.. वीर्य है इसको पीने से लड़की और खूबसूरत होती है.. देख ये तो दूध जैसा है..
जय के लौड़े से कुछ बूंदें और निकाली.. जो एकदम गाढ़ी सफेद थीं.. जिसको रानी गौर से देखने लगी।
रानी- हाँ बाबूजी.. ये तो सफेद है।
जय- अरे जल्दी आ.. इसको जीभ से चाट ले.. नहीं तो नीचे गिर जाएगी।
जय के कहने की देर थी.. रानी जल्दी से झुकी और बाकी बूंदों को भी चाट कर साफ करने लगी। उसको यह स्वाद अच्छा लग रहा था और इस खेल के दौरान उसकी चूत एकदम पानी-पानी हो गई थी.. जिसका अहसास रानी के साथ-साथ जय को भी हो गया था। अब उसकी नज़र रानी की कच्ची चूत पर टिक गई थी।
अरे नहीं नहीं.. अभी नहीं.. सारा मज़ा एक साथ ले लोगे.. तो कहानी में मज़ा नहीं रहेगा। अभी तो जय ठंडा हुआ है.. इतनी जल्दी थोड़ी वो कुछ करेगा।
चलो वापस कोमल के पास चलते हैं.. देखते हैं कि वहाँ क्या खिचड़ी पक रही है।
कोमल- अरे राजा किसका फ़ोन था.. तू ऐसे क्यों डर गया?
सुंदर- अरे साली.. तेरे को नहीं पता क्या.. बॉस का फ़ोन था। उन्हीं ने तो तेरे को लाने को कहा है और तेरे को जो पैसे हमने दिए हैं. वो उन्हीं ने हमें दिए थे।
कोमल- तेरे बॉस ने मेरे को लाने के पैसे तुमको दिए.. और सालों तुमने उनके पहले मेरे को चोद कर मज़ा ले लिया.. सालों अब मैं उसके पास नहीं चुदवाऊँगी.. उसके साथ चुदाई के एक्सट्रा पैसे लगेंगे.. सोच लेना हाँ..
सुंदर- अबे चुप साली.. बॉस तेरे को नहीं चोदेंगे.. उनको तो तेरे से दूसरा काम है।
कोमल- क्यों तेरा बॉस नामर्द है क्या..? जो पैसे खर्चा करके बस मेरी चुदाई होते देखेगा हा हा हा हा..
आनंद- अरे साली छिनाल.. पूरी बात तो सुन ले पहले.. अपनी ही बोले जा रही है तू हरामजादी।
कोमल- ओ साला.. भड़वा.. गाली नहीं दे मेरे को.. हाँ नहीं तो.. गाली मेरे को भी आती है.. समझा क्या?
आनंद- अच्छा मेरी जान प्लीज़ चुप हो जा और आराम से तू मेरी बात सुन।
कोमल- ठीक है रे.. सुना साला.. मैं अब कुछ नहीं बोलेगी।
आनंद- देख रानी.. तू एक कॉलेज गर्ल है और दिखती भी मस्त है। मज़े की बात ये कि तू चुदक्कड़ होते हुए भी शक्ल से बड़ी शरीफ दिखती है.. तो हमारे बॉस को तेरे से कुछ काम है.. इसलिए वो तेरे से मिलना चाहते थे। अब तू साली खाली बात के लिए तो यहाँ आती नहीं.. और हमको पता था बॉस खाली बात ही करेगा.. तो बस हमने सोचा बॉस खाली बात करेंगे.. तो क्यों ना हम तेरी चुदाई करके पैसे वसूल कर लें।
कोमल- कौन है रे तेरा बॉस.. वो कब आएगा..
आनंद- बॉस कहीं बिज़ी हैं. वे नहीं आएँगे.. मेरे को वो बात पता है.. तो मैं भी तेरे को समझा सकता हूँ।
सुंदर- यार जब मैंने बॉस को कहा था ये बात हम कोमल को बता देंगे.. तब तो वो गुस्सा हो गए थे। बोले.. नहीं मैं ही अच्छी तरह से बताऊँगा.. अब क्या हुआ..
आनंद- अरे यार अब ये बॉस का फंडा वही जाने.. कहीं फँस गए होंगे किसी काम में.. अब कोमल को हमें सब समझाना होगा और वैसे भी बॉस फार्म पर तो आएँगे ही.. बाकी का काम वहाँ हो जाएगा।
कोमल- अबे सालों क्या समझाना है.. कुछ मेरे को भी तो बताओ?
आनंद- ठीक है मेरी जान.. गौर से सुन.. अब दिल्ली से कुछ दूर एक फार्म-हाउस है। हर 2 या 3 महीने में वहाँ एक बड़ी पार्टी होती है.. जहाँ फुल शराब और मस्ती होती है। साथ ही एक खास किस्म का गेम भी खेला जाता है।
कोमल- किस तरह का गेम?
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