RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
अगली सुबह जब अरुण की आँख खुली तो सोनिया अभी भी उसके आगोश मे थी..
"तो कब से गुलामी स्टार्ट करने वाले हो..??" अरुण के दिमाग़ मे उस अंजानी आवाज़ ने चुटकी ली
अरुण हल्के से मुस्कुरा दिया. वो सोच ही रहा था कि कब ये अपनी बात बोलेगा.
"फॉर युवर इन्फर्मेशन, आप अभी तक जीते नही हैं." अरुण ने कहा
"हाहहा, तुम्हे ध्यान है जब ये सेक्सी सी बालिका आपके उपर चढ़ कर आपको प्यार करते हुए अपना बनाने को बोल रही थी.. किस तरीके से मस्ती मे आपके कामरस की माँग कर रही थी जो अपने इसे दिया.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने कहा
"हां, याद है. लेकिन इसका मतलब ये थोड़ी ना कि तुम जीत गये." अरुण ने फिर उसका विरोध किया
"अच्छा, वो कैसे..?" दिमाग़ की आवाज़ ने कहा
"शर्त ये थी कि मैं तुम्हारी कही हुई बातों को रेज़िस्ट करूँगा. जब तुम मुझे सेक्स करने को कहोगे तब नही करूँगा.." अरुण बोला
"हां, तो वही तो हुआ ना..सबूत सामने है.." दिमाग़ की आवाज़ ने कहा
"हां, लेकिन रात मे तुमने मुझे सोनिया से सेक्स करने के लिए बोला ही कब. तुमने सिर्फ़ एक ही बात बोली उन 4 5 घंटो मे कि कोई भी चूसे क्या फ़र्क पड़ता है. क्यूकी तुमने मुझसे सेक्स करने के लिए कहा ही नही तो बात ना मानने का सवाल ही पैदा नही होता. शर्त मे ये नही था कि मैं अपनी इच्छा से किसी के साथ प्यार नही कर सकता. तो आप अभी तक कुछ नही जीते हैं..ओके.." अरुण ने अपने दिमाग़ की आवाज़ को जवाब दिया
कुछ देर तक एक खामोसी सी छाइ रही. ऐसी खामोशी जो तूफान के आने से पहली होती है. लेकिन तभी जैसे सूनामी आती है वैसे..ही..
"भोसड़ी के, मादरजात, मादरचोद, माँ के लौडे. हरामी, हरामज़ादे, अहसान फरामोश.." और जाने क्या क्या अरुण को सुनाई देता रहा फिर.."ओके..अब तक जितने मज़े लेने थे ले लिए तूने. अब मैं तुझे कोई भी मौका नही देने वाला. तूने एक बार मुझे उल्लू बनाया है अब देख मैं तेरी क्या हालत करवाउन्गा..मादरचोद.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच चुका था
"ओके, देखा जाएगा आंड बाइ दा वे,,अपने लोगो ने आज तक किसी की भी माँ को नही चोदा है.." अरुण हँसते हुए बोला..
सोनिया ने करवट बदली और उसके हाथ को चूम लिया.."गुड मॉर्निंग, भाई."
"पकड़ और डाल दे अपना लंड मुँह के अंदर. फिर गान्ड को फाड़ दे. सारे कपड़े फाड़ के चोद डाल." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने कहा
"उसने कुछ भी नही पहना है.."अरुण ने जवाब दिया, फिर पूछा.."थोड़े गुस्से मे हैं क्या हम लोग.." और हल्के से हंस दिया..
"तेरी माँ का..." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने फिर से गुस्से मे कहा
इसके बाद अरुण और सोनिया दोनो थोड़ी देर किस करते रहे फिर साथ मे ही बाथरूम मे नहाने चले गये. अरुण काफ़ी खुश था कि चलो एक बार तो आवाज़ को मात दे दी . वो ये भी जानता था कि उसने कुछ नही किया था. आवाज़ कल इतनी ज़्यादा एग्ज़ाइटेड थी कल रात कि अरुण तो सेक्स करने जा रहा है तो उसने इंटर्फियर करना ज़रूरी ही नही समझा. लेकिन अब आगे ऐसा कुछ नही होने वाला. फिर इन थॉट्स को दिमाग़ से निकालकर वो सोनिया के साथ शवर का मज़ा लेने लगा. उसके बाद अपने रूम मे तय्यार होकर नीचे ब्रेकफास्ट करने चला गया.
