RE: Indian Sex Story बदसूरत
सुहानी ने जब ये देखा की अविनाश उसके सामने ही लंड को मसल रहा है तो उसकी चूत और पानी छोड़ने लगी....उसे लगने लगा की उसका पजामा गिला होने लगा है....उसे क्या करे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
उसे लगाने लगा की ऐसेही थोड़ी देर चलते रहा तो वो ऐसेही झड़ जायेगी।
सुहानी:- पापा..बस हो गया क्या?? मेरे हाथ दर्द करने लगे है...
अविनाश को तो लग रहा था किनये सब कभी खत्म ही ना हो पर अब उसकी मज़बूरी थी...
अविनाश:- हा ठीक है...अब आराम है मुझे।
अविनाश सीधा बैठा और पीछे मुड़ा..मुड़ते ही उसकी नजर पहले सुहानी की चूत कि तर्फ गयी ..उसे वहा कुछ गिला देखा...पहले तो उसे लगा की तेल का होगा पर अगले ही पल उसे समझ आ गया की वो तेल नहीं है...सुहानी ने झट से अपने पैर पास लिए क्यू की वो देख रही थी की अविनाश उसकी चूत को बड़े गौर से देख रहा है...
अविनाश:- ओह्ह्ह्ह्ह सुहानी की चूत गीली हो गयी थी..,मतलब उसे ये सब अच्छा लग रहा था...उसे मजा आ रहा था....ह्म्म्म्म चलो कुछ और करते है...
अविनाश:- ह्म्म्म सुहानी बहोत अच्छा मस्साज किया तुमने...चलो मैं भी तुम्हारे सर में तेल लगा देता हु...बड़ा अच्छा तेल है...फ्रेश हो जाओगी...
सुहानी समझ गयी की अविनाश अब और कुछ हरकत करने वाला है...
सुहानी:- नही पापा ठीक है...
अविनाश:- अरे आ जाओ...समझ लो की ये भी मेरी एक हसरत है जो मैं पहले नही ककर पाया...अब मौका मिला है तो मुझे कर लेने दो।
सुहानी सोच में पड़ गयी..."ओह्ह पापा हमेशा ये बात बोल के मुझे दुविधा में डाल देते है..वो मालिश करते वक़्त फिरसे कुछ न कुछ करेंगे और मेरी हालत ख़राब करेंगे...लेकिन सच कहु तो मजा तो मुझे भी आता है...फिर क्या सोचना...
अविनाश:- क्या सोचने लगी?? चल बैठ निचे मैं ऊपर बैठता हु...
सुहानी शरमाते हुए निचे बैठ गयी...अविनाश ऊपर बेड पे बैठ गया...एयर उसके सर पे तेल डाल के धीरे धीरे मालिश करने लगा...ऊपर से सुहानी के बड़े गले के टॉप से सुहानी की चुचिया आधी *दिखाई दे रही थी। गोल गोल बड़ी बड़ी सावली सी चुचिया को देख के अविनाश का लंड फिरसे खड़ा होने लगा था...सुहानी ने आईने में देखा की अविनाश उसकी चुचियो को जादा से जादा देखने की कोशिश कर रहा है...सुहानी को हँसी आयी...सुहानी भी अब इस खेल का मजा लेना चाहती थी....
सुहानी:-ह्म्म्म देखो तो ऐसे तड़प रहे है पापा...चलो इनको और तड़पाती हु....
सुहानी ने धीरे से अपना टॉप का निचला हिस्सा पकड़ा और निचे खीचने लगी...ब्रा नही होने के कारण टॉप उसककी चिकनी चुचियो पे फिसलते हुए निचे जाने लगा....सुहानी ये काम इतने धीरे कर रही थी की अविनाश को मालुम भी नही पड़ा...लेकिन अविनाश को अब सुहानी की चुचियो का काफी हिस्सा साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था। उसका लंड अब बेकाबू हो रहा था....वो थोडा आगे हुआ और सुहानी के सर को पीछे खीचा...और अपने लंड पे रख लिया....जैसे ही सुहानी को अविनाश के कड़क लंड का स्पर्श अपने सर पे हुआ उसकी आँखे बंद हो गयी....अविनाश का लंड भी उड़ने लगा...
अविनाश:- ऐसेही रहो...मैं तुम्हारा सर दबा देता हु...
सुहानी:- ओके पापा...
