RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
मेरी फ्रेंड दूसरी उंगली मेरी चूत में घुसाने लगी तो मैं फौरन बोली-“ओ गस्ती रांड़, चूत के अंदर उंगली ना डालना, गुलाब की पंखुड़ियों जैसी नाज़ुक है, कहीं तेरी उंगली से डिस्चार्ज ना हो जाये?”
मेरी दोस्त हँस पड़ीं और निशी फौरन बोली-“निदा, यार तू राज़ी हो बस एक दफा और इसी हफ़्ते तेरी नथ खुलवाते हैं, पता नहीं कितने लंड तेरे अंदर जाने को तरस रहे होंगे…”
मैंने कहा-“वो सारे तरसे हुए लंड तुम ठंडे कर लो, तुम्हारे अंदर वैसे भी काफी स्पेस है, पॉर्न की तरह लेटी रहो, एक लंड चूत में, एक गान्ड में और एक मुँह में…”
मेरी दूसरी फ्रेंड फौरन बोली-“और दो लंड हाथों में भी…”
निशी बोली-“हमारी ऐसी किश्मत कहाँ? इतने सारे लंड तो हमारी इस सेक्सी गुड़िया की ही पूजा कर सकते हैं…” ये कहते ही निशी मेरे होंठ अपने होंठों में लेकर चूसने लगी और पीछे से मेरी शर्ट उठा ली। शलवार तो मेरी आलरेडी उतरी हुई थी।
मेरी दूसरी फ्रेंड पीछे से मेरे साथ लग के मेरी गान्ड में उंगली देने लगी। मैं चूंकी उनसे लंबी थी इसलिए थोड़ा सा मुड़ गई। निशी मेरे होंठ नहीं छोड़ रही थी और दूसरी फ्रेंड को उंगली देने का मज़ा आ रहा था। मेरी चूत गीली हो चुकी थी, इसलिए मेरी फ्रेंड ने चूत के पानी से उंगली गीली करके मेरी गान्ड में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। एक फ्रेंड साथ खड़ी ये तमाशा देखकर मुश्कुराती रही। मेरा बहुत दिल था कि यहीं कपड़े उतारकर टेबल पे लेट जाऊँ और दोस्त उसी तरह मेरा ओर्गज्म करें।
जो फ्रेंड मुझे उंगली दे रही थी वो बोली-“निदा, तू एक मर्तवा लंड का मज़ा ले ले, यकीन जान तू उंगली लेना भूल जायेगी…”
मैंने निशी से अपने होंठ छुड़ाकर कहा-“मेरे अंदर लंड नहीं जाता, देख तो सही की कितने छोटे छेद हैं मेरे?”
निशी बोली-“अरी पागल, जाता है, हर जगह जाता है, अगर तुम राज़ी हो तो हम भी उस वक़्त तेरे साथ रहेंगी और फिल्मों की तरह एक ही ग्रुप में अपने-अपने लड़के का लंड एंजाय करेंगी…”
मैंने कहा-“लेकिन फिल्मों में तो एक लड़का दूसरी लड़की को भी चोदता है और एक लड़की में दो-दो लड़के घुसा देते हैं…”
निशी बोली-“हाँ… ऐसा होता तो है, लेकिन ज़रूरी नहीं की तू भी वो करे जो दूसरे करें, हर किसी की अपनी-अपनी लिमिट होती है…”
मेरी जो फ्रेंड साथ खड़ी थी वो फौरन बोली-“निशी तेरा दिमाग खराब हो गया है, क्यों इसको खराब कर रही हो, ऐसी बातें और तरकीब देकर?”
फिर वो मुझसे मुखातिब होकर बोली-“निदा, ऐसा कुछ भी नहीं है, तुम इनकी हर बात ना सुना करो, ये मज़ाक कर रही हैं…”
मैं भी कौन सा सीरियस थी।
माहौल बदला तो हम लोग लैबोरेटरी से नीचे क्लास की तरफ चल पड़े। मैं उस दिन कॉलेज खतम होने तक यही सोचती रही कि पॉर्न फिल्मों में जो होता है वो असली में नहीं हो सकता। उसके लिये मेरे जेहन ने ये उदाहरण दिया था कि जिस तरह स्पाइडरमैन और सुपरमैन की फिल्मों में जो कुछ दिखाते हैं, कि सुपरमैन हवाओं में उड़ रहा है और स्पाइडरमैन बिल्डिंग्स पर छलांगे लगा रहा है, वो असली दुनियाँ में नहीं हो सकता, इसी तरह पॉर्न भी सब झूठ और एक्टिंग होता है, असली लड़कियाँ ऐसा कुछ नहीं कर सकतीं और ना ही उन्हें करना चाहिए।
जिस तरह सुपरमैन को देखकर कोई बिल्डिंग से छलाँग नहीं लगा लेता, उसी तरह पॉर्न देखकर भी वैसा कुछ ट्राई करने का नहीं सोचना चाहिए। वो तो बहुत बड़े-बड़े लंड होते हैं। अगर उंगलियों से जिश्म खुश होता है तो फिर इत्ता बड़ा लंड लेने की पता नहीं लड़कियों को क्या ज़रूरत पड़ी होती है।
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