Hindi Sex Kahaniya पहली फुहार
01-25-2019, 12:50 PM,
#2
RE: Hindi Sex Kahaniya पहली फुहार
सोलहवां सावन, 



दूसरी फुहार




सावन में झूले पड़े


बसंती जो नाउन थी, तभी आयी। सबके पैर में महावर और हाथों में मेंहदी लगायी गयी। मैंने देखा कि अजय के साथ, सुनील भी आ गया था और दोनों मुझे देख-देखकर रस ले रहे थे। मेरी भी हिम्मत भाभियों का मजाक सुनकर बढ़ गयी थी और मैं भी उन दोनों को देखकर मुश्कुरा दी।






हम लोग फिर झूला झूलने गये। भाभी ने पहले तो मना किया कि मुन्ने को कौन देखेग। भाभी की अम्मा बोलीं कि वह मुन्ने को देख लेंगी।



बाहर निकलते ही मैंने पहली बार सावन की मस्ती का अहसास किया।





हरियाली चारों ओर, खूब घने काले बादल, ठंडी हवा… हम लोग थोड़ा ही आगे बढे होंगे कि मैंने एक बाग में मोर नाचते देखे, खेतों में औरतें धान की रोपायी कर रहीं थी, सोहनी गा रहीं थी, जगह जगह झूले पड़े थे और कजरी के गाने की आवाजें गूंज रहीं थीं।

कजरी रास्ते में ही शुरू हो गयी और मुझे और भाभी को लेकर ,




घरवा में से निकलीं ,ननद भौजइया ,जुलुम दोनों जोड़ी रे साँवरिया।

भौजी के सोहे ला ,लाल लाल सिन्दुरा,
ननद जी के रोरी रे साँवरिया।

घरवा में से निकलीं ,ननद भौजइया ,जुलुम दोनों जोड़ी रे साँवरिया।

भौजी के सोहे ला ,लाल लाल चुनरी
ननद जी के पियरी रे साँवरिया।

घरवा में से निकलीं ,ननद भौजइया ,जुलुम दोनों जोड़ी रे साँवरिया।

भौजी के सोहे ला ,सोने क कंगना
ननद जी के चूड़ी रे साँवरिया।

घरवा में से निकलीं ,ननद भौजइया ,जुलुम दोनों जोड़ी रे साँवरिया।

भौजी के हाथे ढोलक मजीरा ,

ननद गावें कजरी रे साँवरिया।

घरवा में से निकलीं ,ननद भौजइया ,जुलुम दोनों जोड़ी रे साँवरिया।

भौजी के संग है एक सजना

अरे ,ननदी के दस दस रे साँवरिया.

घरवा में से निकलीं ,ननद भौजइया ,जुलुम दोनों जोड़ी रे साँवरिया।




हम लोग जहां झूला झूलने गये, वह एक घनी अमरायी में था, बाहर से पता ही नहीं चल सकता था कि अंदर क्या हो रहा है। एक आम के पेड़ की मोटी धाल पर झूले में एक पटरा पड़ा हुआ था।
झूले पे मेरे आगे चन्दा और पीछे भाभी थीं। पेंग देने के लिये एक ओर से चम्पा भाभी थीं और दूसरी ओर से भाभी की एक सहेली पूरबी थी जो अभी कुछ दिन पहले ससुवल से सावन मनाने मायके आयी थीं। चन्दा की छोटी बहन ने एक कजरी छेड़ी,


अरे रामा घेरे बदरिया काली, लवटि आवा हाली रे हरी।
अरे रामा, बोले कोयलिया काली, लवटि आवा हाली रे हरी,
पिया हमार विदेशवा छाये, अरे रामा गोदिया होरिल बिन खाली,
लवटि आवा हाली रे हरी,
भाभी ने चम्पा भाभी को छेड़ा- “क्यों भाभी रात में तो भैया के साथ इत्ती जोर-जोर से धक्के लगाती हैं, अभी क्या हो गया…”
चम्पा भाभी ने कस-कसकर पेंग लगानी शुरू कर दिया। कांपकर मैंने रस्सी कसकर पकड़ ली। 