ब्रेकफास्ट तो नॉर्मली निपट गया. तो अरुण अपने रूम मे चला गया. नीचे टेबल पर सोनिया और सुप्रिया अभी भी खा रही थी. सुप्रिया के चेहरे पर तनाव के भाव थे जो सोनिया ने देख लिए. उसने मुस्कुरा कर पूछा.."क्या बात है दी??"
सुप्रिया ने सामने से प्लेट को साइड मे किया फिर कुछ सेकेंड्स चुप रही..
"मैं एक रिक्वेस्ट करना चाहती हूँ?"
सोनिया ने उसे सवालिया नज़रों से देखा.."रिक्वेस्ट..?"
सुप्रिया ने हाँ मे सिर हिला दिया.."हां, और ये थोड़ा अजीब लगेगा सुनने मे लेकिन मैं..मैं और आरोही चाहते हैं कि तुम अरुण के साथ सेक्स नही करोगी..मेरा मतलब है सिर्फ़ कुछ टाइम के लिए.."
"अच्छा, और भला वो क्यू.?" सोनिया ने ठंडी मुस्कान के साथ कहा.
"कम ऑन, सोनिया," सुप्रिया ने विनती वाली टोन मे कहा.."तुम जानती हो हम लोग क्या करने की कोशिश कर रहे हैं. वो बहुत ज़्यादा ही..."
"जिद्दी है?" सोनिया ने बात पूरी करी.
"यस, वैसे महाजिद्दी कहना ज़्यादा ठीक रहेगा." सुप्रिया बोली."हम लोग बस उसे इतना ज़्यादा एग्ज़ाइट करना चाहते हैं कि उससे कंट्रोल ही ना हो और जो भी ये रेज़िस्ट वाली बकवास है ना, वो भूल जाए."
"तो हम लोगो को भी अपने उपर कंट्रोल करना पड़ेगा..?" सोनिया ने थोड़ा धीरे से पूछा.
"नही, ज़रूरी नही है.." सुप्रिया ने जवाब दिया.."मैने पहले भी देखा है कि तुम लोग उसे एग्ज़ाइट करके कितने मज़े लिया करती थी. और अब तो बात ही अलग है, सोचो जब
वो पूरी तरह से एग्ज़ाइटेड हो जाएगा तो कितना मज़ा आएगा."
सोनिया हँसने लगी.."दी, वैसे एक बात कहूँ. अब जब हम तीनो उसके साथ इंटिमेट हैं तो भाई को आराम करने का कुछ चान्स तो देना ही पड़ेगा. सूपरमॅन थोड़ी ना है."
"ये भी है, लेकिन अभी तक तो उसने काफ़ी कंट्रोल किया है जैसे.." सुप्रिया ने ताना मारते हुए कहा..
सोनिया फिर भी हँसती रही.."तो आप चाहती हो मैं भाई के साथ कुछ ना करूँ. तब भी नही जब वो अच्छे से मुझे अपने पास लिटाए हुए हैं, उनका वो..लंड मेरी कमर पर रगड़ रहा है. और आपको पता है जब सुबह उठो और उनका लंड पेट पर चुभ रहा हो तो कितना कंट्रोल करना पड़ता है?"
ये बातें सुन कर सुप्रिया तो किसी सपने मे खो गयी..
"वेल, ये काम थोड़ा मुस्किल होगा..मैं खुद कल उसे ब्लोवजोब दे रही थी और मुझे ही पता है कितनी मुश्किल से मैं उसे बीच मे छोड़कर आई थी. इट वाज़ वेरी वेरी डिफिकल्ट.." सुप्रिया की बात सुन सोनिया खिलखिला कर हँस पड़ी.
."प्लीज़ सोनिया, मेरी बात को समझो. वैसे भी कल रत को तुम्हे उसका प्यार तो मिल ही गया ना. हम लोगो को भी थोड़ा टाइम दो ना. हम दोनो भी उस से उतना ही प्यार करते हैं."
"ओके दी, आपके लिए ये भी सही. और हो सकता है हम लोग उसके कंट्रोल को और जल्दी तोड़ सके.."
"मतलब?" सुप्रिया ने क्यूरीयासिटी के साथ पूछा..
तो सोनिया ने बस बड़ी सी स्माइल दिखा दी.
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"अरुण!" सुप्रिया नीचे से चिल्ला रही थी.
