RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
इधर स्नेहा की आँखें थोड़ी बंद हो गयी जब आरोही की भीगी उंगली उसके दुधो पर पड़ी. हद तो तब हो गयी जब आरोही ने देखा कि स्नेहा की आँखें बंद हैं तो अपनी जीभ से क्लीवेज को चाट लिया. फिर उसके होठों पर किस कर दिया..
"लो दी मैने सॉफ कर दिया आंड बाइ दा वे.. बहुत टेस्टी है..आंड थॅंक यू फॉर मेकिंग इट सो मच टेस्टी.." फिर एक छोटा सा किस दोबारा होठ पर किया और दूर हट गयी..
आरोही ने इसके बाद एक बार अरुण की तरफ देखा और एक नॉटी स्माइल के साथ आँख मार दी..
अरुण से रहा नही गया तो एक बार हाथ आगे बढ़ाकर लंड को दबा दिया..
फिर आरोही ने टॉप को उठाया और वॉशरूम मे चली गयी. लौट कर आई तो एक टीशर्ट थी उसके हाथ मे जो स्नेहा को आरोही ने ही पहनाई. इस बहाने उसके दूधों को 3 4 बार छुआ और ठीक किया.
अरुण तभी पानी पीने आया तो स्नेहा अपने ख़यालो से वापस आई. और एक दम से चारो ओर देखने लगी..उसकी हालत तो ऐसे थी जैसे अभी किसी सपने से जागी हो..उसके चेहरे पर कन्फ्यूषन के भाव और लाली सॉफ सॉफ देखी जा सकती थी.
आरोही ने बड़ी मुश्किल से खुद को हसने से रोका और फिर अरुण की तरफ देख कर कहा.."ओह हाई भाई.." उसने ऐसा जताया जैसे उसने अभी अरुण को देखा था.
अरुण बेचारा थोड़ी तेज़ी से चलता हुआ फ्रिज के पास आया. उसे डर था की स्नेहा कही उसके खड़े लंड को ना देख ले..फिर जल्दी से बॉटल को बाहर लेके चला आया.
बाहर आया तो सोफे पर बैठ गया और टीवी ऑन कर ली. अभी कुछ ही मिनिट हुए थे कि सुप्रिया भी आ गयी और उसके साइड मे बैठ गयी. उसके कपड़े हल्के से गीले थे उपर से नहा कर आई थी तो एक भीनी भीनी खुसबू आ रही थी. सुप्रिया ने जब अरुण की पॅंट की तरफ देखा तो अपने होठों पर जीभ फेरने लगी.
ये कम नही था कि सोनिया भी उछलती कूदती आई और अरुण के लेफ्ट साइड मे चिपक कर बैठ गयी. अरुण अब सोचने लगा कि दो सेक्स अडिक्ट्स मे बीच बैठ गया...और उसे डर लगने लगा कि कही दोनो रेप ना कर डाले. सोनिया पर तो उसे भरोसा था कि वो कुछ ऐसा नही करेगी लेकिन सुप्रिया..उसका कोई भरोसा नही.
सोनिया ने अपना सिर अरुण के कंधे पर रख दिया तो सुप्रिया ने भी दूसरी तरफ से ऐसा ही किया. अरुण को थोड़ी राहत मिली कि चलो अभी तो दोनो ढंग से रहेंगी. ये सोचकर उसका लंड भी थोड़ा शांत होने लगा.
लेकिन ये ख़ुसी चन्द लम्हो की ही थी. पीछे से आरोही आ गयी..वो तो पहले से ही अरुण के पीछे थी लेकिन सही मौके का इंतजार कर रही थी..वो सोफे के सामने आई और दुखी आवाज़ मे बोली.."मेरी लिए जगह नही है.." तो सोनिया और सुप्रिया थोड़ा थोड़ा साइड मे हट गये..लेकिन आरोही..आरोही ने तो अपनी जगह ढूंड ली..वो थी अरुण की गोद..अरुण बेचारा कुछ बोल भी नही पाया तब तक आरोही की ये हरकत देखकर सुप्रिया और सोनिया ने भी अपना सिर उसके कंधे पर दोबारा रख दिया.