भाभी ने चमेली भाभी से कहा- “अरे जरा मेरी ननद को कसके पकड़े रिहयेगा…” और चमेली भाभी ने टाप के ऊपर से मेरे उभारों को कस के पकड़ लिया। भाभी ने और सबने जोर से गाना शुरू कर दिया-




कैसे खेलन जैयो कजरिया, सावन में, बदरिया घिर आयी ननदी,
गुंडा घेर लेहिंयें तोर डगरिया, सावन में बदरिया घिर आयी ननदी,
चोली खोलिहें, जोबना दबइहें, मजा लुटिहें तोर संग, बदरिया घिर आयी ननदी
कैसे खेलन जैयो कजरिया, सावन में, बदरिया घिर आयी ननदी



तब तक चमेली भाभी का हाथ अच्छी तरह मेरे टाप में घुस गया था, पहले तो कुछ देर तक वह टीन ब्रा के ऊपर से ही मेरे उभारों की नाप जोख करती रहीं, फिर उन्होंने हुक खोल दिया और मेरे जोबन सहलाने मसलने लगीं।


झूले की पेंग इत्ती तेज चल रही थी कि मेरे लिये कुछ रेजिस्ट करना मुश्किल था। और जिस तरह की आवाजें निकल रहीं थी कि मैं समझ गयी कि मैं सिर्फ अकेली नहीं हूँ जिसके साथ ये हो रहा है।

कुछ देर में बिन्द्रा भाभी और चन्दा की छोटी बहन कजली पेंग मारने के काम में लगा गयीं, पर उन्होंने स्पीड और बढ़ा दी। इधर चमेली भाभी के हाथ, अब मेरे जोबन खूब खुलकर मसल, रगड़ रहे थे और आगे से चन्दा ने भी मुझे दबा रखा था। मैं भी अब खुलकर मस्ती ले रही थी।

अचानक बादल एकदम काले हो गये और कुछ भी दिखना बंद हो गया। हवा भी खूब ठंडी और तेज चलने लगी। चम्पा भाभी ने छेड़ा-
अरे रामा, आयी सावन की बाहर
लागल मेलवा बजार,
ननदी छिनार, चलें जोबना उभार,
लागें छैला हजार, रस लूटें, बार-बार,
अरे रामा, मजा लूटें उनके यार, आयी सावन की बाहर


मेरी स्कर्ट तो झूले पर बैठने के साथ ही अच्छी तरह फैलकर खुल गयी थी। तभी एक उंगली मेरी पैंटी के अंदर घुसकर मेरी चूत के होंठों के किनारे सहलाने लगी। घना अंधेरा, हवा का शोर, जोर-जोर से कजरी के गाने की आवाज। अब कजरी भी उसी तरह “खुल” कर होने लगी थी।


रिमझिम बरसे सवनवां, सजन संग मजा लूटब हो ननदी,
चोलिया खोलिहें, जोबना दबईहें, अरे रात भर चुदवाईब हो ननदी।
तोहार बीरन रात भर सोवें ना दें, कस-कस के चोदें हो ननदी।
अरे नवां महीने होरिल जब होइंहें, तोहे अपने भैया से चुदवाइब हो ननदी।


जब उंगली मेरे निचले होंठों के अंदर घुसी तो मेरी तो सिसकी निकल गयी।

अब धीरे-धीरे सावन की बूंदे भी पड़ने लगी थीं और उसके साथ उंगली का टिप भी अब तेजी से मेरी योनी में अंदर-बाहर हो रहा था। ऊपर से चमेली भाभी ने अब मेरे टाप को पूरी तरह खोल दिया था और ब्रा ने तो कब का साथ छोड़ दिया था।
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RE: Hindi Sex Kahaniya पहली फुहार - by sexstories - 01-25-2019, 12:50 PM

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