RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
मैं कुछ देर खामोश रहने के बाद बोली-“आपको रात को अपने घर में कोई नहीं चाहता क्या?”
अली भाई अपनी घबराहट छुपाते हुए बोले-“मोम के बाद अब घर में मैं दिल ज्यादा नहीं लगाता…”
मैंने कहा-“घर में दिल ज्यादा नहीं लगता या दिल कहीं और ज्यादा लगता है?”
अली भाई बोले-“क्या तुम्हें मेरा यहाँ आना बुरा लगता है?”
मैंने कहा-“हरगिज़ नहीं। बात हमारे घर आने की नहीं है, बात छुप-छुप कर आने की है…”
अली भाई बोले-“सोबिया मेरी कजिन है, उससे मिलना कोई जुर्म नहीं, हम बाहर शदीद सर्दी में बाहर इसलिए खड़े रहे कि हमारी छोटी शहज़ादी की नींद ज़रा सी भी खराब ना हो…”
मैंने चाहा कि मैं पूछूँ कि अगर इस वक़्त मैं इस रूम में ना होती तो वो और बाजी कहाँ होते? बाहर खड़े होते या रूम के अंदर होते? लेकिन मामला चूंकी बाजी का था इसलिए मैं अपनी सीमायें जानती थी।
बाजी ग्लास में गरम-गरम दूध लाई, उन्होंने अपने हाथों से मुझे दूध पिलाया फिर लाइट आफ करके मेरे बिस्तर में घुसकर मुझे अपनी बगल में लिटा लिया और मेरे बालों में उंगलियाँ फेरने लगीं।
अली भाई बाजी का कंप्यूटर ओन करके बैठ गये और मैं कुछ ही देर बाद नींद की गोद में चली गई। मुझे नहीं पता चल सका कि बाजी किस वक़्त मेरे बेड से उठकर गईं और कब अली भाई अपने घर वापिस चले गये।
सुबह आँख खुलने पर कुछ देर तक तो रात वाली घटना मेरी मेमोरी में नहीं थी, फिर कुछ-कुछ याद आया तो मैं सोचने लगी कि वो मेरा ख्वाब था या हकीकत?
बाजी खिलाफ-ए-मामूल किचन में अम्मी के साथ नाश्ता बना रही थीं लेकिन मेरी आहट सुनकर वो रूम में आईं और मुझे प्यार से अपने साथ बिठाकर पूछने लगीं-“मैं रात को इतनी ख़ौफजदा क्यों हो गई थी?”
मैंने पूछा-“क्या रात को अली भाई यहाँ आए थे या वो मेरा ख्वाब था?”
बाजी ने कहा-“अरे बेटा, कोई ख्वाब नहीं था, तुम्हारी नींद खराब ना हो, इसलिए मैं अली के साथ बॅकयार्ड में खड़ी हो गई…”
मैं बोली-“आपको तो पता है कि मुझे अंकल जहर लगते हैं…”
बाजी ने कहा-“अंकल तो हर इंसान को जहर लगते हैं सिवाए उस चुड़ैल के। लेकिन देखो बेटा, ये ज़रूरी तो नहीं कि अगर अंकल बुरे हैं तो उनके बेटे भी उन्हीं जैसे होंगे? हम तो बचपन से एक साथ खेलते आए हैं, अंकल की करतूत अंकल जानें, हम बाकी के रिश्ते तो खतम नहीं कर सकते ना?”
मुझे उस वक़्त ये बात कुछ ज्यादा हजम नहीं हुई, लेकिन मैं खामोश रही। बाजी और मेरे बीच बचपन से एक अनरिटन इनबिल्ट अग्रीमेंट रहा है कि हमें एक दूसरे से ये कहने की ज़रूरत नहीं रहती कि-“ये बात किसी को नहीं बताना और राज रखना है…”
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