आरोही तो आज फुल मूड मे थी...वो धीरे धीरे अपनी गान्ड को हिलाकर अरुण को गर्म करने लगी..उसके चेहरे पर स्माइल और बढ़ गयी जब उसे अपनी चूत पर अरुण के लंड महसूस हुआ..
अरुण की सासें भारी होने लगी लेकिन वो एकटक टीवी को देखता रहा और बिल्कुल सीधा पड़ा रहा..
"अभी घुसेड..अभी.." अरुण के दिमाग़ से आवाज़ आई
अरुण तो ये बात नही सुन रहा था लेकिन उसके लंड ने शायद सुन ली थी..वो तो फुल सबाब मे चढ़ कर गान्ड को चीर्ने की कोसिस कर रहा था..उपर से आरोही ने कोई कमी नही रखी थी वो बिल्कुल धीरे धीरे गान्ड को लंड पर दबा रही थी.
तभी सुप्रिया ने अपना चेहरा उठाकर उसकी गर्दन को होठ खोल कर चाट लिया..और चाटते चाटते कान तक पहुच गयी..
"आइ कॅंट वेट...जब तुम दोबारा हम सब को चोदना स्टार्ट करोगे..उम्म्म" और उसके कान को भी चूसने लगी.
"कम ऑन..यार..इतना कह रही है तो मान जा ना..कोई अपनी बड़ी बहेन की बात को टालता है क्या" अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने उसे मनाते हुए कहा
सोनिया उसे परेशान नही कर रही थी लेकिन ये सब देखकर उसे हँसी काफ़ी आ रही थी...और उसे ये भी कन्फ्यूषन था कि ये हो क्या रहा है...उसने भी उसके कान को दाँतों मे फसा लिया फिर कहा.."भाई पिछली रात को आपकी बहुत याद आई..आज की रात आप सिर्फ़ मेरे हो.."
शिट...अरुण ने सोनिया के बारे मे तो सोचा ही नही था. दिन भर तो किसी ना किसी तरीके से खुद को रोक लेगा..लेकिन रात मे जब सोनिया अपने कपड़े उतारकर नंगी उसके साथ लेटेगी तब क्या करेगा..
"चोदेन्गे और क्या करेंगे...अब हम हमारी प्यारी गुड़िया को मना कैसे कर सकते हैं..हाहाहा..यू आर गॉना बी माइ बिच.."दिमाग़ ने चुटकी ली
अरुण ने आवाज़ पर ध्यान नही दिया. देता भी कैसे, अभी तो खुद को कंट्रोल करने मे बिज़ी था नही तो कबका आरोही को पकड़कर उसके कपड़े फाड़ दिए होते. उसकी साँसे अटक गयी जब आरोही ने अपने सामने से छुपकर उसके लंड के उभार पर हाथ सहलाना स्टार्ट कर दिया..
"लंड निकाल पॅंट से.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने कहा
अरुण की हल्की सी सिसकारी छूट गयी तो उसने कस के अपने होठ काट लिए जिससे आवाज़ ना हो..और खुद को कहने लगा.."कंट्रोल..हुह्म..कंट्रोल..कंट्रोल" इधर आरोही धीरे धीरे उसके पॅंट्स की जिप को ढूँढ रही थी..अरुण को तभी अपने लंड पर ठंडी हवा का अहसास हुआ और उसकी आँखें शर्म और जोश से बंद हो गयी.. आरोही ने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाल लिया था..
"अब इसको पकड़कर उठा और चोद डाल.." आवाज़ ने फिर कहा
अरुण से भी रहा नही गया तो उसके हाथ अपने आप ही आरोही की कमर पर चले गये..