अरुण अपने रूम मे हल्की फुल्की कसरत कर रहा था जब उसने आवाज़ सुनी.."अब क्या चाहिए इन लोगो को. नया प्लान है क्या कोई?"
लेकिन जाना तो पड़ेगा ही. तो वो उठकर नीचे चला गया. सब लोग डाइनिंग टेबल पर थे तो वो भी वही जाके बैठ गया. सुप्रिया कोई लिस्ट बना रही थी. उनकी बातें सुन कर तो ग्रोसरी लिस्ट ही लग रही थी. और लिस्ट देखकर उसके मुँह से गाली निकल ही गयी "बहनचोद..." हालाँकि धीरे.
"ग्रोसरीस?" अरुण ने चेयर पर बैठते हुए पूछा. और उन लोगो को लिस्ट को पूरा करते हुए देखने लगा. तब तक स्नेहा भी आ गयी और उसने भी 10 12 आइटम बढ़ा दिए लिस्ट मे. इतनी लंबी लिस्ट देख कर अरुण ने एक दुख भरी आह भरी.
"इतनी ओवेरक्टिंग की ज़रूरत नही है, स्नेहा जाएगी तुम्हारी हेल्प के लिए.." सुप्रिया ने उसकी तरफ देख कर बोला.
"वाउ, एक पागल के साथ जाना पड़ेगा अब तो.."
"आए, बहेन है अपनी.."
"व्हाटेवेर.."
फिर अरुण ने स्नेहा की ओर देखा तो भी मुस्कुरा दी. अरुण ने सोचा चलो इन तीनो से कुछ देर की मुक्ति तो मिलेगी और स्नेहा से बात करके वैसे भी उसे अच्छा ही फील होता था.
फिर दोनो बाहर जाके कार मे बैठ गये. स्नेहा ने आज सूट पहना हुआ था, नारंगी रंग का जिससे उसकी गोरी काया और ज़्यादा चमक रही थी. उपर से वो क्यूट सा चश्मा. और सूट का टॉप भी था डीप नेक. जब वो कार मे चढ़ि तो थोड़ा झुकने के कारण उसका क्लीवेज सॉफ दिख रहा था. अरुण ने दरवाजा बंद करके अपना दिमाग़ को क्लियर किया और कार को माल की तरफ ले जाने लगा लेकिन स्नेहा चुपचाप अपने ख़यालो मे खोई रही.
"तो दी, थियरी कहाँ तक पहुचि.." अरुण ने बात को स्टार्ट करने के लिए पूछा.
"उम्म, मैं काम ही कर रही थी कि कल से..." वो ये बोलते समय लाल होती जा रही थी..
अरुण समझ गया कि कल जो कुछ आरोही ने किया था उसकी वजह से स्नेहा थोड़ी एंबॅरास्ड है..
"दी, आइ'म सॉरी उन सबके लिए..और ख़ासकर जो आरोही ने किया उसके लिए आइ'म रियली सॉरी.."
स्नेहा ने नर्वस होकर अपने बालो की लट को पीछे किया...
"वो..वो..थोड़ा आ..आ.जीब था.." स्नेहा थोड़ा हकलाकर बोली.
"हॉट था,...हॉट..पागल कहीं की." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने गुस्से से कहा
"हे, ज़बान संभाल के.." अरुण ने अपने दिमाग़ की आवाज़ को उसकी औकात दिखाई
"तो दी, कुछ नया मिला अभी तक.."
"हां..." स्नेहा बोलने को हुई लेकिन फिर अपने निचले होठ को काटने लगी. अरुण उसे देखकर समझ गया कि वो एंबॅरेस्ड है..
"दी, आप क्यो परेशान हो रही हो. मैं हूँ जो अपने ही घर मे अपनी तीन बहेनॉ के साथ इंटिमेट हूँ. आप कुछ भी बोलो, आपकी इमेज मेरे लिए कभी खराब नही होने वाली. उपर से मुझे तो खुशी है कि कम से कम एक बहेन तो ऐसी है जो मुझे सिड्यूस करने पर नही तुली हुई है.."
स्नेहा ने हल्के से हँस दिया..
"वेल, तो जो कुछ भी आरोही ने किया माना कि तुम्हे एग्ज़ाइट करने के लिए किया लेकिन..मुझे भी कुछ हुआ...जैसा कि तुम्हारे साथ हुआ था.." स्नेहा ने अपनी चूनर के छोर को मरोडते हुए कहा.."और जब वो वो सब कर रही थी, मेरा मन कह रहा था कि वो ना रुके.."
