RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
***** *****ख्वाहिशों और खौफ का सफर
मैंने उस वक़्त तक सेक्स तो नहीं किया था लेकिन दोस्तों के साथ पॉर्न देखने की वजह से मैं सेक्स की कल्पना को अच्छी तरह समझ चुकी थी। हम लड़कियाँ लेज्बियन नहीं थीं लेकिन लड़की से लड़की की पॉर्न देखने की वजह से हमने आपस में बहुत सारी मस्ती की थी और मुझे किसिंग, चुचियाँ छूना, पुस्सी और गान्ड के छेद में उंगलियों का मज़ा पड़ चुका था।
दूसरी तरफ सोबिया बाजी ने घर की जाहिरी डेकॉरेशन तो ठीक ठाक करवा ली थी, लेकिन ऊपर के कमरों की छत बारिश की वजह से खराब हो गई थी और बिल्डर ने कहा था कि ये किसी भी वक़्त गिर सकती है। वो रूम मैं और मेरा भाई इश्तेमाल करते थे। सोबिया ये बात सुनकर परेशान हो गई और उसने बिल्डर से कहा कि इस रूम पे नई छत डाल दो और मुझे और छोटे भाई से कहा कि हम फौरन नीचे गेस्टरूम में शिफ्ट हो जायें। मुझे रात में जल्दी सोने की आदत थी क्योंकी सुबह कॉलेज जाना होता था इसलिए गेस्टरूम में मेरे होने की वजह से मेहमान नहीं आ सकते या फिर अगर मेहमान होते तो मैं अब्बू को तंग करती रहती की मेहमानों को रुखसत करो क्योंकि मेरे सोने का टाइम हो चुका है।
इस बात पर घर में नोंक झोंक शुरू हो गई और आख़िरकार वो वक़्त आ गया कि बाजी ने मजबूरन मुझे अपने रूम में सोने की पर्मीशन दे दी। बाजी का रूम मेरे लिये किसी जन्नत से कम नहीं था। डबलबेड उनका था और साथ के कोने में सिंगल बेड मुझे मिल गया। बाजी ने वहाँ मेरे लिये बार्बी प्रिन्सेस की बेड शीट भी बिछा दी और बिल्डर्स से कहा कि वो जल्द से जल्द रूम की छत ठीक करें।
मेरी दुनियाँ बदल गई थी क्योंकी जवानी में कदम रखते ही अमीर और मॉडर्न लड़कियों जैसे चोंचलों का शौक बढ़ना शुरू हो गया था।
मैं बाजी की गैर मौजूदगी में उनकी वार्डरोब खंगालती रहती और मेरी खास नज़र उनकी पैंटी और ब्रा पर होती। उनकी वो पैंटी जिसमें पीछे पतली सी लाइन चूतड़ में घुस जाती है मुझे बहुत अट्रेक्ट करती थी। उनकी बंद दराज को खोलने की कोशिश अब फिूल थी क्योंकी उन पर मजबूत फिटेड लाक था और बाजी कभी अपनी चाभियाँ घर भूलकर नहीं गईं क्योंकी उन्हीं में उनकी ओफिस की चाभी भी होती थी। बाजी कुछ पैसे खुली दराज में रखने लगीं, ताकी अगर मुझे ज्यादा ज़रूरत हो तो मैं खुद से ले लिया करूँ।
कॉलेज में निशी और दूसरी ग्रुप दोस्तों के साथ मेरी दोस्ती बढ़ती चली गई। अब अगर मैं उनके घर जाती तो मुझे कोई खौफ ना होता। पॉर्न के साथ-साथ मैंने थोड़ी बहुत शराब भी चखना शुरू कर दिया क्योंकी बाकी लड़कियाँ भी थोड़ी सी पीती थीं और मैंने उन्हें कभी शराबियों की तरह झूमते नहीं देखा, ना ही उनके घर वालों को पता चलता था।
निशी के एक कजिन का मेरी दूसरी फ्रेंड के साथ रीलेशन बन गया था इसलिए कॉलेज टाइम में वो अक्सर अपनी लड़की दोस्त को तीन चार घंटों के लिये साथ ले जाता और वापसी पे मेरी दोस्त मज़े ले-लेकर सारी कहानी हमारे पास बयान कर देती।
मेरी दोस्तों को बड़ा शौक था कि किसी तरह मुझे कोई लड़का पसंद आए और वो मेरी पहली चुदाई के लिये जगह का बंदोबस्त करें। लोगों की बातें सुन-सुनकर अहिस्ता-अहिस्ता मुझे भी ये यकीन होने लगा कि मैं शायद कॉलेज की सबसे खूबसूरत लड़की हूँ और सिर्फ़ बाहर के लड़के ही नहीं बल्की कॉलेज की कुछ लड़कियाँ भी मुझ पर आशिक हो रही थीं।
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