"एस्स" अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने कहा
अरुण को लंड पर हल्का गीलापन महसूस हुआ तो उसे रियलाइज़ हुआ कि आरोही उसके लंड पर उसका प्रेकुं मसल रही थी....फिर उसने धीरे से अपने शॉर्ट्स को साइड मे किया और लंड को चूत पर रगड़ने लगी...
"खाना रेडी है.." स्नेहा ने जैसे ही ये कहा, तुरंत ही तीनो दूर हट गयी..
"ओह नो...फक..प्लीज़ मत जाओ इस वक़्त." दिमाग़ ने मचलते हुए कहा
तीनो बिना एक भी शब्द बोले उसके पास से हटी और आरोही तो ऐसे उतरी जैसे कुछ हुआ ही ना हो ..और बिना कुछ बोले सब किचन की ओर चले गये.
"आइ'म गॉना डाइ.." दिमाग़ ने मारी हुई आवाज़ ने कहा
"एप, आंड आइ फक्किंग हेट यू..यू नो.."
"अब मेरी क्या ग़लती है??" अरुण ने कहा
"अगर पहले ही मेरी बात मानी होती तो ये नौबत नही आती अब यहाँ अकेले बैठ कर हिलाते रहो घंटा.." दिमाग़ ने कहा
"अटलिस्ट मैं जीत तो रहा हूँ.अभी तक.." अरुण ने एक हँसी के साथ कहा..
"आइ हेट यू..." दिमाग़ की आवाज़ ने कहा
अरुण मुँह धोके किचन मे चला गया. आख़िर इतने गर्म सेशन के बाद मुँह धोना तो बनता था. और धीरे से जाकर अपनी जगह पर बैठ गया. बाकी सब लोग आराम से अपनी जगह पर बैठकर बातो मे लगे हुए थे.
आरोही, सुप्रिया और सोनिया तीनो के चेहरे पर स्माइल थी जैसे ओलिंपिक जीत कर आई हो..
अरुण को तुरंत ही सब कुछ फिरसे याद आने लगा..सुप्रिया की बातें, आरोही की गान्ड का अहसास और सोनिया का किस..हुह..उसने प्लेट पर ध्यान दिया.
अरुण ने डिसाइड किया कि इन थॉट्स से आज़ादी पाने के लिए हर वक़्त कुछ ना कुछ तो हर वक़्त करना ही पड़ेगा. उसने सोचा कि अभी खाने के कुछ घंटे बात जिम जाके थोड़ा वर्काउट करेगा फिर रोहित को कॉल करके कही घूमने चला जाएगा. या फिर स्नेहा के साथ किसी मूवी देखने चला जाउ. आइडियास एक के बाद एक उसके दिमाग़ मे घूमने लगे.
खाना खाते व्क़्त कुछ भी खास नही हुआ, सींक मे प्लेट रखकर वो सबको देखने लगा.
"किसी से पूछ क्या किसी को सेक्स करना है.." दिमाग़ से आवाज़ आई
तभी उसे याद आया कि पूल काफ़ी गंदा हो गया हो तो वो सबको बोलकर पूल सॉफ करने चला गया.
आधे घंटे तक वो पूल की सफाई करता रहा तो उसे महसूस हुआ कि उपर खिड़की से तन्का झाँकी करी जा रही है. उसे खुद पर गर्व भी महसूस हुआ कि उसकी बहनें उसकी तरफ इतनी ज़्यादा अट्रॅक्टेड हैं.
पूल सॉफ करने के बाद वो बाथरूम मे नहाने लगा. नहा के वो अंडरवेर ही पहेन रहा था कि तभी दरवाजा खुला और आरोही का चेहरा अंदर आया. आरोही को देखकर अरुण ने जल्दी से अंडरवेर को उपर चढ़ा लिया.
ये देखकर आरोही के चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी. वो बिना पूछे अंदर आई और अपना बाथरोब उतार दिया. अंदर कुछ नही पहना हुआ था..अरुण मुँह खोल के उसे देखता रहा..
