RE: Indian Sex Story बदसूरत
चाचाजी:-क्या है सुहानी?? अपना लंड उसकी गांड में दबाते हुए पूछा...
सुहानी:- कुछ नहीं है अंकल किसी का एअर रिंग है...वो उठा के उसे देलहने लगी लेकिन झुकी हुई ही रही क्यू की उसे चाचाजी के लंड का स्पर्श बहोत अच्छा लग रहा था।
चाचाजी:- ओह्ह्ह किसी मेहमान का होगा...अपना लंड को पीछे ले जाके एक हल्का सा झटका सुहानी की गांड पे देते हुए कहा।
सुहानी:- हा...शादी के टाइम जो रुक्का होगा उसका होगा...वो ऐसे झुक के नहीं रह सकती थी...इसलिए कड़ी हो गयी...और टर्न हो के चाचाजी *की तरफ फेस करके खड़ी हो गयी...दोनों के बिच थोडा अंतर था पर *चाचाजी का तना हुआ लंड बिलकुल सुहानी के चूत पे निशाना लगाए खड़ा था बस कुछ इंच की दुरी थी। सुहानी के होठो पे एक शर्मीली हँसी थी। चाचाजी भी उसे देख रहे थे। उन्होंने देखा की सुहानी के लंबे बाल उसकी एक चूची को धक् रहे है। उन्होंने अब जादा देर करना सही नहीं समझा क्यू की लड़की अब फंस चुकी है इस बात का उनको यकीं हो गया था।
चाचाजी ने उसके कंधे पे हाथ रखा और बालो को पकड़ते हुए अपना हाथ थोडा निचे ले गए उनकी उंगिलियो का पिछला हिस्सा सुहानी की चुचियो को छु के निकाला...सुहानी उनके ऐसे स्पर्श से चिहुंक उठी।
चाचाजी:- उसकी चुचियो को देख के....बहोत बड़े है तुम्हारे...बाल...
सुहानी समझ गयी की वो बाल नहीं बॉल की बात कर रहे है...
सुहानी:- हा...लोगो को बड़े ही पसंद आते है...
चाचाजी:-हा हम मर्दों की यहिबटो कमजोरी होती है...बड़े हो तो सहलाने में मजा आता है...
सुहानी:-क्यू आंटी के नहीं है क्या?
चाचाजी:- है...लेकिन तुम्हारे जितने नहीं है...
सुहानी:- क्या मजा आता है बड़े बड़े कको सहला के??
चाचाजी थोडा आगे हुए और अपना खड़ा लंड सुहानी के चूत से सटा दिया हाइट कम होने से उनका लंड बिलकुल चूत *के छेद पे दस्तक दे रहा था। सुहानी को जैसे ही लंड का स्पर्श चूत पे हुआ उसकी आँखे बंद सी होने लगी। वो अनजाने में ही अपनी चूत का हल्का सा दबाव चाचाजी के लंड पे डाल बैठी। चाचाजी को अब सब्र नहीं हो रहा था।
चाचाजी:- वो तो नहीं पता...क्यू की आजतक इतने बड़े कभी सहलाये नहीं...
सुहानी:- मेरे तो सहला रहे हो...
चाचाजी:- कहा बस छु रहा हु...सहलाके देखु क्या??
सुहानी शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पायी बस मुस्कुरा के निचे देखने लगी....निचे *चाचाजी का लंड उसकी दोनों जांघो के बिच चूत पे था। उसे देख के उसकी उत्तेजना बहोत जादा बढ़ गयी। चाचाजी ने अपनी शराब खत्म की और ग्लास वाही रख दिया *और सुहानी के चीन को पकड़ के ऊपर उठाया और अपना लंड बिलकुल अंदर डालते हुए उसको आँखों में देलहते हुए कहा...
चाचाजी:- बोलो सुहानी ...सहलाके देखु क्या ?? क्या फर्क होता है??
सुहानी की सांसे तेज हो चुकी थी। उसे ऐसे मौको पे क्या करना चाहिए क्या कहना चाहिए इसका कोई अंदाजा नहीं था। वो बस जोर जोर से साँसे लेते हुए शर्मा के दूसरी और देखने लगी........
सुहानी:- अच्छा?? ऐसा क्या ख़ास करते हो आप??
चाचाजी:- वो तो जब तुम्हारी। मालिश करूँगा तब पता चल ही जाएगा...
सुहानी:- फिर भी कुछ तो ख़ास होगा...
चाचाजी:- मेरे पास स्पेशल क्रीम है...उसे लगा के मालिश करो तो उससे मजा भी आता है और बड़े भी होते है।
सुहानी को ये समझा नहीं।
सुहानी:- तो मुझे दे दीजिये...मैं खुद कर लुंगी।
चाचाजी:- वो ऐसे नहीं दे सकता...उसके लिए पहले बहोत कुछ करना पड़ता है...
सुहानी:- अभी नही है क्या आपके पास...खत्म हो गयी??
चाचाजी:- बहोत है...और वो कभी खत्म नही होती...बहोत भरी हुई है बोतल...
चाचाजी अपना लंड दबाते हुए बोले...फिर एकदम से सुहानी को क्लिक हुआ की वो किस क्रीम की बात कर रहे है।
सुहानी को समीर का झड़ना याद आ गया।
सुहानी:-तो निकालिये ना बोतल से...सुहानी बहोत ही मादक तरीके से बोली...अब उसका मुड़ भी शरारती हो चूका था।
चाचाजी:- बोतल बहोत दिनों से बंद है...जाम हो चुकी है...क्रीम निकलने के लिए...उसे हिलाना पड़ेगा...या हो सकता है चूसना भी पड़े...
सुहानी चूसना सुनके एकदम चौक पड़ी।
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