bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
02-01-2019, 03:10 PM,
#2
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
जब तक वीरेंदर जी आइक्यू से कॅबिन में शिफ्ट होते हैं, आइए चलते हैं 12 साल पहले. 
आशना तब *****साल की छोटी सी बच्ची थी. अपने माँ-बाप की इक्लोति संतान होने के कारण वो काफ़ी ज़िद्दी थी. ज़िंदगी की हर खुशी उसके कदमों में थी. उसके पिता यूँ तो एक मामूली वकील थे पर अपनी बेटी की हर ज़िद पूरी करना उनका धरम जैसा बन गया था. पत्नी की मौत के बाद वो दोनो एक दूसरे का सहारा थे. आशना की माँ उसे 2 साल पहले ही छोड़ कर चली गई थी. हाइ BP की शिकार थी. जब आशना 8 साल की हुई तो उसके पिता ने उसे डलहोजी मैं एक बोरडिंग स्कूल में दाखिल करवा दिया. आशना की ज़िद के आगे उन्हे झुकना पड़ा और यहाँ से शुरू हुआ आशना की ज़िंदगी का एक नया सफ़र. वो अपने पापा से दूर क्या गई कि उसके पापा हमेशा के लिए उससे दूर हो गई.

हुआ यूँ कि आशना के पिता जी और वीरेंदर के पिता जी सगे भाई थे. वीरेंदर उस वक्त 25 साल का नवयुवक था. मज़बूत बदन और तेज़ दिमाग़ शायद भगवान किसी किसी को ही नसीब मे देता है. वीरेंदर एक ऐसी शक्शियत का मालिक था. मार्केटिंग मे एमबीए करने के बाद उसने पापा के बिज़्नेस को जाय्न कर लिया था. वीरेंदर की माता जी एक ग्रहिणी थी और उसकी छोटी बेहन सीए की तैयारी कर रही थी. पूरा परिवार हसी खुशी ज़िंदगी गुज़ार रहा था पर ऋतु (आशना की माँ) की मौत के बाद उन्होने काफ़ी ज़ोर दिया कि राजन (आशना के पापा) दूसरी शादी कर लें या उनके साथ सेट्ल हो जाए. राजेश दूसरी शादी करना नहीं चाहता था और अपनी वकालत का जो सिक्का उसने अपने शहर मे जमाया था वो दूसरे शहर मे जाके फिर से जमाने का वक्त नहीं था. इसी सिलसिले मे एक बार वीरेंदर के माता-पिता और छोटी बेहन एक बार राजेश के शहर गये ताकि वो किसी तरह उसे मना कर अपने साथ ले आए पर होनी को कुछ और ही मंज़ूर था. उन्होने राजेश को मना तो लिया और अपने साथ लाए भी पर रास्ते मैं एक सड़क दुर्घटना में सब कुछ ख़तम हो गया.

वीरेंदर को जब यह पता चल तो वो अपने आप को संभाल नहीं पाया और एक दम से खामोशी के अंधेरे मे डूब गया. आशना और वीरेंदर ने मिलकर उनका अंतिम संस्कार किया पर वीरेंदर किसी होश-ओ-हवास मे नहीं था. आशना की उम्र छोटी होने के कारण वीरेंदर की कंपनी के पीए ने समझदारी दिखाते हुए उसे जल्दी हुए बोरडिंग भेज दिया ताकि वो इस दुख को भूल सके पर वीरेंदर को तो जैसे होश ही नहीं था कि वो कॉन हैं और उसे उस बच्ची को संभालना है. आशना के दिल-ओ-दिमाग़ पर वीरेंदर की शक्शियत का काफ़ी गहरा असर पड़ा. वो उससे नफ़रत करने लगी और इस नफ़रत का ही असर था कि दोनो भाई बेहन 12 सालो तक एक दूसरे से नहीं मिले या यूँ कहे कि आशना ने कभी मिलने का मोका ही नहीं दिया. धीरे-धीरे वीरेंदर की ज़िंदगी मे ठहराव आता चला गया. वो सब से कटने लगा पर अपने बिज़्नेस को बखूबी अंजाम देता और आशना की फी और बाकी की ज़रूरतों का भी ध्यान रखता पर आशना को इसकी भनक भी नहीं लगने दी.

वो जानता था कि आशना उसे पसंद नहीं करती और उसने भी उसे मनाने की कोशिश नहीं की. ज़िंदगी से कट सा गया था वो उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता था कोई उसके बारे मैं क्या सोचता है. दिन भर काम और शाम को घर मे जिम यही उसकी रुटीन रह गई थी.

लेकिन उसकी ज़िंदगी मे कोई था जिसे वो अपना हर हाल सुनाता, मेरा मतलब लिख के बताता. जी हां सही समझा आपने वीरेंदर को तन्हाईयो मे डाइयरी लिखने की आदत थी. वो घंटो बैठ कर लिखता रहता. उस डाइयरी मे वो क्या लिखता किसी को भी पता नहीं था. किसी को कुछ पता भी कैसे लगता इतने आलीशान बंग्लॉ मे उसके अलावा उनका पुराना नौकर बिहारी ही रहता था जो कि अनपढ़ था. पहले वो भी बाहर सर्वेंट क्वार्टेर मे रहता था पर अब वो ग्राउंड फ्लोर मे बने एक स्टोर मे सो जाता था ताकि वीरेंदर को रात को भी किसी चीज़ की ज़रूरत पड़े तो वो फॉरन उसे पूरा कर दे. अक्सर वो रात को उठकर वीरेंदर के कमरे तक जाता और अगर वीरेंदर डाइयरी लिखते लिखते सो गया होता तो उसे अच्छे से चादर से धक कर रूम की लाइट बंद कर देता. ऐसा अक्सर होता कि वीरेंदर जिम करने के बाद कुछ देर आराम करता, फोन पर बिज़्नेस की कुछ डील्स करता और फिर डिन्नर के बाद अपने रूम में डाइयरी लिखने बैठ जाता. लोगों की नज़र मे उसकी इतनी ही ज़िंदगी थी पर उसकी ज़िंदगी मे और भी काफ़ी तूफान थे जिनकी सर्द हवा से वीरेंदर ही वाकिफ़ था.

मिस आशना डॉक्टर. आपसे मिलना चाहते हैं....... इस आवाज़ ने आशना की तंद्रा को तोडा.
आशना: भैया को शिफ्ट कर दिया आप ने
वॉर्ड बॉय: हां, वो डॉक्टर. साहब आपसे मिलना चाहते हैं. 
आशना: तुम चलो मैं अभी आती हूँ. वॉर्डबॉय के जाने के बाद आशना ने अपनी जॅकेट की ज़िप बंद की, आज काफ़ी ठंड थी. सर्द हवाए शरीर को झिकज़ोर रही थी. आशना डॉक्टर. रूम की तरफ मूडी ही थी कि उसके कदम रुक गये. वो फिर से मूडी और कॅबिन के ग्लास से उसने वीरेंदर को देखा फिर तेज़ी से मुड़कर डॉक्टर. रूम की तरफ चल दी.
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