"हाई भाई..पुकचह.." आरोही ने उसके पास आके उसके होठों पर किस किया और एक बार लंड को सहला दिया फिर बिना कुछ किए शवर ऑन करके उसके नीचे खड़ी हो गयी..
ठंडा ठंडा पानी जैसे ही उसके सिर से होता हुआ उसके निपल्स पर आया..निपल्स एक दम से खड़े हो गये...
अरुण की नज़रें वहाँ से हटने का नाम ही नही ले रही थी..उसकी इच्छा तो हो रही थी अभी जाके उसके गुलाबी निपल्स को मुँह मे भर ले.
"जा भाई...देख कितनी उतावली हो रही है..जो माँग रही है वो दे दे.." दिमाग़ की आवाज़ ने उसे उकसाया
अरुण ने एक दम से अपनी आँखें बंद करी और बाथरूम से बाहर निकलने लगा. उसकी बॉडी तो उसे जाने से रोक रही थी लेकिन वो रुका नही और सीधा अपने रूम मे आ गया और बेड पर लेट गया. ये किस बवाल मे फसा लिया मैने खुद को?? अरुण सोचने लगा. अगर इन लोगो ने ये करना बंद नही करा तो पक्का मैं मर जाउन्गा..
"मुझे पहले ही पता था, कुछ ना कुछ तो गड़बड़ है तेरे अंदर...भला कुँवारी चूत को ऐसे कोई छोड़कर आता है..इंपोटेंट तो नही है ना..?"
अरुण ने इस बात का जवाब देना ठीक नही समझा. पता नही आगे बात कहाँ तक बढ़ जाए. उसने अपनी आँखें बंद करी और धीरे धीरे सो गया.
कुछ घंटो की नींद के बाद अरुण नींद से जागने लगा. तो कुछ जानी पहचानी फीलिंग हो रही थी. कुछ हो रहा था उसके साथ..
उसने एक दम से आँखें खोलकर अपनी कोहनियों के बल सिर को उठाया. तो सुप्रिया उसके पैरों के बीच बैठकर खड़े लंड को चूस रही थी.
अरुण को उठता देख सुप्रिया उसकी आँखों मे देखने लगी..
"प्लीज़...दी..", अरुण ने सुप्रिया को हटाने के लिए उसके सिर को पीछे करने की कोसिस करते हुए कहा.
तो सुप्रिया ने अपने दाँत दिखा कर हल्के से लंड पर रख दिए..
"नही..मैं जानता हूँ आप ऐसा कुछ नही करोगी.." अरुण थोड़ा डर के बोला..
"ट्राइ कर लो.." सुप्रिया ने आँख मार कर कहा और फिर उसके लंड को मुँह मे भर लिया.
अब बेचारा कुछ कर भी नही सकता था तो इस चीज़ के मज़े ही लेने लगा..सुप्रिया हर धक्के के साथ लंड को और ज़्यादा मुँह मे घुसेडने लगी..जब पूरा लंड उसके मुँह मे चला गया तो अरुण की सिसकारी निकलने लगी..जितनी बार उसका सुपाडा गले के एंड से टकराता उतनी बार अरुण की आहा निकलती.
अरुण को अपने अंदर ऑर्गॅज़म फील होने लगा, वो सुप्रिया को बताने ही वाला था कि वो झड़ने वाला कि तभी सुप्रिया ने एक दम से लंड को बाहर निकाला और खड़ी होकर बिना कुछ कहे रूम से बाहर चली गयी.
अरुण अचंभे मे उसको जाते हुए देखता रहा..
