RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
बाजी मेरी सोच, जज़्बात और जिश्म में होने वाली तब्दीलियों और कैफियत का राज जान चुकी थीं। उन्हें ये भी पता चल चुका था कि उनके बेड पर जो कुछ होता रहा, वो सब मैंने अपनी आँखों से देख लिया है। जिश्म पुरसुकून होने के बाद मुझे नींद के आगोष में जाने में ज्यादा टाइम नहीं लगा।
सुबह 7:00 बजे बाजी ने जगाकर पूछा-“गुड़िया, कॉलेज नहीं जाना क्या?”
मैं एक झटके से उठी और फौरन वाशरूम की तरफ भागी। तैयार होकर वापिस आई तो बाजी दूध, ब्रेड टोस्ट और बटर मेरे बेड पर रखकर दोबारा सो चुकी थीं। मैंने जल्दी-जल्दी नाश्ता किया और कॉलेज जाने के लिये घर की दहलीज से बाहर कदम रख दिया।
ये वो दिन था जो अगर मेरी जिंदगी में ना आता तो आज मैं एक बिल्कुल अकेली लड़की होती। मेरी कमियां अपना असर दिखाने वाली थीं। रात बाजी के रूम में जो कुछ हुआ उसकी जिम्मेदार मैं खुद थी। मैंने ही बाजी और अली भाई की हौसला अफजाई की कि वो रूम में मेरी मौजूदगी से परेशान ना हों। मैंने अगाज में सोने की एक्टिंग करके उन दोनों के साथ धोखा किया था। मैं अगर वो सब ना देखती तो मेरी शादीशुदा जिंदगी इस तरह बर्बाद ना होती। और सड़कों पर मेरे साथ जो कुछ हो रहा था अगर मैं वक़्त पर ही कोई आक्सन ले लेती तो आज का ये काला दिन मेरी किश्मत में ना होता।
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मैं अपने अंजाम से बेखबर कॉलेज की तरफ कदम बढ़ा रही थी। दोस्तों ने बहुत वामद वेलकम किया लेकिन उस रोज मेरा जेहन काफी उलझा हुआ था। मेरा अचेतन मन खतरे को भाँप चुका था। लेकिन वो मेसेज मेरे जेहन को डिलीवर नहीं हो पा रहा था। कॉलेज खतम होते ही मेरे कदम बोझिल होना शुरू हो गये। सभी दोस्त अपने घरों को चली गईं और मैंने उस रास्ते पर कदम बढ़ाना शुरू कर दिय जिसने आज मुझे अंदर और बाहर से तोड़कर रख देना था।
मुझे याद पड़ने लगा कि अली भाई ने किसी मास्क और पीरू नामी शख्स का जिकर किया था। पीरू कौन था? मैं नहीं जानती थी, वो मास्क कौन सी थी? मैं इससे भी बेखबर थी। मैं आस-पास नज़रें घुमाते हुये घर के रास्ते पर चलने लगी तो मुझे कोई अनयुजअल एक्टिविटी महसूस नहीं हुई। मैं इस बात से बेखबर थी कि मोटरसाइकिल पर एक लड़का बहुत खामोशी से मेरे पीछे-पीछे आ रहा है। भीड़ से निकलकर जैसे ही मैंने मेनरोड की तरफ टर्न लिया, उस लड़के ने फौरन आगे आकर मोटरसाइकल मेरे करीब रोकी। मेरा रंग एक लम्हे में ही पीला पड़ गया और मैं खौफ भरी निगाहों से उसे देखने लगी।
वो मेरी आँखों में देखते हुए बोला-“ओ खटमलनी, फिकर नहीं करो। सकून से घर जाओ, सब जगह फील्डिंग लगी हुई है…” ये कहकर वो लड़का आगे बढ़ गया।
और मैं सोचती रह गई कि लड़के की इस बात का क्या मतलब था? कौन खटमलनी? कैसी फील्डिंग? क्या वो मुझे छेड़कर गया है या कुछ बताकर गया है? वो लड़का काफी खुश शकल था बल्की ठीक-ठाक सुंदर था, गुंडा बिल्कुल नहीं लग रहा था। लेकिन मैं उसकी बात का मतलब नहीं समझ सकी। कहीं वो पीरू तो नहीं था? फिर सोचा कि उसका नाम पीरू नहीं हो सकता, क्योंकी पीरू तो बहुत रफ सा नाम है और ये लड़का किसी अच्छे घराने का लगता था।
खैर… मैंने अपने होश और सांसें बहाल करते हुए उस मनहूस रास्ते पर घर की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया, जहाँ मुझे पिछले कुछ महीनों से सबसे ज्यादा ट्रबल हो रही थी। मेरे इर्द-गिर्द एक्टिविटीस बढ़ने लगीं। कई नज़रें मुझे घूर रही थीं।
मैं उन चेहरों को तलाश करने लगी जो मुझे टारगेट करते थे। लेकिन इस दौरान वो लड़के मेरे बाजू में पहुँच चुके थे। मेरे बिल्कुल करीब मोटरसाइकल रुकी और पीछे बैठे लड़के ने मेरी शलवार पे हाथ डाल दिया। मैं अभी खुद को बचाने का सोच ही रही थी कि एक सुज़ुकी दबा कुछ फासले पर टायर्स को चीरता हुआ मेरे सामने रुका। सामने सीट पर बैठे लड़के ने जोर से चीख मारी और दबे के पीछे बैठे दो लड़के तेज़ी से हमारी तरफ बढ़े। मोटरसाइकल पर सवार लड़के जो काम मेरे साथ करना चाहते थे वो कर चुके थे।
मेरी शलवार उतर चुकी थी और मैं जैसे ही सड़क पर गिरी, अगले ही लम्हे एक कोहराम मच गया। मुझ पर लज्जा तरी हो चुकी थी और जो मंज़र मैंने देखे वो मैं कभी नहीं भुला सकूँगी।
समाप्त
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