सुहानी का सर पीछे आ जाने के कारण उसकी चुचिया ऊपर की और आ। गयी थी...और सुहानी ने टॉप को थोडा खीच के पकड़ा हुआ था इसलिए सिर्फ निप्प्ल्स ही टॉप में छुपे हुए थे....और सुहानी ने अपनी छाती को जानबुज के थोडा ऊपर के और उठा लिया....जिससे उसकी चुचिया को नजारा अविनाश को मिल रहा था वो अधभुत था....अविनाश उसे ऐसे देख के पागल हो गया....वो अपना लंड उचका उचका के अपनी ख़ुशी जाहिर करने लगा....उसके लंड का उचकना सुहानी को फील हो रहा था....उसकी साँसे तेज होने लगी....धड़कने बढ़ने लगी....उसकी तेज साँसों के साथ ऊपर निचे जाती उसकी अधनंगी चुचियो को देख अविनाश को होश ही नही रहा.....वो सुहानी का सर अपने लंड पे दबाने लगा....सुहानी भी मजे से अविनाश के कड़क लंड कक स्पर्श एन्जॉय करने लगी....कुछ मिनटों तक यही सिलसिला चलता रहा....
अविनाश:- अच्छा लग रहा है ना सुहानी?
सुहानी:- हा पापा...
अविनाश:- मजा आ रहा है??
सुहानी:- मजा?? मतलब??
अविनाश जोश में होश खो बैठा था...
अविनाश:- वो..में..मेरा...मेरा मतलब....
अविनाश की बात अधूरी ही रह गयी...क्यू की सुहानी के हाथ पे एक कोई उड़ने वाला कीड़ा आके बैठा...सुहानी किसी और ही दुनिया में थी...वो आँखे बंद करके थी...वो एकदम से डर गयी और हाथ से उसे झटक दिया और थोडा चिल्लाते हुए कड़ी हुई। वो बहोत डर गयी थी। वो इधर उधर देखने लगी।
अविनाश खड़ा हुआ।
अविनाश:- क्या हुआ??क्यू डर गयी इतना?? कुछ नही बस वो एक कीड़ा था...वो क्या कहते है उसे....रातकीड़ा...वो जो किर्रर्रर्रर आवाज करता है...
सुहानी अब भी दरी हुई थी...अविनाश आगे हुआ और उसे बाहो में लिया और ...
अविनाश:- अरे कुछ नही होता उससे...
सुहानी:- वो बड़ा ही अजीब फील हुआ हाथ पे...
सुहानी इधर डरी हुई थी और अविनाश अपने काम में लगा हुआ था....उसने सुहानी को अपनी बाहो में कस लिया...सुहानी के बड़े बड़े कड़क निप्प्ल्स उसको अपनी छाती पे महसूस हो रहे थे। नरम नरम चुचियो के स्पर्श से उसका लंड जो थोडा मुरझा गया था....वो फिर से टाइट होने लगा.....इसबार अविनाश का लंड सही निशाने पे था...क्यू की एक तो वो थोडा मुरझा गया था जिससे सुहानी को जब गले लगाया तब उनका फासला कम था लेकिन अब जब वो टाइट होने लगा था तब सुहानी की चूत के बहोत करीब था....वो सुहानी की पीठ पे हाथ घुमा रहा था....धीरे धीरे वो अपने हाथ घुमाने का दायरा बड़ा रहा था...वो निचे कमर तक...फिर थोडा। और। निचे सुहानी गांड के ऊपरी हिस्से पे हाथ घुमाने लगा....सुहानी भी अब संभल गयी थी...वो डर के ट्रैक से निकल कर वापस सही ट्रैक पे लौट आई थी...अविनाश का हाथ अपने गांड को सहलाते हुए पाके वो उत्तेजित होने लगी....वो चाहती तो अविनाश को दूर कर सकती थी पर उसे मजा आने लगा था...
अविनाश:- सुहानी ठीक है..कुछ नहीं होता...इतना क्या डरना?
वो सुहानी को अपने आप से और चिपकाते हुए बोला।
सुहानी:- मुझे बहोत डर लगता है ऐसे कीड़ो से...
सुहानी अब खुद उससे चिपकती हुई बोली...अविनाश ने मौके का फायदा उठाया और अपना लंड सुहानी की चूत से सटा दिया....,सुहानी की आह निकलते निकलते बची....सुहानी भी अब पीछे नही हटना चाहती थी...उसने भी अपनी चूत अविनाश के लंड की और थोडा बढ़ा दी...दोनों भी वासना में अंधे हो चुके थे....लगबघ दो मिनट हो चुके थे पर दोनों ही एकदूसरे को छोड़ना नही चाहते थे...लेकिन तभी वो कीड़ा फिरसे उड़ते हुए आया और अविनाश के हाथ पे बैठ गया...अविनाश ने झटके से उसे उड़ाया...लेकिन इस दरमियान उसने सुहानी को अपनी बाहो से आजाद कर दिया था....सुहानी ये देख के हस पड़ी...