अरुण के जहेन मे दोबारा वही सीन प्ले होने लगा. सोनिया उंगली से क्लीवेज पर पड़ा पेस्ट उठाकर चाट रही है फिर स्नेहा को चटा रही है..
"देखा, इट'स हॉट बेबी. अब मूठ मार इसके मुँह पर.." अरुण के दिमाग़ मे फिर से आवाज़ ने कमेंट पास किया
अरुण को हल्की सी हँसी आ गयी तो स्नेहा उसकी तरफ देखने लगी.."दी, मैं समझ सकता हूँ आप क्या कहना चाहती हो..रियली." तो स्नेहा थोड़ा रिलॅक्स हो गयी.."अच्छा तो ये बताओ थियरी का क्या रिज़ल्ट निकला? अपने पता कर लिया कि क्यू तीनो एक दम से मेरे साथ इंटिमेट होने लगी हैं?"
स्नेहा उसकी बात ख़त्म होने से पहले ही अपना सिर ना मे हिला रही थी.."नहीं, मुझे और डेटा चाहिए."
"और डेटा?" अरुण ने सोचा, फिर उसे थोड़ी घबराहट होने लगी कि ये किस डाइरेक्षन मे जा रही हैं.
"तूने सही कहा था, इसके बातें सुन कर सही मे अच्छा लगता है..हाहहः." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने फिर से कहा
"कैसे दी.."
"वो ऐसे, अगर मुझे समझना है कि हमारी बहने क्यू अपने ही भाई के साथ इंटिमेट होना चाहती हैं, ऐसा क्या है तुममे जो बाहर नही है उसे समझाने के लिए मुझे भी खुद को इसमे शामिल करना होगा. मेरे हिसाब से तो यही सबसे अच्छा सल्यूशन है?" स्नेहा किसी किताब की लाइन की तरह बोलती चली गयी.
अरुण के पैर ब्रेक पर कसते चले गये...
"व्हाट??"
"व्हाट नही, कब पूछ कब.."
"हां, जब तक मैं तुम्हारे साथ इंटिमेट नही होती तब तक मैं कोई रिज़ल्ट नही निकल पाउन्गी."
"भाई, कभी कभी तू भी सही काम कर देता है. और मैं अपने वर्ड्स वापस लेता हूँ, शी ईज़ जीनियस. आइ लव हर.उम्म्मा...पुचह. लेकिन ये इस तरीके से क्यू बोल रही है जैसे हम लोगो के साथ सोना कोई बहुत बुरी चीज़ है." अरुण के दिमाग़ में उस आवाज़ ने कहा
इस बात पर अरुण भी अग्री हुआ..
"दी, व्हाट आर यू सेयिंग?" अरुण ने दोबारा पूछा.
"अरुण, जितनी बार मैने इस के सल्यूशन के बारे मे सोचा उतनी बार मुझे हमारा किस याद आ गया और मेरी इच्छा दोबारा तुम्हे किस करने की होने लगी. तो हो सकता है तुम्हारे साथ इंटिमेट होके मैं पता लगा सकूँ कि क्यू वो सब और मैं भी तुम्हारी तरफ इतने अट्रॅक्टेड हैं."
"गाड़ी साइड मे कर, और लंड ठूंस दे मुँह मे.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने बेसब्री से कहा
"कोई मौका नही छोड़ने वाले ना..?" अरुण ने उस आवाज़ को जवाब दिया
"यॅ बेबी.." दिमाग़ मे आवाज़ गूँजी
"दी, आप समझ रही हो ना आपने अभी क्या कहा. आंड बाइ दा वे मैं आपका भाई हूँ आंड आइ लव यू सो मच. आपको किस चाहिए था तो आप मुझसे कभी भी माँग सकती थी."
अरुण ने मुस्कुरा कर कहा तो स्नेहा भी उसकी ओर देखकर मुस्कुराने लगी. तब तक दोनो माल पहुच चुके थे. माल मे जाके अरुण का काम हमेशा होती था ट्रॉल्ली को पीछे पीछे ले जाना तो आज भी कुछ अलग नही होने वाला था. अरुण स्नेहा के पीछे पीछे ट्रॉल्ली लेकर एक जगह से दूसरी जगह घूमने लगा. आगे चलती स्नेहा की गान्ड पर अपनेआप ही अरुण की निगाह पड़ गयी तो वो उसी के मज़े लेने लगा.
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