"ओह्ह्ह, व्हाट दा फक!" अरुण के मुँह से निकला
"देखा, मैने क्या कहा था..अब कोई तुझे चूत नही देने वाला. अब को तुझसे चुदने की जगह तुझे चोदने वाली हैं..चूतिया कही का." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने अरुण पर व्यंग कसते हुए कहा
अरुण अपना सिर खुजाने लगा, एक मन तो सुप्रिया को थॅंक यू कह रहा था कि वो रुक गयी लेकिन बाकी पूरी बॉडी और दूसरा मन कह रहा था कि सुप्रिया को ऐसा नही करना चाहिए थे. अगले 10 12 मिनिट मे जब उसका लंड ढीला पड़ गया तो उसने ट्रॅक्सयूट पहना और नीचे आ गया.
नीचे स्नेहा किसी किताब मे डूबी हुई थी और सुप्रिया वॉशरूम मे गुनगुनाते हुए कपड़े धो रही थी. बिल्कुल मासूम सी लग रही थी.
"घंटा मासूम." अरुण के मुँह से निकल गया.
आरोही का कुछ अता पता नही था. सोनिया टीवी पर कोई सीरियल देख रही थी..
"मैं जिम जा रहा हूँ" अरुण जाते हुए बोला..
"वेट, भाई..मैं भी चलूं?? बहुत दिन हो गये तबसे नही गयी.. सोनिया ने कहा
अरुण सोचने लगा कि सोनिया को ले जाने मे कोई हर्ज़ नही है. उसे विस्वास था कि सोनिया उसे जानबूझ कर परेशान नही करेगी और करेगी भी तो वो अपनी कसरत पर ध्यान देगा.
अरुण के हाँ कहने पर सोनिया जल्दी से अपने रूम मे चेंज करने चली गयी और ग्रे ट्रॅक्सयूट पहेन कर आ गयी.
दोनो इधर उधर की बातें करते हुए जिम को चले गये. अरुण अपनी पसंद की मशीन्स की ओर चला गया. वहाँ बस 2 3 लड़के और थे और लड़कियाँ कोई नही था. वैसे भी शाम के 3 बजे कौन जिम मे होता है.
सोनिया भी उसकी मशीन के सामने आ गयी और उसकी तरफ मुस्कुरा कर अपना ट्रॅक्सयूट का उपर उतारने लगी. उसने पिंक कलर का टॉप और ग्रे कलर की पॅंट्स पहनी थी. वो अरुण के जस्ट सामने वाली मशीन पर चली गयी और झुक कर वर्काउट करने लगी.
अरुण ने भी इस बात पर ध्यान नही दिया फिर अपने सेट्स कंप्लीट करके दूसरी मशीन पर चला गया. तो फिर से सोनिया भी आ गयी और फिर उसके सामने वाली मशीन पर कसरत करने लगी. इस वाली मे आगे झुककर बार को खिचना पड़ता था.
जितनी बार वो खिचती उतनी बार उसकी गान्ड की मास पेशियाँ हिलती. अरुण का लंड ये देखकर खड़ा होने लगा..
"इसको साथ मे लाना इतना अच्छा आइडिया भी नही था.." अरुण खुद को कोसने लगा.
"बेस्ट आइडिया भाई.." दिमाग़ की आवाज़ ने चुटकी ली
सोनिया ने कुछ सेट्स करे फिर जैसे ही अरुण किसी और जगह गया वो भी वही चली गयी और उसके सामने ही कसरत करने लगी. लगबघ 20 मिनिट तक यही सब चलता रहा.
"तुम जानबूझकर ये सब कर रही हो, है ना.." अरुण ने उस पर इल्ज़ाम लगाया.
"एप.." सोनिया ने अपने होठों को गीला करते हुए कहा.
"तुम्हे भी दूर करना पड़ेगा क्या??" अरुण ने कहा.
"तू इसे दूर कर, मैं तेरी जान ले लूँगा." दिमाग़ की आवाज़ ने कहा
ये सुनकर पहले तो सोनिया के चेहरे पर तकलीफ़ के भाव आए लेकिन फिर उसने बच्चों वाली आवाज़ मे पलके झपकते हुए कहा.."मुझे लगा आप मुझसे प्यार कलते थे भाई.."
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