सुहानी:- हा हा हा देखा मैंने नही कहा था...देखो आप भी डर गए ना??
अविनाश:- नही तो...अरे वो अजीब सा फील हुआ...रुको मैं उसे भगाता हु...नही तो तुम्हे और परेशां करता रहेगा...
अविनाश ने देखा वो कीड़ा एक कोने में बैठा हुआ था....अविनाश ने एक पुराणी नोटबुक ली और उस कीड़े को मार गिराया...उसे बहोत ग़ुस्सा आ रहा था उस कीड़े पे क्यू को दो बार उसने अच्छे खासे सिन का कबाड़ा कर दिया था...
सुहानी:- चलो पापा बहोत लेट हो गया है...मुझे सुबह जल्दी उठ के काम खत्म करना है...
अविनाश ने अधूरे मन से गुड नाइट बोला और अपने कमरे में चला गया...
सुहानी बेड पे लेट ककए सोचने लगी...
सुहानी:- ये पापा भी ना अपनी हरकतों से मुझे बहका ही देते है...आज तो कुछ हो जाता...क्या सच में कुछ हो जाता??? उफ्फ्फ्फ़ मुझे तो सोच के डर लग रहा है...और मजा भी आ रहा है...मजा तो तब आ रहा था जब पापा का लंड मेरी चूत पप रगड़ खा रहा था स्स्स्स्स्स्स्स अह्ह्ह्ह्ह (सुहानी अपनी पैंट निचे की) देखो कैसे गीली हो चुकी है उम्म्म्म्म*
सुहानी अपनी चूत का दाना रगड़ने लगी...
सुहानी:- अह्ह्ह्ह स्सस्सस्स पापा कौसे ओन सर मेरी चूत पे दबा रहे थे स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह्ह्ह जब उनका लंड मेरी चूत पे था तब तो ऐसा लगा की बस अब हो गया अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स ये मैं क्या सोच रही हु अह्ह्ह्ह्ह चुप बैठ अह्ह्ह्ह्ह चुदने के लिए मरी जा रही है स्सस्सस्स अह्ह्ह्ह हा तो क्या पापा से चुदवा लू अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म चुदवा ले अह्ह्ह पूनम के चाचा से तो अच्छे ही है अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह वो तो है स्सस्सस्स लेकिन ये गलत होगा...क्या गलत?? समीर ने कहा था की ये सब होता है बस दिखाई नही देता...हा उफ्फ्फ्फ्फ्फ और ऐसे भी पापा भी तो इसी फ़िराक में है अह्ह्ह्ह वो भी तो मेरी लेंना चाहते है अह्ह्ह्ह्ह मुझे चोदना चाहते है उम्म्म्म्म्म
सुहानी के मन में ये ख्याल आते ही वो अपनी चूत में ऊँगली डाल दी...पहले एक और फिर दो...आज पहली बार उसने दो उंगलिया अपनी चूत में डाली थी...उसे दर्द तो हुआ लेकिन उससे जादा मजा आया....वो तेजी से अपनी चूत चोद रही थी....कुछ ही पल में झड़ गयी....
अविनाश भी आज बहोत जादा जोश में था...आज 5 दिन बाद उसे मौका मिला था और आज तो लगबघ उसने सुहानी को चोद ही दिये था।
अविनाश अपना लंड हिला रहा था।
अविनाश:- अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् क्या चुचिया है सुहानी की उफ्फ्फ्फ्फ्फ इतने करीब से देखा अह्ह्ह्ह मजा आ गया आज तो उम्म्म्म्म्म उसकी चूत भिंकित्नी मुलायम है स्स्स्स्स् और गीली भी थी उफ्फ्फ्फ्फ्फ मतलब वो भी मजे ले रही थी अह्ह्ह्ह्ह्ह वो भी चाहती है स्सस्सस्स आज इतना गरम हो गयी थी की आज चुद जाती वो मुझसे उम्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह कितना मजा आएगा उसको चोदने में अह्ह्ह्ह्ह उसकी बड़ी बड़ी चुचिया दबाने में अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्सस्सस्सस्सस्स
अविनाश ये सब सोचते हुए झड़ने लगा।*
दोनों जब शांत हुए तब आराम से सो गए।
बड़े ही नाटकीय ढंग से ये सब चल रहा था। नीता और सोहन इनसब से बेखबर थे। लेकिन कितने दिनों तक अविनाश और सुहानी उनसे छुपते हुए ये सब करते रहेंगे ये तो वक़्त ही बताएगा।
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