RE: Hindi Sex Kahaniya पहली फुहार
पूरबी
हलकी बारिश में साडी पूरबी की देह से चिपक गयी थी ,गोरा रंग , मस्ती में डूबे अंग , सब उभार कटाव झलक रहा था।
और आते ही पूरबी चालू , बसंती से बोली ,
"अरे सावन में ननदी से अकेले अकेले मजा लूटा जा रहा है।"
"आओ न,वैसे भी हमारी ननदों का एक से मन कहाँ भरता है , आओ मिल के इसको ट्रेनिंग देते हैं।“
बसंती को भी एक साथी मिल गया।
और मेरी स्कर्ट के अंदर अब पूरबी का हाथ भी घुस गया , आधे कटे तरबूजे की तरह गोल गोल कड़े कड़े मेरे चूतड़ , जिसके बारे में सोच के ही लौंडो का लंड खड़ा हो जाता है , वो बसंती और पूरबी के हाथों के कब्जे में.
और क्या कोई लड़का मसलेगा जैसे वो दोनों मिल के मसल रही थीं।
"रात में तो पिछवाडे वाला सामान ठीक से दिखा ही नहीं " पूरबी बोली और उसने और बसंती ने मिलके एक साथ मेरा स्कर्ट उठा दिया , और यही नहीं दोनों ने मिल के हलके से धक्का दिया , और बरामदे में पड़ी बसखटिया पे मैं पट गिरी पेट के बल और पिछवाड़ा न सिर्फ पूरी तरह खुला था , बल्कि बसंती और पूरबी के हवाले।
और दोनों नंबरी छिनार।
"देखो कल ही चंपा भाभी ने मुझसे कहा था की मैं तुझे पूरी ट्रेनिंग दे दूँ ,जो भी ससुराल से सीख के आई हूँ , सीखा मैं दूंगी ,प्रैक्टिकल गाँव के लड़के करा देंगे। चम्पा भाभी की बात टालने की हिम्मत तो मुझमे है नहीं। "
जोर जोर से मेरे चूतड़ दबाती ,चिढ़ाती पूरबी बोली।
बसंती का साथ मिलने से वो और शेर हो गयी थी।
बसंती की दो उंगलियां अब मेरे पिछवाड़े की दरार में,रगड़ रगड़ कर आग लगा रही थी।
पूरबी क्यों मौका छोड़ती ,उसकी हथेली मेरे गदराये कड़े चूतड़ पे थी लेकिन अंगुलियां सरक कर ,मेरी बुलबुल के मुहाने पर पहुँच कर वहां छेड़खानी कर रही थी।
इतनी मस्त गांड अभी तक सील बंद इसका जल्द इलाज होना चाहिए , दोनों ने मेरे चूतड़ फैला के बोला।
“इलाज तो मैं अभी कर देती लेकिन गाँव के लड़कों का नुक्सान हो जाएगा " बसंती रहम करती बोली।
“ दो दिन का टाइम दे रही हैं तुझे , अगर तब तक नहीं फटी तो सोच लो,” पूरबी बोली।
कुछ देर तक मेरी रगड़ाई होती रही लेकिन मैंने भी जुगत लगाई।
पूरबी से मैं बोली , " अरे ये साडी गीली है , तबियत खराब हो जायेगी तो आपके मायके के यारों का क्या होगा। "
और ये कहके मैंने पूरबी का आँचल पकड़ के जोर से खींचना शुरू कर दिया और बसंती की ओर देखा , वो मुस्कराई और झट से उसने पाला बदल लिया।
जब तक पूरबी सम्हले , उसकी दोनों कलाइयां बसंती की सँडसी ऐसी कलाई की कड़ी पकड़ में।
अब आराम से चक्कर ले के मैंने पूरी साडी उतार के चारपाई पे फ़ेंक दिया।
और अब मैंने और बंसती ने मिल के , पूरबी को पीठ के बल ,....
“चलो अब अपनी गौने की रात की पूरी कहानी सुनाओ , " उसके ब्लाउज के बटन खोलती बसंती बोली।
“कल सुनाया तो था,"पूरबी ने बहाना बनाया।
लेकिन अब मैं भी गाँव के रंग में रंग गयी थी।
"सुनाया था, दिखाया कहाँ था, इस्तेमाल के बाद बुलबुल की क्या हालत हुयी।” और जब तक पूरबी रानी सम्हले सम्हले, मैंने उसका साया पलट दिया और बुलबुल खुल गयी थी।
हाथ अभी भी पूरबी के ,बसंती की पकड़ में थे.
और पूरबी की बुलबुल मेरे हाथ में।
चूत सेवा , उंगली और हाथ से करना मैंने भी सीख लिया था।
कुछ ही देर में पूरबी चूतड़ पटक रही थी और बसंती ने उससे गौने की रात का पूरा डीटेल उगलवा लिया।
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